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शाक्यमुनि बुद्ध का पवित्र अवशेष

  • 02 May 2025
  • 8 min read

स्रोत: डीडी

चर्चा में क्यों? 

भारत, सारनाथ से भगवान शाक्यमुनि बुद्ध के पवित्र अवशेष को वियतनाम भेज रहा है, जहाँ ये 12 मई 2025 को मनाए जाने वाले संयुक्त राष्ट्र के वेसाक दिवस के अवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी में प्रदर्शित किये जाएंगे। यह आयोजन संस्कृति मंत्रालय और इंटरनेशनल बौद्ध परिसंघ (IBC) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।

  • यह कार्यक्रम दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रभाव और प्राचीन भारतीय शासकों की क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्त्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।

नोट: शाक्यमुनि बुद्ध गौतम बुद्ध को दिया गया नाम है। 'बुद्ध' शब्द का अर्थ है "जागृत व्यक्ति (The Awakened One)", यह उपाधि बौद्ध दर्शन में किसी भी ऐसे व्यक्ति के लिये प्रयुक्त होता है जिसने ज्ञान या बुद्धत्व प्राप्त कर लेता है।

  • हालाँकि, 'शाक्यमुनि', जिसका अर्थ है "शाक्य वंश के ऋषि", विशेष रूप से ऐतिहासिक व्यक्ति सिद्धार्थ गौतम को संदर्भित करता है, जो राजा शुद्धोधन और रानी माया के पुत्र हैं तथा शाक्य गणराज्य के कपिलवस्तु में जन्म हुआ है।

शाक्यमुनि बुद्ध के सारनाथ अवशेष का क्या महत्त्व है?

  • शाक्यमुनि बुद्ध का पवित्र अवशेष आंध्र प्रदेश स्थित नागार्जुनकोंडा से वर्ष 1927 से 1931 के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा उत्खनन के दौरान प्राप्त हुआ था।
  • इस अवशेष का अत्यधिक धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यह स्वयं बुद्ध के शरीर का अवशेष है, जिसे उनके महापरिनिर्वाण के पश्चात संरक्षित किया गया था।
  • इस अवशेष को वर्ष 1932 में महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया को उपहार स्वरूप भेंट किया गया था। तब से यह सारनाथ स्थित मूलगंध कुटी विहार में प्रतिष्ठित है।

दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के प्रसार में भारतीय शासकों ने किस प्रकार योगदान दिया?

  • सम्राट अशोक (268–232 ईसा पूर्व): अशोक ने बौद्ध मिशनरियों को दक्षिण-पूर्व एशिया भेजा। उनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा ने श्रीलंका में बौद्ध धर्म की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • अशोक के मिशनों ने श्रीलंका और बाद में दक्षिण-पूर्व एशिया में थेरवाद बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
  • गुप्त काल: गुप्त साम्राज्य (चौथी–छठी शताब्दी ईस्वी) के दौरान महायान बौद्ध धर्म को प्रोत्साहन मिला, जो व्यापार और विद्वानों के माध्यम से दक्षिण-पूर्व एशिया पहुँचा।
    • गुप्त शासकों ने नालंदा जैसी बौद्ध विश्वविद्यालयों के निर्माण को समर्थन दिया, जिससे एशिया भर से भिक्षु और छात्र आकर्षित हुए।
    • बोरोबुदुर: बोरोबुदुर, जो कि इंडोनेशिया के मध्य जावा में स्थित एक वृहद बौद्ध स्मारक है, स्तूप, मंदिर पर्वत (हिंदू पौराणिक माउंट मेरु से प्रेरित) और मंडल (सृष्टि का रहस्यमय प्रतीक) के रूपों को एक साथ मिलाता है।
  • व्यापार-सुविधायुक्त धार्मिक आदान-प्रदान: भारतीय शासकों ने, विशेष रूप से मौर्य और गुप्त काल के दौरान, समुद्री व्यापार को बढ़ावा दिया तथा ताम्रलिप्ति (बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक प्राचीन बंदरगाह) जैसे पूर्वी भारतीय बंदरगाहों को सुमात्रा, जावा और मलय प्रायद्वीप जैसे क्षेत्रों से जोड़ा। 
    • इस व्यापार मार्ग के माध्यम से बौद्ध भिक्षुओं और शिल्पकारों ने दक्षिण-पूर्व एशिया में बौद्ध मतों, अनुष्ठानों और प्रतिमाविद्या का प्रसार किया।
    • भारतीय प्रभाव के माध्यम से सुमात्रा (इंडोनेशिया) में श्रीविजय साम्राज्य का प्रभुत्व स्थापित हुआ, जिससे व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से बौद्ध धर्म को बढ़ावा मिला।
  • सांस्कृतिक कूटनीति और प्रभुत्व: भारतीय पुरालेख, संस्कृत अभिलेख (प्रम्बनन मंदिर-जावा) और बौद्ध कला शैलियों (जैसे, अमरावती और गुप्त शैली) को जावा (इंडोनेशिया), कंबोडिया, थाईलैंड और म्यांमार में अपनाया गया।
    • कंबोडिया में स्थित अंगकोर वाट विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, और इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में खमेर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था। मूल रूप से हिंदू धर्म के भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर कालांतर में बौद्ध मंदिर में परिवर्तित हो गया और वर्ष 1992 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
    • इसके अतिरिक्त, म्याँमार के यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल बागान में अनेकों बौद्ध मठ और स्तूप हैं, जिनमें थेरवाद बौद्ध कला और वास्तुकला का प्रभुत्व है और ये बौद्ध धर्म के प्रसार में भारत द्वारा भेजे गए मिशनों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

Gautama_Buddha

Buddha

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. स्थाविरवादी महायान बौद्ध धर्म से संबद्ध हैं 
  2. लोकोत्तरवादी संप्रदाय बौद्ध धर्म के महासंघिक संप्रदाय की एक शाखा थी  
  3. महासंधिकों द्वारा बुद्ध के देवत्वारोपण ने महायान बौद्ध धर्म को प्रोत्साहित किया

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. बोधिसत्व, बौद्ध मत के हीनयान संप्रदाय की केंद्रीय संकल्पना है।  
  2. बोधिसत्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करुणामय है 
  3. बोधिसत्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने के लिये स्वयं की निर्वाण प्राप्ति विलंबित करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

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