प्रारंभिक परीक्षा
CRGN के उपचार हेतु प्रतिजैविक औषध का अभाव
- 02 May 2025
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स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
द लांसेट इन्फेक्शियस डिजीज़ में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भारत में कार्बापेनम-प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव (CRGN) संक्रमण से ग्रस्त केवल 7.8% रोगियों को ही उचित एंटीबायोटिक अथवा प्रतिजैविक उपचार प्राप्त हुआ, जो बहुऔषधि प्रतिरोधी संक्रमणों के प्रभावी उपचार की सुविधा के अभाव को उजागर करता है।
इस अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- उपयुक्त एंटीबायोटिक दवाओं तक सीमित पहुँच: भारत सहित आठ निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) में लगभग 1.5 मिलियन CRGN संक्रमण मामलों के एक अध्ययन के अनुसार वर्ष 2019 में भारत में लगभग 10 लाख CRGN संक्रमण के मामले थे जिनमें से 1 लाख से भी कम रोगियों को उपयुक्त एंटीबायोटिक उपचार प्राप्त हुआ।
- भारत में केवल 7.8% रोगियों को सही उपचार मिल पाता है जो अध्ययन किये गए आठ LMIC (बांग्लादेश, ब्राज़ील, मिस्र, भारत, केन्या, मैक्सिको, पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका) के 6.9% औसत से थोड़ा ही अधिक है। उचित उपचार के अभाव में अनुमानित 3.5 लाख मृत्यु हुई हैं।
- प्रभावी उपचार में बाधाएँ: इस अध्ययन में विभिन्न बाधाओं पर प्रकाश डाला गया जिनमें अपर्याप्त नैदानिक परीक्षण, मानकीकृत उपचार प्रोटोकॉल की कमी तथा एंटीबायोटिक आपूर्ति एवं सामर्थ्य से संबंधित समस्याएँ शामिल हैं।
- सिफारिशें: अध्ययन में दो-आयामी दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई है: एंटीबायोटिक दवाओं का ज़िम्मेदार उपयोग और ज़रूरतमंद लोगों तक इनकी पहुँच सुनिश्चित करना।
- इसमें एंटीबायोटिक प्रबंधन कार्यक्रमों तथा नियामक ढाँचे को मज़बूत करने का आह्वान किया गया है।
- इसमें पहुँच संबंधी अंतराल को कम करने की वकालत की गई ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी रोगियों को सही उपचार मिले।
कार्बापेनम-प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव (CRGN) क्या है?
- परिभाषा: CRGN का आशय बैक्टीरिया के एक ऐसे समूह से है जो कार्बापेनम एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होते हैं और जिनका उपयोग आमतौर पर मल्टी-ड्रग रेजिस्टेंस प्रतिरोधी संक्रमणों के खिलाफ अंतिम पंक्ति के रूप में किया जाता है।
- इन जीवाणुओं को ग्राम-नकारात्मक (Gram-Negative) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसका अर्थ है कि वे ग्राम अभिरंजन प्रक्रिया के दौरान क्रिस्टल वायलेट डाई को बरकरार नहीं रखते हैं, जिसका उपयोग उनकी कोशिका भित्ति संरचना के आधार पर जीवाणुओं को वर्गीकृत करने के लिये किया जाता है।
- CRGN संक्रमण के उदाहरणों में एस्चेरिचिया कोली (Escherichia Coli), क्लेबसिएला न्यूमोनिया (Klebsiella Pneumoniae) और स्यूडोमोनास एरुगिनोसा (Pseudomonas Aeruginosa) के कारण होने वाले संक्रमण शामिल हैं।
- प्रतिरोध के तंत्र: प्रतिरोध इसलिये होता है क्योंकि इन जीवाणुओं ने कार्बापेनम एंटीबायोटिक्स को विघटित करने या उससे बचने के लिये प्रक्रिया विकसित कर ली है, जो प्रायः कार्बापेनमेस (Carbapenemases) नामक एंजाइम के उत्पादन के माध्यम से होता है।
- CRGN संक्रमण: CRGN संक्रमण से निमोनिया, रक्तप्रवाह संक्रमण और मूत्र पथ संक्रमण जैसी गंभीर स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोध के कारण इन संक्रमणों का इलाज करना चुनौतीपूर्ण होता है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये खतरा: CRGN संक्रमण का इलाज करना दुःसाध्य है और इससे रुग्णता और मृत्यु दर उच्च होती है।
- इन संक्रमणों के उपचार के लिये प्रभावी एंटीबायोटिक दवाओं की कमी के कारण अस्पताल में लंबे समय तक रहना पड़ सकता है, स्वास्थ्य देखभाल की लागत बढ़ सकती है और मृत्यु दर भी बढ़ सकती है।
ग्राम स्टेनिंग
- बैक्टीरिया: ये एककोशिकीय सूक्ष्मजीव हैं जिन्हें प्रोकैरियोट्स के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जिनमें वास्तविक रूप से नाभिक नहीं होता है। इनकी संरचना सरल होती है, जिसमें कोशिका भित्ति, कैप्सूल, डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड, पिली, फ्लैगेलम, साइटोप्लाज्म और राइबोसोम शामिल होते हैं।
- बैक्टीरिया को उनकी कोशिका भित्ति संरचना के आधार पर ग्राम-पॉजिटिव या ग्राम-नेगेटिव के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- ग्राम स्टेनिंग: ग्राम अभिरंजन प्रक्रिया है, जो बैक्टीरिया को उनके रंग परिवर्तन के आधार पर ग्राम-पॉजिटिव और ग्राम-नेगेटिव वर्गों में विभाजित करती है।
- ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया की कोशिका भित्ति मोटी होती है, जो क्रिस्टल वायलेट डाई को रोक कर रखती है, जिससे ये बैंगनी (violet) रंग के दिखाई देते हैं।
- इसके विपरीत, ग्राम-नेगेटिव बैक्टीरिया की भित्ति पतली होती है, जिससे क्रिस्टल वायलेट धुल जाता है और वे लाल (red) रंग के दिखाई देते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से भारत में सूक्ष्मजीवी रोगजनकों में बहु-दवा प्रतिरोध की घटना के कारण हैं? (2019)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न: क्या डॉक्टर के निर्देश के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का अति प्रयोग और मुफ्त उपलब्धता भारत में दवा प्रतिरोधी रोगों के उद्भव में योगदान कर सकते हैं? निगरानी एवं नियंत्रण के लिये उपलब्ध तंत्र क्या हैं? इसमें शामिल विभिन्न मुद्दों पर आलोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2014) |