उत्तराखंड Switch to English
ऑपरेशन कालनेमि
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड की "ऑपरेशन कालनेमी" पहल, जिसका उद्देश्य जनता को ठगने वाले फर्जी साधुओं पर कार्रवाई करना है, को राज्य सरकार के नए निर्देशों से और सशक्त किया गया है।
- अब धार्मिक व्यक्ति का वेश धारण करने वालों को पर केवल हिरासत ही नहीं, बल्कि आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तारी की जाएगी।
मुख्य बिंदु
- सख्त कानूनी कार्रवाई:
- नए दिशानिर्देशों के तहत पुलिस को यह आदेश दिया गया है कि फर्जी साधुओं पर विभिन्न प्रासंगिक कानूनों के अंतर्गत मुकदमे दर्ज किये जाएँ। जैसे, ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954, भारतीय न्याय संहिता, 2023, (फर्जी पहचान पत्रों के लिये), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (साइबर धोखाधड़ी और फर्जी सोशल मीडिया प्रोफाइल के लिये) तथा विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946,(फर्जी दस्तावेज़ों पर रह रहे विदेशी नागरिकों के लिये)।
- जागरूकता अभियान:
- नागरिकों को नकली साधुओं के खतरों और उनसे जुड़े अपराधों से बचाने हेतु सरकार ने सोशल मीडिया सहित व्यापक जन-जागरूकता अभियान शुरू किया है।
- पृष्ठभूमि:
- उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कांवड़ यात्रा से पहले ही ऑपरेशन कालनेमि की शुरुआत की थी, ताकि धार्मिक पहचान का दुरुपयोग करने वाले फर्जी साधुओं पर अंकुश लगाया जा सके।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के राक्षस कालनेमि से प्रेरित यह अभियान सनातन धर्म की रक्षा और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिये चलाया जा रहा है।

