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मध्य प्रदेश

मालवा उत्सव

  • 12 May 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

6 से 12 मई 2025 तक इंदौर के लालबाग परिसर में आयोजित मालवा उत्सव में  मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सम्मिलित हुए

मुख्य बिंदु

  • मालवा उत्सव के बारे में:

 

  • यह एक पाँच दिवसीय सांस्कृतिक महोत्सव था, जिसका संचालन लोक संस्कृति मंच द्वारा किया गया था।
  • यह उत्सव पिछले 25 वर्षों से नियमित रूप से आयोजित किया जा रहा है।
  • उद्देश्य:
    • लोक संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण और प्रचार-प्रसार।
    • स्थानीय कलाकारों और शिल्पकारों को मंच और बाज़ार उपलब्ध कराना।
    • राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।
  • लोककलाओं और हस्तशिल्प की प्रदर्शनी:
    • इस उत्सव में देश के विभिन्न प्रदेशों तथा मध्य प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से आए लोक कलाकारों ने लोकनृत्य और संगीत प्रस्तुत किये।
    • बुनकरों और हस्तशिल्प कलाकारों ने बुनकरी, मिट्टी और धातु की कलाकृतियाँ प्रदर्शित कीं।
    • उत्सव में भित्तिचित्र, रेजा कार्य, बटिक प्रिंट, ताँबे व पीतल की मूर्तियाँ तथा आदिवासी चित्रकला विशेष आकर्षण का केंद्र रहीं।

मध्य प्रदेश के लोक नृत्य 

  • काठी: यह बलाई समाज द्वारा किया जाने वाला नृत्य है, जिसमें मोर पंख से सजे वस्त्रों और बाँस की 'काठी' का प्रयोग होता है। यह नृत्य 'ढाक' वाद्य पर किया जाता है।
  • गणगौर: चैत्र माह में महिलाएँ देवी पार्वती की पूजा करते हुए ताली और थाली पर नृत्य करती हैं। इसके दो रूप – थलरिया और थोला प्रसिद्ध हैं।
  • फाफरिया: यह पुरुषों और महिलाओं द्वारा साथ में किया जाने वाला पुंगी की ध्वनि पर आधारित समूह नृत्य है।
  • मदाल्या: इसमें महिलाएँ ढोल की थाप पर हाथ-पाँव की मुद्राओं के साथ तीव्र गति से नृत्य करती हैं।
  • आदा-खड़ा: यह नृत्य विवाह, जन्म व मृत्यु जैसे अवसरों पर स्त्रियों द्वारा ढोल की थाप पर किया जाता है।
  • डंडा नृत्य: यह चैत्र-वैशाख की रातों में पुरुषों द्वारा डंडे के साथ ढोल व थाली की ताल पर किया जाता है।
  • मटकी: महिलाएँ सिर पर कई मटकियाँ संतुलित कर गोलाकार घुमते हुए ढोल की थाप पर नृत्य करती हैं। आड़ा-खड़ा इसका एक रूप है।
  • राई: बेड़िया जनजाति द्वारा किया जाने वाला यह नृत्य शृंगार व सामाजिक विषयों पर आधारित संवादात्मक रूप में होता है। राम सहाय पाण्डेय इसके प्रमुख कलाकार हैं।
  • सायरा: वर्षा के लिये भगवान इंद्र की प्रार्थना स्वरूप यह नृत्य लाठी लिये युवाओं द्वारा ढोलक व बाँसुरी के साथ किया जाता है।
  • जवारा: महिलाएँ सिर पर फसल की टोकरी रखकर संतुलन बनाते हुए यह नृत्य करती हैं, जो फसलों की महत्ता को दर्शाता है।

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