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प्रश्न :
प्रश्न. क्या BIMSTEC SAARC के विकल्प के रूप में उभर रहा है? संरचना एवं उद्देश्यों के संदर्भ में दोनों संगठनों की तुलना कीजिये और यह भी विश्लेषण कीजिये कि BIMSTEC भारत की उभरती विदेश नीति प्राथमिकताओं के साथ किस प्रकार संरेखित है। (250 शब्द)
22 Apr, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंधउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- BIMSTEC और SAARC का उनके क्षेत्रीय उद्देश्यों के साथ अवलोकन प्रस्तुत कीजिये।
- भारत की उभरती विदेश नीति प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए, संरचना और उद्देश्यों के संदर्भ में दोनों संगठनों की तुलना कीजिये।
- वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य में BIMSTEC की प्रासंगिकता के साथ निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
SAARC और BIMSTEC की स्थापना क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिये की गई थी, लेकिन भू-राजनीतिक तनावों के कारण SAARC में आई स्थिरता के कारण, BIMSTEC भारत की एक्ट ईस्ट और नेबरहुड फर्स्ट नीतियों के साथ मिलकर एक अधिक प्रभावी मंच के रूप में उभरा है।
SAARC के विकल्प के रूप में उभरता हुआ BIMSTEC:
- SAARC की राजनीतिक चुनौतियाँ: SAARC की प्रगति प्रायः भू-राजनीतिक तनावों, विशेषकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनावों के कारण बाधित हुई है।
- वर्ष 2014 में आयोजित पिछले SAARC शिखर सम्मेलन के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के कारण वार्ता में बाधा उत्पन्न हो रही है तथा क्षेत्रीय सहयोग की प्रगति अवरुद्ध हो रही है।
- इसके विपरीत, BIMSTEC का कार्यढाँचा विवादास्पद द्विपक्षीय मुद्दों को सीधे शामिल करने से बचता है, क्योंकि पाकिस्तान इसका सदस्य नहीं है, जो विकास उद्देश्यों को आगे बढ़ाने में अधिक सहयोगात्मक दृष्टिकोण एवं अधिक प्रभावशीलता की अनुमति देता है।
- भौगोलिक पहलू: जहाँ SAARC दक्षिण एशिया तक ही सीमित है, वहीं BIMSTEC में म्याँमार और थाईलैंड जैसे दक्षिण पूर्व एशियाई देश शामिल हैं, जो आर्थिक एवं रणनीतिक सहयोग के लिये व्यापक भौगोलिक संभावनाएँ प्रदान करते हैं।
- यह व्यापक अभिगम भारत की लूक ईस्ट पॉलिसी, जो अब एक्ट ईस्ट पॉलिसी बन गई है, के अनुरूप है, क्योंकि BIMSTEC भारत को अधिक प्रभावी ढंग से जुड़ने में मदद करता है।
संरचना और उद्देश्यों के संदर्भ में तुलना:
पहलू
SAARC
BIMSTEC
संरचना
वर्ष 1985 में स्थापित, इसके 8 सदस्य हैं: अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका।
इसकी स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी तथा इसके सात सदस्य हैं: भारत, बांग्लादेश, म्याँमार, श्रीलंका, थाईलैंड, भूटान और नेपाल।
उद्देश्य
क्षेत्रीय सहयोग और सामूहिक आत्मनिर्भरता को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना तथा विभिन्न क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार करना है।
भारत की विदेश नीति के साथ BIMSTEC का संरेखण:
- क्षेत्रीय संपर्क और आर्थिक एकीकरण: BBIN पहल (बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल) जैसी परियोजनाओं के माध्यम से BIMSTEC क्षेत्रीय संपर्क को बेहतर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह बुनियादी अवसंरचना में सुधार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देकर SDG9 (उद्योग, नवाचार एवं बुनियादी सुविधाएँ) के अनुरूप है, जो भारत के पूर्वोत्तर विकास एवं व्यापक क्षेत्रीय विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- दक्षिण-दक्षिण सहयोग: BIMSTEC, भारत की विदेश नीति के केंद्र में स्थित साउथ-साउथ सहयोग को बढ़ावा देता है, जो कि ऊर्जा और व्यापार में सहयोग को बढ़ाता है। यह सहयोग बेंगलुरू में BIMSTEC ऊर्जा केंद्र और BIMSTEC व्यापार मंच जैसी पहलों के माध्यम से किया जा रहा है।
- BIMSTEC को सुदृढ़ करना, क्षेत्र में चीन की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने की भारत की रणनीति के अनुरूप है।
- सुरक्षा एवं आतंकवाद-रोधी सहयोग: साझा सुरक्षा चिंताओं (विशेष रूप से आतंकवाद) पर BIMSTEC भारत को आतंकवाद-रोधी एवं अंतर्राष्ट्रीय अपराध कार्य समूह तथा आपदा राहत तंत्र के माध्यम से सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- यह भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा प्राथमिकताओं के अनुरूप है तथा क्षेत्र में एक स्थिरकारी शक्ति के रूप में इसकी भूमिका को बढ़ाता है, विशेष रूप से सीमापार आतंकवाद और प्राकृतिक आपदाओं जैसी आम चुनौतियों से निपटने में।
निष्कर्ष:
यद्यपि BIMSTEC आर्थिक सहयोग के लिये एक अधिक व्यवहार्य मंच प्रदान करता है (विशेष रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के साथ), फिर भी SAARC दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग के लिये महत्त्वपूर्ण बना हुआ है। हालाँकि इसके समक्ष चुनौतियाँ भी हैं। BIMSTEC SAARC के प्रयासों का पूरक है, जो भारत को आर्थिक एकीकरण एवं क्षेत्रीय स्थिरता के अपने विदेश नीति उद्देश्यों को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
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