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साइबर अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन

  • 29 Oct 2025
  • 74 min read

प्रीलिम्स के लिये: साइबर अपराध, ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय, साइबर अपराध पर बुडापेस्ट कन्वेंशन, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो

मेन्स के लिये: अंतर्राष्ट्रीय कानून और साइबर गवर्नेंस, पार-देशीय साइबर अपराध 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

साइबर अपराध से निपटने के लिये विश्व का पहला वैश्विक ढाँचा, साइबर अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCC), 193 UN सदस्य देशों में से 72 देशों द्वारा संधि पर पर हस्ताक्षर करने के बाद कानूनी रूप से बाध्यकारी बनने के और करीब आ गया है।

नोट: यह सम्मेलन अक्तूबर 2025 में हनोई, वियतनाम में हस्ताक्षर के लिये खोला गया था, जहाँ उच्च-स्तरीय सम्मेलन के दौरान 72 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किये। यह तब प्रभाव में आएगा जब 40 देश इसकी पुष्टि (Ratify) या इसमें शामिल (Accede) हो जाएंगे और उस तिथि के 90 दिन बाद यह लागू होगा।

साइबर अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCC) क्या है?

  • परिचय: UNCC, जिसका आधिकारिक नाम “साइबर अपराध पर सम्मेलन: सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) प्रणालियों के माध्यम से किये गए अपराधों से निपटने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को सशक्त बनाना” है, पिछले 20 से अधिक वर्षों में वार्ता के माध्यम से तैयार की गई पहली अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्याय संधि है।
  • मुख्य प्रावधान: UNCC सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) प्रणालियों के माध्यम से किये गए अपराधों को निपटने के लिये कानूनी उपाय प्रदान करता है।
    • यह गंभीर अपराधों जैसे अवैध डेटा इंटरसेप्शन, हैकिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और ऑनलाइन बाल यौन शोषण सामग्री के मामलों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के सीमा-पार साझा करने की सुविधा प्रदान करता है।
    • यह कन्वेंशन विकासशील देशों के लिये कैपेसिटी बिल्डिंग और टेक्निकल सहायता को बढ़ावा देता है।
    • UNCC में डिजिटल लॉ एनफोर्समेंट को सक्षम बनाते हुए मानवाधिकारों की सुरक्षा भी शामिल है।
  • कार्यान्वयन तंत्र: UNCC ने कार्यान्वयन की निगरानी और समीक्षा के लिये राज्यों की सम्मेलन (Conference of the States Parties) की स्थापना की है।
    • UNODC इस सम्मेलन के लिये सचिवालय के रूप में कार्य करता है, राष्ट्रीय कार्यान्वयन के लिए तकनीकी समर्थन, प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करता है, साथ ही अपने वैश्विक साइबर अपराध कार्यक्रम (Global Programme on Cybercrime) के माध्यम से मार्गदर्शन भी उपलब्ध कराता है।
    • जिन राज्यों ने हस्ताक्षर नहीं किये हैं, वे बाद में स्वीकृति साधन (Instrument of Accession) जमा करके इसमें शामिल हो सकते हैं।
  • भारत और UNCC: अक्तूबर 2025 तक भारत ने UNCC पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं, हालाँकि इसके प्रारूपण में यह सक्रिय रूप से भाग ले रहा था।
    • पहले भारत ने साइबर अपराध पर बुडापेस्ट कन्वेंशन (Budapest Convention on Cybercrime) पर भी हस्ताक्षर करने से इनकार किया था, जो इस दृष्टिकोण के अनुरूप है कि वह वैश्विक डिजिटल ढाँचों को आकार देने में अधिक भूमिका निभाना चाहता है।

साइबर अपराध और साइबर सुरक्षा क्या है?

साइबर अपराध

  • परिचय: इसका संबंध उन आपराधिक गतिविधियों से है जो डिजिटल तकनीकों, नेटवर्क या उपकरणों का उपयोग करती हैं या उन्हें लक्षित करती हैं।
    • अपराध करने वाले व्यक्ति व्यक्तिगत हैकर्स से लेकर संगठित अपराध नेटवर्क तक हो सकते हैं, जो इंटरनेट की अज्ञात पहचान और व्यापक पहुँच का लाभ उठाते हैं।
    • ये अपराध सीमाओं को पार कर जाते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा, वित्तीय प्रणाली और व्यक्तिगत सुरक्षा को प्रभावित कर सकते हैं।
    • विकासशील देश विशेष रूप से असुरक्षित हैं क्योंकि उनकी साइबर सुरक्षा अवसंरचना कमज़ोर है और जागरूकता का भी अभाव है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), डीपफेक और जनरेटिव टूल जैसी उभरती तकनीकों ने गलत सूचना, गोपनीयता और कॉपीराइट उल्लंघन के नए जोखिम उत्पन्न किये हैं।
  • वर्गीकरण:
    • साइबर-सक्षम अपराध: धोखाधड़ी, तस्करी, हेट स्पीच और हिंसा भड़काने जैसे पारंपरिक अपराध जो ऑनलाइन किये जाते हैं।
    • साइबर-निर्भर अपराध: ऐसे अपराध जो केवल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) प्रणालियों के माध्यम से ही हो सकते हैं, जिनमें फिशिंग, पहचान की चोरी, मैलवेयर हमले, और रैंसमवेयर शामिल हैं।
  • भारत में साइबर अपराध का खतरा: साइबर अपराध के मामले 2023 में 31.2% बढ़कर 86,420 हो गए, जो वर्ष 2022 में 65,893 मामले थे (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो- 2023)। कर्नाटक में सबसे अधिक मामले दर्ज किये गए।
    • मुख्य साइबर अपराधों में शामिल हैं: धोखाधड़ी, जबरन वसूली, और यौन शोषण।
    • भारत को म्याँमार, कंबोडिया, वियतनाम, लाओस और थाईलैंड जैसे दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से आने वाले सीमा-पार धोखाधड़ी (क्रॉस-बॉर्डर स्कैम) का भी सामना करना पड़ता है।
    • जनवरी से मई 2025 के बीच, भारतीयों ने विदेशी-आधारित साइबर धोखाधड़ी में 4,800 करोड़ रुपये से अधिक समाप्त हो गये थे।

साइबर सुरक्षा

  • परिचय: साइबर सुरक्षा वह अभ्यास है जिसमें नेटवर्क, उपकरण और डेटा को अनधिकृत पहुँच, नुकसान या चोरी से सुरक्षित रखा जाता है। यह एक डिजिटल किला (Digital Fortress) की तरह कार्य करती है, जो व्यक्तियों और संगठनों को ऑनलाइन हमलों से बचाती है।
    • इसमें ऐसी रणनीतियाँ, नीतियाँ और तकनीकें शामिल हैं जो खतरों की पहचान और मूल्यांकन, साइबर हमलों को रोकने तथा पता लगाने एवं नुकसान को कम करने के लिये कार्य करती हैं, साथ ही घटनाओं से जल्दी पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करने में मदद करती हैं।
    • एक मजबूत साइबर सुरक्षा ढाँचा तेज़ी से जुड़े हुए विश्व में गोपनीयता, भरोसा और डेटा की अखंडता बनाए रखने में मदद करता है।

UN साइबर अपराध सम्मेलन के तहत भारत के लिये चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं?”

चुनौतियाँ

  • गोपनीयता से संबंधित चिंताएँ: सम्मेलन की निगरानी संबंधी प्रावधान भारत के संवैधानिक गोपनीयता के अधिकार के साथ संघर्ष कर सकते हैं, जैसा कि जस्टिस के.एस. पुत्तस्वामी बनाम भारत संघ, 2017 में सामने आया था।
  • डेटा संप्रभुता से संबंधित मुद्दे: भारत का मूल देश की पूर्व लिखित सहमति के बिना डेटा साझा न करने का रुख संधि के सीमा-पार डेटा साझा करने वाले प्रावधानों के साथ टकरा सकता है।
  • रणनीतिक सतर्कता: भारत का संधि पर हस्ताक्षर करने में हिचकिचाहट उसकी स्वायत्तता की सुरक्षा करती है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप वह भविष्य में डिजिटल नियम निर्माण में अपने प्रभाव को सीमित कर सकता है।

अवसर

  • मज़बूत वैश्विक सहयोग: यह भारत को साइबर अपराध जाँच और साक्ष्य साझा करने में अन्य देशों के साथ अधिक करीबी रूप से काम करने में सक्षम बनाता है।
  • क्षमता निर्माण समर्थन: यह भारत को राष्ट्रीय साइबर अपराध इकाइयों को सशक्त बनाने के लिये UN द्वारा संचालित प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता तक पहुँच प्रदान करता है।
  • नीति संरेखण: यह भारत को अपनी राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति को अद्यतन करने और डेटा सुरक्षा तथा साइबर कानूनों को आधुनिक बनाने के लिये प्रेरित कर सकता है।

निष्कर्ष

UN साइबर अपराध संधि वैश्विक साइबर सुरक्षा शासन में एक बड़ा कदम है, जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी देश साइबर अपराध के खिलाफ असुरक्षित न रहे। लेकिन यह गोपनीयता, मानवाधिकार और डिजिटल संप्रभुता जैसे महत्त्वपूर्ण प्रश्न भी उठाता है।


भारत के लिये चुनौती यह है कि ऐसा ढाँचा तैयार किया जाए जो साइबर लचीलापन को सुदृढ़ बनाए और साथ ही व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं की रक्षा भी सुनिश्चित करना।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. साइबर अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCC) के उद्देश्य और मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. UN साइबर सुरक्षा कन्वेंशन (UNCC) क्या है?

UNCC साइबर अपराध पर पहला वैश्विक संधि है, जिसे दिसंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा अपनाया गया, ताकि कानूनों में सामंजस्य स्थापित किया जा सके, सीमा-पार इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य साझा करने की सुविधा मिल सके और सहयोग एवं क्षमता निर्माण को मज़बूत किया जा सके।

2. क्या भारत ने UNCC पर हस्ताक्षर किये हैं?

नहीं, अक्तूबर 2025 तक भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये थे, हालाँकि उसने इसे ड्राफ्ट करने में हिस्सा लिया था, लेकिन प्राइवेसी, डेटा सॉवरेनिटी और गवर्नेंस से जुड़ी चिंताओं का हवाला दिया था।

3. आज भारत के सामने मुख्य साइबर खतरे क्या हैं?

साइबर अपराध में वृद्धि, जिसमें धोखाधड़ी, जबरन वसूली और यौन शोषण शामिल हैं, वर्ष 2023 में मामलों में 31.2% की वृद्धि देखी गई (NCRB), साथ ही करोड़ों रुपये के बड़े सीमा-पार वित्तीय धोखाधड़ी के मामले भी सामने आए।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रीलिम्स

प्रश्न 1. भारत में, किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर, निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त, सामान्यतः निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)

  1. यदि कोई मैलवेयर कंप्यूटर तक उसकी पहुँच बाधित कर देता है, तो कंप्यूटर प्रणाली को पुनः प्रचालित करने में लगने वाली लागत 
  2. यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि किसी शरारती तत्त्व द्वारा जान-बूझकर कंप्यूटर को नुकसान पहुँचाया गया है तो नए कंप्यूटर की लागत
  3. यदि साइबर बलात्-ग्रहण होता है तो इस हानि को न्यूनतम करने के लिये विशेषज्ञ परामर्शदाता की सेवाएँ लेने पर लगने वाली लागत 
  4. यदि कोई तीसरा पक्ष मुक़दमा दायर करता है तो न्यायालय में बचाव करने में लगने वाली लागत

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4

(b) केवल 1, 3 और 4

(c) केवल 2 और 3

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (B)

प्रश्न 2.  भारत में, साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है/हैं ? (2017)

  1. सेवा प्रदाता (सर्विस प्रोवाइडर)
  2. डेटा सेंटर 
  3. कॉर्पोरेट निकाय (बॉडी कॉर्पोरेट)

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1

(b) केवल 1 और 2

(c) केवल 3

(d) 1,2 और 3

उत्तर: (D)


मेन्स

प्रश्न. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक एक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022)

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