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भारत में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का मुद्दा

  • 09 Aug 2025
  • 73 min read

प्रिलिम्स के लिये: सर्वोच्च न्यायालय, मनी लॉन्ड्रिंग, मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002, प्रवर्तन निदेशालय, प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट

मेन्स के लिये: धन शोधन से निपटने के लिये भारत में कानूनी और नियामक ढाँचा, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय और उसके निहितार्थ

स्रोत: TH

चर्चा में क्यों?

वित्त मंत्री द्वारा राज्यसभा में प्रस्तुत एक रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वर्ष 2015 से धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत 5,892 मामले उठाए हैं, लेकिन केवल 15 मामलों में ही दोषसिद्धि हो पाई है।

  • इसके अलावा, एक अन्य घटनाक्रम में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को कानून के नियमों का पालन करना चाहिये, PMLA मामलों के लिये फास्ट-ट्रैक कोर्ट का आग्रह किया, तथा क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाए बिना इसके दुरुपयोग को रोकने के लिये विनियमन का आह्वान किया।

धन शोधन या ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ क्या है?

  • परिचय: यह एक प्रक्रिया है जिसमें आपराधिक गतिविधियों (जैसे मादक पदार्थों की तस्करी, हथियारों का अवैध व्यापार, गबन आदि) से प्राप्त अवैध धन को इस प्रकार छिपाया जाता है कि वह वैध प्रतीत हो, जिससे अपराधी बिना पकड़े अपने मुनाफे का उपयोग कर सकें। 
    • इसमें धन के स्रोत, स्वरूप या स्थान को बदलना शामिल होता है ताकि जाँच से बचा जा सके।
  • 3 प्रमुख चरण: मनी लॉन्ड्रिंग में प्लेसमेंट (अवैध धन का परिचय), लेयरिंग (उनके मूल को छिपाना) और इंटीग्रेशन (उन्हें वैध दिखाना) शामिल हैं।
  • प्रमुख विधियाँ: प्रमुख विधियों में संरचना/स्मर्फिंग (बड़ी नकदी को छोटे-छोटे भागों में विभाजित करना), व्यापार आधारित लॉन्ड्रिंग, शेल कंपनियाँ और रियल एस्टेट निवेश शामिल हैं।

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग के बढ़ते मामलों के प्रमुख कारण क्या हैं?

  • कानूनी और प्रवर्तन संबंधी कमियाँ: PMLA की धारा 5 (पंजीकृत अपराध के बिना संपत्ति कुर्की) का दुरुपयोग और अभियोजन में देरी से प्रभावशीलता कम हो जाती है।
  • जटिल मनी लॉन्ड्रिंग तकनीकें: डिजिटल मुद्राओं/क्रिप्टोकरेंसी, फिनटेक और सीमा-पार तंत्रों का उपयोग, जिससे इनका पता लगाना कठिन हो जाता है।
    • ₹260 करोड़ के वैश्विक साइबर धोखाधड़ी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पाया कि धन को बिटकॉइन और USDT जैसी क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर, हवाला ऑपरेटरों और यूएई में व्यक्तियों के माध्यम से शोधन किया गया।
  • शैडो इकॉनमी और नकद-आधारित क्षेत्र: असंगठित क्षेत्र की उच्च मौजूदगी और रियल एस्टेट, ज्वेलरी तथा लक्ज़री गुड्स में विनियमन की कमी
  • कमज़ोर वैश्विक सहयोग: 85 से अधिक देशों के साथ दोहरे कराधान से बचाव के समझौतों (DTAA) के बावजूद, सीमित सूचना साझाकरण से जाँच में बाधा आती है।

धन शोधन के प्रमुख परिणाम क्या हैं?

  • संगठित अपराध और आतंकवाद को बढ़ावा देना: धन शोधन से प्राप्त धन आपराधिक नेटवर्क, मादक पदार्थ/मानव तस्करी और आतंकवाद के वित्तपोषण को बढ़ावा देता है।
  • जन विश्वास का क्षरण: भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करता है और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमज़ोर करता है।
  • संवेदनशील समूहों पर प्रभाव: कल्याण के लिये निर्धारित सार्वजनिक धन का दुरुपयोग, सामाजिक-आर्थिक असमानता को बढ़ाना।
  • आर्थिक विकृति: मौद्रिक नीति को अप्रभावी बनाती है, पूंजी प्रवाह में अस्थिरता उत्पन्न करती है, अचल संपत्ति की कीमतों को बढ़ाती है, FDI को बाधित करती है और वित्तीय अस्थिरता का कारण बनती है।

लॉन्ड्रोमैट 

  • "लॉन्ड्रोमैट" बैंकिंग चैनलों, शेल फर्मों (आवरण कंपनियाँ) और अवैध धन को साफ करने के लिये उपयोग किये जाने वाले अपतटीय खातों के एक जटिल जाल को संदर्भित करता है। यह शब्द अमेरिकी अपराध सिंडिकेट से उत्पन्न हुआ है जो लॉन्ड्रिंग के लिये लॉन्ड्रोमैट का उपयोग करते हैं।

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) क्या है?

  • परिचय: PMLA, 2002 (2005 में लागू) को धन शोधन को रोकने और ऐसी गतिविधियों से प्राप्त संपत्ति को ज़ब्त करने के लिये अधिनियमित किया गया था।
    • यह मादक पदार्थों की तस्करी, स्मगलिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण जैसे अपराधों से संबंधी धन शोधन को लक्षित करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूर्ण करने के लिये संविधान के अनुच्छेद 253 के तहत अधिनियमित।
  • PMLA के प्रमुख प्रावधान:
    • कुर्की, ज़ब्ती और परिसंपत्ति हरण: यह अधिनियम अधिकारियों को अपराध से प्राप्त संपत्ति को कुर्क करने, ज़ब्त करने और परिसंपत्ति हरण का अधिकार देता है।
      • इन कार्यों की देख-रेख एक न्यायनिर्णयन प्राधिकरण द्वारा की जाती है तथा इसके लिये अनुसूचित अपराध (राज्य के विरुद्ध अपराध) का अस्तित्व आवश्यक होता है।
    • कार्यवाही और ECIR की शुरूआत: ED द्वारा दायर ECIR (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) के आधार पर कार्यवाही शुरू की जा सकती है और इसके लिये किसी FIR की आवश्यकता नहीं है। 
      • ECIR PMLA के तहत जांच के लिये प्रारंभिक बिंदु के रूप में कार्य करता है।
      • ED को PMLA, 2002 के तहत विभिन्न धाराओं (3, 4, 5, 16, 17 आदि) से धन शोधन से संबंधित अपराधों की जाँच, कुर्की, जब्ती और मुकदमा चलाने की शक्तियाँ प्राप्त हैं।
    • जमानत की शर्तें (धारा 45): अभियुक्त को प्रथम दृष्टया अपनी बेगुनाही सिद्ध करनी होगी तथा जमानत प्राप्त करने के लिये न्यायालय को आश्वस्त करना होगा कि वह दोबारा अपराध नहीं करेगा।
    • संस्थागत तंत्र: वित्तीय खुफिया इकाई (FIU-IND) बैंकों और वित्तीय संस्थानों से संदिग्ध लेन-देन रिपोर्ट प्राप्त करती है और उनका विश्लेषण करती है।
      • अपीलीय न्यायाधिकरण न्यायनिर्णायक प्राधिकारी द्वारा पारित आदेशों के विरुद्ध अपीलों की सुनवाई करता है।
    • PMLA से संबंधित हालिया संशोधन: PMLA में वर्ष 2019 में संशोधन कर नियम 3A पेश किया गया, जिससे विशेष न्यायालयों को आरोप तय होने के बाद ज़ब्त संपत्ति के लिये दावेदारों को सूचित करने की अनुमति प्राप्त हो गई।
      • वर्ष 2023 के संशोधन ने गैर सरकारी संगठनों के लिये प्रकटीकरण दायित्वों का विस्तार किया और प्रमुख विदेशी अधिकारियों को शामिल करने के लिये राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्तियों (PEP) को फिर से परिभाषित किया, जो FATF मानकों के अनुरूप है।
  • वैश्विक सहयोग: भारत ने 85 से अधिक देशों के साथ निम्नलिखित के लिये DTAA पर हस्ताक्षर किये हैं:
    • वित्तीय और कर-संबंधी जानकारी के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना
    • अपतटीय खातों और निवेशों का पता लगाना संभव बनाना
    • कर चोरी और अवैध धन हस्तांतरण को रोकना

ईडी से संबंधित प्रमुख न्यायिक मामले

  • पी. चिदंबरम बनाम ईडी, 2019 मामला: सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने कहा कि धन के अवैध स्रोत को छिपाना वित्तीय प्रणाली को प्रभावित करता है तथा राष्ट्र की संप्रभुता एवं अखंडता के लिये खतरा है।
  • वीरभद्र सिंह बनाम ईडी, 2017 मामला: सर्वोच्च न्यायालय ने दोहराया कि FIR की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कार्यवाही शुरू करने के लिये ईसीआईआर (ECIR) पर्याप्त है।
  • विजय मदनलाल चौधरी बनाम भारत संघ, 2022 मामला: सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अभियोजन (धारा 3) के लिये अनुसूचित अपराध का पंजीकरण अनिवार्य है, लेकिन संपत्ति जब्ती (धारा 5) के लिये यह आवश्यक नहीं है।
    • यह प्रावधान अक्सर असहमति जताने वाले व्यक्तियों या राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दुरुपयोग किया जाता है।

मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने हेतु उठाए जाने वाले कदम:

  • FATF मानकों का कड़ाई से पालन: प्रवर्तन एजेंसियों को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की सिफारिशों के अनुरूप कार्रवाई करनी चाहिये, जिससे पारदर्शिता, जवाबदेही और दुरुपयोग पर नियंत्रण सुनिश्चित हो।
  • स्वतंत्र एवं निष्पक्ष जाँच: प्रवर्तन एजेंसियों को राजनीतिक पक्षपात से मुक्त होकर स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिये, ताकि वास्तविक मामलों को प्राथमिकता दी जा सके तथा व्यक्तियों के अधिकार सुरक्षित रहें।
  • साक्ष्य जुटाना तथा समन्वय को सुदृढ़ करना: वित्तीय खुफिया तंत्र को बेहतर बनाना, एजेंसियों (ED, FIU, आयकर विभाग) के बीच समन्वय बढ़ाना तथा डिजिटल फॉरेंसिक का उपयोग कर दोषसिद्धि दर में वृद्धि करना।
  • DTAA तंत्र का प्रभावी उपयोग: अवैध वित्तीय प्रवाह का पता लगाने और संधियों में मौजूद खामियों को दूर करने के लिये विदेशी एजेंसियों के साथ डेटा एक्सचेंज प्रोटोकॉल और वास्तविक समय सहयोग को मज़बूत करना।
  • न्यायिक निगरानी और सुरक्षा उपाय: मनमानी कार्रवाई को रोकने और कानून की उचित प्रक्रिया को बनाए रखने के लिये PMLA के तहत कुर्की और अभियोजन प्रक्रियाओं में अधिक न्यायिक जाँच सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष:

मनी लॉन्ड्रिंग भारत की वित्तीय स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर खतरा है। यद्यपि पीएमएलए (PMLA) एक सशक्त कानूनी ढाँचा प्रदान करता है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में देरी, दुरुपयोग और निम्न दोषसिद्धि दर जैसी खामियाँ हैं। इस समस्या से निपटने के लिये कानूनी सुधार, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि और संस्थागत जवाबदेही को सुदृढ़ करना आवश्यक है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये भारत के संस्थागत और कानूनी उपायों पर चर्चा कीजिये। प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और आगे का रास्ता क्या है?

भारत में मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये उठाए गए संस्थागत और कानूनी उपायों पर चर्चा कीजिये। इसकी प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं और आगे का मार्ग क्या हो सकता है?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

मेन्स

प्रश्न 1. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021)

प्रश्न 2. अवैध धन स्थांतरण देश की आर्थिक प्रभुसत्ता के लिये एक गंभीर सुरक्षा जोखिम होता है। भारत के लिये इसका क्या महत्त्व है और इस खतरे से बचने के लिये क्या कदम उठाए जाने चाहियें? (2013)

प्रश्न 3.. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उगाने वाले राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिबिधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोधी उपाय किये जाने चाहिये? (2018)

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