शासन व्यवस्था
ऑनलाइन गेमिंग में मनी लॉन्ड्रिंग
- 04 Jun 2025
- 21 min read
प्रिलिम्स के लिये:रियल मनी गेमिंग, कौशल आधारित खेल, वस्तु एवं सेवा कर (GST), म्यूल बैंक अकाउंट, भारतीय रिज़र्व बैंक मेन्स के लिये:मनी लॉन्ड्रिंग और मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा ऑनलाइन गेमिंग का विनियमन |
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करने और उपयोगकर्त्ताओं की सुरक्षा के उद्देश्य से, भारत सरकार ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग (RMG) को धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (PMLA) के दायरे में लाने की योजना बना रही है।
भारत में ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग का परिदृश्य कैसा है?
- परिभाषा: रियल मनी गेमिंग (RMG) प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ताओं को फैंटेसी स्पोर्ट्स, पोकर और कौशल-आधारित प्रतियोगिताओं जैसे खेलों में संभावित जीत के लिये वास्तविक निधि दाव पर लगाने की अनुमति देते हैं।
- बाज़ार की गति: भारत वर्ष 2023 में 568 मिलियन गेमर्स और 9.5 बिलियन ऐप डाउनलोड के साथ विश्व का सबसे बड़ा गेमिंग बाज़ार बन गया। वर्ष 2023 में इस बाज़ार का मूल्य 2.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वर्ष 2028 तक 8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- मुख्य विकास कारक: किफायती इंटरनेट डेटा तथा स्मार्टफोन की बढ़ती पहुँच ने ऑनलाइन गेमिंग को और अधिक सुलभ बना दिया है, विशेषकर भारत की बड़ी एवं युवा आबादी के लिये।
- डिजिटल भुगतान के बढ़ने से लेन-देन सहज हो गया है, वहीं तकनीकी प्रगति के साथ घरेलू गेमिंग स्टूडियो भी तेज़ी से विकसित हुए हैं।
- उच्च बेरोज़गारी और सीमित आय के अवसरों के कारण कई लोग त्वरित पैसे कमाने की चाह रखते हैं, जिससे सट्टेबाज़ी ऐप्स/बेटिंग ऐप्स उन्हें अत्यधिक आकर्षित करती हैं।
- इसके अलावा, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) जैसे लोकप्रिय खेल टूर्नामेंटों और सेलिब्रिटी प्रचार के चलते भोले-भाले युवाओं को इन प्लेटफॉर्म्स की ओर खींचा जाता है। भारत में कम डिजिटल साक्षरता (केवल 38% परिवार डिजिटल रूप से साक्षर हैं) उनकी भेद्यता को और बढ़ा देती है।
- विनियमन: भारत में, गेमिंग, सट्टेबाज़ी और जुए से संबंधित कानून बनाने का विशेष अधिकार राज्य विधानसभाओं को है, जो भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-II (राज्य सूची) के प्रविष्टि 34 के अंतर्गत आता है।
- राष्ट्रीय स्तर पर, सार्वजनिक जुआ अधिनियम, 1867 (Public Gambling Act, 1867) में कौशल-आधारित खेलों को दंड से छूट दी गई है, जबकि पुरस्कार प्रतियोगिता अधिनियम, 1955, पुरस्कार आधारित प्रतियोगिताओं को नियंत्रित करता है।
- सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम, 2023 के अंतर्गत ऑनलाइन गेम, ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थ, ऑनलाइन रियल मनी गेम्स (RMG), अनुमेय खेल और स्व-नियामक निकायों जैसे महत्त्वपूर्ण शब्दों की परिभाषाएँ दी गई हैं, ताकि तेज़ी से विकसित हो रहे डिजिटल गेमिंग परिदृश्य में अधिक संरचना लाई जा सके।
- भारत में लॉटरी, जुआ तथा सट्टेबाज़ी क्षेत्रों में विदेशी निवेश और तकनीकी सहयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
- कराधान: वैध रियल मनी गेमिंग (RMG) कंपनियों पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाया जाता है। आयकर अधिनियम, 1961 के तहत लॉटरी, कार्ड गेम या किसी भी खेल (कौशल आधारित खेल सहित) से 10,000 रुपए से अधिक की जीत पर 30% (अधिभार और उपकर को छोड़कर) कर लगाया जाता है।
- RMG में मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया: ऑनलाइन गेमिंग में मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया सामान्यतः तीन चरणों में सामने आती है।
- पहला चरण, प्लेसमेंट (Placement) में अवैध निधि को गेमिंग इकोसिस्टम में जमा या वर्चुअल क्रेडिट की खरीद के माध्यम से डाला जाता है।
- इसके बाद आता है लेयरिंग (Layering), जिसमें इन-गेम ट्रांसफर, मुद्रा रूपांतरण और कई जटिल लेन-देन के माध्यम से निधि के स्रोत को छुपाया जाता है।
- अंत में, इंटीग्रेशन (Integration) चरण में इस "क्लीनड" निधि को वैध कमाई (जैसे- जीत की राशि या रिफंड) के रूप में निकाला जाता है, जो प्रायः क्रिप्टोकरेंसी चैनलों या सीमा पार भुगतान प्रणालियों के माध्यम से किया जाता है।
PMLA के तहत ऑनलाइन गेमिंग का विनियमन क्यों आवश्यक है?
- वर्तमान विनियामक अंतराल: भारत का सार्वजनिक जुआ अधिनियम (1867) सार्वजनिक जुए पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन कौशल आधारित खेलों को इससे छूट देता है।
- राज्य सट्टेबाज़ी और जुए को अलग-अलग तरीकों से विनियमित करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक खंडित कानूनी वातावरण बनता है जिसका दुरुपयोग अवैध संचालक करते हैं।
- भारत में अवैध ऑफशोर संचालक नियामकीय खामियों का लाभ उठाते हुए करों की चोरी करते हैं और उपयोगकर्त्ताओं की धनराशि को विदेश भेजकर बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं। महादेव ऐप (₹6,000 करोड़ की संदिग्ध आय) और फीविन (₹400 करोड़ की धोखाधड़ी) जैसे मामले अवैध संचालन की व्यापकता को दर्शाते हैं।
- बेईमान संचालक अवैध धन को वैध बनाने के लिये शेल कंपनियों, क्रिप्टो वॉलेट्स और डिजिटल माध्यमों का उपयोग करते हैं।
- यह जटिल परिदृश्य यह रेखांकित करता है कि ऑनलाइन गेमिंग को PMLA के कठोर नियामक दायरे में लाया जाना आवश्यक है, ताकि वित्तीय अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके और निगरानी को सशक्त किया जा सके।
- जवाबदेही को सुदृढ़ करना: वर्ष 2023 के धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) नियमों ने वर्चुअल एसेट सेवा प्रदाताओं को नियामकीय निगरानी के दायरे में शामिल कर दिया, जिससे वित्तीय खुफिया इकाई-भारत (FIU) को उल्लंघनों की बेहतर निगरानी करने और दंडित करने में सक्षम बनाया गया।
- ऑनलाइन RMG में वर्चुअल एसेट्स को इस ढाँचे के अंतर्गत शामिल करने से लेन-देन का रिकॉर्ड बनाए रखने तथा संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करने में मदद मिलती है, जिससे गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र में जवाबदेही और अधिक सुदृढ़ होती है।
- आतंकवाद वित्तपोषण: ऑनलाइन RMG अपनी गुमनाम और सीमाहीन प्रकृति के कारण आतंकवाद वित्तपोषण का एक गंभीर खतरा उत्पन्न करती है। आतंकवादी ऑपरेटिव इस गेमिंग पारिस्थितिकी तंत्र के भीतर गुप्त संचार तथा अवैध लेन-देन की सुविधा के लिये गेमप्ले का दुरुपयोग कर सकते हैं।
- RMG को PMLA के तहत शामिल करने से इसे राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रभावी रूप से सुरक्षित और निगरानी योग्य बनाया जा सकता है।
- साइबर सुरक्षा: भारत का साइबर सुरक्षा ढाँचा नवोन्मेषी डिजिटल प्लेटफार्मों, जिनमें ऑनलाइन गेमिंग भी शामिल है, की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये अभी भी अपर्याप्त है।
- ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्मों का दुरुपयोग ट्रोजन या मैलवेयर तैनात करने के लिये किया जा सकता है, जिससे उपयोगकर्त्ताओं के बैंक खातों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और वित्तीय हानि हो सकती है।
- PMLA के तहत समेकित करने से नियामकीय निगरानी मज़बूत होगी और साइबर धोखाधड़ी तथा बैंक से संबंधित नुकसान के जोखिम कम होंगे।
ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म पर मनी लॉन्ड्रिंग-विरोधी नियमों को लागू करने में क्या चुनौतियाँ हैं?
- म्यूल खाते और प्रॉक्सी भुगतान चैनलों का उपयोग: अवैध गेमिंग प्लेटफॉर्म अक्सर भुगतान मार्गदर्शन के लिये "म्यूल" बैंक खाते या तृतीय-पक्ष वॉलेट्स का उपयोग करते हैं।
- ये खाते अक्सर ऐसे व्यक्तियों या शेल संस्थाओं के नाम पर दर्ज होते हैं जिनका लेन-देन से कोई संबंध नहीं होता, जिससे लेन-देन की उत्पत्ति और उद्देश्य छिप जाते हैं।
- ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म हर मिनट हज़ारों सूक्ष्म-लेन-देन (माइक्रो-ट्रांज़ेक्शन) को संसाधित करते हैं, जिससे वास्तविक समय में संदिग्ध पैटर्न का पता लगाना कठिन हो जाता है। वैध गेमप्ले को बाधित किये बिना अवैध गतिविधि को चिह्नित करने के लिये स्वचालित सिस्टम को असाधारण रूप से मज़बूत होना चाहिये।
- इन-गेम खरीद और डिजिटल वॉलेट का दुरुपयोग: खिलाड़ी वास्तविक धनराशि को इन-गेम संपत्तियों या डिजिटल मुद्राओं में परिवर्तित कर सकते हैं, जिन्हें बिना किसी ट्रेस के बदला, उपहार दिया या वास्तविक धनराशि के रूप में निकाला जा सकता है।
- कई वित्त पोषण विधियाँ (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, कार्ड, वॉलेट, क्रिप्टो आदि) असंरचित इनफ्लो और आउटफ्लो पैटर्न बनाती हैं, जिन्हें व्यापक रूप से मॉनिटर करना कठिन होता है। AML जाँच के लिये बैंकिंग सिस्टम के साथ समन्वय अभी भी अपर्याप्त या असंगत है।
- सीमा-पार और अधिकार क्षेत्र संबंधी समस्याएँ: गेमिंग प्लेटफॉर्म विदेशी देशों में पंजीकृत हो सकते हैं, जिससे सीमा पार विभिन्न नियामक प्राधिकरणों के बीच समन्वय करना कठिन हो जाता है।
- विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में अलग-अलग AML कानून होते हैं, जो प्रवर्तन और अनुपालन निगरानी को जटिल बना देते हैं।
- 1xBet जैसे ऑफशोर साइट्स अक्सर अपने डोमेन और बैंक साझेदारों को बदलते रहते हैं, जिससे प्रवर्तन तथा अभियोजन अत्यंत जटिल हो जाता है।
- उद्देश्य की पुष्टि करने में कठिनाई: उच्च दाव वाली गेमिंग और जानबूझकर मनी लॉन्ड्रिंग के बीच अंतर करना कठिन हो सकता है।
- खिलाड़ी यह दावा कर सकते हैं कि उच्च मात्रा या तीव्र लेन-देन वैध गेमप्ले का हिस्सा हैं।
- धोखाधड़ी की विकसित होती तकनीकें: मनी लॉन्ड्रर लगातार नई रणनीतियाँ अपनाते रहते हैं, जैसे- रिफंड का दुरुपयोग, रेफरल बोनस, या नकली गेमप्ले का उपयोग कर धनराशि को वैध करने के लिये कानूनी खामियों का लाभ उठाना।
- मनी लॉन्ड्रिंग की नई प्रवृत्तियों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिये निरंतर नियामकीय और प्रौद्योगिकीय उन्नयन आवश्यक होता है।
- अप्रभावी दंड और प्रवर्तन: भारत में एक केंद्रीय गेमिंग नियामक की अनुपस्थिति एक खंडित प्रवर्तन वातावरण उत्पन्न करती है। प्रवर्तन निदेशालय, गृह मंत्रालय, भारतीय रिज़र्व बैंक और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय जैसी कई एजेंसियों द्वारा आंशिक ज़िम्मेदारियाँ साझा किये जाने से नियामकीय अतिक्रमण तथा खामियाँ उत्पन्न होती हैं, जो AML प्रवर्तन को समयबद्ध और समन्वित रूप से लागू करने में बाधा बनती हैं।
- AML जाँच में असफल होने के बाद भी, प्रमुख जुआ कंपनियाँ अक्सर ज़ुर्माने को नियमित लागत के रूप में मानती हैं, निवारक के रूप में नहीं, जिसके कारण बार-बार उल्लंघन होता है।
भारत ऑनलाइन गेमिंग में उपयोगकर्त्ता की सुविधा के साथ नियामक कठोरता को कैसे संतुलित कर सकता है?
- स्तरीकृत KYC दृष्टिकोण: उपयोगकर्त्ता गतिविधि और लेन-देन की मात्रा के आधार पर क्रमिक KYC को लागू करें - ऑनबोर्डिंग के दौरान प्रारंभिक सत्यापन (जैसे मोबाइल नंबर पर OTP) किया जाएगा और निर्धारित सीमा पार करने पर पूर्ण KYC प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
- यह दृष्टिकोण भारत में स्थापित विनियामक मिसालों के अनुरूप है। उदाहरण के लिये, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ₹10,000 तक के बैलेंस वाले प्रीपेड भुगतान साधनों के लिये OTP-आधारित ऑनबोर्डिंग की अनुमति देता है, जिससे कम जोखिम वाले उपयोगकर्त्ताओं के लिये सरलीकृत पहुँच संभव हो जाती है।
- स्तरीकृत विनियमन मॉडल अपनाना: आकस्मिक खेलों, प्रतिस्पर्द्धी कौशल-आधारित खेलों और वास्तविक धन वाले खेलों के बीच अंतर करें।
- ब्रिटेन के जुआ आयोग के ढाँचे के समान जोखिम के स्तर के आधार पर आनुपातिक विनियमन लागू करना।
- कानून के रूप में एल्गोरिथम जवाबदेही: गेमिंग प्लेटफार्मों को एल्गोरिथम ऑडिट और डार्क पैटर्न प्रतिबंधों (जैसे- लूट बॉक्स, मनोवैज्ञानिक धक्का-मुक्की) के लिये प्रस्तुत होना होगा, जैसा कि यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम में देखा गया है।
- भारत को आगामी डिजिटल इंडिया अधिनियम के तहत प्लेटफॉर्म लाइसेंस से जुड़ी “गेमिंग आचार संहिता” को अनिवार्य बनाना चाहिये।
- खुफिया सूचना आधारित प्रवर्तन पर ध्यान केंद्रित करें: वैध उपयोगकर्त्ताओं और प्लेटफार्मों को अलग करने से बचने के लिये व्यापक उपाय करने के बजाय उच्च जोखिम वाले ऑपरेटरों तथा संदिग्ध गतिविधियों पर संसाधनों को प्राथमिकता दें।
- उपभोक्ता संरक्षण और साइबर सुरक्षा: विनियमों में डेटा चोरी, ऑनलाइन दुरुपयोग और नाबालिगों की सुरक्षा के विरुद्ध सुरक्षा उपाय भी अनिवार्य होने चाहिये।
- गेमिंग कंपनियों के लिये सुरक्षित ठिकानों पर ध्यान देना: संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिये सुरक्षित ठिकानों के रूप में कार्य करते हैं, जो विनियमन और प्रवर्तन हेतु चुनौतियाँ उत्पन्न करते हैं।
- कूटनीति को सुदृढ़ करने और गेमिंग फर्मों की मेज़बानी करने वाले देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियों पर हस्ताक्षर करने से जवाबदेही सुनिश्चित होगी एवं सीमा पार लेन-देन की निगरानी में सुधार होगा।
- ज़िम्मेदार प्रचार और सेलिब्रिटी समर्थन: केवल वैध गेमिंग ऐप्स को बढ़ावा देकर ज़िम्मेदार विपणन को प्रोत्साहित करना और सुनिश्चित करना कि सेलिब्रिटी समर्थन गेमिंग उद्योग की आचार संहिता का पालन करते हैं ।
गेमिंग उद्योग द्वारा अपनाई गई आचार संहिता क्या है?
और पढ़ें: ऑनलाइन गेमिंग नैतिकता को समझना
निष्कर्ष
ऑनलाइन गेमिंग में वित्तीय अपराधों को रोकने के लिये एक सुदृढ़ और संतुलित विनियामक ढाँचा आवश्यक है , ताकि नवाचार को बाधित किये बिना इसे रोका जा सके। PMLA को तकनीक-संचालित, जोखिम-आधारित विनियमन के साथ एकीकृत करके उपयोगकर्त्ता सुरक्षा और वित्तीय अखंडता सुनिश्चित की जा सकती है। भारत को अपने डिजिटल गेमिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित एवं वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी बनाने हेतु निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिये।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत में डिजिटल गेमिंग उद्योग के तेज़ी से बढ़ने के साथ, उपयोगकर्त्ता की सुविधा, नवाचार और वित्तीय अखंडता के बीच संतुलन सुनिश्चित करने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से भारत सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ योजना का/के उद्देश्य है/हैं? (2018)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. चर्चा कीजिये कि किस प्रकार उभरती प्रौद्योगिकियाँ और वैश्वीकरण मनी लॉन्ड्रिंग में योगदान करते हैं। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या से निपटने के लिये किये जाने वाले उपायों को विस्तार से समझाइये। (2021) |