प्रारंभिक परीक्षा
वीरता पुरस्कार 2025
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारत के राष्ट्रपति ने 76वें गणतंत्र दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर घोषित वीरता पुरस्कारों के तहत सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों तथा राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस कर्मियों को 6 कीर्ति चक्र (4 मरणोपरांत) और 33 शौर्य चक्र (7 मरणोपरांत) प्रदान किये गए।
वीरता पुरस्कार क्या हैं?
- वीरता पुरस्कार: ये पुरस्कार कार्मिकों को कर्त्तव्य के दौरान अदम्य साहस, अद्वितीय बहादुरी तथा व्यक्तिगत सुरक्षा की पूर्ण उपेक्षा के लिये दिये जाते हैं।
- इन वीरता पुरस्कारों की घोषणा वर्ष में दो बार की जाती है, पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर और फिर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर।
प्रकार:
- शत्रु के विरुद्ध कार्रवाई संबंधी वीरता पुरस्कार:
- परमवीर चक्र (PVC): इसके अग्रभाग पर "इंद्र के वज्र" की चार प्रतिकृतियाँ उभरी होती हैं तथा मध्य में राज्य चिह्न उभरा होता है।
- यह पुरस्कार शत्रु की उपस्थिति में सर्वाधिक विशिष्ट बहादुरी या किसी साहसिक या वीरता या आत्म-बलिदान के उत्कृष्ट कार्य के लिये दिया जाता है।
- महावीर चक्र (MVC): इसका अग्रभाग एक पाँच नुकीले हेराल्डिक सितारे से युक्त होता है, जिसकी नोकें बाहरी किनारे को स्पर्श करती हैं। सितारे के केंद्र में उभरा हुआ स्वर्ण जड़ित राज्य प्रतीक होता है।
- यह पुरस्कार शत्रु की उपस्थिति में वीरता के कार्यों के लिये प्रदान किया जाता है।
- वीर चक्र: इस सितारे के केंद्र में एक चक्र होता है तथा चक्र के अंदर एक गुंबदाकार केंद्रबिंदु होता है, जिस पर स्वर्ण-जड़ित राज्य चिह्न अंकित रहता है।
- यह पुरस्कार भूमि, समुद्र या वायु में दुश्मन की मौजूदगी में वीरतापूर्ण कार्यों के लिये दिया जाता है। यह सम्मान मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।
- परमवीर चक्र (PVC): इसके अग्रभाग पर "इंद्र के वज्र" की चार प्रतिकृतियाँ उभरी होती हैं तथा मध्य में राज्य चिह्न उभरा होता है।
- शत्रु के विरुद्ध कार्रवाई के अलावा अन्य वीरता पुरस्कार:
- पदक: इसमें अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र शामिल हैं, पदक के अग्रभाग (सामने वाले हिस्से) के केंद्र में संबंधित चक्र की एक आकृति उत्कीर्णित होती है, जो कमल की एक माला से आबद्ध होती है।
- किनारे के साथ-साथ, आंतरिक भाग में कमल के पत्तों, फूलों और कलियों का पैटर्न होता है।
- इसके पृष्ठ भाग पर हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों में संबंधित शब्द उत्कीर्णित होते हैं तथा दोनों संस्करण दो कमल के फूलों से पृथक होते हैं।
- पदक: इसमें अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र शामिल हैं, पदक के अग्रभाग (सामने वाले हिस्से) के केंद्र में संबंधित चक्र की एक आकृति उत्कीर्णित होती है, जो कमल की एक माला से आबद्ध होती है।
पुरस्कार का वरीयता क्रम:
- परमवीर चक्र
- अशोक चक्र
- महावीर चक्र
- कीर्ति चक्र
- वीर चक्र
- शौर्य चक्र
पात्रता:
- परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र: नौसेना, सेना, वायु सेना, रिज़र्व एवं टेरिटोरियल बलों के सभी रैंक के सदस्य, जिनमें चिकित्सा और नर्सिंग कर्मचारी तथा उनके निर्देशन में कार्यरत नागरिक भी शामिल हैं।
- अशोक चक्र, कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र: सशस्त्र बलों, रिज़र्व और टेरिटोरियल बलों, नर्सिंग सेवाओं, पुलिस, केंद्रीय अर्द्ध-सैनिक बलों, रेलवे सुरक्षा बल के सभी रैंक के सदस्य तथा सामान्य नागरिक।
नोट: ऐसी ही बहादुरी के प्रत्येक आगामी कार्य के लिये प्राप्तकर्त्ता को 'चक्र' के साथ 'पट्टी' लगाकर सम्मानित किया जाता है।
- इसके अलावा, अतिरिक्त बहादुरी के लिये ‘चक्र’ और 'पट्टी' दोनों को मरणोपरांत प्रदान किया जा सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न 1. भारतरत्न और पँ पुरस्कारों के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही नहीं हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न 2. वर्ष 2000 में प्रारंभ किये गए लॉरियस विश्व खेल पुरस्कार (लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (c) |
प्रारंभिक परीक्षा
पूंजीगत निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता (SASCI) योजना
स्रोत: फाइनेंशियल एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
केंद्र की 50 वर्षीय ब्याज-मुक्त पूंजीगत व्यय ऋण योजना, पूंजीगत निवेश हेतु राज्यों को विशेष सहायता (SASCI) के तहत, भारत में प्रमुख भूमि सुधारों को प्रेरित कर रही है, जिससे राज्य संपत्ति प्रणालियों को आधुनिक बनाने, दक्षता बढ़ाने और औद्योगिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये प्रेरित किया जा रहा है।
SASCI क्या है?
- परिचय: इसका शुभारंभ वर्ष 2020-21 में कोविड-19 महामारी की प्रतिक्रिया में किया गया था।
- बाद में इसका नाम बदलकर SASCI कर दिया गया। इसका उद्देश्य विशेष रूप से पूंजीगत निवेश हेतु राज्यों को ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करके आर्थिक सुधार को प्रोत्साहित करना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- पूंजीगत निवेश केंद्र: इसके तहत राज्यों को विशेष रूप से पूंजीगत व्यय परियोजनाओं हेतु 50 वर्ष की अवधि के लिये दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करना शामिल है।
- पूंजीगत व्यय से उत्पादन क्षमता बढ़ती है, रोज़गार सृजन होता है और सतत् विकास को बढ़ावा मिलता है। इसका उच्च गुणक प्रभाव होता है। यह अनुमान है कि खर्च किये गए प्रत्येक 1 रुपए से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 3 रुपए की वृद्धि होती है।
- संरचना: विभिन्न क्षेत्रों को लक्ष्य करते हुए कई भागों में विभाजित, जैसे- शहरी सुधार, वाहन स्क्रैपिंग प्रोत्साहन, पुलिस आवास, मेक इन इंडिया पहल, डिजिटल बुनियादी ढाँचा, ऑप्टिकल फाइबर केबल और पर्यटन विकास।
- पूंजीगत निवेश केंद्र: इसके तहत राज्यों को विशेष रूप से पूंजीगत व्यय परियोजनाओं हेतु 50 वर्ष की अवधि के लिये दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण प्रदान करना शामिल है।
- प्रगति:
- बड़े पैमाने पर विस्तार: यह योजना वर्ष 2020-21 में 12,000 करोड़ रुपए से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 1,50,000 करोड़ रुपए तक पहुँच गई, जो पूंजी निवेश पर बढ़ते केंद्र को दर्शाती है।
- व्यापक औद्योगिक सुधार: SASCI के अंतर्गत 22 राज्यों ने औद्योगिक और वाणिज्यिक भूखंडों के लिये भवन उपनियमों को अद्यतन किया।
- इसके अतिरिक्त, 18 राज्यों ने सेटबैक और पार्किंग मानदंडों को अनुकूलित करके भूमि के क्षय को कम किया, जिससे उपलब्ध स्थान का अधिक कुशल उपयोग हुआ।
- ऊर्ध्वाधर औद्योगिक विकास को समर्थन देने हेतु 12 राज्यों ने फ्लैटेड कारखानों के लिये अनुमेय निर्मित क्षेत्र को दोगुना कर दिया है।
- इसके अलावा, 8 राज्यों ने वाणिज्यिक क्षेत्रों में फ्लोर एरिया अनुपात (FAR) बढ़ा दिया है, जिससे उच्च घनत्व विकास संभव हो सका है और समग्र शहरी उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
- ग्रामीण भूमि डिजिटलीकरण: SASCI के तहत देश भर में 90% कैडस्ट्रल मानचित्र (भूमि स्वामित्व मानचित्र) भू-संदर्भित हैं और 30% भूमि पार्सल को विशिष्ट भूमि पार्सल पहचान संख्या (ULPIN) (भू-आधार) प्रदान की गई है।
- इसके अतिरिक्त, 91% अधिकार अभिलेखों (भूमि भूखंड के संदर्भ में सभी आवश्यक जानकारी वाले कानूनी दस्तावेज़) का डिजिटलीकरण किया गया, जिससे पारदर्शिता बढ़ी और विवादों में कमी आई।
- बेहतर भूमि प्रशासन और औद्योगिक सुधारों से विनिर्माण क्षमता में वृद्धि, ऋण पहुँच में सुगमता तथा समग्र आर्थिक विकास में वृद्धि होने की उम्मीद है।
- पर्यटन: SASCI के तहत पहली बार पर्यटन के लिये धनराशि निर्धारित की गई है, जिसके तहत वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्रों को विकसित करने हेतु 23 राज्यों में 40 परियोजनाओं के लिये 3,295 करोड़ रुपए स्वीकृत किये गए हैं।
पूंजीगत व्यय
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न . निम्नलिखित में से किसको/किनको भारत सरकार के पूंजी बजट में शामिल किया जाता है? (2016)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) |
रैपिड फायर
पंडित जवाहरलाल नेहरू की पुण्यतिथि
स्रोत: पी.आई.बी
27 मई 2025 को, वर्तमान प्रधानमंत्री ने भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को श्रद्धांजलि अर्पित की - जिनकी मृत्यु 27 मई 1964 को हुई थी और उन्हें आधुनिक भारत के निर्माता के रूप में याद किया जाता है।
जवाहरलाल नेहरू का परिचय:
- प्रारंभिक जीवन: 14 नवंबर 1889 को प्रयागराज में उनका जन्म हुआ। वर्ष 1912 में बाँकीपुर (पटना) में एक प्रतिनिधि के रूप में अपने पहले कॉन्ग्रेस सत्र में भाग लिया और वर्ष 1916 में एनी बेसेंट की होम रूल लीग में शामिल हो गए, वर्ष 1919 में उन्हें इस लीग का इलाहाबाद सचिव चुना गया।
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान: वे वर्ष 1929 के लाहौर अधिवेशन में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष चुने गए, जिसमें पूर्ण स्वतंत्रता के लिये ऐतिहासिक पूर्ण स्वराज प्रस्ताव पारित किया गया और बाद में उन्होंने समाजवाद को बढ़ावा देते हुए वर्ष 1936 के लखनऊ एवं वर्ष 1937 के फैजपुर अधिवेशनों की अध्यक्षता की।
- उन्होंने मौलिक अधिकार और आर्थिक नीति (वर्ष 1929-31) का मसौदा तैयार किया, जिसे सरदार पटेल के तहत वर्ष 1931 के कराची अधिवेशन में अपनाया गया एवं भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के सैनिकों के लिये कानूनी सुरक्षा प्रदान करने का समर्थन किया।
- उन्होंने वर्ष 1946 में अंतरिम सरकार का नेतृत्व किया।
- स्वतंत्रता के बाद: वर्ष 1953 में, उन्होंने राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन किया, पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया और गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व किया।
- पुरस्कार: उन्हें भारत रत्न (वर्ष 1955) और विश्व शांति परिषद पुरस्कार (मरणोपरांत, 1970) से सम्मानित किया गया।
- साहित्यिक योगदान: भारत की खोज (Discovery of India), एक आत्मकथा, विश्व इतिहास की झलकियाँ (An Autobiography, Glimpses of World History) और एक पिता के अपनी पुत्री को पत्र (Letters from a Father to His Daughter)।
और पढ़ें: जवाहरलाल नेहरू
रैपिड फायर
ढोल
स्रोत: डाउन टू अर्थ
28 मई को विश्व ढोल दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य ढोल (लुप्तप्राय एशियाई जंगली कुत्तों) के संरक्षण को बढ़ावा देना है, यह लुप्तप्राय प्रजाति वन पारिस्थितिकी तंत्र में शीर्ष परिभक्षियों के रूप में संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- ढोल: ढोल (क्यूऑन अल्पाइनस ) जंगली कुत्ते हैं जो दक्षिणी और पूर्वी एशिया में मूल रूप से पाए जाते हैं, जिनमें भारत के पश्चिमी घाट (जैसे वलपराई पठार) भी शामिल हैं।
- विशेषताएँ: ढोलों का फर भूरा, पूँछ काली, अंबर आईज़ (भूरी आँख) और कान सीधे व गोल होते हैं तथा ये 2 से 25 के समूह में रहते हैं।
- आवास: जंगलों, झाड़ियों और ऊँचे पर्वतीय मैदान में पाए जाते हैं।
- भारत में ढोल तीन मुख्य क्षेत्रों में पाए जाते हैं, अर्थात् पश्चिमी और पूर्वी घाट, मध्य भारतीय परिदृश्य एवं पूर्वोत्तर भारत।
- आहार और शिकार: ढोल मांसाहारी होते हैं जो 3-5 के समूह में मिलकर शिकार करते हैं तथा भौंकने, गुर्राने एवं विशिष्ट रूप से सीटी बजाकर संवाद करते हैं, जिसके कारण उन्हें "सीटी बजाने वाले कुत्ते (व्हिसलिंग डॉग्स)" भी कहा जाता है।
- ढोलों के जबड़े में इतनी ताकत नहीं होती कि वे अपने शिकार को आसानी से काट सकें, इसलिये ढोलों का झुंड शिकार को जीवित ही खा जाता है।
- प्रजनन: एक झुंड में आमतौर पर एक प्रमुख एकलपत्नी प्रजनन (मनागमस ब्रीडिंग) जोड़ा होता है, जबकि गैर-प्रजनन सदस्य भोजन लाकर और पिल्लों की देखभाल करके सहयोग करते हैं।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN: लुप्तप्राय (Endangered)
- वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट II
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 [Wildlife (Protection) Act] के तहत अनुसूची II में सूचीबद्ध।
और पढ़ें: ढोल
रैपिड फायर
तीसरे बच्चे के लिये मातृत्व लाभ
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
के. उमादेवी बनाम तमिलनाडु सरकार केस, 2022 में, सर्वोच्च न्यायालय ने मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के तहत एक महिला को उसके तीसरे बच्चे के लिये मातृत्व लाभ प्रदान किया और इसे एक संवैधानिक अधिकार कहा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने पुष्टि की कि स्वास्थ्य, सम्मान, गोपनीयता और गैर-भेदभाव का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग हैं।
- इसमें इस तर्क पर ज़ोर दिया गया कि प्रजनन अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का हिस्सा हैं, जिनमें स्वास्थ्य, समानता और सम्मान के अधिकार भी शामिल हैं।
- प्रजनन संबंधी विकल्पों का अधिकार अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संरक्षित है, जैसा कि सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन केस, 2009 में पुनः पुष्टि की गई है।
- मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017: मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, जिसे वर्ष 2017 में संशोधित किया गया, महिला कर्मचारियों को प्रसव से पहले और बाद में सवेतन मातृत्व अवकाश तथा संबंधित लाभ प्रदान करता है।
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत आने वाली महिलाओं को भी मातृत्व लाभ प्राप्त करने का अधिकार है।
- प्रयोज्यता: यह अधिनियम कारखानों, खदानों, बागानों, सरकारी प्रतिष्ठानों, दुकानों और 10 या अधिक कर्मचारियों वाले अन्य कार्यस्थलों पर लागू होता है।
- मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017: मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, जिसे वर्ष 2017 में संशोधित किया गया, महिला कर्मचारियों को प्रसव से पहले और बाद में सवेतन मातृत्व अवकाश तथा संबंधित लाभ प्रदान करता है।
- मातृत्व अवकाश: महिलाओं को दो बच्चों तक के लिये 26 सप्ताह की सवेतन मातृत्व अवकाश का अधिकार है और दो से अधिक बच्चों की स्थिति में 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है अर्थात् यह अधिनियम दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिये मातृत्व अवकाश पर प्रतिबंध नहीं लगाता; यह केवल बच्चों की संख्या के आधार पर अवकाश की अवधि को सीमित करता है।
और पढ़ें: मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017
रैपिड फायर
RoDTEP योजना
स्रोत: TH
भारत ने अग्रिम प्राधिकरण (AA) धारकों, निर्यातोन्मुख इकाइयों (EOU) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) इकाइयों द्वारा निर्यात के लिये निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों एवं करों में छूट (RoDTEP) योजना के लाभ को पुनः सक्षम कर दिया है।
- इन श्रेणियों के लिये RoDTEP लाभ, जो फरवरी 2025 में रोक दिये गए थे, अब सभी निर्यातकों के लिये समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में पुनः लागू कर दिये गए हैं।
- जून 2025 से प्रभावी इस पुनः स्थापन का उद्देश्य निर्यात प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहन प्रदान करना और वैश्विक बाज़ार तक पहुँच को बढ़ाना है।
- RoDTEP योजना: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा वर्ष 2021 में शुरू की गई RoDTEP योजना निर्यातकों को उन अंतर्निहित शुल्कों, करों की प्रतिपूर्ति करने के लिये अभिकल्पित की गई है, जो किसी अन्य मौजूदा योजना के तहत वापसी योग्य नहीं होते।
- RoDTEP योजना, जिसने भारत से वस्तु निर्यात योजना (MEIS) को प्रतिस्थापित किया है, विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के पूर्णतः अनुरूप है।
- RoDTEP योजना के अंतर्गत रियायतें हस्तांतरणीय शुल्क क्रेडिट या इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप (ई-स्क्रिप्स) के रूप में जारी की जाएंगी, जिन्हें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) द्वारा एक इलेक्ट्रॉनिक लेज़र में संधारित किया जाएगा।
- मार्च 2025 तक, RoDTEP योजना के तहत कुल संवितरण 57,976 करोड़ रुपए से अधिक हो गया, जो भारत के निर्यात हेतु इसके महत्त्वपूर्ण समर्थन को दर्शाता है।
और पढ़ें: RoDTEP योजना