प्रारंभिक परीक्षा
वीर सावरकर जयंती
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
28 मई को प्रधानमंत्री ने विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
विनायक दामोदर सावरकर कौन थे और उनका प्रमुख योगदान क्या था?
- प्रारंभिक जीवन:
- 28 मई, 1883 को नासिक, महाराष्ट्र में जन्मे वीडी सावरकर (जिन्हें स्वातंत्र्यवीर सावरकर के नाम से भी जाना जाता है ) एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, लेखक और समाज सुधारक थे।
- संबंधित संगठन और कार्य:
- वर्ष 1899 में मित्र मेला की स्थापना की गई, बाद में वर्ष 1904 में इसका नाम बदलकर अभिनव भारत सोसाइटी कर दिया गया।
- विदेश में भारतीय छात्रों के बीच क्रांतिकारी राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 1906 में लंदन में फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना की। क्रांतिकारी गतिविधियों के केंद्र लंदन में इंडिया हाउस ( श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा स्थापित ) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई ।
- गुरिल्ला युद्ध की वकालत की , कथिततौर पर हस्तनिर्मित बम बनाने में शामिल थे और मदन लाल ढींगरा को कानूनी सहायता प्रदान की ।
- उन्होंने प्रभावशाली पुस्तक "हिंदुत्व: हिंदू कौन है?" (1923) लिखी और "भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम युद्ध का इतिहास" भी लिखा।
- सावरकर कभी-कभी अपने कुछ लेखों में "मराठा" उपनाम का प्रयोग करते थे ।
- सजा:
- उन्हें वर्ष 1909 में मॉर्ले-मिंटो सुधार (भारतीय परिषद अधिनियम, 1909) के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, बाद में प्रत्यर्पित कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (जिसे काला पानी के रूप में भी जाना जाता है ) में सेलुलर जेल भेज दिया गया।
- बाद में उन्हें वर्ष 1937 तक रत्नागिरि में नज़रबंद रखा गया।
- मार्सिले के रास्ते ले जाए जाने के दौरान उन्होंने भागने का प्रयास किया, लेकिन ब्रिटिश अधिकारियों ने उन्हें पुनः पकड़ लिया।
- उन्हें वर्ष 1909 में मॉर्ले-मिंटो सुधार (भारतीय परिषद अधिनियम, 1909) के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, बाद में प्रत्यर्पित कर आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (जिसे काला पानी के रूप में भी जाना जाता है ) में सेलुलर जेल भेज दिया गया।
- राजनीतिक कॅरियर और विचारधारा:
- अपनी रिहाई के बाद, सावरकर ने हिंदू महासभा के अध्यक्ष (1937-1943) के रूप में कार्य किया तथा भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का विरोध किया, क्योंकि उन्होंने इसे अव्यावहारिक माना।
- उन्होंने राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देते हुए क्रिप्स मिशन और वेवेल योजना पर चर्चा की।
- तिलक, लाजपत राय और बिपिन चंद्र पाल से प्रभावित होकर, सावरकर ने सभी के लिये समान अधिकारों वाले एक एकीकृत राष्ट्र की कल्पना की थी, जो भारत के प्रति निष्ठा पर आधारित था।
- नागरिक स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार के एक मजबूत समर्थक के रूप में, उन्होंने जातिवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी, अंतर्जातीय विवाह, दलितों के मंदिर प्रवेश (जैसे, पतित-पावन मंदिर ), समुद्र पार करने और हिंदू धर्म में पुनः धर्मांतरण को बढ़ावा दिया।
- मृत्यु:
- वर्ष 1964 में, भारत की स्वतंत्रता के बाद अपने मिशन को पूर्ण मानते हुए, वीर सावरकर ने 1 फरवरी को आमरण अनशन शुरू किया और 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हो गया।
- उनके योगदान को मान्यता देते हुए, वर्ष 2002 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम बदलकर वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा कर दिया गया।
और पढ़ें: वीर सावरकर जयंती
प्रारंभिक परीक्षा
भारत की विदेशी नागरिकता योजना
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
भारतीय सरकार ने एक ब्रिटिश शिक्षाविद का भारत के विदेशी नागरिक (OCI) पंजीकरण रद्द कर दिया है, यह कहते हुए कि वह अपनी लेखनी, भाषणों और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर किये गए पत्रकारिता कार्यों के माध्यम से भारत विरोधी गतिविधियों में संलिप्त रही हैं।
भारत की विदेशी नागरिकता योजना क्या है?
परिचय
- OCI योजना को वर्ष 2005 में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के माध्यम से पेश किया गया था, जो भारतीय मूल के विदेशी नागरिकों को दोहरी नागरिकता के बिना भारत में स्वतंत्र रूप से रहने, कार्य करने और यात्रा करने की अनुमति देता है।
- वर्ष 2015 में, भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) और OCI श्रेणियों को दस्तावेज़ीकरण तथा लाभों को सरल बनाने के लिये एकीकृत कर दिया गया था।
- 31 जनवरी, 2022 तक 40.68 लाख OCI कार्ड जारी किये जा चुके हैं।
पात्रता (Eligibility):
- पात्रता: विदेशी नागरिक (पाकिस्तान और बांग्लादेश को छोड़कर) निम्नलिखित परिस्थितियों में OCI के लिये पात्र हैं:
- जो 26 जनवरी, 1950 को या उसके बाद भारत के नागरिक थे।
- जो 26 जनवरी, 1950 को भारतीय नागरिक बनने के योग्य थे।
- उस क्षेत्र से संबंधित जो 15 अगस्त, 1947 के बाद भारत का हिस्सा बन गया।
- क्या वे ऐसे व्यक्तियों के बच्चे, पोते या परपोते हैं।
- ऐसे व्यक्तियों के नाबालिग बच्चे या जिनके माता-पिता में से एक भारतीय नागरिक है।
- जीवनसाथी की पात्रता: भारतीय नागरिक या मौजूदा OCI कार्डधारक के विदेशी मूल के पति/पत्नी भी पात्र हैं, बशर्ते कि विवाह पंजीकृत हो और आवेदन से पूर्व कम-से-कम दो वर्षों तक वह विवाह वैध रूप से चला हो।
- अपात्र श्रेणियाँ: जो व्यक्ति वर्तमान में विदेशी सैन्य सेवाओं में कार्यरत हैं या सेवानिवृत्त हैं, वे OCI दर्जा प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं।
लाभ (Benefits):
- वीज़ा विशेषाधिकार: भारत आने के लिये बार-बार आवेदन करने की आवश्यकता के बिना, बहुउद्देशीय, बहु-प्रवेश और आजीवन वीज़ा प्राप्त करने के पात्र।
- प्रवासी भारतीयों (NRI) के साथ समानता: वित्तीय, आर्थिक तथा शैक्षिक क्षेत्रों में प्रवासी भारतीयों (NRI) के समान अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन भारत में कृषि/बागान भूमि नहीं खरीद सकते और न ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय बच्चों को गोद ले सकते हैं।
- नागरिकता का मार्ग: 5 वर्ष तक OCI कार्डधारक होने के बाद और पिछले 5 वर्षों में भारत में कम-से-कम 1 वर्ष निवास करने के साथ, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5(1)(g) के तहत भारतीय नागरिकता के लिये पात्र।
- पेंशन योजना तक पहुँच: दीर्घकालिक सेवानिवृत्ति योजना के लिये NRI के साथ समान शर्तों पर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में शामिल होने के लिये पात्र।
OCI कार्डधारकों की सीमाएँ और प्रतिबंध
- दोहरी नागरिकता नहीं: OCI को दोहरी नागरिकता के रूप में नहीं समझा जाना चाहिये, क्योंकि भारत अपने कानूनी ढाँचे के तहत दोहरी राष्ट्रीयता की अनुमति नहीं देता है।
- राजनीतिक अधिकार: OCI कार्डधारक भारतीय चुनावों में मतदान नहीं कर सकते हैं।
- OCI धारकों को राष्ट्रपति (अनुच्छेद 58), उपराष्ट्रपति (अनुच्छेद 66), सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश (अनुच्छेद 124) और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (अनुच्छेद 217) जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन होने से रोक दिया गया है।
- विधायी अयोग्यता: OCI लोकसभा, राज्यसभा या राज्य विधानसभाओं के सदस्य बनने के लिये पात्र नहीं हैं।
- सार्वजनिक रोज़गार प्रतिबंध: अनुच्छेद 16 (सार्वजनिक रोज़गार में अवसर की समानता) के तहत, OCI कार्डधारक नियमित सरकारी नौकरी नहीं कर सकते हैं, सिवाय इसके कि केंद्र सरकार द्वारा विशेष अधिसूचनाओं के माध्यम से विशेष रूप से अनुमति दी गई हो।
- गतिविधि-आधारित प्रतिबंध: अनुसंधान, पर्वतारोहण, मिशनरी/पत्रकारिता कार्य और संरक्षित या प्रतिबंधित क्षेत्रों की यात्रा के लिये विशेष अनुमति अनिवार्य है ।
निरस्तीकरण
- निरस्तीकरण नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7D द्वारा नियंत्रित होता है।
- निरस्तीकरण के आधारों में आवेदन में धोखाधड़ी या गलत बयान, भारत विरोधी कृत्य और नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत शर्तों का उल्लंघन शामिल हैं।
भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO)
- भारतीय मूल का व्यक्ति (PIO) एक विदेशी नागरिक है ( पाकिस्तान , अफगानिस्तान, बांग्लादेश, चीन, ईरान, भूटान, श्रीलंका और नेपाल के नागरिकों को छोड़कर) जो:
- कभी भारतीय पासपोर्ट धारक रहा हो, या
- जिसके पूर्वज (माता-पिता/दादा-दादी/परदादा-परदादी) भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत परिभाषित भारत में या उसके बाद भारत का हिस्सा बने क्षेत्रों में जन्मे हों और स्थायी रूप से निवास करते हों, या
- एक भारतीय नागरिक या PIO का जीवनसाथी है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्सप्रश्न. भारत के संदर्भ मे निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
प्रारंभिक परीक्षा
WMO ग्लोबल एनुअल टू डिकेडल क्लाइमेट अपडेट 2025-2029
स्रोत: बीएस
चर्चा में क्यों?
विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने "WMO ग्लोबल एनुअल टू डिकेडल क्लाइमेट अपडेट (2025-2029)" शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें चेतावनी दी गई है कि इस अवधि के दौरान पृथ्वी का औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होने की संभावना है।
WMO ग्लोबल एनुअल टू डिकेडल क्लाइमेट अपडेट के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- वैश्विक तापमान प्रवृत्तियाँ: WMO का अनुमान है कि वर्ष 2025 से वर्ष 2029 के बीच वार्षिक वैश्विक औसत तापमान वर्ष 1850 से वर्ष 1900 के पूर्व-औद्योगिक औसत से 1.2°C से 1.9°C अधिक रहेगा।
- इस पाँचवर्षीय अवधि में औसत तापमान के 1.5°C सीमा से अधिक होने की 70% संभावना है।
- इसके अतिरिक्त, 86% संभावना है कि इस समय-सीमा के भीतर कम-से-कम एक वर्ष अस्थायी रूप से 1.5°C की सीमा को पार कर जाएगा और साथ ही 80% संभावना है कि इनमें से एक वर्ष 2024 से भी अधिक गर्म होगा, जो वर्तमान रिकॉर्ड के अनुसार सबसे गर्म वर्ष है।
- क्षेत्रीय जलवायु अनुमान:
- दक्षिण एशिया : औसत से अधिक वर्षा रहने की संभावना।
- अमेज़न: औसत से अधिक शुष्क स्थिति का अनुभव होने की संभावना है।
- आर्कटिक: सामान्य से 2.4°C अधिक तापमान की संभावना, जो वैश्विक औसत से 3.5 गुना अधिक है।
- पेरिस समझौते की सीमा: वर्ष 2024 1.5°C से अधिक तापमान दर्ज करने वाला पहला पूर्ण वर्ष हुआ।
- 1.5 °C की सीमा एक अस्थायी उल्लंघन है, लेकिन दीर्घकालिक (20-30 वर्ष) उल्लंघन का अर्थ होगा पेरिस समझौता विफल होना।
- नीतिगत कार्यवाही की तात्कालिकता: तात्कालिकता के बावजूद, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 195 देशों में से 180 देशों ने अभी तक वर्ष 2031-2035 के लिये अपने अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत नहीं किये हैं।
- ये योजनाएँ पेरिस समझौते में निर्धारित 1.5°C की सीमा के भीतर रहने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- विश्व मौसम संगठन ने निर्णय लेने औरअनुकूलन प्रयासों को बढ़ावा देने के लिये निरंतर जलवायु निगरानी के महत्त्व पर बल दिया है।
विश्व मौसम विज्ञान संगठन
- विश्व मौसम संगठन एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसमें भारत सहित 192 सदस्य देश और क्षेत्र शामिल हैं।
- इसका विकास अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संगठन (IMO) से हुआ, जिसकी स्थापना वर्ष 1873 में वियना अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस के बाद हुई थी।
- वर्ष 1950 में, WMO कन्वेंशन के अनुसमर्थन के माध्यम से IMO औपचारिक रूप से विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) बन गया।
- यह मौसम विज्ञान (मौसम और जलवायु), परिचालन जल विज्ञान और संबंधित भू-भौतिकीय विज्ञान के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
- जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित इस सचिवालय का नेतृत्व महासचिव करते हैं और इसकी देख-रेख विश्व मौसम विज्ञान कॉन्ग्रेस द्वारा की जाती है।
- विश्व मौसम संगठन वैश्विक जलवायु की स्थिति, वैश्विक जल संसाधन की स्थिति और जलवायु सेवाओं की स्थिति जैसी रिपोर्टें प्रकाशित करता है।
ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के उद्देश्य से प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन/प्रोटोकॉल क्या हैं?
सम्मेलन/प्रोटोकॉल |
उद्देश्य |
क्योटो प्रोटोकॉल (1997) |
इसका उद्देश्य वैश्विक तापमान वृद्धि में योगदान देने वाली गैसों के उत्सर्जन को कम करना था। |
पेरिस समझौता (2015) |
वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व-औद्योगिक स्तर से 2°C से नीचे सीमित रखना तथा वृद्धि को 1.5°C तक सीमित रखने के प्रयास जारी रखना। |
ग्लासगो जलवायु समझौता (COP26) (2021) |
सदी के मध्य तक वैश्विक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन सुनिश्चित करना तथा तापमान वृद्धि को 1.5°C के भीतर रखना। |
शर्म अल-शेख योजना (COP27) (2022) |
कार्यान्वयन और जलवायु न्याय पर ध्यान केंद्रित किया गया; हानि एवं क्षति कोष की स्थापना की गई, अनुकूलन पर बल दिया गया तथा 1.5°C लक्ष्य को सुदृढ़ किया गया। |
ग्लोबल स्टॉकटेक (COP28) (2023) |
1.5°C के लक्ष्य की पुनः पुष्टि की गई; सरकारों ने इस लक्ष्य के अनुरूप वर्ष 2025 तक जलवायु संबंधी अपनी प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें सभी क्षेत्र एवं ग्रीनहाउस गैस शामिल है। |
और पढ़ें: वैश्विक जलवायु स्थिति रिपोर्ट 2024
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. 'वैश्विक जलवायु परिवर्तन गठबंधन' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मलेन (यू.एन.एफ.सी.सी.सी.) के सी.ओ.पी. के 26वें सत्र के प्रमुख परिणामों का वर्णन कीजिये। इस सम्मेलन में भारत द्वारा की गई वचनबद्धताएँ क्या हैं? (2021) प्रश्न. 'जलवायु परिवर्तन' एक वैश्विक समस्या है। भारत जलवायु परिवर्तन से किस प्रकार प्रभावित होगा? जलवायु परिवर्तन के द्वारा भारत के हिमालयी और समुद्रतटीय राज्य किस प्रकार प्रभावित होंगे? (2017) |
रैपिड फायर
इंटरपोल सिल्वर नोटिस
स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स
भारत ने आर्थिक भगोड़ों पर कार्रवाई करने के लिये परिसंपत्तियों का पता लगाने और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने हेतु हाल ही में शुरू की गई इंटरपोल सिल्वर नोटिस प्रणाली का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
- इंटरपोल सिल्वर नोटिस: इसे वर्ष 2025 में लॉन्च किया जाएगा, यह आपराधिक परिसंपत्तियों का पता लगाने और उन्हें बरामद करने, अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध से निपटने और अंतर्राष्ट्रीय पुलिस सहयोग को बढ़ाने में सहायता करती है।
- यह वर्तमान में 51 देशों को शामिल करते हुए पायलट चरण में है, जो नवंबर 2025 तक चलेगा। इस अवधि के दौरान, प्रत्येक देश अधिकतम नौ सिल्वर नोटिस का अनुरोध कर सकता है।
- भारत में, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) इंटरपोल से संबंधित मामलों के लिये भारत की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है। यह इंटरपोल से अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्राप्त करने के लिये सभी भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अनुरोधों का समन्वय करता है।
- CBI द्वारा विकसित भारतपोल, केंद्रीय और राज्य दोनों एजेंसियों को इंटरपोल डेटा तक वास्तविक समय में पहुँच प्रदान करता है। यह साइबर अपराध और तस्करी जैसे अंतर्राष्ट्रीय अपराधों के खिलाफ सहयोग को सुव्यवस्थित करता है तथा रेड नोटिस प्रक्रिया को सरल बनाता है।
- इंटरपोल कलर कोडेड नोटिस प्रणाली: इंटरपोल नोटिस 195 सदस्य देशों की पुलिस के बीच साझा किये गए सहयोग या अलर्ट के लिये अनुरोध है।
- इंटरपोल विभिन्न उद्देश्यों के लिये नौ कलर कोडेड नोटिस जारी करता है; इन्हें किसी देश के राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो (NCB) के अनुरोध पर इंटरपोल के महासचिव द्वारा जारी किया जाता है।
- यह अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायाधिकरणों और अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अनुरोध पर भी जारी किया जा सकता है, ताकि उनके अधिकार क्षेत्र में अपराध करने वाले व्यक्तियों, विशेषरूप से नरसंहार, युद्ध अपराध तथा मानवता के विरुद्ध अपराधों के लिये वांछित व्यक्तियों की तलाश की जा सके।
- इन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की ओर से अपने प्रतिबंधों को लागू करने के लिये भी जारी किया जा सकता है।
और पढ़ें: इंटरपोल के नोटिस
रैपिड फायर
DoP ने लॉन्च किये नए डिजिटल प्लेटफॉर्म
स्रोत: पी.आई.बी
डाक विभाग (DoP) ने दो डिजिटल प्लेटफॉर्म- ‘अपना डिजीपिन जानें’ और ‘अपना पिन कोड जानें’ लॉन्च किये, जो राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 के ढाँचे के तहत अपनी प्रणाली तथा भू-स्थानिक शासन को आधुनिक बनाने के भारत के प्रयासों में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
अपना डिजिपिन जानें (Know Your DIGIPIN):
- DIGIPIN (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर) एक ओपन-सोर्स, जियो-कोडेड, ग्रिड-आधारित डिजिटल एड्रेसिंग सिस्टम है, जिसे अक्षांश और देशांतर निर्देशांक का उपयोग करके सटीक स्थान की पहचान करने हेतु विकसित किया गया है।
- DIGIPIN पते को सटीक अक्षांश-देशांश निर्देशांकों से जोड़ता है, जिससे उच्च-रिज़ॉल्यूशन भू-स्थानिक पहचान संभव होती है।
- यह सुरक्षित और मानकीकृत डिजिटल पता समाधान प्रदान करके एड्रेस-एज़-ए-सर्विस (AaaS) को सुलभ बनाता है।
- यह लॉजिस्टिक्स, आपातकालीन प्रतिक्रिया और डिजिटल गवर्नेंस को बेहतर बनाने के लिये भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) उपकरणों को शामिल करता है।
- यह दूर-दराज़ और पिछड़े क्षेत्रों में डिजिटल पते तक पहुँच सुनिश्चित करता है।
अपना पिन कोड जानें (Know Your PIN Code):
- स्थान की सटीकता में सुधार के लिये पिन क्षेत्रों की जियो-फेंसिंग द्वारा 1.5 लाख से अधिक पिन कोड की सीमाओं को डिजिटल रूप से परिभाषित किया गया है।
- यह उपयोगकर्त्ताओं को रियल टाइम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लोकेशन डेटा का उपयोग करके सही पिन कोड खोजने में सक्षम बनाता है।
- इसमें पिन कोड डेटाबेस के निरंतर सुधार के लिये एक सार्वजनिक फीडबैक प्रणाली शामिल है।
- विशेषरूप से ई-कॉमर्स तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिये वितरण नेटवर्क, आपातकालीन सेवाओं और डाक रसद को बढ़ाता है।
और पढ़ें: राष्ट्रीय भू-स्थानिक नीति 2022 , डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना।
रैपिड फायर
मेघालय में गुफा मछली की खोज
स्रोत: द हिंदू
गुफा में रहने वाली मछली की एक नई प्रजाति, शिस्टुरा डेंसिक्लावा (Schistura densiclava), की खोज मेघालय (पूर्वी खासी हिल्स) में क्रेम मावजिम्बुइन गुफा में की गई है।
- परिचय: शिस्टुरा डेंसिक्लावा एक ट्रोग्लोफाइल प्रजाति (Troglophile Species) है, जिसका अर्थ है कि यह भूमिगत (Subterranea) और भूम्युपरिक (Epigean) दोनों प्रकार के आवासों में रह सकती है।
- यह नेमाचेइलिडे कुल से संबंधित है और मेघालय में दर्ज की गई छठी गुफा मछली प्रजाति है।
- निवास स्थान: यह क्रेम मावजिम्बुइन गुफा के 60 मीटर अंदर, एक शीतल, तीव्र धारा (18°C, कम ऑक्सीजन) में पाई जाती है।
- इस प्रजाति की उपस्थिति गुफा तक ही सीमित है, जो दर्शाता है कि यह इस गुफा प्रणाली (Cave System) के लिये स्थानिक है।
- अनुकूलन: पूर्णतः ब्लाइंड केव फिश के विपरीत, इनमें वर्णकता और दृष्टि विद्यमान रहती है।
- आकारिकी विज्ञान: यह हल्के पीले-हरे रंग की होती है, जिसमें 14-20 भूरे-काले रंग की पट्टियाँ, एक मोटी पृष्ठीय पट्टी (Densiclava) होती है तथा यह पतले नर (Slimmer Males) और मज़बूत मादाओं (Sturdier Females) के साथ यौन द्विरूपता प्रदर्शित करती है ।
- क्रेम मावजिम्बुइन (चूना पत्थर की गुफा) को कैल्शियमयुक्त बलुआ पत्थर से तराश कर बनाया गया है तथा यह खनिज-समृद्ध कैल्शियम कार्बोनेट से निर्मित सुंदर स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स से सुसज्जित है।
- गुफा के अंदर सिम्पर रॉक है, जो एक आकर्षक गुंबदाकार संरचना है तथा इसका शिखर असामान्य रूप से सपाट है।
और पढ़ें: मेघालय युग
रैपिड फायर
डार्क पैटर्न
स्रोत: द हिंदू
उपभोक्ता मामले विभाग (DOCA) ने उपभोक्ता व्यवहार में गलत तरीके से हेर-फेर करने के लिये भ्रामक “ डार्क पैटर्न ” का उपयोग करने हेतु विभिन्न ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी किया है और इसे अनुचित व्यापार व्यवहार कहा है।
डार्क पैटर्न
- डार्क पैटर्न: डार्क पैटर्न वेबसाइटों, ऐप्स या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्त्ता इंटरफेस (UI) और उपयोगकर्त्ता अनुभव (UX) में उपयोग की जाने वाली हेर-फेर करने वाली डिज़ाइन तकनीकें हैं, जिन्हें जानबूझकर उपभोक्ताओं को धोखा देने, गुमराह करने या उन कार्यों के लिये दबाव डालने हेतु तैयार किया जाता है, जिन्हें वे करने का उद्देश्य नहीं रखते हैं।
- ‘डार्क पैटर्न’ शब्द का प्रयोग वर्ष 2010 में उपयोगकर्त्ता अनुभव विशेषज्ञ हैरी ब्रिग्नुल द्वारा किया गया था।
- यह उपभोक्ता की स्वायत्तता, पारदर्शिता और निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों को कमज़ोर करते हुए व्यावसायिक हितों की पूर्ति के लिये उपयोगकर्त्ता के व्यवहार का शोषण करता है।
टिपिकल डार्क पैटर्न
डार्क पैटर्न का नाम |
विवरण |
उदाहरण |
झूठी आपातकालिता |
उपयोगकर्त्ता को तुरंत कार्रवाई करने के लिये भ्रमित करने हेतु झूठी तात्कालिकता या कमी बनाना |
रैंक बढ़ाना, फ्लैश सेल्स |
बास्केट स्नीकिंग |
बिना सहमति के टोकरी/बास्केट में अतिरिक्त वस्तुएँ या शुल्क जोड़ना |
छूट वाली वस्तुएँ जोड़ना, छिपे हुए शुल्क, दान, टिप्स |
भिन्न मूल्य निर्धारण |
उपयोगकर्त्ता के डिवाइस या स्थान के आधार पर एल्गोरिद्म द्वारा मूल्य तय करना |
फ्लाइट किराए, क्विक कॉमर्स ऐप्स |
कंफर्म शेमिंग (पुष्टि के लिये शर्मिंदा करना) |
उपयोगकर्त्ताओं को दोषी महसूस करा कर सहमति हेतु मजबूर करना |
सब्सक्रिप्शन अनुरोध, बाहर निकलने के संकेत |
इंटरफेस हस्तक्षेप |
उपयोगकर्त्ता इंटरफेस को इस तरह से बदलना जिससे विशेष जानकारी छिपे या उभरे |
अतिरिक्त शुल्क, सब्सक्रिप्शन फीस |
सब्सक्रिप्शन ट्रैप |
खाता हटाने या सदस्यता समाप्त करने की प्रक्रिया को बेहद कठिन या असंभव बनाना |
खाता हटाने के लिये बहु-चरणीय प्रक्रिया |
बलपूर्वक कार्रवाई |
उपयोगकर्त्ताओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करने हेतु मजबूर करना |
जबरन साइनअप, मोबाइल नंबर एकत्र करना |
बेट ऐंड स्विच |
एक उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करना लेकिन कुछ और देना प्रायः निम्न गुणवत्ता वाला |
नकली सामान, नकली तस्वीरें |
- संबंधित सरकारी उपाय: केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत डार्क पैटर्न पर अंकुश लगाने के लिये वर्ष 2023 में दिशा-निर्देश जारी किये।
- CCPA को ऐसी अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ स्वप्रेरणा से कार्रवाई करने में सक्षम बनाने के लिये जागो ग्राहक जागो और जागृति डैशबोर्ड जैसे ऐप लॉन्च किये गए।
और पढ़ें: डार्क पैटर्न, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019