रैपिड फायर
तीसरे बच्चे के लिये मातृत्व लाभ
- 30 May 2025
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
के. उमादेवी बनाम तमिलनाडु सरकार केस, 2022 में, सर्वोच्च न्यायालय ने मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के तहत एक महिला को उसके तीसरे बच्चे के लिये मातृत्व लाभ प्रदान किया और इसे एक संवैधानिक अधिकार कहा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने पुष्टि की कि स्वास्थ्य, सम्मान, गोपनीयता और गैर-भेदभाव का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग हैं।
- इसमें इस तर्क पर ज़ोर दिया गया कि प्रजनन अधिकार, अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का हिस्सा हैं, जिनमें स्वास्थ्य, समानता और सम्मान के अधिकार भी शामिल हैं।
- प्रजनन संबंधी विकल्पों का अधिकार अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत संरक्षित है, जैसा कि सुचिता श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन केस, 2009 में पुनः पुष्टि की गई है।
- मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017: मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, जिसे वर्ष 2017 में संशोधित किया गया, महिला कर्मचारियों को प्रसव से पहले और बाद में सवेतन मातृत्व अवकाश तथा संबंधित लाभ प्रदान करता है।
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 के अंतर्गत आने वाली महिलाओं को भी मातृत्व लाभ प्राप्त करने का अधिकार है।
- प्रयोज्यता: यह अधिनियम कारखानों, खदानों, बागानों, सरकारी प्रतिष्ठानों, दुकानों और 10 या अधिक कर्मचारियों वाले अन्य कार्यस्थलों पर लागू होता है।
- मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017: मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961, जिसे वर्ष 2017 में संशोधित किया गया, महिला कर्मचारियों को प्रसव से पहले और बाद में सवेतन मातृत्व अवकाश तथा संबंधित लाभ प्रदान करता है।
- मातृत्व अवकाश: महिलाओं को दो बच्चों तक के लिये 26 सप्ताह की सवेतन मातृत्व अवकाश का अधिकार है और दो से अधिक बच्चों की स्थिति में 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है अर्थात् यह अधिनियम दो से अधिक बच्चों वाली महिलाओं के लिये मातृत्व अवकाश पर प्रतिबंध नहीं लगाता; यह केवल बच्चों की संख्या के आधार पर अवकाश की अवधि को सीमित करता है।
और पढ़ें: मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017