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भारतीय अर्थव्यवस्था

विदेश व्यापार नीति 2023

  • 03 Apr 2023
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विदेश व्यापार नीति 2023 के प्रमुख घटक, पीएम-मित्र (MITRA)

मेन्स के लिये:

विदेश व्यापार नीति 2023, विगत व्यापार नीतियों के साथ तुलना। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री ने विदेश व्यापार नीति (FTP) 2023 लॉन्च की, जो 1 अप्रैल, 2023 से लागू हुई। 

  • FTP 2023 एक नीति दस्तावेज़ है जो निर्यात को सुगम बनाने वाली समय-परीक्षणित योजनाओं (Time-tested schemes facilitating exports) की निरंतरता  पर आधारित है, साथ ही यह एक ऐसा दस्तावेज़ है जो त्वरित व्यापार आवश्यकताओं के लिये उत्तरदायी है। 

FTP 2023 का विवरण: 

  • परिचय: 
    • यह नीति निर्यातकों के साथ विश्वास एवं साझेदारी के सिद्धांतों पर आधारित है और इसका उद्देश्य निर्यातकों को व्यापार करने में आसानी की सुविधा हेतु पुन: इंजीनियरिंग तथा स्वचालन (Re-Engineering and Automation) की प्रक्रिया से है। 
  • मुख्य दृष्टिकोण चार स्तंभों पर आधारित है: 
    • छूट के लिये प्रोत्साहन
    • सहयोग के माध्यम से निर्यात संवर्द्धन - निर्यातक, राज्य, ज़िले, भारतीय मिशन
    • व्यापार करने में सुगमता, लेन-देन की लागत में कमी और ई-पहल।
    • उभरते क्षेत्र- ई-कॉमर्स निर्यात हब के रूप में ज़िलों का विकास करना एवं विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी (SCOMET) नीति को सुव्यवस्थित करना।
  •  लक्ष्य: 
    • सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत के समग्र निर्यात को 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है, जिसमें वस्तु एवं सेवा क्षेत्रों का समान योगदान होगा।  
    • सरकार का लक्ष्य सीमा पार व्यापार में भारतीय मुद्रा के उपयोग को प्रोत्साहित करना भी है, जो जुलाई 2022 में RBI द्वारा पेश किये गए एक नए भुगतान निपटान ढाँचे से सहायता प्राप्त है। 
    • यह उन देशों के मामले में विशेष रूप से फायदेमंद हो सकता है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष की स्थिति में है। 

FTP 2023 की मुख्य या महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ: 

Salient-features

  • पुनः इंजीनियरिंग प्रक्रिया और स्वचालन:
    • यह नीति निर्यात संवर्द्धन और विकास को प्रोत्साहन आधारित व्यवस्था से एक ऐसी व्यवस्था में परिवर्तित करने पर बल देती है जो प्रौद्योगिकी इंटरफेस एवं सहयोग के सिद्धांतों के आधार पर सुविधा प्रदान करती है।
    • शुल्क संरचनाओं और IT-आधारित योजनाओं में कमी से MSME तथा अन्य के लिये निर्यात लाभ प्राप्त करना आसान हो जाएगा।  
    • निर्यात उत्पादन के लिये शुल्क छूट योजनाएँ अब क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से एक नियम-आधारित IT प्रणाली के वातावरण में कार्यान्वित की जाएंगी, जिससे मैन्युअल इंटरफेस की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी।
  • निर्यात उत्कृष्टता वाले शहर (TEE):
    • मौजूदा 39 शहरों के अलावा चार नए शहरों, अर्थात् फरीदाबाद, मिर्ज़ापुर, मुरादाबाद और वाराणसी को TEE के रूप में नामित किया गया है।
    • TEEs को MAI योजना के तहत निर्यात संवर्द्धन निधियों तक पहुँच प्राप्त होगी और वे निर्यात संवर्द्धन पूंजीगत वस्तु (EPCG) योजना के तहत निर्यात पूर्ति हेतु सामान्य सेवा प्रदाता (CSP) लाभ प्राप्त करने में सक्षम होंगे। 
  • निर्यातकों को मान्यता:
    • निर्यात प्रदर्शन के आधार पर 'स्थिति' के साथ मान्यता प्राप्त निर्यातक फर्में अब सर्वोत्तम प्रयास के आधार पर क्षमता निर्माण पहल में भागीदार होंगी। 
    • 'ईच वन टीच वन' (Each One Teach One) पहल के समान, 2-स्टार और उससे ऊपर की स्थिति धारकों को इच्छुक व्यक्तियों को एक मॉडल पाठ्यक्रम के आधार पर व्यापार से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा।  
    • स्थिति मान्यता मानदंडों को पुनः निर्धारित किया गया है ताकि अधिक निर्यातक फर्मों को 4 और 5-स्टार रेटिंग हासिल करने में सक्षम बनाया जा सके, जिससे निर्यात बाज़ारों में बेहतर ब्रांडिंग के अवसर पैदा हो सकें। 
  • ज़िलों से निर्यात को बढ़ावा देना:
    • FTP का उद्देश्य राज्य सरकारों के साथ साझेदारी का निर्माण करना और ज़िला स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देने तथा ज़मीनी स्तर पर व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में तेज़ी लाने हेतु ज़िलों को निर्यात हब (DEH) पहल के रूप में आगे ले जाना है। 
    • निर्यात योग्य उत्पादों एवं सेवाओं की पहचान करने और ज़िला स्तर पर समस्याओं को हल करने का प्रयास क्रमशः राज्य और ज़िला स्तर पर एक संस्थागत तंत्र - राज्य निर्यात प्रोत्साहन समिति और ज़िला निर्यात प्रोत्साहन समिति के माध्यम से किया जाएगा।
    • पहचान किये गए उत्पादों और सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु ज़िला विशिष्ट रणनीति को रेखांकित करते हुए प्रत्येक ज़िले के लिये ज़िला विशिष्ट निर्यात कार्ययोजना तैयार की जाएगी। 
  • SCOMET नीति को कारगर बनाना: 
    • भारत "निर्यात नियंत्रण" व्यवस्था पर अधिक ज़ोर दे रहा है क्योंकि निर्यात नियंत्रण व्यवस्था वाले देशों के साथ यह मज़बूत व्यापार एकीकरण सुनिश्चित कर रहा है।
    • SCOMET पर हितधारकों के बीच व्यापक पहुँच और समझ है, साथ ही भारत द्वारा की गई अंतर्राष्ट्रीय संधियों एवं समझौतों को लागू करने हेतु नीति व्यवस्था को और अधिक मज़बूत बनाया जा रहा है।
    • भारत में मज़बूत निर्यात नियंत्रण प्रणाली भारत से SCOMET के तहत नियंत्रित वस्तुओं/प्रौद्योगिकियों के निर्यात की सुविधा प्रदान करते हुए भारतीय निर्यातकों को दोहरे उपयोग वाली कीमती वस्तुओं और प्रौद्योगिकियों तक पहुँच प्रदान करेगी।  
  • ई-कॉमर्स निर्यात को सुगम बनाना: 
    • वर्ष 2030 तक ई-कॉमर्स क्षेत्र में निर्यात की संभावना 200 से 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर  के बीच होने का अनुमान है।
    • FTP 2023 में भुगतान समाधान, बहीखाता पद्धति, वापसी नीति और निर्यात पात्रता जैसे संबंधित घटकों के साथ-साथ ई-कॉमर्स केंद्र बनाने का लक्ष्य और रोडमैप शामिल है।
    • FTP 2023 में शुरुआती बिंदु के रूप में कूरियर-आधारित ई-कॉमर्स निर्यात हेतु खेप-आधारित सीमा को 5 लाख रुपए से बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दिया गया है।
    • निर्यातकों की प्रतिक्रिया के आधार पर इस सीमा को संशोधित किया जाएगा या अंततः हटा दिया जाएगा।
  • EPCG योजना के तहत सुविधा:
    • EPCG योजना जो निर्यात उत्पादन हेतु शून्य सीमा शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं के आयात की अनुमति देती है, को और अधिक युक्तिसंगत बनाया जा रहा है। शामिल  कुछ प्रमुख परिवर्तन हैं:
      • प्रधानमंत्री मेगा एकीकृत वस्त्र क्षेत्र और परिधान पार्क (Prime Minister Mega Integrated Textile Region and Apparel Park- PM MITRA) योजना को EPCG की सामान्य सेवा प्रदाता (Common Service Provider- CSP) योजना के तहत लाभ हेतु पात्र अतिरिक्त योजना के रूप में जोड़ा गया है।
      • डेयरी क्षेत्र को प्रौद्योगिकी के उन्नयन हेतु डेयरी क्षेत्र का सहयोग करने के लिये औसत निर्यात दायित्त्व बनाए रखने से छूट दी जाएगी। 
      • सभी प्रकार के बैटरी चालित इलेक्ट्रिक वाहन, वर्टिकल फार्मिंग उपकरण, अपशिष्ट जल उपचार और पुनर्चक्रण प्रणाली, वर्षा जल संचयन प्रणाली, वर्षा जल फिल्टर तथा  ग्रीन हाइड्रोजन को हरित प्रौद्योगिकी उत्पादों की सूची में जोड़ा गया है जो EPCG योजना के तहत अब कम निर्यात दायित्त्व आवश्यकता हेतु पात्र हैं। 
  • अग्रिम प्राधिकरण योजना के तहत सुविधा:
    • घरेलू टैरिफ क्षेत्र (DTA) इकाइयों द्वारा उपयोग की जाने वाली अग्रिम प्राधिकरण योजना निर्यात वस्तुओं के निर्माण के लिये कच्चे माल पर शुल्क मुक्त आयात की सुविधा प्रदान करती है और इसे EOU तथा SEZ योजना के समान स्तर पर रखा गया है।
    • निर्यात आदेशों के त्वरित निष्पादन की सुविधा के लिये स्व-घोषणा के आधार पर परिधान और वस्त्र क्षेत्र के निर्यात के लिये विशेष अग्रिम प्राधिकरण योजना का विस्तार किया गया।
    • इनपुट-आउटपुट मानदंड तय करने के लिये स्व-अनुमान योजना के लाभ वर्तमान में अधिकृत आर्थिक ऑपरेटरों के अतिरिक्त 2 स्टार और उससे अधिक की श्रेणी वाले धारकों के लिये विस्तारित किये गए हैं।
  • एमनेस्टी योजना: 
    • एमनेस्टी योजना के तहत पंजीकरण के लिये एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जाएगा और निर्यातकों को इस योजना का लाभ उठाने के लिये छह महीने की विंडो उपलब्ध होगी।
    • इसमें प्राधिकरणों के निर्यात दायित्त्व में चूक से संबंधित सभी लंबित मामले  शामिल होंगे, इन्हें अपूर्ण निर्यात दायित्त्व के अनुपात में छूट प्राप्त सभी सीमा शुल्क के भुगतान पर नियमित किया जा सकता है।

पिछली व्यापार नीति: 

  • वर्ष 2015-2020 के लिये विदेश व्यापार नीति में वर्ष 2020 तक 900 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात का लक्ष्य रखा गया था;
  • इस नीति और लक्ष्य को बढ़ाकर मार्च 2023 तक कर दिया गया था।
    • हालाँकि भारत द्वारा वर्ष 2021-22 के 676 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मुकाबले वर्ष 2022-23 की समाप्ति पर 760-770 बिलियन अमेरिकी डॉलर का कुल निर्यात किये जाने की संभावना है

स्रोत: पी.आई.बी.

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