ध्यान दें:

उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 30 May 2025
  • 0 min read
  • Switch Date:  
उत्तराखंड Switch to English

तपोवन से कुंजापुरी मंदिर तक रोपवे

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड सरकार ने तपोवन से कुंजापुरी देवी मंदिर तक रोपवे परियोजना के विकास के लिये एक स्विस रोपवे निर्माता के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। 

मुख्य बिंदु

  • रोपवे परियोजना के बारे में:
    • यह रोपवे ऋषिकेश के तपोवन को आध्यात्मिक स्थल नरेंद्रनगर के कुंजापुरी मंदिर से जोड़ेगा।
    • इसका उद्देश्य यात्रा के समय को कम करना, आगंतुकों की सुरक्षा को बढ़ाना तथा वाहनों के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान को न्यूनतम करना है।
  •  कुंजापुरी मंदिर
    • यह उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले में एक पहाड़ी पर समुद्र तल से 1,676 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
    • यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है और शिवालिक पर्वतमाला में स्थित 13 शक्तिपीठों में से एक है
    • यह मंदिर टिहरी ज़िले के तीन प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। सुरकंडा देवी और चंद्रबदनी के साथ मिलकर यह एक पवित्र त्रिकोण बनाता है, जिसकी स्थापना जगद्गुरु आदि शंकराचार्य ने की थी।
    • यह स्थल अपनी आध्यात्मिक महत्ता के साथ-साथ गढ़वाल हिमालय के मनोरम दृश्यों के लिये भी प्रसिद्ध है, जिनमें स्वर्गारोहिणी, गंगोत्री, बंदरपुंछ और चौखंभा जैसे शिखर शामिल हैं।
    • शिखर से दर्शक भागीरथी घाटी के साथ-साथ ऋषिकेश, हरिद्वार और दून घाटी जैसे नगरों का भी नयनाभिराम दृश्य देख सकते हैं।

राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम (पर्वतमाला)

  • इसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में परिवहन संपर्क में सुधार के लिये शुरू किया गया था।
  • पर्वतमाला योजना का उद्देश्य आधुनिक, पर्यावरण अनुकूल रोपवे प्रणाली का निर्माण कर दूरदराज़ और सीमावर्ती गाँवों को मज़बूत बनाना है।
  • उत्तराखंड में स्वीकृत प्रमुख परियोजनाएँ:
    • गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब रोपवे।
    • सोनप्रयाग से केदारनाथ रोपवे।
    • नोट: दोनों परियोजनाएँ पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत डिज़ाइन-बिल्ड-फाइनेंस-ऑपरेट-ट्रांसफर (DBFOT) पद्धति से संचालित हैं।
  • रोपवे के लाभ:
    • कठिन पर्वतीय रास्तों की तुलना में सुगम और सुरक्षित विकल्प
    • भूगोलिक बाधाओं को पार करते हुए तीव्र यात्रा
    • न्यूनतम भूमि उपयोग और उत्सर्जन के साथ पर्यावरण के अनुकूल।
    • कम रखरखाव और श्रम लागत के साथ किफायती।।
    • अंतिम मील कनेक्टिविटी और भीड़भाड़ वाली यातायात प्रणाली का समर्थन।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड का विकसित कृषि संकल्प अभियान

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 29 मई 2025 को देहरादून के गुनियाल गाँव में "विकसित कृषि संकल्प अभियान" की शुरुआत की।

मुख्य बिंदु

  • अभियान के बारे में: 
    • 29 मई से 12 जून 2025 तक संचालित होने वाले इस अभियान में उत्तराखंड के 95 विकास खंड, 670 न्याय पंचायतें और 11,440 गाँव शामिल होंगे।
    • राज्य ने प्रत्येक ज़िले में तीन टीमें गठित की हैं, जो प्रतिदिन तीन स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं तथा प्रत्येक कार्यक्रम में 600 से अधिक किसानों को शामिल कर रही हैं।
  • उद्देश्य:
    • किसानों को वैज्ञानिक ज्ञान, आधुनिक कृषि पद्धतियाँ तथा सरकारी योजनाओं के प्रति जागरूकता के माध्यम से सशक्त बनाना।
    • किसानों को उनकी मिट्टी, भूमि एवं जलवायु परिस्थितियों के अनुसार उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने में सहायता करना।
    • मिट्टी परीक्षणवैज्ञानिक मार्गदर्शन के आधार पर लाभकारी फसलों के चयन में किसानों को प्रशिक्षण देना।
    • किसानों के परंपरागत ज्ञान एवं नवाचारों का दस्तावेज़ीकरण करना, ताकि भविष्य का कृषि अनुसंधान अधिक व्यावहारिक एवं स्थानीय संदर्भों के अनुरूप बनाया जा सके।

सरकारी सहायता योजनाएँ

  • राज्य सरकार की योजनाएँ:
    • उत्तराखंड सरकार किसानों को 3 लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करा रही है।
    • फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से कृषि मशीनरी की खरीद पर 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है।
    • किसानों को गेहूँ खरीद पर 20 रुपए प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान किया जा रहा है।
    • गन्ने का मूल्य 20 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया है।
    • राज्य में किसानों के लिये नहर सिंचाई पूरी तरह मुफ्त कर दी गई है।
  • उत्तराखंड में विशेष कृषि पहल:
    • जैविक एवं सुगंधित खेती:
      • राज्य धौलादेवी, मुनस्यारी और बेतालघाट में चाय बागानों को जैविक चाय उत्पादक क्षेत्रों में परिवर्तित कर रहा है।
      • उच्च मूल्य वाली सुगंधित फसलों को बढ़ावा देने के लिये वर्तमान में छह सुगंध घाटियों का विकास किया जा है।
  • बजटीय एवं परियोजना आवंटन:
    • बजट 2025 में पॉलीहाउस के निर्माण के लिये विशेष रूप से 200 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
    • पहाड़ी और वर्षा आधारित क्षेत्रों में खेती को बढ़ावा देने के लिये उत्तराखंड जलवायु अनुकूल वर्षा आधारित खेती परियोजना नामक 1,000 करोड़ रुपए की परियोजना को मंजूरी दी गई है।
  • नई फसल नीतियाँ:
    • राज्य ने एप्पल नीति, कीवी नीति, राज्य मिलेट मिशन और ड्रैगन फ्रूट नीति जैसे कई नए प्रयास शुरू किये हैं।
    • इन नीतियों को बागवानी क्षेत्र में विविधता लाने और उसे मज़बूत बनाने के लिये 1,200 करोड़ रुपए के कुल निवेश द्वारा समर्थित किया गया है।
  • केंद्र सरकार की पहलें:


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड मेगा औद्योगिक एवं निवेश नीति 2025

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मेगा औद्योगिक और निवेश नीति 2025 को मंजूरी दे दी है।

मुख्य बिंदु

  • नीति के बारे में: 
    • इसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूंजी निवेश के लिये उत्तराखंड को एक प्रतिस्पर्द्धी गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिये पेश किया गया है।
    • इसका उद्देश्य राज्य की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देना तथा बड़े पैमाने पर विनिर्माण उद्यमों को बढ़ावा देकर अतिरिक्त रोज़गार के अवसर सृजित करना है।
  • पॉलिसी अवधि और पात्रता:
    • यह नीति पाँच वर्षों तक लागू रहेगी।
    • लाभ के लिये आवेदन करने वाले उद्यमों को सिंगल विंडो पोर्टल के माध्यम से एक सामान्य आवेदन प्रपत्र (CAF) प्रस्तुत करना होगा।
    • वित्तीय प्रोत्साहन उद्यम की निवेश श्रेणी के आधार पर दिया जाएगा।
    • निवेश पूरा करने का समय CAF आवेदन की तारीख से 3 से 7 वर्षों के भीतर निर्धारित है।
  • उद्यमों का वर्गीकरण:
    • बड़े उद्यमों को स्थायी पूंजी निवेश (भूमि को छोड़कर) और न्यूनतम रोज़गार मानदंड के आधार पर चार श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

वर्ग

निवेश सीमा (रुपए)

न्यूनतम रोज़गार आवश्यक

लार्ज

50 करोड़ से 200 करोड़

50

अल्ट्रा लार्ज

200 करोड़ से 500 करोड़

150

मेगा

500 करोड़ से 1000 करोड़

300

अल्ट्रा मेगा

1000 करोड़ से अधिक

500

वित्तीय प्रोत्साहन:

  • स्टांप ड्यूटी प्रतिपूर्ति: भूमि खरीद/लीज डीड पर चुकाई गई स्टांप ड्यूटी का 50% तक प्रतिपूर्ति, अधिकतम ₹50 लाख तक।
  • पूंजी सब्सिडी: निवेश श्रेणी के अनुसार, वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के बाद वार्षिक किश्तों में देय।
    • लार्ज: निवेश का 10% 8 वर्षों के बाद
    • अल्ट्रा लार्ज: निवेश का 12% 10 वर्षों के बाद
    • मेगा: निवेश का 15% 12 वर्षों के बाद
    • अल्ट्रा मेगा: निवेश का 20% 15 वर्षों के बाद
  • पहाड़ी क्षेत्रों के लिये अतिरिक्त सब्सिडी:
    • श्रेणी A ज़िलों: पूंजी सब्सिडी में अतिरिक्त 2%
    • श्रेणी B ज़िलों: पूंजी सब्सिडी में अतिरिक्त 1%


close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2