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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 29 May 2025
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उत्तराखंड में सांस्कृतिक विरासत और विकास को बढ़ावा

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने हाल ही में 'अहिल्या स्मृति मैराथन- एक विरासत, एक संकल्प' तथा प्रथम गज घंटाकर्ण महोत्सव-2025 का उद्घाटन किया, जिसमें राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत पर ज़ोर देते हुए इसे चल रही विकासात्मक पहलों से जोड़ा गया।

मुख्य बिंदु

  • अहिल्या स्मृति मैराथन:
    • यह मैराथन देहरादून में विरासत थीम पर आधारित कार्यक्रम के तहत आयोजित की गई थी।
    • इस आयोजन का विषय, एक विरासत-एक संकल्प, का उद्देश्य उत्तराखंड में स्वास्थ्य, एकता और सांस्कृतिक गौरव के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना है।
    • इस पहल का उद्देश्य प्रतिभागियों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता, सामाजिक सद्भाव और सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देना था।
  • गज घंटाकर्ण महोत्सव-2025:
    • यह महोत्सव टिहरी ज़िले के गज घण्टाकर्ण मंदिर के परिसर को केंद्र बनाकर आयोजित किया गया, जिसे उत्तराखंड का एक महत्त्वपूर्ण पौराणिक स्थल माना जाता है।
    • यह मंदिर पारंपरिक रूप से बद्रीनाथ धाम की यात्रा के बाद दूसरी परिक्रमा स्थली के रूप में जाना जाता है।
    • मंदिर से हरिद्वार से लेकर हिमालयी पर्वतमालाओं तक के विहंगम दृश्य दिखाई देते हैं, जिससे यह स्थान आध्यात्मिक और पार्यावरणीय पर्यटन (eco-tourism) के लिये आदर्श स्थल बन जाता है।
    • सांस्कृतिक योगदान:
      • इस महोत्सव की शुरुआत क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के लिये की गई थी।
      • इसका उद्देश्य पारंपरिक गतिविधियों और समारोहों के माध्यम से सांस्कृतिक पर्यटन और सामुदायिक भागीदारी को बढ़ाना था।
      • इस तरह के आयोजन अमूर्त विरासत को बनाए रखने और स्थानीय समुदायों में पहचान की भावना को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • ये प्रयास 2047 तक विकसित उत्तराखंड और भारत के व्यापक दृष्टिकोण से जुड़े हैं, जो प्रधानमंत्री के अमृतकाल विज़न के अनुरूप हैं।

    • सरकार गज में पॉलिटेक्निक संस्थान, हेंवलघाटी पंपिंग पेयजल योजना आदि  सहित बुनियादी ढाँचे और सामाजिक विकास परियोजनाओं पर सक्रिय रूप से काम कर रही है।

    • एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) जैसी पहलों के माध्यम से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता और कौशल विकास पर सरकार के लक्ष्य को दर्शाता है।

एक ज़िला एक उत्पाद (ODOP) योजना:

  • ODOP पहल का उद्देश्य भारत के 761 ज़िलों में से प्रत्येक के एक विशिष्ट उत्पाद की पहचान कर उसे प्रोत्साहित करना है, ताकि संतुलित क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
  • अब तक कुल 1,102 उत्पादों का चयन किया जा चुका है, जिनमें स्थानीय विशेषताओं पर केंद्रित वस्तुएँ शामिल हैं, जैसे कि भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्राप्त उत्पाद तथा ज़िला निर्यात केंद्र (DEH) पहल के अंतर्गत चयनित वस्तुएँ।
  • उत्तराखंड के GI टैग प्राप्त उत्पादों में शामिल हैं– लाल चावल, अल्मोड़ा की लखोरी मिर्च, बेरीनाग चाय, रामनगर (नैनीताल) की लीची, रामगढ़ का आड़ू, बासमती चावल आदि।
  • इन उत्पादों का चयन राज्यों और केंद्र\शासित प्रदेशों द्वारा किया जाता है तथा यह प्रक्रिया औद्योगिक संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) के समन्वय से पूरी की जाती है।


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