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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत का चाय उद्योग

  • 12 Nov 2022
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चाय, भारतीय चाय उद्योग, भौगोलिक संकेत (GI) टैग, दार्जिलिंग चाय, भारतीय चाय बोर्ड, एक ज़िला और एक उत्पाद (ODOP) योजना, चाय संवर्द्धन एवं विकास योजना, चाय सहयोग मोबाइल एप।

मेन्स के लिये:

भारतीय चाय उद्योग की स्थिति और संबंधित सरकारी पहलें।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय मंत्री ने भारतीय चाय संघ (ITA) के अंतर्राष्ट्रीय लघु चाय उत्पादक सम्मेलन को संबोधित किया।

  • वर्ष 1881 में स्थापित भारतीय चाय संघ (ITA) भारत में चाय उत्पादकों का प्रमुख और सबसे पुराना संगठन है। इसने नीतियाँ बनाने और उद्योग की वृद्धि एवं विकास के लिये कार्रवाई शुरू करने की दिशा में एक बहुआयामी भूमिका निभाई है।

भारतीय चाय उद्योग की स्थिति:

  • उत्पादन:
    • भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चाय उत्पादक है
    • भारत का उत्तरी भाग 2021-22 में देश के वार्षिक चाय उत्पादन का लगभग 83% के साथ सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसमें अधिकांश उत्पादन असम में होता है तथा उसके बाद पश्चिम बंगाल का स्थान है।
      • असम घाटी और कछार असम के दो चाय उत्पादक क्षेत्र हैं।
      • पश्चिम बंगाल में डुआर्स, तराई और दार्जिलिंग तीन प्रमुख चाय उत्पादक क्षेत्र हैं।
      • भारत का दक्षिणी भाग देश के कुल उत्पादन का लगभग 17% उत्पादन करता है, जिसमें प्रमुख उत्पादक राज्य तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक हैं।
      • वित्त वर्ष 2020-21 के लिये भारत का कुल चाय उत्पादन 1,283 मिलियन किलोग्राम था।
    • खपत:
      • भारत दुनिया के शीर्ष चाय खपत करने वाले देशों में से एक है, जहाँ देश में उत्पादित चाय का 80% घरेलू आबादी द्वारा उपभोग किया जाता है।
        • भारत का दक्षिणी भाग देश के कुल उत्पादन का लगभग 17% उत्पादन करता है, जिसमें प्रमुख उत्पादक राज्य तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक हैं।
        • वित्त वर्ष 2020-21 में भारत का कुल चाय उत्पादन 1,283 मिलियन किलोग्राम था।
    • निर्यात:
      • भारत दुनिया के शीर्ष 5 चाय निर्यातकों में से एक है, जो कुल निर्यात का लगभग 10% निर्यात करता है।
      • वर्ष 2021 में भारत से चाय निर्यात का कुल मूल्य लगभग9 मिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • भारत दुनिया भर के 25 से अधिक देशों में चाय का निर्यात करता है।
      • रूस, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और चीन जैसे देश भारत से चाय के सबसे बड़े आयातकों में से हैं।
    • वर्ष 2021-22 के दौरान भारत का कुल चाय निर्यात मात्रा में 201 मिलियन किलोग्राम था।
    • भारत से निर्यात की जाने वाली अधिकांश चाय काली चाय है जो कुल निर्यात का लगभग 96% है।
      • भारत के माध्यम से निर्यात की जाने वाली चाय के प्रकार हैं: काली चाय, नियमित चाय, हरी चाय, हर्बल चाय, मसाला चाय और नींबू चाय।
        • इनमें से काली चाय, नियमित चाय और हरी चाय भारत से निर्यात की जाने वाली कुल चाय का लगभग 80%, 16% और5% है।
      • भारत की असम, दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय को दुनिया में बेहतरीन चाय में से एक माना जाता है।
        • मज़बूत भौगोलिक संकेतों, चाय प्रसंस्करण इकाइयों में भारी निवेश, निरंतर नवाचार, संवर्द्धित उत्पाद मिश्रण और रणनीतिक बाज़ार विस्तार के परिणामस्वरूप भारतीय चाय दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक है।
  • भौगोलिक संकेत (GI) टैग:
    • दार्जिलिंग चाय जिसे "चाय की शैंपेन" के रूप में भी जाना जाता है, इसकी आकर्षक खुशबू के कारण दुनिया भर में पहला GI टैग उत्पाद था।
    • दार्जिलिंग चाय के अन्य दो प्रकार यानी ग्रीन और व्हाइट टी (सफ़ेद चाय) में भी GI टैग है।
  • उद्योग का विनियमन:
    • भारतीय चाय बोर्ड भारत में चाय उद्योग के विकास और संवर्द्धन का प्रभारी है।

भारतीय चाय बोर्ड:

  • परिचय:
    • यह वाणिज्य मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है जिसे 1953 में भारत में चाय उद्योग के विकास के लिये स्थापित किया गया था। इसने 1954 में काम करना शुरू किया।
  • दृष्टिकोण:
    • इसका दृष्टिकोण और मिशन देश को दुनिया भर में चाय का एक प्रमुख उत्पाद बनाना है जिसके लिये इसने कई कार्यक्रम और योजनाएं स्थापित की हैं।
  • सदस्य:
    • बोर्ड का गठन संसद सदस्यों, चाय उत्पादकों, चाय व्यापारियों, चाय दलालों, उपभोक्ताओं और प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधियों तथा ट्रेड यूनियनों के 31 सदस्यों (अध्यक्ष सहित) से किया जाता है।
    • बोर्ड का हर तीन साल में पुनर्गठन किया जाता है।
  • भारत में कार्यालय:
    • बोर्ड का मुख्यालय कोलकाता में स्थित है और पूरे भारत में 17 अन्य कार्यालय हैं।
  • विदेश कार्यालय:
    • वर्तमान में चाय बोर्ड के दुबई और मॉस्को में स्थित दो विदेशी कार्यालय हैं।

भारतीय चाय बोर्ड की पहल:

  • भारतीय मूल की पैकेज़्ड चाय को बढ़ावा:
    • यह योजना संवर्द्धनात्मक अभियानों में लागत प्रतिपूर्ति का 25% तक, अंतर्राष्ट्रीय विभागीय स्टोर, उत्पाद साहित्य और वेबसाइट विकास में प्रदर्शन, तथा निरीक्षण शुल्क की प्रतिपूर्ति में 25% तक सहायता प्रदान करती है।
  • घरेलू निर्यातकों के लिये सब्सिडी:
    • चाय बोर्ड घरेलू निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय मेलों और प्रदर्शनियों में भाग लेने के लिये सब्सिडी भी प्रदान करता है।
  • चाय विकास और संवर्द्धन योजना:
    • यह योजना 2021-26 की अवधि के लिये भारतीय चाय बोर्ड द्वारा नवंबर 2021 में शुरू की गई थी।
    • इस योजना का उद्देश्य भारत में उत्पादन की उत्पादकता और गुणवत्ता को बढ़ाना है।
  • इस योजना के सात महत्त्वपूर्ण घटक हैं:
    • छोटे किसानों के चाय रोपण को बढ़ावा
    • पूर्वोत्तर भारत के लिये क्षेत्र विशिष्ट कार्य योजना का सृजन
    • बाज़ार संवर्द्धन गतिविधियों में चाय उत्पादकों और व्यापारियों का समर्थन करना
    • श्रमिकों का कल्याण
    • अनुसंधान और विकास गतिविधियाँ
    • नियामकीय सुधार
    • स्थापना का खर्च
    • ऑनलाइन लाइसेंसिंग प्रणाली (3 प्रकार के लाइसेंस अर्थात् निर्यातक लाइसेंस, चाय अपशिष्ट लाइसेंस और चाय गोदाम लाइसेंस का स्वत:-नवीकरण)
  • चाय सहयोग मोबाइल एप:
    • यह छोटे चाय उत्पादकों के विभिन्न मुद्दों को संबोधित करता है।

चाय:

  • परिचय:
    • चाय कैमेलिया साइनेंसिस के पौधे से बना एक पेय है। पानी के बाद यह दुनिया का सबसे ज़्यादा पिया जाने वाला पेय है।
  • उत्पत्ति:
    • ऐसा माना जाता है कि चाय की उत्पत्ति उत्तर-पूर्वी भारत, उत्तरी म्याँमार और दक्षिण-पश्चिम चीन में हुई थी, लेकिन यह निश्चित नहीं किया जा सका है कि इनमें से वास्तव में यह पहली बार कहाँ पाई गई थी। इस बात के प्रमाण हैं कि 5,000 साल पहले चीन में चाय का सेवन किया जाता था।
  • विकास की आवश्यक दशाएँ:
    • जलवायु: चाय एक उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय पौधा है तथा गर्म एवं आर्द्र जलवायु में इसकी पैदावार अच्छी होती है।
    • तापमान: इसकी वृद्धि हेतु आदर्श तापमान 20-30°C होता है तथा 35°C से ऊपर और 10°C से नीचे का तापमान इसके लिये हानिकारक होता है।
    • वर्षा: इसके लिये पूरे वर्ष समान रूप से वितरित 150-300 सेमी. वार्षिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
    • मिट्टी: चाय की खेती के लिये सबसे उपयुक्त छिद्रयुक्त अम्लीय मृदा (कैल्शियम के बिना) होती है, जिसमें जल आसानी से प्रवेश कर सके।
  • महत्त्व:
    • चाय उद्योग सबसे महत्त्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है, जो कुछ सबसे गरीब देशों के लिये आय और निर्यात राजस्व का एक मुख्य स्रोत है तथा श्रम प्रधान क्षेत्र के रूप में, विशेष रूप से दूरस्थ एवं आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में रोज़गार प्रदान करता है।
      • चाय उत्पादन और प्रसंस्करण सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) में योगदान देता है जिसमें अत्यधिक गरीबी को कम करना (लक्ष्य 1), भूख के खिलाफ लड़ाई (लक्ष्य 2), महिलाओं का सशक्तीकरण (लक्ष्य 5) और स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र का सतत् उपयोग (लक्ष्य 15) शामिल है।
    • कई समाजों में इसका सांस्कृतिक महत्त्व भी है।
  • स्वास्थ्य लाभ:
    • उत्तेजक विरोधी, एंटीऑक्सिडेंट और वज़न घटाने के प्रभावों के कारण चाय का सेवन स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस:
    • यह दिसंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित किये जाने के बाद से प्रत्येक वर्ष 21 मई को मनाया जाता है।

भारतीय चाय उद्योग के विकास को प्रोत्साहन:

  • एक ज़िला और एक उत्पाद (ODOP) योजना भारतीय चाय की प्रतिष्ठा फैलाने में मदद कर सकती है।
  • चाय क्षेत्र को लाभदायक, व्यवहार्य और टिकाऊ बनाने के लिये चाय की 'सुगंध'(AROMA) को बढ़ाया जाना चाहिये:
    • समर्थन: स्थिरता के साथ गुणवत्ता में सुधार के लिये छोटे उत्पादकों का समर्थन करना, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मांग को पूरा करने के लिये उत्पादन बढ़ाना।
    • पुन: सक्रियता: निर्यात बढ़ाने के लिये बुनियादी ढाँचा तैयार करना और यूरोपीय संघ, कनाडा, दक्षिण अमेरिका तथा मध्यपूर्व जैसे उच्च मूल्य वाले बाज़ारों पर ध्यान केंद्रित करना।
    • जैविक: बॉण्ड प्रचार और विपणन के माध्यम से जैविक और जीआई चाय का प्रचार करना।
    • आधुनिकीकरण: चाय किसानों को आत्मनिर्भर बनने और स्थानीय आपूर्ति शृंखला को मज़बूत करने में सक्षम बनाना।
    • अनुकूलनशीलता: एक जोखिम मुक्त पारिस्थितिकी तंत्र के महत्त्व यानी चाय बागानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिये स्थायी समाधान की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करना।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:  

प्रश्न: भारत में ‘‘चाय बोर्ड’’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. चाय बोर्ड सांविधिक निकाय है।
  2. यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न नियामक निकाय है।
  3. चाय बोर्ड का प्रधान कार्यालय बंगलूरु में स्थित है।
  4. इस बोर्ड के दुबई और मॉस्को में विदेश स्थितकार्यालय हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3 और 4         
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • चाय बोर्ड केंद्र सरकार के एक सांविधिक निकाय के रूप में कार्य कर रहा है। अतः कथन 1 सही है।
  • यह वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आता है। अतः कथन 2 सही नहीं है।
  • बोर्ड का गठन 31 सदस्यों (अध्यक्ष सहित) से होता है, जो संसद सदस्यों, चाय उत्पादकों, चाय व्यापारियों, चाय दलालों, उपभोक्ताओं और प्रमुख चाय उत्पादक राज्यों की सरकारों के प्रतिनिधियों एवं ट्रेड यूनियनों में से चुने जाते हैं। प्रत्येक तीन वर्ष में बोर्ड का पुनर्गठन किया जाता है।
  • विदेशों में कार्यालय: वर्तमान में चाय बोर्ड के दो विदेशी कार्यालय (दुबई और मॉस्को में) हैं। बोर्ड के इन सभी विदेशी कार्यालयों को भारतीय चाय के निर्यात को बढ़ावा देने हेतु विभिन्न प्रचार उपायों के लिये डिज़ाइन किया गया है। ये कार्यालय संबंधित क्षेत्रों में भारतीय चाय के आयातकों के साथ-साथ भारतीय निर्यातकों के बीच बातचीत के लिये एक संपर्क कार्यालय के रूप में भी कार्य करते हैं। अतः कथन 4 सही है।
  • इसका मुख्यालय कोलकाता में स्थित है। अतः कथन 3 सही नहीं है।

प्रश्न. निम्नलिखित राज्यों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. आंध्र प्रदेश
  2. केरल
  3. हिमाचल प्रदेश
  4. त्रिपुरा

उपर्युक्त में से कितने सामान्यतः चाय उत्पादक राज्यों के रूप में जाने जाते हैं?

(a) केवल एक राज्य
(b) केवल दो राज्य
(c) केवल तीन राज्य
(d) सभी चार राज्य

उत्तर: C

व्याख्या:

  • भारतीय चाय बोर्ड की वार्षिक रिपोर्ट 2019-2020 के अनुसार, आमतौर पर ज्ञात चाय उत्पादक राज्य असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, हिमाचल प्रदेश हैं।

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अतः विकल्प C सही है।


प्रश्न. ब्रिटिश बागान मालिकों ने असम से हिमाचल प्रदेश तक शिवालिक और लघु हिमालय के चारों ओर चाय बागान विकसित किये थे, जबकि वास्तव में वे दार्जिलिंग क्षेत्र से आगे सफल नहीं हुए। चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014)

स्रोत: पी.आई.बी.

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