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कृषि

एकीकृत बागवानी विकास मिशन

  • 15 May 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) ने वर्ष 2021-22 के लिये 'एकीकृत बागवानी विकास मिशन' (Mission for Integrated Development of Horticulture- MIDH) हेतु 2250 करोड़ रुपए आवंटित किये हैं।

  • बागवानी कृषि (Horticulture) सामान्यतः फलों, सब्जियों और सजावटी पौधों से संबंधित है। एम.एच. मैरीगौड़ा को भारतीय बागवानी का जनक कहा जाता है।

प्रमुख बिंदु

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के विषय में:

  • यह फल, सब्जी, मशरूम, मसालों, फूल, सुगंधित पौधों, नारियल, काजू, कोको, बाँस आदि बागवानी क्षेत्र के फसलों के समग्र विकास हेतु एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
  • नोडल मंत्रालय: इस योजना को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय वर्ष 2014-15 से लगातार कार्यान्वित कर रहा है।
    • इसे हरित क्रांति-कृषोन्‍नति योजना (Green Revolution - Krishonnati Yojana) के तहत लागू किया गया है।
  • फंडिंग पैटर्न: इस योजना के तहत भारत सरकार पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में विकास कार्यक्रमों के कुल परिव्यय का 60% योगदान करती है, जिसमें 40% हिस्सा राज्य सरकारों द्वारा दिया जाता है।
    • भारत सरकार उत्तर-पूर्वी राज्यों और हिमालयी राज्यों के मामले में 90% योगदान करती है।

Minister-of-Agriculture

एमआईडीएच के अंतर्गत उप-योजनाएँ:

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन:
    • इसे राज्य बागवानी मिशन (State Horticulture Mission) द्वारा 18 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों के चयनित ज़िलों में लागू किया जा रहा है।
  • पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिये बागवानी मिशन:
    • इस योजना को पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में बागवानी के समग्र विकास के लिये लागू किया जा रहा है।
  • राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड:
    • यह बोर्ड सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एमआईडीएच के तहत विभिन्न योजनाओं को लागू कर रहा है।
  • नारियल विकास बोर्ड:
    • यह बोर्ड देश के सभी नारियल उत्पादक राज्यों में एमआईडीएच के तहत विभिन्न योजनाओं को लागू कर रहा है।
  • केंद्रीय बागवानी संस्थान:
    • इस संस्थान की स्थापना वर्ष 2006-07 में मेडी ज़िप हिमा (Medi Zip Hima), नगालैंड में की गई थी ताकि पूर्वोत्तर क्षेत्र में किसानों और खेतिहर मज़दूरों के क्षमता निर्माण तथा प्रशिक्षण के माध्यम से उन्हें तकनीकी ज्ञान प्रदान किया जा सके।

एमआईडीएच की उपलब्धियाँ:

  • भारत में वर्ष 2019-20 के दौरान अब तक का सबसे अधिक 320.77 मिलियन टन बागवानी उत्पादन दर्ज किया गया था।
  • एमआईडीएच ने बागवानी फसलों के क्षेत्र को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • वर्ष 2014-15 से वर्ष 2019-20 के दौरान क्षेत्र और उत्पादन में क्रमशः 9% और 14% की वृद्धि हुई है।
  • इसने कृषि भूमि की उपज और उत्पादकता की गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • एमआईडीएच के लागू होने से भारत न केवल बागवानी क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि इसने भूख, अच्छा स्वास्थ्य और देखभाल, गरीबी में कमी, लैंगिक समानता जैसे सतत् विकास लक्ष्यों को हासिल करने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

चुनौतियाँ:

  • बागवानी क्षेत्र फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान और प्रबंधन एवं सप्लाई चैन के बुनियादी ढाँचे के बीच मौजूद अंतर की वजह से अभी भी काफी चुनौतियों का सामना कर रहा है।

आगे की राह

  • भारतीय बागवानी क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाने की संभावनाएँ काफी ज़्यादा हैं, जो वर्ष 2050 तक देश के 650 मिलियन मीट्रिक टन फलों और सब्जियों की अनुमानित मांग को पूरा करने के लिये ज़रूरी है।
  • इस दिशा में किये जाने वाले प्रयासों में सामग्री उत्पादन की रोपाई पर ध्यान केंद्रित करना, क्लस्टर विकास कार्यक्रम, कृषि अवसंरचना कोष (Agri Infra Fund) के माध्यम से ऋण मुहैया कराना, किसान उत्पादक संगठन (Farmers Producer Organisation) के गठन और विकास आदि शामिल हैं।

स्रोत: पी.आई.बी.

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