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इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक का 8वाँ स्थापना दिवस
चर्चा में क्यों?
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने 1 सितंबर 2025 को अपना 8वाँ स्थापना दिवस मनाया और समावेशी तथा सुलभ बैंकिंग सेवाएँ अंतिम छोर तक पहुँचाने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
मुख्य बिंदु
- IPPB के बारे में:
- इसकी स्थापना वर्ष 2018 में डाक विभाग के अधीन एक सरकारी पहल के रूप में की गई थी।
- इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करना और डिजिटल इंडिया अभियान को आगे बढ़ाना है।
- क्षेत्र
- IPPB के पास 1.64 लाख से अधिक डाकघर तथा 1.90 लाख डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक (GDS) कार्यरत हैं।
- यह 12 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान करता है, अरबों डिजिटल लेन-देन संपन्न करता है तथा ग्रामीण, अर्द्ध-शहरी और दूरस्थ क्षेत्रों में घर-घर बैंकिंग उपलब्ध कराता है।
- उद्देश्य
- प्रत्येक भारतीय को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना और आर्थिक आत्मनिर्भरता की राह प्रशस्त करना।
- अंतिम छोर तक बैंकिंग सेवाएँ पहुँचाना ताकि ग्रामीण एवं वंचित आबादी भी वित्तीय रूप से समावेशित हो सके
- सेवाएँ:
- IPPB ने अपनी सेवाओं का विस्तार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) वितरण, पेंशन भुगतान, ऋण सुविधा, बीमा और निवेश उत्पादों तक किया है, जो विभिन्न संस्थानों के सहयोग से उपलब्ध कराए जाते हैं।
- नई सेवाओं में डिजी स्मार्ट डिजिटल सेविंग्स अकाउंट, प्रीमियम आरोग्य सेविंग्स अकाउंट, आधार-आधारित चेहरा प्रमाणीकरण, रूपे वर्चुअल डेबिट कार्ड, AePS सक्षम भुगतान, अंतर्राष्ट्रीय प्रेषण और भारत बिल-पे एकीकरण शामिल हैं, जिन्होंने ग्राहकों की सुविधा को तथा बढ़ाया है।
पेमेंट्स बैंक
- परिचय:
- पेमेंट्स बैंक एक विभेदित बैंक (Differentiated Bank) है, जो सीमित बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करता है।
- डॉ. नचिकेत मोर समिति ने निम्न-आय वर्गों और छोटे व्यवसायों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये पेमेंट्स बैंक की स्थापना की सिफारिश की थी।
- विशेषताएँ:
- यह केवल बचत और चालू खातों में मांग जमा स्वीकार कर सकता है, सावधि जमा नहीं।
- प्रत्येक ग्राहक पेमेंट्स बैंक खाते में अधिकतम 2,00,000 रुपए की शेष राशि रख सकता है।
- पेमेंट्स बैंक अनिवासी भारतीय (Non-Resident Indian-NRI) जमा स्वीकार नहीं कर सकते।
- पेमेंट्स बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवा गतिविधियाँ शुरू करने के लिये सहायक कंपनियाँ स्थापित नहीं कर सकते हैं।
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युद्ध अभ्यास 2025
चर्चा में क्यों?
भारतीय सेना का एक दल अमेरिका के अलास्का स्थित फोर्ट वेनराइट के लिये प्रस्थान कर चुका है, जहाँ 1 से 14 सितंबर, 2025 तक भारत-अमेरिका संयुक्त सैन्य अभ्यास ‘युद्ध अभ्यास’ का 21वाँ संस्करण आयोजित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- भाग लेने वाली सेनाएँ:
- भारतीय दल में मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन के कार्मिक शामिल हैं, जो भारतीय सेना की सबसे पुरानी रेजिमेंटों में से एक है।
- अमेरिकी सेना का प्रतिनिधित्व 11वीं एयरबोर्न डिवीज़न के अंतर्गत आर्कटिक वोल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की पहली बटालियन, 5वीं इन्फैंट्री रेजीमेंट “बॉबकैट्स” के सैनिकों द्वारा किया जाएगा।
- गतिविधियाँ:
- अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाएँ विविध सामरिक कौशलों का अभ्यास करेंगी, जिनमें हेलिबोर्न ऑपरेशन, निगरानी संसाधनों एवं मानव रहित हवाई प्रणालियों का प्रयोग, रॉकक्राफ्ट, पर्वतीय युद्धकला, हताहतों की निकासी, युद्धक्षेत्र चिकित्सा सहायता तथा तोपखाने, वायुसेना एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का समन्वित उपयोग शामिल है।
- अभ्यास का समापन:
- यह अभ्यास संयुक्त रूप से नियोजित एवं क्रियान्वित सामरिक अभियानों के साथ संपन्न होगा, जिनमें लाइव-फायर ड्रिल्स से लेकर उच्च पर्वतीय युद्ध परिदृश्यों तक की अभिव्यक्ति होगी।
- उद्देश्य:
- ‘युद्ध अभ्यास 2025’ का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना अभियानों के लिये परिचालन तत्परता को सुदृढ़ करना है, जिससे शांति अभियानों के प्रभावी प्रबंधन हेतु क्षमता-निर्माण सुनिश्चित किया जा सके।
- इसके अतिरिक्त, यह अभ्यास बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने हेतु सेनाओं को तैयार करेगा तथा एकीकृत युद्ध और संयुक्त परिचालन रणनीतियों के महत्त्व पर ज़ोर देगा।
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आदि वाणी
चर्चा में क्यों?
जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने जनजातीय गौरव वर्ष (JJGV) समारोह के हिस्से के रूप में जनजातीय भाषाओं के लिये भारत के पहले AI-संचालित अनुवाद मंच ‘आदि वाणी’ का बीटा संस्करण लॉन्च किया है।
मुख्य बिंदु
- आदि वाणी के बारे में
- आदि वाणी को IIT दिल्ली के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय संघ द्वारा विकसित किया गया है, जिसमें BITS पिलानी, IIIT हैदराबाद, IIIT नवा रायपुर तथा झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और मेघालय के जनजातीय अनुसंधान संस्थानों का सहयोग शामिल है।
- बीटा संस्करण वर्तमान में संथाली, भीली, मुंडारी और गोंडी भाषाओं का समर्थन करता है, जबकि कुई और गारो जैसी भाषाओं पर विकास कार्य प्रगति पर है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- हिंदी, अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वास्तविक समय में पाठ एवं वाक् अनुवाद की सुविधा।
- छात्रों और नव-शिक्षार्थियों के लिये इंटरैक्टिव भाषा शिक्षण मॉड्यूल।
- लोककथाओं एवं मौखिक परंपराओं का डिजिटलीकरण कर सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण।
- जनजातीय भाषाओं में सरकारी परामर्श एवं स्वास्थ्य संबंधी संदेश, उपशीर्षकों सहित उपलब्ध कराना।
जनजातीय गौरव वर्ष (JJGV)
- यह वर्ष भगवान बिरसा मुंडा (धरती आबा) की 150वीं जयंती का स्मरण करता है तथा जनजातीय नायकों की अद्वितीय विरासत को सम्मानित करता है।
- इसे 15 नवंबर 2024 से 15 नवंबर 2025 तक जनजातीय गौरव दिवस (2021 में घोषित) के एक साल के विस्तार के रूप में मनाया जा रहा है।
- यह पहल धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष ग्राम अभियान तथा प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महा अभियान (PM JANMAN) जैसे प्रमुख कार्यक्रमों से जुड़ी हुई है।
उद्देश्य:
- भारत की सांस्कृतिक अस्मिता और स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सामाजिक योगदान को रेखांकित करना।
- संपूर्ण शासन दृष्टिकोण के माध्यम से जनजातीय कल्याण को प्रोत्साहित करना।
- जनजातीय विकास संबंधी पहलों में जनभागीदारी (लोगों की सक्रिय सहभागिता) को बढ़ावा देना।
- जनजातीय नायकों के प्रति जागरूकता और राष्ट्र-निर्माण में उनकी भूमिका की पहचान को सुदृढ़ करना।
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अग्निवीर क्षैतिज आरक्षण नियमावली, 2025
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने NCERT के 65वें स्थापना दिवस पर अनेक पहलों का शुभारंभ किया। उन्होंने संस्थान से शिक्षा के प्रति सुधारोन्मुख एवं प्रौद्योगिकी-आधारित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
मुख्य बिंदु
शुभारंभ की गई प्रमुख पहलें:
- पीएम ई-विद्या मोबाइल एप्लिकेशन:
- यह पीएम ई-विद्या के अंतर्गत सभी प्रमुख डिजिटल एवं प्रसारण पहलों तक पहुँच हेतु एक केंद्रीकृत पोर्टल है, जिसे BISAG-N के सहयोग से विकसित किया गया है।
- दीक्षा 2.0 :
- इसमें संरचित पाठ, अनुकूली मूल्यांकन, प्रदर्शन फीडबैक, चर्चा मंच और एआई उपकरण जैसे रीड अलाउड, क्लोज्ड कैप्शन तथा 12 भाषाओं में पाठ फाइलों का अनुवाद शामिल है।
- प्रशस्त 2.0:
- यह एक पूर्व-मूल्यांकन समग्र स्क्रीनिंग टूल है जो दिव्यांग बच्चों की शीघ्र पहचान के लिये मोबाइल और वेब प्लेटफॉर्म को उन्नत करता है।
- किताब एक पढ़े अनेक :
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुरूप यह पहल यूनिवर्सल डिज़ाइन ऑफ़ लर्निंग (UDL) आधारित सुलभ डिजिटल एवं मुद्रित पाठ्यपुस्तकों के निर्माण पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य समावेशी कक्षाओं की स्थापना करना है, जिससे विशेषकर दिव्यांगजन छात्रों एवं सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित वर्गों के बच्चों को लाभ मिल सके।
- उत्कल जननींकर सुजोग्य संतान :
- यह पुस्तक ओडिशा के 100 महान व्यक्तित्वों के जीवन और योगदान पर आधारित है, जिन्होंने आधुनिक ओडिशा के विकास में योगदान दिया तथा राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया।
NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद)
- स्थापना: 1 सितंबर 1961
- मुख्यालय: नई दिल्ली
- उद्देश्य: भारत सरकार के अधीन एक स्वायत्त संगठन के रूप में , यह विद्यालयी शिक्षा से संबंधित शैक्षणिक मामलों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सहायता तथा सलाह देता है।
- कार्य: पाठ्यपुस्तकें, शिक्षण-अधिगम सामग्री और नवीन शैक्षणिक उपकरण विकसित करना, साथ ही अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी संचालित करना।
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