हरियाणा Switch to English
ग्रेटर रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के गुरुग्राम के झांझरोला में एक ग्रेटर रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो (डिक्रुरस पैराडाइसस) देखा गया, जो ज़िले में इस पक्षी का पहला दर्ज किया गया दृश्य है।
मुख्य बिंदु
- ग्रेटर रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो के बारे में:
- यह एक मध्यम आकार का पक्षी है, जो एशिया में पाया जाता है तथा यह लंबी बाहरी पूँछ के पंखों के कारण प्रसिद्ध है, जिनके सिरे पर जाल होता है।
- यह प्रकृति में दिनचर है, लेकिन सुबह होने से पहले और शाम के बाद सक्रिय रहता है।
- स्वर क्षमताएँ::
- यह विभिन्न प्रकार की तेज़ आवाज़ों को निकालने के लिये प्रसिद्ध है और अन्य पक्षियों की आवाज़ों की सटीक नकल करने की क्षमता भी रखता है।
- भारत में वितरण:
- यह मिश्मी पहाड़ियों सहित पश्चिमी से पूर्वी हिमालय तक पाया जाता है।
- यह प्रायद्वीपीय भारत और पश्चिमी घाट के पहाड़ी क्षेत्रों में भी निवास करता है।
- संरक्षण की स्थिति:
- आईयूसीएन रेड लिस्ट स्थिति : कम चिंताजनक
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 : अनुसूची IV
- प्रवास संबंधी प्रवृत्ति:
- यह प्रजाति सामान्यतः हिमालय की तराई और नमी वाले सघन वनों में पायी जाती है।
- यह पक्षी सामान्यतः नीचे के क्षेत्रों में नहीं आता, केवल ऊँचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी के दौरान कुछ हद तक नीचे की ओर आता है।
- यह एक ऊँचाई आधारित प्रवासी (altitudinal migrant) पक्षी है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में आमतौर पर दिखाई नहीं देता।
अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) रेड लिस्ट:
- IUCN रेड लिस्ट जानवरों, कवक और पौधों की प्रजातियों के बीच विलुप्त होने के जोखिम का आकलन करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण वैश्विक संसाधन है।
- सभी के लिये सुलभ, यह वैश्विक जैवविविधता स्वास्थ्य के एक महत्त्वपूर्ण संकेतक के रूप में कार्य करता है, यह प्रजातियों की विशेषताओं, खतरों और संरक्षण उपायों में व्यापक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है तथा सूचित संरक्षण निर्णयों एवं नीतियों को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- IUCN रेड लिस्ट श्रेणियाँ मूल्यांकन की गई प्रजातियों के विलुप्त होने के जोखिम को परिभाषित करती हैं। नौ श्रेणियाँ NE (मूल्यांकित नहीं) से EX (विलुप्त) तक फैली हुई हैं। गंभीर रूप से लुप्तप्राय (CR), लुप्तप्राय (EN) और कमज़ोर (VU) प्रजातियों को विलुप्त होने का खतरा माना जाता है।
- यह सतत विकास लक्ष्यों और Aichi लक्ष्यों के लिये भी एक प्रमुख संकेतक है।
- IUCN रेड लिस्ट में प्रजातियों की IUCN हरित स्थिति शामिल है, जो प्रजातियों की आबादी की पुनर्प्राप्ति का आकलन करती है और उनके संरक्षण की सफलता को मापती है।
- ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज़ की आठ श्रेणियाँ हैं जैसे: जंगल में विलुप्त, गंभीर रूप से समाप्त, बड़े पैमाने पर समाप्त, मध्यम रूप से समाप्त, थोड़ा समाप्त, पूरी तरह से पुनः प्राप्त, गैर समाप्त और अनिश्चित।
- ग्रीन स्टेटस ऑफ स्पीशीज़ यह मूल्यांकन करती हैं कि संरक्षण कार्यों ने वर्तमान रेड लिस्ट स्थिति को कैसे प्रभावित किया है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश में ‘ रात्रिकालीन लैंडिंग’ हवाई पट्टी
चर्चा में क्यों
उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में गंगा एक्सप्रेस-वे का 3.5 किमी. हिस्सा देश का पहला ऐसा एक्सप्रेस-वे होगा, जहाँ भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान रात्रिकालीन लैंडिंग कर सकेंगे।
मुख्य बिंदु
- गंगा एक्सप्रेस-वे के बारे में:
- गंगा एक्सप्रेस-वे मुंबई-नागपुर एक्सप्रेस-वे के बाद देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे है।
- यह 594 किमी. की अनुमानित लंबाई वाला एक महत्त्वाकांक्षी पहल है।
- राज्य को पूर्व से पश्चिम तक जोड़ने वाला यह एक्सप्रेस-वे 12 ज़िलों के 518 गाँवों से होकर गुज़रेगा, जिससे मेरठ और प्रयागराज के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा।
- रणनीतिक दृष्टिकोण
- उत्तर प्रदेश में अब तीन ऐसे एक्सप्रेस-वे हैं, जहाँ लड़ाकू विमानों की लैंडिंग की सुविधा उपलब्ध है — लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे और गंगा एक्सप्रेस-वे।
- यह पहली बार है जब भारत में किसी एक्सप्रेस-वे पर रात में राफेल, मिराज और जगुआर जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान लैंड करेंगे।
- यह हवाई पट्टी युद्ध अथवा आपदा की स्थिति में भारतीय वायुसेना के लिये एक वैकल्पिक रनवे के रूप में कार्य करेगी।
राफेल
- राफेल (Rafale) फ्रांँस का डबल इंजन वाला और मल्टीरोल लड़ाकू विमान है, जिसे फ्रांँस की डसॉल्ट एविएशन कंपनी द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
- इस लड़ाकू विमान में अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है और यह एक 4.5 जेनरेशन (4.5 Generation) वाला लड़ाकू विमान है।
- राफेल लड़ाकू विमान में मौजूद मीटीओर मिसाइल (Meteor Missile), SCALP क्रूज मिसाइल (Scalp Cruise Missile) और MICA मिसाइल प्रणाली (MICA Missile System) इसे सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण बनाती हैं।
- राफेल 2,222.6 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार और 50,000 फीट की ऊँचाई तक उड़ सकता है।
- यह लड़ाकू विमान लगभग 15.27 मीटर लंबा है और यह अपने साथ एक बार में 9,500 किलोग्राम बम और गोला-बारूद ले जा सकता है।
जगुआर
- जगुआर एक बहुमुखी विमान है, जिसका उपयोग ज़मीनी हमले, हवाई रक्षा और टोही मिशनों (Reconnaissance missions) के लिये किया जाता है।
- यह पाँचवीं पीढ़ी (5G) का लड़ाकू विमान है, जो अत्यधिक संघर्ष वाले युद्ध क्षेत्रों में परिचालन करने में सक्षम है तथा इसमें वर्तमान और संभावित दोनों प्रकार के सबसे उन्नत हवाई और ज़मीनी खतरों की उपस्थिति को रेखांकित किया गया है।
- 5G लड़ाकू विमानों में स्टेल्थ क्षमता होती है और वे आफ्टर बर्नर का उपयोग किये बिना सुपरसोनिक गति से उड़ान भर सकते हैं।
- यह अपनी बहु-स्पेक्ट्रल निम्न-अवलोकनीय डिज़ाइन, आत्म-सुरक्षा, रडार जैमिंग क्षमताओं और एकीकृत एवियोनिक्स के कारण चौथी पीढ़ी (4G) के समकक्षों से अलग है।
- मिग-21, मिग-29, जगुआर और मिराज 2000 के स्क्वाड्रनों को अगले दशक के मध्य तक चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया जाएगा।


बिहार Switch to English
बिहार में विकास परियोजनाओं का उद्घाटन
चर्चा में क्यों
प्रधानमंत्री ने बिहार के एक दिवसीय दौरे के दौरान मधुबनी में विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया।
मुख्य बिंदु
- रेल कनेक्टिविटी और परियोजनाएँ:
- प्रधानमंत्री ने रेल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिये कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की।
- सहरसा और मुंबई के बीच अमृत भारत एक्सप्रेस, जयनगर और पटना के बीच नमो भारत रैपिड ट्रेन और पिपरा, सहरसा तथा समस्तीपुर के बीच ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इसके साथ ही, बिहार में नई रेल लाइनों और ओवर ब्रिज का उद्घाटन किया गया।
- इससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में बेहतर यातायात सुविधा मिलेगी और सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
- बिजली परियोजनाएँ:
- बिहार में बिजली के बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के लिये 1,170 करोड़ रुपए की परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। इसके अलावा, पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना के तहत 5,030 करोड़ रुपए से अधिक की कई परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया गया।
- इससे बिहार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में सुधार होगा और विकास को नई दिशा मिलेगी।
- प्रधानमंत्री आवास योजना:
- इस योजना तहत एक लाख से अधिक लाभार्थियों ने गृह प्रवेश किया और 54,000 से अधिक लाभार्थियों को चाबियाँ सौंपी गईं।
- स्वयं सहायता समूहों के लिये सहायता:
- दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM) के अंतर्गत बिहार के दो लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों को सामुदायिक निवेश कोष के तहत लगभग 930 करोड़ रुपए की सहायता राशि वितरित की गई।
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G):
- शुभारंभ: सभी के लिये आवास” के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये, पूर्ववर्ती ग्रामीण आवास योजना इंदिरा आवास योजना (IAY) को 1 अप्रैल 2016 से केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) में पुनर्गठित किया गया।
- संबंधित मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
- उद्देश्य: गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवन यापन करने वाले ग्रामीण लोगों को आवास इकाइयों के निर्माण तथा मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
- लाभार्थी: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग, युद्ध में मारे गए रक्षा कर्मियों की विधवाएँ या उनके निकट संबंधी, पूर्व सैनिक और अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति और अल्पसंख्यक।
- लाभार्थियों का चयन: सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा और जियो-टैगिंग जैसे तीन-चरणीय सत्यापन के माध्यम से।
- लागत साझाकरण: मैदानी क्षेत्रों के मामले में केंद्र और राज्य 60:40 के अनुपात में लागत साझा करते हैं तथा पूर्वोत्तर राज्यों, दो हिमालयी राज्यों और जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र के मामले में 90:10 के अनुपात में लागत साझा करते हैं।
- केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख सहित अन्य केंद्रशासित प्रदेशों के मामले में केंद्र 100% लागत वहन करता है।
प्रधानमंत्री आवास योजना - शहरी (PMAY-U):
- शुभारंभ: 25 जून 2015 को प्रारंभ की गई इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2022 तक शहरी क्षेत्रों में सभी के लिये आवास उपलब्ध कराना था।
- संबंधित मंत्रालय: आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय
- स्थिति: कुल 118.64 लाख मकान स्वीकृत किये गए हैं तथा 88.02 लाख से अधिक मकान बनकर तैयार हो चुके हैं/लाभार्थियों को वितरित किये जा चुके हैं।
- विशेषताएँ:
- पात्र शहरी गरीबों के लिये पक्का मकान सुनिश्चित करके झुग्गीवासियों सहित शहरी गरीबों के बीच शहरी आवास की कमी को दूर करना।
- मिशन में संपूर्ण शहरी क्षेत्र शामिल है, जिसमें सांविधिक शहर, अधिसूचित योजना क्षेत्र, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण या राज्य विधान के तहत शहरी नियोजन और विनियमन के कार्य सौंपे गए प्राधिकरण शामिल हैं।
- मिशन महिला सदस्यों के नाम पर या संयुक्त नाम पर मकान का स्वामित्व प्रदान करके महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देता है।


उत्तर प्रदेश Switch to English
रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल
चर्चा में क्यों
तीन दशकों की अनुपस्थिति के बाद रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल की गंगा नदी में वापसी हुई है।
- यह सफलता नमामि गंगे मिशन और उसके तहत संचालित टर्टल सरवाइवल एलायंस इंडिया (TSAFI) परियोजना के अंतर्गत एक ऐतिहासिक जैवविविधता संरक्षण उपलब्धि है।
मुख्य बिंदु
- रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल के बारे में:
- वैज्ञानिक नाम: बाटागुर कचुगा।
- सामान्य नाम: बंगाल रूफ टर्टल, रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल।
- परिचय:
- रेड क्राउन रूफ्ड टर्टल भारत के स्थानिक 24 प्रजातियों में से एक है जिसके नर के चेहरे और गर्दन पर लाल, पीले, सफेद एवं नीले जैसे चमकीले रंग उनकी विशेषता है।
- वितरण:
- यह मीठे पानी में पाए जाने वाले कछुए की प्रजाति है जो नेस्टिंग साइट्स वाली गहरी बहने वाली नदियों में पाई जाती है।
- ऐतिहासिक रूप से यह प्रजाति भारत और बांग्लादेश दोनों में गंगा नदी में व्यापक रूप से पाई जाती थी। यह ब्रह्मपुत्र बेसिन में भी पाई जाती है।
- वर्तमान में भारत में राष्ट्रीय चंबल नदी घड़ियाल अभयारण्य एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहाँ इस प्रजाति की पर्याप्त आबादी है, लेकिन यह संरक्षित क्षेत्र और आवास भी अब खतरे में हैं।
- खतरा:
- बड़ी तटीय और नदी परियोजनाएँ नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करती हैं और इससे जल प्रदूषण में वृद्धि होती है।
- उप-प्रजातियाँ मत्स्य जालों में फँसने और मानव गतिविधियों से उत्पन्न व्यवधानों के कारण संकट में पड़ जाती हैं।
- प्रदूषण, सिंचाई के लिये जल की अत्यधिक निकासी और अनियंत्रित बाँधों का प्रवाह प्राकृतिक आवासों को नुकसान पहुँचाते हैं।
- गंगा नदी के किनारे स्थित रेत के टापुओं का क्षेत्र, जो शिकार के लिये उपयुक्त होता है, खनन और मौसमी कृषि के कारण लगातार सिकुड़ता जा रहा है।
- अवैध उपभोग और अवैध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिये जानवर को ओवरहार्वेस्ट करना।
- सुरक्षा की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (International Union for Conservation of Nature-IUCN) रेड लिस्ट: गंभीर रूप से लुप्तप्राय (Critically Endangered)
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (WPA), 1972: अनुसूची I (Schedule I)
- CITES : परिशिष्ट II
- पुनर्वास
- कछुओं को उत्तर प्रदेश के हैदरपुर आर्द्रभूमि में छोड़ा गया। यह क्षेत्र गंगा नदी के साथ स्थित है और यहाँ का पारिस्थितिकी तंत्र कछुओं के पुनर्वास के लिये उपयुक्त माना गया।
- कछुओं को दो समूहों में बाँटा गया था – एक को गंगा बैराज के ऊपरी हिस्से में और दूसरे को निचले हिस्से में छोड़ा गया।
- प्रत्येक कछुए में एक ट्रैकिंग डिवाइस लगाया गया है, जिससे उनके आवागमन और पर्यावरण में अनुकूलन को मॉनिटर किया जा सके।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- परिचय:
- नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
- यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- नमामि गंगे कार्यक्रम (2021-26) के दूसरे चरण में राज्य परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने और गंगा के सहायक शहरों में परियोजनाओं के लिये विश्वसनीय विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report- DPR) तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
- छोटी नदियों और आर्द्रभूमि के पुनरुद्धार पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
टर्टल सर्वाइवल एलायंस इंडिया (TSAFI)
- TSAFI, वैश्विक टर्टल सर्वाइवल एलायंस का भारतीय इकाई का प्रतिनिधित्व करता है, जो दुनिया भर में मीठे पानी की कछुओं की प्रजातियों की सुरक्षा के लिये समर्पित है।
- यह संस्था कछुओं को प्रमुख ख़तरों जैसे कि आवास विनाश, अवैध वन्यजीव व्यापार और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने के लिये कार्य करती है।
- यह विभिन्न पहलें संचालित करती है, जैसे:
- कछुओं की प्रजातियों और उनके आवासों पर वैज्ञानिक अनुसंधान
- मैदान स्तर पर संरक्षण परियोजनाएँ
- जनता में शिक्षा और जागरूकता अभियान
- TSAFI का उद्देश्य है वैज्ञानिक विशेषज्ञता और समुदाय की भागीदारी को एक साथ जोड़कर भारत में कछुओं की प्रजातियों का दीर्घकालिक संरक्षण सुनिश्चित करना है।
राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य
- राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के त्रि-जंक्शन पर स्थित है।
- यह एक दुर्बल सरित्जीवी (Lotic) पारिस्थितिकी तंत्र है, जो घड़ियालों- मछली खाने वाले मगरमच्छों के लिये एक महत्त्वपूर्ण प्रजनन स्थल है।
- यह अभयारण्य वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित है और इसे 'महत्त्वपूर्ण पक्षी और जैवविविधता क्षेत्र' के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- अभयारण्य एक प्रस्तावित रामसर स्थल भी है जिसमें स्थानीय और प्रवासी पक्षियों की 320 से अधिक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।


राजस्थान Switch to English
राजस्थान में मलेरिया उन्मूलन
चर्चा में क्यों
विश्व मलेरिया दिवस 2025 के अवसर पर राजस्थान को राष्ट्रीय स्तर पर मलेरिया उन्मूलन के लिये श्रेणी-1 में शामिल किया गया है।
मुख्य बिंदु
- मलेरिया मामलों में भारी गिरावट:
- मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मौसमी बीमारियों से निपटने के लिये किये गये प्रभावी उपायों और नवाचारों के चलते राजस्थान अब मलेरिया उन्मूलन में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है।
- राज्य जनस्वास्थ्य निदेशक के अनुसार, 2024 में जहाँ 2213 मलेरिया मामले दर्ज हुए थे, वहीं 2025 में अब तक केवल 59 मामले ही सामने आए हैं।
- जनजागरूकता अभियान की सफलता:
- IEC गतिविधियों (Information, Education, Communication) के अंतर्गत लार्वा प्रदर्शन, ऑडियो-वीडियो प्रचार, पंपलेट और पोस्टर जैसे माध्यमों से आमजन को सजग किया गया, जिससे बीमारी की रोकथाम मज़बूत हुई।
- 1 अप्रैल 2025 से पूरे राज्य में एंटी लार्वा छिड़काव, फोकल स्प्रे, फॉगिंग और सोर्स रिडक्शन गतिविधियाँ की गईं। यह प्रोग्राम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्रभावी रहा।
- हाई रिस्क ज़िलों में विशेष ध्यान:
- अलवर, बालोतरा, बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, प्रतापगढ़, सलूंबर, श्रीगंगानगर और उदयपुर जैसे 9 उच्च जोखिम वाले ज़िलों में दो चरणों में इंडोर रेजिड्यूअल स्प्रे (IRS) किया गया, जिससे संक्रमण स्रोतों को नियंत्रित किया गया।
- अलवर, बालोतरा, बाड़मेर, बीकानेर, जैसलमेर, प्रतापगढ़, सलूंबर, श्रीगंगानगर और उदयपुर जैसे 9 उच्च जोखिम वाले ज़िलों में दो चरणों में इंडोर रेजिड्यूअल स्प्रे (IRS) किया गया, जिससे संक्रमण स्रोतों को नियंत्रित किया गया।
मलेरिया
- मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होने वाला एक जानलेवा रोग है, जो संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है।
- प्लास्मोडियम परजीवी की पाँच प्रजातियाँ हैं, जो मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनती हैं तथा साथ ही इनमें से 2 परजीवी प्रजातियाँ (‘पी.फाल्सीपरम’-P. Falciparum एवं ‘पी.वीवाक्स’-P Vivax) ज़्यादा खतरनाक होती हैं।
- मलेरिया मुख्य रूप से अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है।
- जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह भी संक्रमित हो जाता है। जिस व्यक्ति को यह मच्छर काटता है, उसके शरीर में मलेरिया के परजीवी प्रवेश कर जाते हैं। लीवर में पहुँचने के बाद, परजीवी विकसित होते हैं और लाल रक्त कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं।
- बुखार और फ्लू जैसे लक्षण, जैसे ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान, मलेरिया के लक्षण हैं। उल्लेखनीय है कि मलेरिया का इलाज संभव है और इससे बचा जा सकता है।
विश्व मलेरिया दिवस
- यह प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को मनाया जाता है। इसकी स्थापना विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा मलेरिया के बारे में लोगों को अधिक जागरूक करने और इसके उन्मूलन हेतु कार्रवाई करने के लिये वर्ष 2007 में की गई थी।
- विश्व मलेरिया दिवस 2025 का विषय है "मलेरिया एंड्स विथ अस: रीइन्वेस्ट, रीइमेजिन, रीइग्नाइट"।

