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डेली न्यूज़

जैव विविधता और पर्यावरण

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स

  • 09 May 2022
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये:

स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स

मेन्स के लिये:

संरक्षण, सरकारी नीतियांँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

'स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स' की नई समीक्षा के अनुसार दुनिया भर में मौजूदा पक्षी प्रजातियों की आबादी में लगभग 48% की  गिरावट हुई है या होने का संदेह है।

  • स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स बर्ड्स पर्यावरण संसाधनों की वार्षिक समीक्षा है। 
  • चूंँकि पक्षी अत्यधिक दृश्यमान और पर्यावरणीय स्वास्थ्य के संवेदनशील संकेतक होते हैं, अतः इनका नुकसान जैव विविधता के व्यापक नुकसान तथा मानव स्वास्थ्य एवं कल्याण हेतु खतरे का संकेत देता है।

समीक्षा के प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • समग्र:
      • प्राकृतिक दुनिया और जलवायु परिवर्तन पर मानव फुटप्रिंट के बढ़ते प्रभाव के कारण को पक्षियों की 10,994 मान्यता प्राप्त मौजूदा प्रजातियों में से लगभग आधे  पर संकट के लिये ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
      • लगभग 4,295 या 39% प्रजातियों में जनसंख्या रुझान स्थिर थे, वहीं 7% या 778 प्रजातियों में जनसंख्या की प्रवृत्ति बढ़ रही थी, जबकि 37 प्रजातियों की जनसंख्या प्रवृत्ति अज्ञात थी।
      • अध्ययन ने सभी वैश्विक पक्षी प्रजातियों के रुझानों में परिवर्तन को प्रकट करने के लिये प्रकृति की लाल सूची के संरक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ(IUCN) के डेटा का उपयोग कर एवियन जैव विविधता में परिवर्तन की समीक्षा की।
    • भारत:
      • भारत में पक्षियों की विविधता में गिरावट की प्रवृत्ति उतनी ही चिंताजनक है, जहाँ हाल ही में 146 प्रजातियों के लिए वार्षिक रुझानों की गणना की गई है।
        • इनमें से लगभग 80% पक्षियों की संख्या में गिरावट आ रही है और लगभग 50% में तीव्र स्तर की गिरावट देखी गई हैं। 
        • अध्ययन की गई 6% से अधिक प्रजातियांँ स्थिर आबादी को दर्शाती हैं तथा 14% बढ़ती जनसंख्या प्रवृत्तियों को दर्शाती हैं। 
      • सबसे अधिक संकटग्रस्त प्रजातियों में स्थानिक प्रजातियांँ, शिकार के पक्षी, जंगलों और घास के मैदानों में रहने वाली प्रजातियाँ शामिल थीं।
  • गिरावट का कारण:
    • प्राकृतिक आवासों का ह्रास तथा साथ ही कई प्रजातियों का प्रत्यक्ष अतिदोहन पक्षी जैव विविधता के लिये प्रमुख खतरे हैं।
      • जीवित पक्षी प्रजातियों में से 37% का सामान्य या विदेशी पालतू जानवरों के रूप में तथा 14% भोजन के रूप में उपयोग प्रत्यक्ष रूप से अतिशोषण के उदाहरण हैं। 
    • साथ ही मनुष्य द्वारा विश्व के पक्षियों की जीवित प्रजातियों का 14% हिस्सा भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
    • उष्णकटिबंधीय वनों के अलावा उत्तरी अमेरिका, यूरोप और भारत के लिये प्राकृतिक घास के मैदानों का खतरा विशेष रूप से चिंताजनक रहा है। 

सुझाव:

  • जनसंख्या बहुतायत और परिवर्तन के विश्वसनीय अनुमानों का संचालन करना।
  • अनुपयुक्त तरीके से लागू किये जाने पर पक्षियों को प्रभावित कर सकने वाले हरित ऊर्जा संक्रमण की निगरानी करना।
  • आक्रामक विदेशी प्रजातियों की आबादी का उन्मूलन।
  • मानव समाज को आर्थिक रूप से सतत् विकास पथ पर स्थानांतरित करना।

स्रोत: द हिंदू

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