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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. “प्रस्तावित GST 2.0 भारत के अप्रत्यक्ष कर ढाँचे की संरचनात्मक अक्षमताओं को दूर करने का प्रयास करता है।” भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में परिवर्तन हेतु इसके औचित्य और चुनौतियों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    08 Oct, 2025 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • GST2.0 सुधारों का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भारत में हाल ही में लागू किये गए GST सुधारों के पीछे के तर्क की विवेचना कीजिये।
    • GST सुधारों के दौरान उभरी चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह बताते हुए उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय: 

    101वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2017 के माध्यम से लागू किया गया वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर एक व्यापक अप्रत्यक्ष कर है। समय के साथ, GST को कई दरों, प्रतिशुल्क ढाँचों और उच्च अनुपालन लागत जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

    GST 2.0 आवश्यक वस्तुओं के लिये 5 प्रतिशत, मानक वस्तुओं के लिये 18 प्रतिशत और विलासिता एवं हानिकारक वस्तुओं के लिये 40 प्रतिशत गुण-दोष दर वाली द्वि-स्तरीय संरचना को अपनाकर प्रणाली को सरल बनाता है, जिससे कर व्यवस्था अधिक कुशल, पारदर्शी एवं विकासोन्मुखी बनती है।

    मुख्य भाग:  

    भारत में हाल के GST सुधारों के पीछे तर्क:

    • कम कीमतें, अधिक माँग: कम GST दरें वस्तुओं और सेवाओं को सस्ता बनाती हैं, घरेलू बचत बढ़ाती हैं तथा उपभोग को बढ़ावा देती हैं, विशेष रूप से आवश्यक एवं रोज़गार-प्रधान क्षेत्रों में।
      • इन सुधारों से घरेलू माँग को बढ़ावा मिलने, अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण को बढ़ावा मिलने और दीर्घकालिक राजकोषीय स्थायित्व में योगदान मिलने की उम्मीद है।
    • MSME को समर्थन: सीमेंट, ऑटो पार्ट्स और हस्तशिल्प जैसी वस्तुओं की कम इनपुट लागत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती है तथा उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
    • अनुपालन में सुगमता: सरलीकृत दो-दर संरचना कर विवादों को कम करती है, निर्णय लेने में तीव्रता लाती है और व्यवसायों के लिये अनुपालन लागत कम करती है।
      • पिछले सुधारों के साक्ष्य बताते हैं कि बेहतर अनुपालन के साथ कम दरें मध्यम अवधि में GST संग्रह बढ़ा सकती हैं।
    • व्यापक कर आधार: सरल दरें स्वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्साहित करती हैं, कर दायरे को व्यापक बनाती हैं तथा समय के साथ सरकारी राजस्व में संभावित रूप से सुधार करती हैं।
    • विनिर्माण को समर्थन: प्रतिशुल्क ढाँचे को ठीक करने से घरेलू मूल्य संवर्द्धन बढ़ता है, निर्यात प्रतिस्पर्द्धात्मकता सुदृढ़ होती है तथा मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा मिलता है।
    • सामाजिक सुरक्षा: बीमा और आवश्यक दवाओं पर छूट घरेलू सुरक्षा को सुदृढ़ करती है तथा स्वास्थ्य सेवा तक अभिगम्यता में सुधार करती है, जिससे समानता संबंधी चिंताएँ दूर होती हैं।
    • उपभोग और उत्पादन दक्षता: व्यापक करों को समाप्त करके तथा दरों को युक्तिसंगत बनाकर, GST 2.0 विभिन्न क्षेत्रों में संसाधन आवंटन दक्षता को बढ़ावा देता है।

    GST सुधारों के दौरान उभरे मुद्दे

    • राजकोषीय राजस्व में कमी: इन सुधारों से राजस्व में भारी कमी आ रही है, जिसका अनुमान लगभग ₹48,000 करोड़ प्रतिवर्ष है, जिसका मुख्य कारण कम दरें और कई वस्तुओं की शून्य-रेटिंग है।
      • इससे केंद्र और राज्य सरकारों, दोनों पर राजकोषीय दबाव पड़ता है, जिससे उन्हें या तो व्यय में कटौती करनी पड़ती है या उधारी बढ़ानी पड़ती है।
    • इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) और व्यापक कर संबंधी मुद्दे: छूट और शून्य-रेट वाली आपूर्तियाँ ITC के लिये पात्रता को सीमित करती हैं, जिससे इनपुट पर व्यापक कर लगते हैं।
    • दर संरचना और वर्गीकरण संबंधी अस्पष्टताएँ: कम स्लैब का सरलीकरण सहायक है, लेकिन वर्गीकरण संबंधी विवाद इस बात पर बने रहते हैं कि कौन-सी वस्तुएँ दी गई श्रेणियों में आती हैं।
      • Special rates and the new 40% slab for sin goods increase complexity in areas such as luxury and harmful goods taxation. विशेष दरें और हानिकारक वस्तुओं के लिये नया 40% स्लैब विलासिता तथा हानिकारक वस्तुओं पर कराधान जैसे क्षेत्रों में जटिलताएँ बढ़ाता है।
    • अनुपालन जटिलता और तकनीकी एकीकरण: हालाँकि स्लैब को युक्तिसंगत बनाया गया है, फिर भी व्यवसायों को संक्रमणकालीन अनुपालन बोझ का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें मूल्य निर्धारण, बिलिंग प्रणालियों और ERP अपडेट का पुनर्निर्धारण शामिल है।
      • MSME में तेज़ी से अनुकूलन करने की क्षमता का अभाव हो सकता है, जिससे उन्हें उच्च अनुपालन लागत और अधिगम की प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है।
      • GST नेटवर्क (GSTN) और सरकार अनुपालन में सुधार एवं चोरी का पता लगाने के लिये AI और डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का लाभ उठाती हैं, लेकिन नियमों में बार-बार बदलाव अभी भी अनुपालन को जटिल बनाते हैं।
    • प्रवर्तन और विवाद समाधान में विलंब: विवादों के शीघ्र समाधान के लिये आवश्यक GST अपीलीय अधिकरण (GSTAT), कई राज्यों में निष्क्रिय या विलंबित बना हुआ है।

    GST 2.0 सुधारों को सुदृढ़ करने के उपाय

    • GST प्रशासन का सुदृढ़ीकरण: अनुपालन निगरानी में सुधार और चोरी को कम करने के लिये GST नेटवर्क (GSTN) को बढ़ाना चाहिये और AI/डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • MSME का समर्थन: छोटे व्यवसायों को नए स्लैब के अनुकूल बनाने में सहायता करने के लिये क्षमता निर्माण, सरलीकृत अनुपालन और तकनीकी सहायता प्रदान की जानी चाहिये।
    • राजकोषीय प्रभाव की निगरानी: सामाजिक और अवसंरचना पर व्यय से समझौता किये बिना राजस्व की कमी की भरपाई के लिये लक्षित राजकोषीय उपायों या तरलता प्रबंधन का उपयोग किया जाना चाहिये।
    • निर्बाध इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) तंत्र: एक निर्बाध ITC शृंखला सुनिश्चित करने से व्यवसायों के लिये कार्यशील पूंजी की रुकावटें नहीं आतीं।
      • ITC पात्रता को रीयल-टाइम इनवॉइस मिलान से जोड़ने से तरलता बनाए रखते हुए धोखाधड़ी कम हो सकती है।
    • जागरूकता और प्रशिक्षण को बढ़ावा: व्यवसायों और उपभोक्ताओं के लिये नई दरों एवं अनुपालन प्रक्रियाओं पर करदाता शिक्षा अभियान चलाए जाने चाहिये।
      • प्रशासनिक बोझ कम करने के लिये डिजिटल इनवॉइसिंग, ई-वे बिल और स्वचालन का विस्तार किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    अगली पीढ़ी के GST सुधार एक सरल, न्यायसंगत और भविष्य-उन्मुख कर संरचना के निर्माण की दिशा में एक साहसिक कदम का प्रतिनिधित्व करते हैं। नागरिकों पर कर का बोझ कम करके तथा किसानों, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (MSMEs), महिलाओं, युवाओं व मध्यमवर्गीय परिवारों को सशक्तीकरण प्रदान करके, GST 2.0 समावेशी समृद्धि, राजकोषीय दृढ़ता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता की नींव रखता है।

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