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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-जर्मनी साझेदारी को मज़बूत करना

  • 25 Oct 2025
  • 71 min read

प्रिलिम्स के लिये: जर्मनी, सेमीकंडक्टर, AI, क्वांटम तकनीक, डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, वैश्विक जैवविविधता ढाँचा, G4, तरंग शक्ति, बौद्धिक संपदा अधिकार, GDPR, ग्रीन हाइड्रोजन

मेंस के लिये: भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी का विश्लेषण, प्रमुख सहयोगी क्षेत्रों, मौजूदा चुनौतियों और संवर्द्धित सहभागिता के लिये एक संभावित रोडमैप पर ध्यान केंद्रित करना।

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों?

भारत के केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूर्ण होने तथा व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा और कौशल विकास में सहयोग बढ़ाने के लिये जर्मनी के अर्थव्यवस्था एवं ऊर्जा संघीय मंत्री से मुलाकात की।

भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी के 25वें वर्ष को महत्त्वपूर्ण बनाने वाले कारक क्या हैं?

  • 25 वर्षों की रणनीतिक साझेदारी: 2000 में संस्थागत रूप से स्थापित भारत-जर्मनी साझेदारी आर्थिक, तकनीकी, पर्यावरणीय और शैक्षिक क्षेत्रों में फैली हुई है, जो द्विपक्षीय संबंधों की मज़बूती और लचीलेपन को दर्शाती है। 
    • यह आर्थिक सहयोग, औद्योगिक सहयोग तथा प्रौद्योगिकी, विनिर्माण और स्थिरता में निवेश बढ़ाने पर केंद्रित है।
  • आर्थिक एवं वाणिज्यिक संबंध: वर्ष 2023-24 में, जर्मनी भारत के व्यापारिक साझेदारों में 12वें स्थान पर रहा (भारत के विदेशी व्यापार का 2.37%), व्यापार संतुलन जर्मनी के पक्ष में रहा और कुल व्यापार रिकॉर्ड 33.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
    • अप्रैल 2000 से दिसंबर 2023 तक 14.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के संचयी FDI के साथ जर्मनी भारत में विदेशी निवेशकों में 9वें स्थान पर है।
  • सामरिक सहयोग: दोनों देश G4 ढाँचे के तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधारों का समर्थन करते हैं, हिंद-प्रशांत और आसियान की केंद्रीयता पर ज़ोर देते हैं तथा ट्रैक 1.5 संवादों के माध्यम से कूटनीतिक संरेखण बनाए रखते हैं।
  • प्रौद्योगिकी, डिजिटलीकरण और नवाचार: इसमें सेमीकंडक्टर, AI और क्वांटम तकनीक जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को शामिल किया गया है, साथ ही डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर ज्ञान साझाकरण और इंडो-जर्मन डिजिटल डायलॉग (IGDD) के माध्यम से डिजिटल सहयोग भी शामिल है।
  • हरित एवं सतत् विकास साझेदारी (GSDP): सहयोग में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), जैवविविधता (वैश्विक जैवविविधता ढाँचा), अपशिष्ट प्रबंधन और सौर अपशिष्ट पुनर्चक्रण सहित सर्कुलर इकॉनमी शामिल हैं।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: सैन्य संबंधों में संयुक्त अभ्यास (तरंग शक्ति), पोर्ट कॉल, रसद सहायता के लिये वार्ता तथा आतंकवाद के उद्देश्यों के लिये नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने पर दिल्ली घोषणा-पत्र 2022 के माध्यम से आतंकवाद-रोधी सहयोग शामिल हैं। 
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: सैन्य संबंधों में संयुक्त सैन्य अभ्यास (तरंग शक्ति), बंदरगाह पर दौरे, पारस्परिक लॉजिस्टिक समर्थन हेतु वार्ता और आतंकवाद के उद्देश्यों के लिये नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियों के उपयोग का मुकाबला करने के लिये दिल्ली घोषणा 2022 के माध्यम से आतंकवाद विरोधी सहयोग शामिल हैं।
  • कुशल प्रवासन और गतिशीलता: यह सहयोग सहयोग प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौते (MMPA) के पूर्ण कार्यान्वयन के चारों ओर संरचित है, जिसका उद्देश्य कानूनी श्रम प्रवासन को सुगम बनाना, अनियमित प्रवासन को रोकना तथा कुशल एवं हरित कार्यबल विकास को बढ़ावा देना है, जिसमें भारत के प्रवासियों के लिये जर्मनी की नई रणनीति भी शामिल है।

भारत-जर्मनी द्विपक्षीय साझेदारी में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • भू-राजनीतिक अंतर: रूस के यूक्रेन पर आक्रमण ने जर्मनी-रूस संबंधों में गिरावट का कारण बना और जर्मनी को ऊर्जा स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया, जबकि भारत तटस्थ रहा तथा ऊर्जा आयात बढ़ाया।
    • यह यह दोनों देशों के बीच असहमति को दर्शाता है, जो गहन रणनीतिक विश्वास को बाधित करता है, क्योंकि उनके मुख्य खतरे के आकलन और क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ पूरी तरह से संरेखित नहीं हैं
    • जर्मनी ‘जोखिम कम करने’ की नीति को अपनाते हुए चीन के साथ व्यापार जारी रखता है; वहीं भारत, प्रत्यक्ष खतरों का सामना करते हुए, चीन को रणनीतिक प्रतिद्वंदी मानता है और क्वाड जैसी गठजोड़ों के माध्यम से इसे नियंत्रित करने की कोशिश करता है।
  • आर्थिक और व्यापारिक बाधाएँ: लंबे समय से लंबित EU-इंडिया FTA विभिन्न मुद्दों पर असहमति के कारण रुका हुआ है, जैसे बाज़ार पहुँच, शुल्क, बौद्धिक संपदा अधिकार और डेटा सुरक्षा
    • भारत की आत्मनिर्भरता नीति, जो घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देती है और जर्मनी की खुली बाज़ारों की प्राथमिकता के बीच तनाव विद्यमान है।
  • नियामक असंगति: भारत के डेटा लोकलाइज़ेशन और डिजिटल कानून यूरोपीय संघ के GDPR से असंगत हो सकते हैं, जिससे जर्मन तकनीकी कंपनियों के लिये अनुपालन में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं तथा डिजिटल व्यापार वार्ताएँ जटिल हो जाती हैं।
    • GDPR व्यक्तिगत डेटा के सुरक्षित और स्वतंत्र प्रवाह को सुनिश्चित करता है, जबकि भारत के डेटा लोकलाइज़ेशन के नियमों के तहत महत्त्वपूर्ण या संवेदनशील डेटा को अपनी सीमाओं के भीतर रखने की आवश्यकता होती है ताकि संप्रभुता, कानून प्रवर्तन, कराधान एवं सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
  • धारणात्मक अंतर: जर्मनी की लोकतंत्र और मानवाधिकार पर आधारित मूल्य-प्रधान विदेश नीति भारत की रणनीतिक स्वतंत्रता पर केंद्रित नीति से असंगत हो सकती है, जिससे नागरिकता कानूनों तथा भारत के रूस के साथ संबंधों पर सूक्ष्म असहमति उत्पन्न होती है।
    • जर्मनी की भारत के लोकतांत्रिक प्रथाओं पर की गई टिप्पणियाँ, जिसमें राजनीतिक गिरफ्तारियों पर टिप्पणियाँ शामिल हैं, ने नई दिल्ली में तनाव और नाराज़गी पैदा की है।

भारत-जर्मनी द्विपक्षीय साझेदारी को मज़बूत करने के लिये कौन-से कदम उठाए जा सकते हैं?

  • विदेश नीति का संरेखन: कूटनीतिज्ञों, रक्षा और खुफिया अधिकारियों को शामिल करते हुए एक समर्पित एवं नियमित रणनीतिक संवाद स्थापित करें, ताकि क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के संबंध में खतरे का मूल्यांकन साझा किया जा सके।
    • भारत की रक्षा आपूर्ति को विविधता प्रदान करने के लिये सह-विकास परियोजनाओं को तीव्र करना ताकि रूसी उपकरणों पर निर्भरता कम की जा सके।
  • आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को गहरा करना: दोनों देशों को EU-इंडिया FTA को केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि रणनीतिक प्राथमिकता के रूप में देखना चाहिये, जिसके लिये उच्च स्तर की राजनीतिक इच्छा शक्ति की आवश्यकता है, ताकि GI, डेटा नियम और बाज़ार पहुँच पर विवादों का समाधान किया जा सके।
    • 3–5 महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों (जैसे, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव सेमीकंडक्टर्स) की पहचान करना और पूरक, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएँ विकसित करने के लिये लक्षित भागीदारी और प्रोत्साहन स्थापित करना।
  • प्रौद्योगिकी और हरित सहयोग में तेज़ी लाना: नवाचार और प्रौद्योगिकी साझेदारी रोडमैप में व्यावसायीकरण ट्रैक शामिल करना और ग्रीन हाइड्रोजन रोडमैप को समयबद्ध लक्ष्यों के साथ कार्यान्वित करना, जिसमें पायलट प्रोजेक्ट्स, इलेक्ट्रोलाइज़र संयुक्त उद्यम और सामान्य व्यापार मानक शामिल हों।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ बनाना: हिंद महासागर में निरंतर उपस्थिति के लिये पारस्परिक रसद सहायता समझौते को अंतिम रूप देना और साइबर आतंकवाद तथा आतंकवाद के वित्तपोषण पर वास्तविक समय में खुफिया जानकारी साझा करने के लिये आतंकवाद-निरोध पर संयुक्त कार्य समूह को क्रियान्वित करना।
  • विश्वास निर्माण: व्यापक और सुदृढ़ समझ के लिये पत्रकारों, युवा राजनेताओं और नागरिक समाज को शामिल करने हेतु ट्रैक 1.5 संवादों का समर्थन और विस्तार करना।
    • जर्मनी को भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को एक साझा बहुध्रुवीय लक्ष्य के रूप में देखना चाहिये, जिससे रूस पर मतभेदों को प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

भारत-जर्मनी संबंध एक मज़बूत रणनीतिक साझेदारी है, जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और व्यापार, हरित प्रौद्योगिकी तथा सुरक्षा में समान हितों से प्रेरित है। अपनी पूरी क्षमता को साकार करने के लिये, दोनों देशों को रूस और चीन पर भू-राजनीतिक मतभेदों को व्यावहारिक रूप से सॅंभालना होगा, लंबे समय से लंबित यूरोपीय संघ-भारत मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देना होगा और महत्त्वाकांक्षी रोडमैप को ठोस, कार्यान्वित परियोजनाओं में बदलना होगा।

दृष्टि मेन्स प्रश्न: 

प्रश्न: भारत और जर्मनी के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों और भारत की सामरिक स्वायत्तता के लिये उनके महत्त्व पर चर्चा कीजिये।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. भारत-जर्मनी व्यापार संबंधों की वर्तमान स्थिति क्या है?

वित्तीय वर्ष 2023–24 में, भारत–जर्मनी व्यापार रिकॉर्ड 33.33 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँचा, जो भारत के विदेशी व्यापार का 2.37% है और व्यापार संतुलन जर्मनी के पक्ष में रहा।

2. प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौता (MMPA) क्या है?

वर्ष 2022 में हस्ताक्षरित, यह कानूनी रूप से कुशल प्रवासन को सुगम बनाता है, निष्पक्ष भर्ती को बढ़ावा देता है और अनियमित प्रवासन, विशेष रूप से हरित और डिजिटल क्षेत्रों के लिये, पर अंकुश लगाता है।

3. जर्मनी से भारत में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) कितना है?

जर्मनी भारत में विदेशी निवेशकों में 9वें स्थान पर है और अप्रैल 2000 से दिसंबर 2023 तक इसका कुल FDI 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न

प्रीलिम्स

प्रश्न. व्यापक-आधारयुक्त व्यापार और निवेश करार (ब्रॉड-बेस्ड ट्रेड ऐंड इन्वेस्टमेंट एग्रीमेंट/BTIA)' कभी-कभी समाचारों में भारत और निम्नलिखित में से किस एक के बीच बातचीत के संदर्भ में दिखाई पड़ता है?

(a) यूरोपीय संघ
(b) खाड़ी सहयोग परिषद
(c) आर्थिक सहयोग और विकास संगठन
(d) शंघाई सहयोग संगठन 

उत्तर: (a)


मेन्स

प्रश्न. "यूरोपीय प्रतिस्पर्द्धा की दुर्घटनाओं द्वारा अफ्रीका को कृत्रिम रूप से निर्मित छोटे-छोटे राज्यों में काट दिया गया।" विश्लेषण कीजिये। (2013) 

प्रश्न. किस सीमा तक जर्मनी को दो विश्व युद्धों का कारण बनने का ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2015)

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