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वैश्विक जैव विविधता पैटर्न

  • 02 Sep 2025
  • 13 min read

स्रोत: द हिंदू

नेचर इकोलॉजी एंड इवोल्यूशन में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन से जैव-भौगोलिक क्षेत्रों में प्रजातियों के वितरण में एक सार्वभौमिक पैटर्न का पता चलता है, जो वैश्विक जैव विविधता संगठन में नई अंतर्दृष्टि प्रदान करता है। 

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष: 

  • प्याज़-जैसी संरचना (Onion-like Structure): उच्च समृद्धि और स्थानिकता वाले घने कोर क्षेत्र, धीरे-धीरे मध्यम विविधता परतों से होते हुए प्रजाति-विहीन बाहरी क्षेत्रों (Species-Poor Outer Zones) में परिवर्तित होते हैं, जिनमें सामान्य प्रजातियों (आंतरिक प्रजातियों के उपसमूह) का प्रभुत्व होता है। 
  • सार्वभौमिक पैटर्न: क्षेत्रीय अंतरों (जैसे, दक्षिण अमेरिका बनाम अफ्रीका) के बावजूद, विविध वर्ग (पक्षी, स्तनधारी, उभयचर) की प्रजातियाँ एक सामान्य जैव-भौगोलिक संरचना का पालन करती हैं। 
  • जलवायु निर्धारक: तापमान और वर्षा 98% सटीकता के साथ प्रजातियों के वितरण का पूर्वानुमान लगाते हैं, जो जलवायु और ऊँचाई जैसे पर्यावरणीय फिल्टर (Environmental Filters) की एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है। 

संरक्षण के लिये निहितार्थ: 

  • दृष्टिकोण में बदलाव (Redefining Focus): प्रशासनिक संरक्षित क्षेत्रों से आगे बढ़कर पारिस्थितिक गलियारों और जैव विविधता केंद्रों की ओर बढ़ना, जो हिमालय जैसे जलवायु-संवेदनशील क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। 
  • आँकड़ों की कमी को दूर करना: उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों, वैश्विक दक्षिण और कुछ प्रजातियों (जैसे, ड्रैगनफ्लाई, वृक्ष) का कम प्रतिनिधित्व भारत में अधिक क्षेत्र-विशिष्ट अध्ययनों की मांग करता है। 
  • जलवायु-उत्तरदायी रणनीति: वर्षा और तापमान में परिवर्तन की निगरानी से अनुकूली संरक्षण योजना को समर्थन मिल सकता है। 
और पढ़ें: भारत की समृद्ध जैवविविधता

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