इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

G-4 देश

  • 24 Sep 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र महासभा, G-4 देश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC)।

मेन्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

संयुक्त राष्ट्र महासभा के हाल के 76वें सत्र के दौरान G-4 देशों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार की 'तत्काल आवश्यकता' पर बल दिया।

G-4 देश:

  • G4 ब्राज़ील, जर्मनी, भारत और जापान का एक समूह है जो UNSC के स्थायी सदस्य बनने के इच्छुक हैं
  • G4 देश UNSC की स्थायी सदस्यता के लिये एक-दूसरे का समर्थन करत हैं।
  • G4 राष्ट्र पारंपरिक रूप से उच्च स्तरीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के वार्षिक सत्र के दौरान मिलते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • उन्होंने महसूस किया कि संयुक्त राष्ट्र के निर्णय लेने वाले निकायों में तत्काल सुधार की आवश्यकता है क्योंकि वैश्विक मुद्दे तेज़ी से जटिल और परस्पर जुड़े हुए हैं।
  • इसके अलावा उन्होंने वार्ताओं की दिशा में काम करने के लिये अपनी संयुक्त प्रतिबद्धता दोहराई जो बहुपक्षवादी सुधार की ओर ले जाती है।
  • उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि महासभा ने अंतर-सरकारी वार्ता (IGN) में "सार्थक प्रगति" नहीं की और न ही पारदर्शिता को बनाए रखा।
  • उन्होंने अफ्रीकी देशों का स्थायी और अस्थायी रूप से प्रतिनिधित्व किये जाने के लिये अपना समर्थन दोहराया।
  • मंत्रियों ने अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के सवालों पर जटिल एवं उभरती चुनौतियों का प्रभावी ढंग से जवाब देने हेतु परिषद की क्षमता बढ़ाने के लिये विकासशील देशों तथा संयुक्त राष्ट्र में प्रमुख योगदानकर्त्ताओं की बढ़ी हुई भूमिका एवं उपस्थिति की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।

UNSC में सुधारों की आवश्यकता:

  • संयुक्त राष्ट्र दुनिया का प्रतिनिधित्व करता है और विडंबना यह है कि इसके महत्त्वपूर्ण निकाय में केवल 5 स्थायी सदस्य हैं।
  • सुरक्षा परिषद की वर्तमान संरचना द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की वास्तविकताओं का प्रतिनिधित्व करती है और इस प्रकार दुनिया में शक्ति के बदलते संतुलन के अनुरूप नहीं है।
  • UNSC के गठन के समय बड़ी शक्तियों को उन्हें परिषद का हिस्सा बनाने के लिये विशेषाधिकार दिये गए थे। यह इसके उचित कामकाज़ के साथ-साथ संगठन 'लीग ऑफ नेशंस' की तरह विफलता से बचने के लिये आवश्यक था।
  • सुदूर पूर्व एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों का परिषद की स्थायी सदस्यता में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

भारत द्वारा UNSC की स्थायी सदस्यता की मांग:

  • अवलोकन:
    • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के गठन के पहले 40 वर्षों तक भारत ने कभी भी स्थायी सदस्यता के लिये नहीं कहा।
    • वर्ष 1993 में भी जब भारत ने सुधारों से संबंधित महासभा के प्रस्ताव के जवाब में संयुक्त राष्ट्र को अपना लिखित प्रस्ताव प्रस्तुत किया, तो उसने विशेष रूप से यह नहीं कहा कि वह अपने लिये स्थायी सदस्यता चाहता है।
    • पिछले कुछ वर्षों से ही भारत ने परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग शुरू की है।
    • भारत अपनी अर्थव्यवस्था के आकार, जनसंख्या और इस तथ्य को देखते हुए कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, परिषद में स्थायी स्थान पाने का हकदार है।
      • भारत न केवल एशिया में बल्कि दुनिया में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बन गया है।
      • यदि भारत इसमें स्थायी सदस्य के रूप में होता तो सुरक्षा परिषद एक अधिक प्रतिनिधि निकाय होगी।
  • आवश्यकता:
    • वीटो पावर होने से कोई असाधारण पावर का लाभ ले सकता है।
      • भारत 2009 से मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने की कोशिश कर रहा था। चीन की एक वीटो शक्ति इसमें बाधा उत्पन्न करती रही।
    • भारत अपने हितों के लिये बेहतर काम कर पाएगा।
      • एक समय था जब USSR ने वास्तव में UNSC का बहिष्कार करना शुरू कर दिया था और यही वह समय था जब अमेरिका कोरियाई युद्ध के लिये प्रस्ताव पारित करने में कामयाब रहा था। उस समय से USSR ने महसूस किया कि संयुक्त राष्ट्र का बहिष्कार करने का कोई मतलब नहीं है। अगर कोई प्रस्ताव उनके खिलाफ है तो उसे वीटो रखने की आवश्यकता है।
    • एक स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उपस्थिति एक वैश्विक शक्ति के तौर पर इसके उदय की स्वीकृति होगी, जो परिषद के अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के उद्देश्यों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिये तैयार है।
    • भारत, परिषद की स्थायी सदस्यता से जुड़ी 'प्रतिष्ठा' का लाभ उठा सकेगा।

संयुक्त्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC):

  • अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा स्थापित सुरक्षा परिषद की  है।
  • इस सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं:
    • इसके पाँच स्थायी सदस्य संयुक्त राज्य अमेरिका, रूसी संघ, फ्राँँस, चीन और यूनाइटेड किंगडम हैं।
    • सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्यों को दो साल के कार्यकाल के लिये चुना जाता है।
  • सुरक्षा परिषद के प्रत्येक सदस्य का एक मत होता है। सभी मामलों पर सुरक्षा परिषद के निर्णय स्थायी सदस्यों सहित नौ सदस्यों के सकारात्मक मत द्वारा लिये जाते हैं, जिसमें सदस्यों की सहमति अनिवार्य है। पाँच स्थायी सदस्यों में से यदि कोई एक भी प्रस्ताव के विपक्ष में वोट देता है तो वह प्रस्ताव पारित नहीं होता है।
  • संयुक्त राष्ट्र का कोई भी सदस्य जो सुरक्षा परिषद का सदस्य नहीं है, बिना वोट के सुरक्षा परिषद के समक्ष लाए गए किसी भी प्रश्न की चर्चा में भाग ले सकता है, यदि सुरक्षा परिषद को लगता है कि उस विशिष्ट मामले के कारण उस सदस्य के हित विशेष रूप से प्रभावित होते हैं।

अंतर-सरकारी वार्ता:

  • IGN संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में और सुधार के लिये संयुक्त राष्ट्र के भीतर काम करने वाले राष्ट्र-राज्यों का एक समूह है।
  • IGN विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों से बना है, यथा:
    • अफ्रीकी संघ
    • G4 राष्ट्र
    • आम सहमति समूह (UfC) के लिये एकजुट होना
    • L.69 विकासशील देशों का समूह
    • अरब संघ
    • कैरेबियन समुदाय (CARICOM)

आगे की राह

  • वैश्विक शक्तियों के पदानुक्रम बदल रहा है और P5 को यह महसूस करने की आवश्यकता है कि UNSC सुधारों को शुरू करने का यह उत्तम समय है। कमज़ोर शक्तियों को या तो अपनी सदस्यता छोड़ देनी चाहिये या UNSC के आकार का विस्तार करना चाहिये, जिससे नई उभरती शक्तियों के लिये दरवाज़े खुल सकें।
  • P5 के विस्तार से पहले अन्य सुधार कार्य सफल हो सकते हैं। तथाकथित शक्तिशाली राष्ट्रों में से कोई भी तालिका का विस्तार नहीं करना चाहता और न ही अपना हिस्सा दूसरे राष्ट्र के साथ साझा करना चाहता है।
  • प्रमुख बातचीत और समूहों में भाग लेने के लिये भारत को आर्थिक, सैन्य एवं कूटनीतिक रूप से खुद को मज़बूत करने पर ध्यान देने की ज़रूरत है। समय के साथ UNSC स्वयं भारत को UNSC का हिस्सा बनने के लिये उपयुक्त मानेगा।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2