प्रारंभिक परीक्षा
समुद्रयान परियोजना
चर्चा में क्यों?
समुद्रयान परियोजना की तैयारियों के तहत दो भारतीय (जलसैनिक) ने फ्राँस की पनडुब्बी 'नौटाइल' में सवार होकर अटलांटिक महासागर में गोता लगाया।
समुद्रयान परियोजना क्या है?
- परिचय: समुद्रयान भारत का पहला मानवयुक्त गहरे समुद्र मिशन है। यह डीप ओशन मिशन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।
- इस परियोजना का उद्देश्य 2027 तक तीन मानवों को एक मानवयुक्त पनडुब्बी (मत्स्य-6000) में समुद्र की 6,000 मीटर गहराई तक भेजना है।
- यह भारत की सामरिक स्थिति को सशक्त करेगा और उसे उन चुनिंदा देशों (US, रूस, चीन, जापान, फ्राँस) की श्रेणी में शामिल करेगा जिनके पास मानवयुक्त गहरे समुद्र में जाने की क्षमता है।
- मुख्य उद्देश्य: गहरे समुद्र से खनन, मानवयुक्त पनडुब्बियों और समुद्री रोबोटिक्स के लिये प्रौद्योगिकियों का विकास करना।
- खनिज भंडारों, विशेष रूप से बहुधात्विक नोड्यूल्स (जिनमें लोहा, मैंगनीज, कोबाल्ट, निकल, दुर्लभ मृदा तत्व शामिल हैं) के लिये सर्वेक्षण करना।
- मत्स्य-6000: यह भारत की पहली स्वयं-संचालित मानवयुक्त पनडुब्बी है। इसे गोलाकार आकार में टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया गया है और यह तीन एक्वानॉट्स को 12 घंटे तक ले जा सकती है तथा आपात स्थितियों में उन्हें 96 घंटे तक जीवित रखने की क्षमता रखती है।
- यह -3°C के कम तापमान में 600bar तक बाह्य दबाव सहन करने की क्षमता रखती है।
- इसमें जीवन-सहायता प्रणाली, ध्वनिक संचार, ली-पो बैटरियाँ, ड्रॉप-वेट एस्केप और चालक दल की स्वास्थ्य निगरानी के लिये बायो-वेस्ट शामिल हैं।
- मत्स्य-6000 का विकास राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) और इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के सहयोग से किया गया है।
डीप ओशन मिशन क्या है?
- उद्देश्य: इसे पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा 5 वर्षों (2021-26) की अवधि के लिये लॉन्च किया गया है, ताकि गहरे समुद्र के जीवित और निर्जीव संसाधनों का अन्वेषण करने और उन्हें सतत् रूप से उपयोग करने के लिये प्रौद्योगिकियों का विकास किया जा सके।
- यह भारत की नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) को बढ़ावा देता है, जिसमें मछली पालन, नौवहन, जैवप्रौद्योगिकी और पर्यटन जैसी समुद्री उद्योग शामिल हैं।
- यह जलवायु परिवर्तन अनुसंधान का समर्थन करता है और UN के 2021–2030 के ‘सतत् विकास के लिये महासागर विज्ञान का दशक (Decade of Ocean Science for Sustainable Development)’ के साथ संरेखित है।
- मिशन घटक:
- गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी: 6,000 मीटर गहराई तक पहुँचने वाली पनडुब्बी का विकास और बहु-धातु गाँठों का खनन। यह भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्रतल प्राधिकरण (International Seabed Authority) के नियमों के तहत भविष्य के वाणिज्यिक गहरे समुद्र अन्वेषण के लिये तैयार करता है।
- महासागर जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाएँ: मौसमी से लेकर दशक तक की भविष्यवाणियों के लिए जलवायु चर का अवलोकन और मॉडलिंग, जो नीली अर्थव्यवस्था और तटीय पर्यटन में सहायक है।
- गहरे समुद्र की जैवविविधता: गहरे समुद्र के पौधों, जीव-जंतुओं और सूक्ष्मजीवों का जैव-खोज और सतत् उपयोग।
- गहरे महासागर का सर्वेक्षण और अन्वेषण: भारतीय महासागर की रीढ़ों के साथ बहुधात्विक हाइड्रोथर्मल सल्फाइड साइटों की पहचान।
- महासागर से ऊर्जा और स्वच्छ जल: महासागर थर्मल एनर्जी कन्वर्शन (Ocean Thermal Energy Conversion- OTEC) और रोधी जल संयंत्र के लिये व्यवहार्यता अध्ययन, जो महासागर के पास ऊर्जा विकास का समर्थन करता है।
- उन्नत समुद्री स्टेशन: महासागर जीवविज्ञान और इंजीनियरिंग में प्रतिभा का विकास; ऑन-साइट इनक्यूबेटर के माध्यम से अनुसंधान को औद्योगिक उत्पादों में परिवर्तित करना।
- प्रगति: मिशन के तहत, गहरे पानी की स्वायत्त जलमग्न वाहन (AUV) ओशन मिनरल एक्सप्लोरर (OMe 6000) का अन्वेषण के लिये उपयोग किया गया।
- दिसंबर 2022 में, इसने मध्य हिंद महासागर बेसिन में बहुधात्विक मैंगनीज पिंड/नोड्यूल (PMN) साइट पर 5,271 मीटर गहराई में खनिज-समृद्ध क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया।
- अनुसंधान जहाज़ सागरनिधि का उपयोग करते हुए, AUV OMe 6000 ने बहुधात्विक पिंडों के वितरण और गहरे समुद्र की जैवविविधता का आकलन करने के लिये 14 वर्ग किलोमीटर का सर्वेक्षण किया, जिससे भविष्य के अन्वेषण और संसाधन मानचित्रण का मार्ग प्रशस्त हुआ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)
- किसी तटीय राज्य को अपने प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई को आधार-रेखा से मापित, 12 समुद्री मील से अनाधिक सीमा तक अभिसमय के अनुरूप सुस्थापित करने का अधिकार है।
- सभी राज्यों, चाहे वे तटीय हों अथवा भूमि-बद्ध भाग हों, के जहाज़ों को प्रादेशिक समुद्र से होकर बिना किसी रोकटोक यात्रा का अधिकार होता है।
- अनन्य आर्थिक क्षेत्र का विस्तार उस आधार रेखा से से 200 समुद्री मील से अधिक नहीं होगा, जहाँ से प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: ( 2021)
- वैश्विक महासागर आयोग अंतर्राष्ट्रीय जल में समुद्र तल की खोज और खनन के लिये लाइसेंस प्रदान करता है।
- भारत को अंतर्राष्ट्रीय जल में समुद्र तल खनिज अन्वेषण के लिये लाइसेंस प्राप्त हुआ है।
- 'दुर्लभ मृदा खनिज' अंतर्राष्ट्रीय समुद्र जल तल पर मौजूद हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
रैपिड फायर
CDS ने सशस्त्र बलों के लिये 3 संयुक्त सिद्धांत
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने सशस्त्र बलों के लिये भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर डोमेन में एकीकरण, अंतर-संचालन और परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने हेतु 3 संयुक्त सिद्धांत जारी किये हैं।
- विशेष बल संचालन के लिये संयुक्त सिद्धांत: इसका उद्देश्य अर्द्ध विशेष बल (सेना), समुद्री कमांडो (MARCOS) (नौसेना) और गरुड़ कमांडो बल (IAF) की अंतर-संचालनीयता सुनिश्चित करना है।
- उत्कृष्टता केंद्र के रूप में संयुक्त सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (JsSTIs) की सिफारिश की गई।
- यह रात्रिकालीन अभियानों, प्रतिकूल मौसम मिशनों, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और सटीक निर्देशित युद्ध सामग्री समर्थन के लिये उन्नत संयुक्त प्रशिक्षण पर केंद्रित है।
- हवाई और हेलीबोर्न परिचालनों के लिये संयुक्त सिद्धांत: उन्नत प्रौद्योगिकी के एकीकरण, संयुक्त सेवा प्रशिक्षण तथा सामरिक तालमेल पर जोर दिया गया है।
- शांतिकालीन मुठभेड़ों से लेकर उच्च तीव्रता वाले संघर्षों तक तत्परता सुनिश्चित करता है।
- बहु-क्षेत्रीय संचालन (MDO) सिद्धांत: यह भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष, साइबर और संज्ञानात्मक क्षेत्रों में एकीकरण को कवर करता है। इसका उद्देश्य निर्णय लेने की क्षमता को सशक्त बनाना तथा युद्धक्षेत्र में जवाबदेही को बढ़ाना है।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
- CDS भारत में सर्वोच्च रैंक वाला सैन्य अधिकारी है, जो तीनों सेनाओं के सभी मामलों पर रक्षा मंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार के रूप में कार्य करता है और सैन्य मामलों के विभाग (DMA) का प्रमुख होता है।
- यह पद तीनों सेवाओं - सेना, नौसेना और वायु सेना के बीच संयुक्तता और समन्वय बढ़ाने के लिये बनाया गया था।
- CDS चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी का स्थायी अध्यक्ष और रक्षा अधिग्रहण परिषद का सदस्य होता है।
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रैपिड फायर
प्रोजेक्ट आरोहण
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों की शिक्षा में सहायता के लिये प्रोजेक्ट आरोहण शुरू किया है।
प्रोजेक्ट आरोहण
- परिचय: यह वर्टिस इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट के साथ साझेदारी में एक छात्रवृत्ति और मार्गदर्शन पहल है, जिसे SMEC ट्रस्ट के भारत केयर्स द्वारा कार्यान्वित किया गया है, जिसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के बच्चों के लिये है।
- उद्देश्य: वित्तीय बाधाओं को दूर करना, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक समान पहुँच सुनिश्चित करना और प्रतिभाओं को पोषित करना, जिससे सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम किया जा सके।
- मुख्य विशेषताएँ: कक्षा 11 से स्नातक स्तर तक के 500 छात्रों को 12,000 रुपये की वार्षिक छात्रवृत्ति और 50 स्नातकोत्तर छात्रों को 50,000 रुपये प्रति छात्र की दर से सहायता प्रदान की जाती है।
- यह मार्गदर्शन, कौशल विकास और करियर मार्गदर्शन प्रदान करता है।
- यह लड़कियों, पहली पीढ़ी के शिक्षार्थियों और आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWS), SC, ST, OBC और अल्पसंख्यक समुदायों के छात्रों को प्राथमिकता देता है।
- महत्त्व:
- शैक्षिक समानता को बढ़ावा: आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग (EWS) के टोल प्लाज़ा कर्मचारियों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये वित्तीय सहायता और परामर्श प्रदान करता है।
- समावेशी विकास को प्रोत्साहन: लड़कियों, प्रथम-पीढ़ी के शिक्षार्थियों और हाशिये पर रहने वाले समुदायों (SC, ST, OBC, अल्पसंख्यक) के विद्यार्थियों को प्राथमिकता देकर सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को कम करने में मदद करता है।
- मानव पूंजी का विकास: करियर अवसरों, कौशल विकास, प्रतिभा संवर्द्धन, रोज़गार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर राष्ट्र-निर्माण में योगदान देता है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
- NHAI की स्थापना NHAI अधिनियम, 1988 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव और प्रबंधन की देखरेख के लिये की गई थी।
- भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई 1,32,499 किमी है, जो देश के कुल सड़क नेटवर्क का केवल 2% हिस्सा होते हुए भी भारत के 40% सड़क यातायात का भार वहन करते हैं।
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