मुख्य परीक्षा
अंतर-सेवा संगठन नियम 2025
- 30 May 2025
- 9 min read
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
भारत ने अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) अधिनियम, 2023 के अंतर्गत अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।
- इन नियमों का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तीनों सेनाओं की समन्वित प्रतिक्रिया के बाद अंतर-सेवा संगठनों (ISO) की कमान, नियंत्रण और प्रशासनिक दक्षता को मज़बूत करना है।
अंतर-सेवा संगठन क्या हैं?
- परिचय: ISO सशस्त्र बलों (सेना, नौसेना और वायु सेना) की दो या अधिक शाखाओं के कर्मियों से बनी इकाइयाँ या कमांड हैं। इन्हें एकीकृत योजना, संचालन तथा रसद की सुविधा हेतु डिज़ाइन किया गया है।
- इसके उदाहरणों में अंडमान और निकोबार कमांड जैसी त्रि-सेवा कमांड या भारत की थिएटराइज़ेशन योजना के तहत आगामी थिएटर कमांड शामिल हैं।
- ISO अधिनियम 2023: यह अधिनियम विभिन्न सेवाओं से संबंधित पृथक विधियों (जैसे- सेना अधिनियम, 1950, नौसेना अधिनियम, 1957 एवं वायु सेना अधिनियम, 1950) से उत्पन्न चुनौतियों (जिनसे प्राय: संयुक्त-सेवा में समन्वय तथा अनुशासन में बाधा उत्पन्न होती है) का समाधान करने पर केंद्रित है।
- यह मौजूदा कानूनों में संशोधन नहीं करता है, फिर भी यह अधिनियम ISO कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उनकी कमान के अंतर्गत सभी कार्मिकों पर, यद्यपि उनकी सेवा कुछ भी हो, प्रशासनिक और अनुशासनात्मक प्राधिकार प्रदान करता है।
- यह अंडमान और निकोबार कमांड तथा रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी जैसे संयुक्त सेवा कमांड संगठनों को औपचारिक रूप से मान्यता देता है तथा नए ISO और संयुक्त सेवा कमांड के सृजन की अनुमति देता है तथा उन्हें कमांडर-इन-चीफ के अधीन रखता है।
- केंद्र समग्र नियंत्रण बनाए रखता है और नेतृत्व की भूमिकाओं के लिये पात्रता निर्धारित करता है, जबकि कमांडिंग अधिकारी ISO के अंतर्गत इकाई-स्तरीय अनुशासन और प्रशासन का प्रबंधन करते हैं।
- ISO नियम 2025: ISO अधिनियम, 2023 की धारा 11 के तहत अधिसूचित इन नियमों का उद्देश्य सेना, नौसेना और वायु सेना में ISO के तहत कार्य करते समय अनुशासन तथा प्रशासन के कुशल प्रबंधन को सुनिश्चित करना है, जैसे संयुक्त कमांड या थिएटर कमांड।
- वर्ष 2025 के नियमों के अनुसार, संयुक्त सेवा कमान और अंतर-सेवा प्रतिष्ठान दोनों में किसी भी दो या सभी तीन सशस्त्र बलों के कार्मिक शामिल होंगे।
- संयुक्त सेवा कमान का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल, एयर मार्शल या वाइस एडमिरल के पद पर कार्यरत कमांडर-इन-चीफ करते हैं।
- अंतर-सेवा प्रतिष्ठान की कमान मेजर जनरल, एयर वाइस मार्शल, रियर एडमिरल या उससे उच्च रैंक वाले ऑफिसर-इन-कमांड द्वारा संभाली जाती है।
- ISO नियम 2025 के तहत, यदि कोई कमांडर-इन-चीफ, ऑफिसर-इन-कमांड या कमांडिंग ऑफिसर अवकाश पर है अथवा अनुपस्थित है, तो इंटर-सर्विसेज़ यूनिट के आदेशों में औपचारिक रूप से उसके स्थान पर किसी अन्य को अभिहित किया जाएगा।
- आपात स्थिति में बिना किसी पूर्व आदेश के, अगला उच्चतर गठन एक अस्थायी स्थानापन्न नियुक्त करेगा।
- अंतर-सेवा संगठनों में कमान और नियंत्रण के संबंध में मौजूदा नियमों या अधिनियमों के अंतर्गत न आने वाले मामलों पर निर्णय के लिये केंद्र सरकार को प्रेषित किया जाएगा।
अंतर-सेवा संगठनों का महत्त्व क्या है?
- परिवर्द्धित परिचालन सहक्रिया: एकीकृत कमान के तहत एकीकरण से सेना, नौसेना और वायु सेना इकाइयों के बीच संयुक्त नियोजन तथा आपातकालीन समन्वय की सुविधा मिलती है।
- कारगिल समीक्षा समिति (1999) ने कारगिल युद्ध के दौरान तीनों सशस्त्र बलों के बीच समन्वय के अभाव को उजागर किया और संरचनात्मक सुधारों की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। इसने संयुक्त परिचालन प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिये एकीकृत कमांड की अनुशंसा की।
- आधुनिक युद्ध क्षेत्र में जटिल, बहु-क्षेत्रीय खतरों, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से संबंधित दो-मोर्चे वाले परिदृश्य में शत्रुओं का सामना करने हेतु तीनों बलों के बीच यह समन्वय अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- संसाधनों का इष्टतम उपयोग: ISO रसद के संग्रहण, अनुरक्षण और सहायता कार्यों में सक्षम है, जिससे दोहराव का समाधान एवं संसाधनों की बचत होती है।
- मुंबई में पहले ट्राई-सर्विस कॉमन डिफेंस स्टेशन की स्थापना (2024) एकीकृत बुनियादी ढाँचे की ओर अंतरण को दर्शाती है।
- बेहतर युद्ध तत्परता: संयुक्त प्रशिक्षण और योजना बहु-क्षेत्रीय संचालन के लिये अंतःक्रियाशीलता तथा तैयारी को बढ़ाते हैं, जिसमें साइबर एवं अंतरिक्ष युद्ध शामिल हैं।
- सामरिक सुधार एवं आधुनिकीकरण: एकीकरण आधुनिक सैन्य सिद्धांत और अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं (जैसे- अमेरिका एवं चीन) की ओर बदलाव को दर्शाता है।
- यह भारत की सैन्य संरचना को उभरती भू-राजनीतिक चुनौतियों के साथ समन्वयित करता है और भविष्य में युद्ध के लिये तैयार करने हेतु प्रौद्योगिकी के एकीकरण तथा सिद्धांतात्मक विकास को प्रोत्साहित करता है।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: भारत के सैन्य सुधारों के संदर्भ में अंतर-सेवा संगठनों के महत्त्व के संबंध में विवेचना कीजिये। |
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत के संविधान में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की अभिवृद्धि का उल्लेख कहाँ है? (2014) (a) संविधान की उद्देशिका में उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बाह्य राज्य और गैर-राज्य कारकों द्वारा प्रस्तुत बहुआयामी चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये। इन संकटों का मुकाबला करने के लिये आवश्यक उपायों की भी चर्चा कीजिये। (2021) प्रश्न: "बहुधार्मिक व बहुजातीय समाज के रूप में भारत की विविध प्रकृति, पड़ोस में दिख रहे अतिवाद के संघात के प्रति निरापद नहीं है।" ऐसे वातावरण के प्रतिकार के लिये अपनाई जाने वाली रणनीतियों के साथ विवेचना कीजिये। (2014) |