आपदा प्रबंधन
भारत में शहरी बाढ़
- 29 May 2025
- 15 min read
प्रिलिम्स के लिये:शहरी बाढ़, चरम मौसम की घटनाएँ, पारिस्थितिकी-संवेदनशील क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन, भारतीय मौसम विभाग, भारत में बाढ़ प्रबंधन मेन्स के लिये:भारत में शहरी बाढ़ में वृद्धि के कारण, शहरी बाढ़ के प्रमुख प्रभाव। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
बंगलूरू में तीव्र प्री-मानसून वर्षा हुई, जिससे भारी जलभराव, झीलों का ओवरफ्लो और जान-माल को गंभीर नुकसान पहुँचा। इस वर्ष मानसून के समय से पहले वर्षा होने के कारण शहर में बाढ़ के खतरे और भी अधिक बढ़ने की संभावना है।
शहरी बाढ़ क्या है?
- शहरी बाढ़ से तात्पर्य अधिक वर्षा, नदियों के उफान, अवरुद्ध जल निकासी प्रणालियों या अन्य जल-संबंधी घटनाओं के कारण सघन आबादी वाले क्षेत्रों में भूमि या संपत्ति के जलमग्न होने से है।
- इससे जलभराव होता है, परिवहन बाधित होता है, बुनियादी ढाँचे को नुकसान पहुँचता है तथा शहरी आबादी के लिये स्वास्थ्य संबंधी खतरा उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: बंगलूरू बाढ़ (2024), दिल्ली बाढ़ (2023), मुंबई बाढ़ (2020), चेन्नई बाढ़ (2015)।
भारत में शहरी बाढ़ के प्रमुख कारण क्या हैं?
- प्राकृतिक कारण:
- भारी मानसूनी वर्षा: भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण-पश्चिम मानसून से विशेषरूप से पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में तीव्र मानसूनी वर्षा होती है। मुंबई जैसे शहरों में प्रायः कम समय में भारी वर्षा होती है, जिससे जल निकासी प्रणाली पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
- उदाहरण: वर्ष 2015 की चेन्नई बाढ़ बंगाल की खाड़ी के ऊपर चक्रवाती परिसंचरण से जुड़ी अत्यधिक मानसून वर्षा के कारण आई थी ।
- भारी मानसूनी वर्षा: भारतीय उपमहाद्वीप में दक्षिण-पश्चिम मानसून से विशेषरूप से पश्चिमी घाट और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में तीव्र मानसूनी वर्षा होती है। मुंबई जैसे शहरों में प्रायः कम समय में भारी वर्षा होती है, जिससे जल निकासी प्रणाली पर अत्यधिक दबाव पड़ता है।
- स्थलाकृति: कई भारतीय शहर बाढ़ के मैदानों या निचले तटीय क्षेत्रों में स्थित हैं (जैसे- कोंकण तट पर मुंबई, गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में कोलकाता)। इन क्षेत्रों में समतल भूभाग और धीमी जल निकासी के कारण स्वाभाविक रूप से अपवाह जमा होता है, जो तटीय शहरों में उच्च ज्वार के प्रभाव से और भी बढ़ जाता है।
- इसके अलावा, लगभग 900 मीटर की ऊँचाई पर स्थित बंगलूरू जैसे शहरों में प्राकृतिक रूप से अतिरिक्त जल निकासी के लिये प्रमुख नदियों का अभाव है।
- जलवायु परिवर्तन और चरम मौसमी घटनाएँ: जलवायु परिवर्तन के कारण निरंतर तीव्र वर्षा हो रही है, जिससे अचानक बाढ़ आ रही है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2023 में दिल्ली में बाढ़ अत्यधिक वर्षा के कारण आई थी, जिसके कारण यमुना नदी का जल शहरी क्षेत्रों में भर गया था।
- मानवजनित कारण:
- तीव्र शहरीकरण और अवरुद्ध योजना: अनियोजित शहरी विकास के कारण प्राकृतिक जल निकासी चैनलों का कंक्रीटीकरण हो गया है तथा आर्द्रभूमि एवं बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण हो गया है।
- उदाहरण के लिये बंगलूरू में एक समय 1,000 से अधिक झीलें थीं, लेकिन अतिक्रमण और निर्माण के कारण लगभग 80% झीलें नष्ट हो गई हैं या उनका क्षरण हो गया है, जिससे प्राकृतिक जल धारण क्षमता कम हो गई है तथा अपवाह बढ़ गया है।
- तीव्र शहरीकरण और अवरुद्ध योजना: अनियोजित शहरी विकास के कारण प्राकृतिक जल निकासी चैनलों का कंक्रीटीकरण हो गया है तथा आर्द्रभूमि एवं बाढ़ के मैदानों पर अतिक्रमण हो गया है।
- अपर्याप्त जल निकासी अवसंरचना: कई भारतीय शहर पुरानी, छोटी जल निकासी प्रणालियों पर निर्भर हैं, जो तीव्र वर्षा का प्रबंधन नहीं कर सकती हैं।
- उदाहरण के लिये मुंबई की ब्रिटिशकालीन जल निकासी, जिसे 25 मिमी./घंटा के लिये डिज़ाइन किया गया है, भारी मानसून के दौरान अक्सर भर जाती है, जैसा कि वर्ष 2023 की बाढ़ में देखा गया था।
- ठोस अपशिष्ट का कुप्रबंधन: ठोस अपशिष्ट का अनियंत्रित निस्तारण जल निकास मार्गों और वर्षा जल प्रणालियों को अवरुद्ध कर देता है, जिससे शहरी बाढ़ की समस्या और भी गंभीर हो जाती है।
- उदाहरण के लिये वर्ष 2023 में हिमाचल प्रदेश में प्लास्टिक अपशिष्ट ने प्राकृतिक और कृत्रिम जलमार्गों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे बाढ़ का प्रभाव और अधिक गंभीर हो गया।
- इसके अलावा, वर्ष 2015 में चेन्नई में आई बाढ़, नदी के मुहाने पर स्थित नहरों में गाद व अपशिष्ट के जमा होने तथा अनियंत्रित शहरी विकास के कारण प्राकृतिक जल प्रवाह अवरुद्ध होने से और अधिक भीषण हो गई थी।
- वनोन्मूलन: पर्वतीय क्षेत्रों में झूम कृषि और चारण के कारण वनोन्मूलन एवं अनुचित भूमि उपयोग के कारण सतही अपवाह और गाद का जमाव बढ़ जाता है, जिससे निम्न शहरी क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।
- उदाहरण के लिये, असम में गुवाहाटी को ऐसे वनोन्मूलन के कारण बार-बार बाढ़ का सामना करना पड़ता है।
शहरी बाढ़ के प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
- आर्थिक क्षति और बुनियादी ढाँचे को नुकसान: शहरी बाढ़ से सड़क, पुल, विद्युतऔर जल प्रणालियों जैसे महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को गंभीर नुकसान होता है, जिससे जीर्णोद्धार की लागत बहुत अधिक हो जाती है और आर्थिक व्यवधान उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: वर्ष 2015 की चेन्नई बाढ़ के कारण 15,000 करोड़ रुपए से अधिक की क्षति हुई, जिससे परिवहन और विद्युतआपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ा।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट: शहरी बाढ़ से सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बढ़ता है, क्योंकि इससे जल जमा हो जाता है, जिससे मच्छरों की संख्या में वृद्धि होती है और मलेरिया एवं डेंगू जैसी बीमारियाँ बढ़ती हैं। दूषित पेयजल से हैज़ा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियाँ भी फैलती हैं।
- उदाहरण: वर्ष 2020 में केरल में आई बाढ़ के कारण लेप्टोस्पायरोसिस और अन्य जलजनित रोगों में वृद्धि देखी गई।
- विस्थापन और सामाजिक भेद्यता: शहरी बाढ़ से सुभेद्य समूहों, विशेषरूप से अनौपचारिक बस्तियों और निचले इलाकों के निवासियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। हज़ारों लोग विस्थापित हो जाते हैं, आवास खो देते हैं और बुनियादी सेवाओं तक उनकी पहुँच नहीं हो पाती, जिससे गरीबी और असमानता में वृद्धि होती है।
- वर्ष 2022 की मुंबई बाढ़ के कारण मलिन बस्तियों में रहने वालों को गंभीर विस्थापन और आजीविका के नुकसान का सामना करना पड़ा।
- पारिस्थितिकी क्षरण और जल प्रदूषण: शहरी बाढ़ प्रदूषक, सीवेज़ और औद्योगिक अपशिष्ट को झीलों और नदियों में ले जाती है, जिससे जलीय पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुँचता है और जैवविविधता कम होती है। बंगलूरू की झीलों में देखा जाने वाला यह प्रदूषण भूजल पुनर्भरण और प्राकृतिक बाढ़ नियंत्रण को बाधित करता है ।
- इसके अलावा, तीव्र अपवाह से मृदा क्षरण होता है और हरित क्षेत्रों को क्षति पहुँचती है, जिससे शहरी जल संकट और भी गंभीर हो जाता है।
- अतिभारित बुनियादी ढाँचा: बार-बार आने वाली शहरी बाढ़ जल निकासी, अपशिष्ट प्रबंधन और शहरी नियोजन में विफलताओं को उजागर करती है। अवरुद्ध नालियाँ, अपर्याप्त वर्षा जल प्रणालियाँ और जल निकायों पर अतिक्रमण बाढ़ को और प्रभावित करती हैं।
- मुंबई की पुरानी जल निकासी व्यवस्था, जो वर्ष 2023 की बाढ़ के दौरान देखी गई थी, अक्सर ध्वस्त हो जाती है, जिससे गंभीर जलभराव होता है तथा आपातकालीन सेवाएँ बाधित होती हैं।
शहरी बाढ़ के प्रति समुत्थानशीलता हेतु क्या उपाय अपनाए जा सकते हैं?
- एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन: संपूर्ण नदी बेसिनों का समग्र प्रबंधन (जिसमें ऊपरी और निचले क्षेत्रों के प्रभावों को ध्यान में रखा जाता है) बाढ़ को स्रोत पर ही नियंत्रित करने में मदद करता है।
- उदाहरण के लिये, नीदरलैंड के "रूम फॉर द रिवर" प्रोजेक्ट में नदियों के सुरक्षित विस्तार के लिये विशेष स्थान बनाए गए हैं। इसी तरह के उपायों को भारतीय शहरी संदर्भ में अपनाकर बाढ़ के जोखिम को कम किया जा सकता है।
- सतत् शहरी जल निकासी प्रणालियों (SUDS) को बढ़ावा देना: पारगम्य फुटपाथ (permeable pavements), वर्षा उद्यान (Rain Gardens), जैव-मार्ग (Bio-Swales) तथा डिटेंशन और अवरोध बेसिन (Detention Basins) जैसे समाधानों को अपनाकर वर्षा जल को स्रोत पर ही प्रबंधित किया जा सकता है। यह प्राकृतिक जलचक्र की नकल करता है और जल के रिसाव को बढ़ाता है।
- स्पंज सिटी अवधारणा को अपनाना: स्पंज सिटी दृष्टिकोण में शहरी परिदृश्यों को डिज़ाइन करना शामिल है जो प्राकृतिक और इंजीनियर समाधानों के माध्यम से वर्षा जल को अवशोषित, संग्रहीत तथा शुद्ध करते हैं, जिससे अपवाह एवं बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सके।
- चीन का शंघाई शहर इस मॉडल पर हरित छतें (green roofs), पारगम्य सतहें और हरित स्थान विकसित कर रहा है।
- इसी प्रकार, मुंबई में भी बाढ़ प्रतिरोधक क्षमता और भूजल पुनर्भरण बढ़ाने के लिये इस मॉडल को अपनाया जा रहा है।
- जल निकायों का पुनरुद्धार: शहरी झीलों, आर्द्रभूमि और प्राकृतिक जल धारण क्षेत्रों को पुनर्जीवित करने से बाढ़ अवशोषण क्षमता में वृद्धि होती है।
- बंगलूरू की जक्कुर झील का पुनरुद्धार पारिस्थितिकी पुनरुद्धार के माध्यम से बाढ़ की रोकथाम को प्रभावी ढंग से दर्शाता है।
- सामुदायिक सहभागिता एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली: बाढ़ की रोकथाम और प्रतिक्रिया में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी से लचीलापन मजबूत होता है।
- अहमदाबाद के हीट एक्शन प्लान के समान मजबूत पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ स्थापित करना, जिसमें सामुदायिक पहुँच भी शामिल है, शहरी बाढ़ प्रबंधन में सुधार के लिये अपनाई जा सकती हैं ।
- सिंगापुर का स्मार्ट वाटर असेसमेंट नेटवर्क (SWAN) वास्तविक समय में जल स्तर को ट्रैक करने के लिये रिमोट सेंसर का उपयोग करता है, SMS के माध्यम से अलर्ट जारी करता है, ताकि त्वरित सार्वजनिक प्रतिक्रिया और बाढ़ की तैयारी सुनिश्चित हो सके। भारत भी इससे प्रेरणा प्राप्त कर सकता है।
निष्कर्ष
भारत में शहरी बाढ़, जो अनियोजित शहरी विकास एवं जलवायु परिवर्तन के कारण होती है जीवन, संपत्ति और बुनियादी ढाँचे के लिये एक गंभीर खतरा उत्पन्न करती है। एक लचीले दृष्टिकोण के लिये स्पंज सिटी सिद्धांतों, स्मार्ट स्टॉर्मवाटर प्रबंधन, आर्द्रभूमि के पुनर्स्थापन और जलवायु-अनुकूल शहरी योजना का एकीकरण आवश्यक है। दीर्घकालिक बाढ़ न्यूनीकरण और सतत् शहरी विकास के लिये सक्रिय समुदाय भागीदारी और संस्थागत समन्वय महत्त्वपूर्ण हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: शहरी बाढ़ में योगदान देने वाले प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये तथा प्रभावी बाढ़ प्रबंधन के लिये उपाय सुझाइये। |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs)मुख्य परीक्षा:Q. नदियों को आपस में जोड़ने से सूखा, बाढ़ और बाधित नौवहन जैसी बहुआयामी अंतर-संबंधित समस्याओं का व्यवहार्य समाधान प्राप्त किया जा सकता है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये । (2020) Q. भारत में हैदराबाद और पुणे जैसे स्मार्ट शहरों सहित लाखों शहरों में भारी बाढ़ के कारणों का विवरण दीजिये, तथा स्थायी उपचारात्मक उपाय सुझाइये। (2020) |