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डेली न्यूज़

  • 16 Dec, 2023
  • 44 min read
भूगोल

समकालिक बदलती जलवायु में अत्यधिक वर्षा की निरंतरता

प्रिलिम्स के लिये:

बदलती जलवायु, ग्लोबल वार्मिंग, भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा (ISMR) में समकालिक अत्यधिक वर्षा की निरंतरता।

मेन्स के लिये:

बदलती जलवायु में समकालिक अत्यधिक वर्षा की निरंतरता, भारत में वर्षा को प्रभावित करने वाले कारक।

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एडवांसिंग अर्थ एंड स्पेस साइंसेज़ (AGU) द्वारा एक नया अध्ययन प्रकाशित किया गया है, जिसका शीर्षक है “जियोग्राफिकल ट्रैपिंग ऑफ सिंक्रोनस एक्सट्रीम्स एमिड्ट इंक्रीजिंग वेरिएबिलिटी ऑफ इंडियन समर मॉनसून रेनफॉल”, जिसमें बताया गया है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण भारतीय मॉनसून में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं।

  • यह अध्ययन भारतीय ग्रीष्मकालीन माॅनसून वर्षा (ISMR) वर्ष 1901 से 2019 तक के दौरान समकालिक अत्यधिक वर्षा की घटनाओं की जाँच करता है। यह मध्य भारत में परस्पर जुड़े चरम केंद्रों की निरंतर उपस्थिति पर प्रकाश डालता है, जो क्षेत्र में इन समवर्ती घटनाओं की भौगोलिक एकाग्रता का सुझाव देता है।

भारत में वर्षा की प्रवृत्ति कैसी रही है?

  • निरंतर स्थानिक एकाग्रता: 
    • पिछली शताब्दी में भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून वर्षा (ISMR) में बढ़ती परिवर्तनशीलता के बावजूद, समकालिक अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ मुख्य रूप से मध्य भारत में एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में केंद्रित रही हैं जो पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ हिस्सों से लेकर गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्सों तक फैली हुई है।
      • यह गलियारा वर्ष 1901 से 2019 तक अपरिवर्तित रहा है!
      • यह समग्र रूप से बढ़ी हुई परिवर्तनशीलता के बावजूद समकालिक चरम घटनाओं के एक स्थिर पैटर्न को इंगित करता है।
  • नेटवर्क सामंजस्य: 
    • CI में अत्यधिक परस्पर जुड़े चरम वर्षा केंद्रों का एक सतत नेटवर्क है। ये केंद्र मज़बूत स्थानीय कनेक्शन प्रदर्शित करते हैं, जो लंबी अवधि में इस क्षेत्र में चरम घटनाओं के स्थिर सिंक्रनाइज़ेशन पर ज़ोर देते हैं।
  • जलवायु पैटर्न के साथ सहसंबंध:
    • भारत में मानसून के पूर्वानुमान, अल नीनो और ला नीना परिघटना के साथ इसके संबंध पर बहुत अधिक निर्भर करते हैं, हालाँकि यह सामंजस्य लगभग 60% समय तक ही रहता है।
    • भारतीय वर्षा की घटनाएँ अल-नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) के साथ सहसंबंधित हैं, प्रबल अल नीनो अवधि के दौरान अधिक सिंक्रनाइज़ेशन और ला नीना स्थितियों के दौरान कम।
  • पूर्वानुमान हेतु निहितार्थ:
    • निष्कर्षों से पता चलता है कि ISMR की बढ़ती परिवर्तनशीलता और जटिलता के बावजूद, CI में अत्यधिक वर्षा सिंक्रनाइज़ेशन की निरंतर प्रकृति को समझने से सिंक्रोनस चरम की भविष्यवाणी करने के लिये महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि मिलती है।
    • यह ज्ञान माॅनसून के मौसम के दौरान प्रभावी अनुकूलन रणनीतियों और जोखिम प्रबंधन को विकसित करने में सहायता कर सकता है।

पूर्वानुमान पर निष्कर्षों के निहितार्थ क्या हैं?

  • स्थिरता पर दोबारा गौर करना:
    • इस धारणा के बावजूद कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु प्रणालियों में स्थिर तत्त्व अब मौजूद नहीं हैं, भारतीय मानसून की भारी बारिश की घटनाओं को सिंक्रनाइज़ करने की क्षमता इस धारणा को चुनौती देती है।
    • इससे पता चलता है कि कुछ सुसंगत पैटर्न, जैसे कि विशिष्ट गलियारों/कॉरिडोर में समकालिक अत्यधिक वर्षा की घटनाएँ, बदलती जलवायु में भी बनी रहती हैं।
  • कॉरिडोर डायनेमिक्स को समझना: 
    • एक भौगोलिक कॉरिडोर की पहचान, मुख्य रूप से पश्चिमी तट के साथ और पूरे मध्य भारत में पर्वत शृंखला, समकालिक अत्यधिक वर्षा की घटनाओं और मानसून अवनमन/अवसादों के लिये संभावित ट्रैपिंग क्षेत्र के रूप में एक महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्रदान करती है।
      • यह परिकल्पना इस बात की समझ को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी कि ये घटनाएँ किस प्रकार और कहाँ घटित होती हैं, जिससे अधिक सटीक पूर्वानुमानों में सहायता मिलेगी।
  • पूर्वानुमान में सुधार:
    • शोध से पता चलता है कि समकालिक अत्यधिक वर्षा की घटनाओं के पूर्वानुमान में सुधार के लिये बढ़े हुए मॉडल रिज़ॉल्यूशन या उच्च कम्प्यूटेशनल लागत की आवश्यकता नहीं है।
    • इसके बदले मौजूदा मॉडलों के भीतर सिंक्रनाइज़ेशन की गतिशीलता को समझने पर ध्यान केंद्रित करने से अधिक सटीक भविष्यवाणियाँ हो सकती हैं। यह पूर्वानुमान दृष्टिकोण में एक रणनीतिक बदलाव पर प्रकाश डालता है।
  • जोखिम न्यूनीकरण रणनीतियाँ:
    • बड़े पैमाने पर अत्यधिक वर्षा की इन घटनाओं का सटीक पूर्वानुमान कृषि, जल प्रबंधन, ऊर्जा, परिवहन तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे विभिन्न क्षेत्रों में जोखिमों को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
      • ये रणनीतियाँ तत्परता तथा शमन के लिये बेहतर पूर्वानुमानों का उपयोग करके छोटे पैमाने पर खतरे में कमी की रणनीति में सुधार करने का मौका प्रदान करते हैं।
  • भारत के संसाधनों का दोहन:
    • इस अध्ययन में भारत की सुदृढ़ मॉडलिंग क्षमता तथा कम्प्यूटेशनल संसाधनों पर ज़ोर दिया गया है, जिससे देश बेहतर पूर्वानुमान के लिये इस क्षमता का उपयोग कर सके।
    • यह समकालिकता गतिशीलता को गहराई से समझने तथा पूर्वानुमानों को अनुकूलित करने की क्षमता पर प्रकाश डालता है, जिससे संभावित रूप से विभिन्न क्षेत्रों पर अत्यधिक वर्षा की घटनाओं के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

भारतीय मानसून को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?

  • हिमालय पर्वत:
    • भारत में मानसूनी वायु की उत्पत्ति में हिमालय एक प्रमुख कारक है।
    • ग्रीष्म ऋतु के दौरान, भारतीय उपमहाद्वीप का भूभाग तेज़ी से ऊष्मित होता है, जिससे निम्न-दाब प्रणाली का निर्माण होता है।
      • हिमालय, जो एक अवरोधक के रूप में कार्य करता है, उत्तर से ठंडी, शुष्क वायु के आगमन को रोकता है, जिसके परिणामस्वरूप एक दाब प्रवणता उत्पन्न होती है जो हिंद महासागर से गर्म, नम वायु खींचती है।
  • थार मरुस्थल:
    • थार मरुस्थल, जिसे महान भारतीय मरुस्थल भी कहा जाता है, भारत में मानसूनी पवनों की उत्पत्ति का एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
    • यह यह मानसून की बंगाल की खाड़ी की शाखा के लिये वर्षा छाया क्षेत्र के रूप में कार्य करता है, जिसका अर्थ है कि अरावली पर्वत शृंखला द्वारा निर्मित अवरोध के कारण यहाँ बहुत कम वर्षा होती है।
      • इस प्रकार, दक्षिणी-पश्चिम मानसून की अरब सागर शाखा, जो थार मरुस्थल के समानांतर चलती है, के कारण आसपास के क्षेत्रों में भी बहुत कम वर्षा करती है।
        • वर्षा की इस कमी का क्षेत्र में कृषि तथा स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
      • मरुस्थल से आने वाली गर्म और शुष्क वायु भारत के पूरे उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में निम्न-दाब का क्षेत्र बनाती है, जो हिंद महासागर से नमी से भरी हवाएँ खींचती है, जिसके परिणामस्वरूप गर्मी के माह के दौरान भारी वर्षा होती है।
  • हिंद महासागर:
    • भारत में मानसूनी पवनों के निर्माण में हिंद महासागर का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
      • समुद्र की गर्म और नम हवा भारतीय उपमहाद्वीप पर कम दबाव प्रणाली के साथ संपर्क करती है, जिसके परिणामस्वरूप मानसूनी पवनों का निर्माण होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित 'इंडियन ओशन डाइपोल (IOD)' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. IOD परिघटना उष्णकटिबंधीय पश्चिमी हिंद महासागर एवं उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर के बीच सागर- पृष्ठ तापमान में अंतर से विशेषित होती है।
  2. एक IOD घटना माॅनसून पर अल-नीनो के असर को प्रभावित कर सकती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में एक वायुमंडलीय महासागर युग्मित घटना है (जैसे अल नीनो उष्णकटिबंधीय प्रशांत में है), जो समुद्र-सतह तापमान (SST) में अंतर की विशेषता है।
  • एक 'पॉज़िटिव IOD' पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर में समुद्र की सतह के सामान्य तापमान से अधिक ठंडे और पश्चिमी उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में समुद्र की सतह के सामान्य तापमान से अधिक गर्म के साथ जुड़ा हुआ है।
  • विपरीत घटना को 'नकारात्मक IOD' कहा जाता है और पूर्वी भूमध्यरेखीय हिंद महासागर में सामान्य  SST की तुलना में गर्म और पश्चिमी उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर में सामान्य SST की तुलना में ठंडा होता है।
  • इसे भारतीय नीनो के रूप में भी जाना जाता है, यह हिंद महासागर में समुद्र की सतह के तापमान का एक अनियमित दोलन है जिसमें पश्चिमी हिंद महासागर हिंद महासागर के पूर्वी हिस्से की तुलना में बारी-बारी से गर्म और ठंडा हो जाता है। अतः कथन 1 सही नहीं है।
  • IOD वैश्विक जलवायु के सामान्य चक्र का एक पहलू है, जो प्रशांत महासागर में एल नीनो-दक्षिणी दोलन (ENSO) जैसी समान घटनाओं के साथ बातचीत करता है। एक IOD भारतीय माॅनसून पर अल नीनो के प्रभाव को या तो बढ़ा सकता है या कमज़ोर कर सकता है। यदि सकारात्मक IOD है, तो यह अल नीनो वर्ष के बावजूद भारत में अच्छी वर्षा ला सकता है। अतः कथन 2 सही है।
  • अतः विकल्प (b) सही उत्तर है

मेन्स:

प्रश्न. आप कहाँ तक सहमत हैं कि मानवीय दृश्भूमियों  के कारण भारतीय मानसून के आचरण में परिवर्तन होता रहा है? चर्चा कीजिये। (2015)


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) शिखर सम्मेलन

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI) शिखर सम्मेलन, AIRAWAT, नीति आयोग, क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म

मेन्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता प्रौद्योगिकी के बेहतर विनियमन और कार्यप्रणाली के लिये GPAI शिखर सम्मेलन का महत्त्व

स्रोत: पी.आई.बी 

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधान मंत्री द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (Global Partnership on Artificial Intelligence- GPAI) शिखर सम्मेलन का उद्घाटन किया गया।

  • भारत वर्ष 2024 का GPAI सम्मलेन का प्रमुख अध्यक्ष है। GPAI 28 देशों का गठबंधन है। यूरोपीय संघ द्वारा GPAI की 'नई दिल्ली घोषणा' को अपनाया गया।

GPAI शिखर सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • भारत के प्रधान मंत्री ने राष्ट्रीय AI पोर्टल पर चर्चा की, AIRAWAT पहल पर प्रकाश डाला एवं डीप फेक तकनीक के संभावित दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की।
  • YUVAi को GPAI शिखर सम्मेलन में प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया था तथा YUVAi पहल के विजेताओं एवं स्टार्ट-अप्स द्वारा अपने AI मॉडल व समाधान प्रदर्शित किये गए।
  • प्रधानमंत्री ने डिजिटल समावेशन को बढ़ाने के लिये डिजिटल सेवाओं को स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध कराने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग करने का सुझाव दिया।
  • जिम्मेदार AI, डेटा गवर्नेंस, रोज़गार का भविष्य तथा नवाचार एवं व्यावसायीकरण, GPAI में आयोजित चार सत्रों के चार विभिन्न विषय हैं।
  • शिखर सम्मेलन में AI प्रगति को प्रदर्शित करने एवं उद्योग पैनल चर्चा, कार्यशालाएँ, अनुसंधान संगोष्ठी, हैकथॉन एवं ग्लोबल AI एक्सपो जैसे विभिन्न अन्य कार्यक्रम भी शामिल थे।

GPAI का दिल्ली घोषणापत्र क्या है?

  • यह नए अवसरों का दोहन करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास, तैनाती और उपयोग से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को कम करने की आवश्यकता को स्वीकार करता है।
  • मानवीय गरिमा, मानवाधिकार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।
  • AI में विश्वास, पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा देने के महत्त्व पर जोर दिया गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र के सतत्  विकास लक्ष्यों में योगदान देने और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये AI की क्षमता को पहचानता है।
  • AI अनुसंधान, नवाचार और नीति पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय को प्रोत्साहित करता है।
  • एक व्यापक ढाँचे के विकास का समर्थन करता है जिसमें सुरक्षित और विश्वसनीय AI के लिये साझा सिद्धांत शामिल हैं।
  • डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं को साझा करने के लिये ग्लोबल डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रिपोजिटरी (GDPIR) की स्थापना और रखरखाव के भारत के प्रस्ताव का समर्थन करता है।
    • GDPIR की स्थापना इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तहत की गई थी, ताकि G20 सदस्यों और अतिथि देशों दोनों से महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि और ज्ञान को समेकित करते हुए एक व्यापक भंडार के रूप में काम किया जा सके।
  • हितधारकों के बीच AI प्रशासन और नैतिकता पर और बातचीत का आह्वान किया गया।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्या है?

  • AI एक कंप्यूटर या कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट की उन कार्यों को करने की क्षमता है जो आमतौर पर मनुष्यों द्वारा किये जाते हैं क्योंकि उन्हें मानव बुद्धि और निर्णय की आवश्यकता होती है।
    • हालाँकि कोई भी AI उन विविध प्रकार के कार्यों को नहीं कर सकता है जो एक सामान्य मानव कर सकता है, कुछ AI विशिष्ट कार्यों में मनुष्यों की बराबरी कर सकते हैं।
  • AI की आदर्श विशेषता इसकी तर्कसंगत बनाने और कार्रवाई करने की क्षमता है जिससे किसी विशिष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे अच्छा मौका मिलता है। AI का एक उपसमूह मशीन लर्निंग (ML) है।
    • डीप लर्निंग (DL) तकनीकें पाठ, छवियों या वीडियो जैसे बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा के अवशोषण के माध्यम से इस स्वचालित सीखने को सक्षम बनाती हैं।

AIRAWAT क्या है?

  • नीति आयोग ने वर्ष 2019 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च, एनालिटिक्स और नॉलेज एसिमिलेशन प्लेटफॉर्म (AIRAWAT) नामक क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म स्थापित करने के लिये कैबिनेट नोट प्रसारित किया।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म बनाने का कदम AI और शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, शहरीकरण एवं गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में बदलाव के मामले में भारत को उभरती अर्थव्यवस्थाओं में अग्रणी बनाने के सरकार के लक्ष्य का हिस्सा है।

DeepFake क्या है? 

  • DeepFake सिंथेटिक मीडिया हैं जो आमतौर पर किसी को धोखा देने या गुमराह करने के इरादे से दृश्य (Visual) और ऑडियो सामग्री में हेरफेर करने या उत्पन्न करने के लिये AI का उपयोग करते हैं।
  • DeepFake जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GAN) नामक तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं, जिसमें दो प्रतिस्पर्द्धी न्यूरल नेटवर्क शामिल होते हैं: एक जनरेटर और एक डीस्क्रिमिनेटर
    • जनरेटर नकली छवियाँ या वीडियो बनाने की कोशिश करता है जो वास्तविक दिखते हैं, जबकि डीस्क्रिमिनेटर वास्तविक और नकली के बीच अंतर करने की कोशिश करता है।
      • The generator learns from the feedback of the discriminator and improves its output until it can fool the discriminator. जनरेटर डीस्क्रिमिनेटर की प्रतिक्रिया से सीखता है और अपने आउटपुट में सुधार करता है जब तक कि वह डीस्क्रिमिनेटर को बेवकूफ नहीं बना लेता।
    • Deepfake के लिये स्रोत और लक्षित व्यक्ति के फोटो या वीडियो जैसे बड़ी मात्रा में डेटा की आवश्यकता होती है, जिसे प्रायः उनकी सहमति या जानकारी के बिना इंटरनेट या सोशल मीडिया से एकत्र किया जाता है।
  • Deepfake डीप सिंथेसिस का एक हिस्सा है, जो आभासी दृश्य बनाने के लिये टेक्स्ट, इमेज, ऑडियो और वीडियो बनाने के लिये  डीप लर्निंग और संवर्धित वास्तविकता सहित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करता है।

YUVAi पहल क्या है?

  • परिचय:
  • उद्देश्य: 
    • AI की गहरी समझ को बढ़ावा देने के लिये देश भर में कक्षा 8 से 12 तक के स्कूली छात्रों को प्रासंगिक मानसिकता, कौशल सेट, उन्हें मानव-केंद्रित डिज़ाइनर और AI के उपयोगकर्त्ता बनने के लिये सशक्त बनाते हैं।
    • यह कार्यक्रम छात्रों को यह समझने और पहचानने के लिये एक व्यावहारिक शिक्षण अनुभव प्रदान करता है कि AI तकनीक का उपयोग महत्त्वपूर्ण समस्याओं से निपटने और राष्ट्र के समावेशी विकास के लिये कैसे किया जा सकता है। अधिकतम संख्या में छात्रों को भविष्य के लिये तैयार होने के लिये खुद को सशक्त बनाने का मौका देने के लिये यह कार्यक्रम पूरे वर्ष जारी रहेगा।

निष्कर्ष:

  • भारत ने GPAI शिखर सम्मेलन शुरू किया, जहाँ भारत समावेशी विकास के लिये स्कूली छात्रों को AI कौशल से लैस करना चाहता है। नई दिल्ली घोषणा लोकतंत्र, मानवाधिकार और जिम्मेदार प्रथाओं पर आधारित वैश्विक AI ढाँचे पर जोर देती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है?  (2020) 

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत् की खपत कम करना
  2.  सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना
  3.  रोगों का निदान
  4.  टेक्स्ट से स्पीच (Text- to- Speech) में परिवर्तन
  5.  विद्युत् ऊर्जा का बेतार संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये-

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


प्रश्न. वान्नाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू’ पद जो हाल ही में समाचारों में उल्लिखित थे, निम्नलिखित में से किसके साथ संबंधित हैं? (2018)

(a) एक्सोप्लैनेट्स
(b) प्रच्छन्न मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी)
(c) साइबर आक्रमण
(d) लघु उपग्रह

उत्तर: (c) 


मेन्स:

प्रश्न. भारत के प्रमुख शहरों में आईटी उद्योगों के विकास से उत्पन्न होने वाले मुख्य सामाजिक-आर्थिक प्रभाव क्या हैं? (2022)

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेंस को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020)


शासन व्यवस्था

असंगठित श्रमिक पहल और प्रवासी श्रमिक बाल कल्याण

प्रिलिम्स के लिये:

असंगठित श्रम, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री श्रम योगी मान-धन योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम, भारत के प्रवासी श्रमिक, आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PM-JAY) 

मेन्स के लिये:

प्रवास केंद्रित नीति, भारत में असंगठित श्रम और संबंधित पहल

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों? 

श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने हाल ही में राज्यसभा में प्रस्तुत एक लिखित प्रतिक्रिया में असंगठित श्रमिकों के हितों की सुरक्षा के लिये तैयार किये गए उपायों पर प्रकाश डाला।

  • इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने प्रवासी श्रमिकों के बच्चों के लिये कल्याण सुविधाओं पर भी ध्यान दिया।

असंगठित श्रम से संबंधित प्रमुख पहल क्या हैं?

नोट:

  • असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008, सरकार को जीवन और विकलांगता कवर, स्वास्थ्य और मातृत्व लाभ, वृद्धावस्था सुरक्षा आदि से संबंधित मामलों पर उपयुक्त कल्याणकारी योजनाएँ बनाकर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने का आदेश देता है।
    • असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम, 2008 के तहत असंगठित श्रमिक शब्द को घर-आधारित श्रमिक, स्व-रोज़गार श्रमिक या असंगठित क्षेत्र में मज़दूरी करने वाले श्रमिक के रूप में परिभाषित किया गया है।
    • वर्ष 2011-12 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन द्वारा किये गए सर्वेक्षण के अनुसार, देश में संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में कुल रोज़गार 47 करोड़ था। इसमें से करीब 39 करोड़ असंगठित क्षेत्र में हैं।

प्रवासी श्रमिकों के बच्चों हेतु कल्याण सुविधाएँ क्या हैं?

  • अंतर-राज्य प्रवासी कामगार (रोज़गार और सेवा शर्तों का विनियमन) अधिनियम, 1979:
    • यह अधिनियम प्रवासी श्रमिकों के हितों की रक्षा करता है। यह अधिनियम अंतर-राज्यीय प्रवासी श्रमिकों को रोज़गार देने वाले कुछ प्रतिष्ठानों के पंजीकरण, ठेकेदारों को लाइसेंस देने आदि का प्रावधान करता है। 
      • ऐसे प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी, यात्रा भत्ता, विस्थापन भत्ता, आवासीय आवास, चिकित्सा सुविधाएँ, सुरक्षात्मक कपड़े आदि का भुगतान प्रदान किया जाना है।
  • निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009:
    • यह सरकार को 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे को निकटवर्ती विद्यालय में मुफ्त और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने का आदेश देता है, जो अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों के बच्चों पर भी लागू होता है।

सामाजिक न्याय

दक्षिण पूर्व एशिया अफीम सर्वेक्षण 2023: UNODC

प्रिलिम्स के लिये:

दक्षिण पूर्व एशिया ओपियम सर्वेक्षण 2023: UNODC, ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC), गोल्डन ट्राएंगल, दक्षिण पूर्व एशिया, अफीम की खेती, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)

मेन्स के लिये:

दक्षिण पूर्व एशिया ओपियम सर्वेक्षण 2023: UNODC, नशीली दवाओं का खतरा: खतरे, चुनौतियाँ, पहल, चुनौतियाँ।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) ने Southeast Asia Opium Survey 2023 - Cultivation, Production, and Implications (दक्षिणपूर्व एशिया ओपियम सर्वेक्षण 2023 - खेती, उत्पादन और निहितार्थ) शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें बताया गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया के गोल्डन ट्राइएंगल में अफीम की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

नोट: गोल्डन ट्रायंगल आमतौर पर दक्षिण पूर्व एशिया के एक क्षेत्र को संदर्भित करता है जो अवैध दवाओं, विशेष रूप से अफीम के उत्पादन के लिये जाना जाता है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ तीन देशों की सीमाएँ मिलती हैं: म्याँमार (पूर्व में बर्मा), लाओस और थाईलैंड।

  • मूल रूप से "गोल्डन ट्रायंगल" शब्द इन तीन देशों के कुछ हिस्सों को कवर करने वाले अफीम उत्पादक क्षेत्र को संदर्भित करता है। हालाँकि यह नशीली दवाओं के उत्पादन, तस्करी और संगठित अपराध से जुड़े एक व्यापक क्षेत्र को दर्शाने के लिये विकसित हुआ है।
  • अवैध दवाओं के लिये एक और कुख्यात क्षेत्र गोल्डन क्रिसेंट या "डेथ क्रिसेंट" है, इस क्रिसेंट क्षेत्र में अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं - जो इसे पाकिस्तान से तस्करी की जाने वाली दवाओं के लिये एक प्राकृतिक पारगमन बिंदु निर्मित करता है।

रिपोर्ट के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • म्याँमार में अफीम की खेती में वृद्धि:
    • पिछले वर्ष 2022 में गोल्डन ट्रायंगल में अफीम की खेती का विस्तार जारी रहा, जिसमें म्याँमार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
    • म्याँमार में अफीम की खेती में 18% की वृद्धि हुई है, जो 47,100 हेक्टेयर तक पहुँच गई है।
    • इस वृद्धि ने म्याँमार को विश्व में अफीम का सबसे बड़ा बाज़ार बना दिया है, विशेषकर वर्ष 2021 में सैन्य अधिग्रहण के बाद हुए व्यवधानों के कारण।
  • बढ़ी हुई उपज और निवेश:
    • प्रति हेक्टेयर औसत अनुमानित अफीम उपज 16% बढ़कर 22.9 किलोग्राम/हेक्टेयर हो गई।
    • यह कृषि पद्धतियों में प्रगति और सिंचाई प्रणालियों व उर्वरकों में बढ़े हुए निवेश को दर्शाता है, जो किसानों एवं खरीदारों के अधिक परिष्कृत दृष्टिकोण का संकेत देता है।
  • अफीम की बढ़ती कीमतें:
    • आपूर्ति में बढ़ोतरी के बावजूद, किसानों को भुगतान की जाने वाली कीमत 27% बढ़कर लगभग 355 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम हो गई।
    • कीमतों में यह वृद्धि एक फसल तथा मादक वस्तु के रूप में अफीम के आकर्षण को रेखांकित करता है तथा अत्यधिक मांग का संकेत देता है जो गोल्डन ट्राएंगल में अफीम व्यापार को बढ़ावा देता है।
  • अफगानिस्तान अफीम प्रतिबंध का प्रभाव:
    • रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अफगानिस्तान में अफीम पर लंबे समय तक प्रतिबंध से कीमतें निरंतर ऊँची रहेंगी तथा दक्षिण पूर्व एशिया में इसकी खेती में और वृद्धि होगी।
    • तालिबान के प्रतिबंध के कारण अफगानिस्तान में अफीम पोस्त की खेती में 95% की गिरावट आई है
  • अवैध अर्थव्यवस्था में योगदान:
    • अफीम की खेती का विस्तार के कारण मेकांग क्षेत्र (कंबोडिया, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (विशेष रूप से युन्नान प्रांत एवं गुआंग्शी ज़ुआंग स्वायत्त क्षेत्र), लाओ पीपुल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक, म्याँमार, थाईलैंड और वियतनाम) में व्यापक अवैध अर्थव्यवस्था में योगदान मिल रहा है।
    • यह सिंथेटिक दवाओं के उत्पादन और नशीली दवाओं की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग तथा ऑनलाइन आपराधिक गतिविधियों के अभिसरण को बढ़ावा देकर संगठित अपराध समूहों के लिये आय का एक प्रमुख स्रोत प्रदान करता है।
  • अनुशंसाएँ:
    • म्याँमार में आए संकट ने क्षेत्र में अपराध और शासन संबंधी चुनौतियों को बढ़ा दिया है। अफीम की खेती वाले क्षेत्रों में लोगों द्वारा सामना की जाने वाली जटिल समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इन मुद्दों को संबोधित करने के लिये व्यापक समाधान की आवश्यकता है। इस प्रवृत्ति को कम करने के लिये अफीम की खेती के लिये व्यवहार्य विकल्प प्रदान करना एवं सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करना महत्त्वपूर्ण है।
    • कृषक समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली असुरक्षाओं तथा आर्थिक कठिनाइयों को देखते हुए, म्याँमार एवं लाओस में इन समुदायों के साथ UNODC की प्रत्यक्ष भागीदारी पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गई है।
    • अफीम की खेती के आकर्षण से निपटने के लिये आघातसह अपनाना एवं स्थायी आय सृजन के विकल्प प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है।

अफीम पोस्ता के पौधों के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • वैज्ञानिक नाम: पापावेर सोम्निफेरम
  • उपयोग: अफीम पोस्ता के रस से प्राप्त अफीम का उपयोग सदियों से दर्द निवारक, शामक और मॉर्फिन, कोडीन और हेरोइन सहित विभिन्न ओपिओइड के उत्पादन में किया जाता रहा है। औषधीय रूप से इसका उपयोग गंभीर दर्द को कम करने, खाँसी को समाप्त करने और नींद लाने के लिये किया जाता है।
  • वैश्विक उत्पादन: भारत संयुक्त राष्ट्र एकल कन्वेंशन ऑन नारकोटिक ड्रग्स (1961) द्वारा गोंद अफीम का उत्पादन करने के लिये अधिकृत एकमात्र देश है। इसके अतिरिक्त, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, फ्राँस, चीन, हंगरी, नीदरलैंड, पोलैंड, स्लोवेनिया, स्पेन, तुर्की और चेक गणराज्य जैसे अन्य देश भी अफीम की खेती करते हैं। हालाँकि ये देश गोंद नहीं निकालते हैं बल्कि कॉन्सेंट्रेट ऑफ पोस्ता स्ट्रॉ प्रक्रिया (CPS) का उपयोग करते हैं।
    • इस प्रक्रिया में पूरी तरह से प्रसंस्करण के लिये 8 इंच डंठल के साथ उसके कंद को काटना शामिल है।

ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय क्या है?

  • इसकी स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी और वर्ष 2002 में इसे ड्रग्स एवं अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) का नाम दिया गया था।
  • यह संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय ड्रग नियंत्रण कार्यक्रम (UNDCP) तथा वियना में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के अपराध रोकथाम और आपराधिक न्याय प्रभाग को मिलाकर ड्रग नियंत्रण व अपराध रोकथाम कार्यालय के रूप में कार्य करता है।

मादक द्रव्य दुरुपयोग से निपटने के लिये संबंधित पहल क्या हैं?

  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. भ्रष्टाचार के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशनअगेंस्ट करप्शन (UNCAC)] का 'भूमि, समुद्र और वायुमार्ग से प्रवासियों की तस्करी के विरुद्ध एक प्रोटोकॉल' होता है। 
  2. UNCAC अब तक का सबसे पहला विधितः बाध्यकारी सार्वभौम भ्रष्टाचार-विरोधी लिखत है। 
  3. राष्ट्र-पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन [यूनाइटेड नेशन्स कन्वेंशन अगेंस्ट ट्रांसनेशनल क्राइम (UNTOC) की विशिष्टता ऐसे एक विशिष्ट अध्याय का समावेशन है, जिसका लक्ष्य उन संपत्तियों को उनके वैध स्वामियों को लौटाना है, जिनसे वे अवैध तरीके से ले ली गई थीं। 
  4. मादक द्रव्य और अपराध विषयक संयुक्त राष्ट्र कार्यालय [यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (UNODC)] संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों द्वारा UNCAC और UNTOC दोनों के कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिये अधिदेशित है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. एक सीमांत राज्य के एक ज़िले में स्वापकों (नशीले पदार्थों) का खतरा अनियंत्रित हो गया है। इसके परिणामस्वरूप काले धन का प्रचलन, पोस्त की खेती में वृद्धि, हथियारों की तस्करी व्यापक हो गई है तथा शिक्षा व्यवस्था लगभग ठप हो गई है। संपूर्ण व्यवस्था एक प्रकार से समाप्ति के कगार पर है। इन अपुष्ट खबरों से कि स्थानीय राजनेता और कुछ पुलिस उच्चाधिकारी भी ड्रग माफिया को गुप्त संरक्षण दे रहे हैं, स्थिति और भी बदतर हो गई है। ऐसे समय परिस्थिति को सामान्य करने के लिये एक महिला पुलिस अधिकारी जो ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिये अपने कौशल के लिये जानी जाती है, पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है।

प्रश्न. यदि आप वही पुलिस अधिकारी हैं तो संकट के विभिन्न आयामों को चिह्नित कीजिये। अपनी समझ के अनुसार, संकट का सामना करने  के उपाय भी सुझाइये। (मुख्य परीक्षा, 2019)


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