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सामाजिक न्याय

नए साइकोएक्टिव पदार्थों पर नियंत्रण

  • 22 Nov 2019
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

NPS, नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 

मेन्स के लिये:

नशीले पदार्थों और औषधियों में उनके प्रयोग संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

भारत सरकार सिंथेटिक दवाओं और नए साइकोट्रोपिक पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या से निपटने के लिये दवाओं के निर्माण में स्वास्थ्य की दृष्टि से हानिकारक पदार्थों को नियंत्रित करने पर विचार कर रही है।

प्रमुख बिंदु:

  • सरकार द्वारा नशीले पदार्थों की तस्करी और प्रयोग को रोकने लिये एक उच्च स्तरीय सरकारी पैनल की बैठक आयोजित की गई।
  • इस बैठक में दर्दनिवारक दवा ट्रेमेडॉल और कोडीन (Codien) आधारित कफ़ सिरप की बांग्लादेश में तस्करी से संबंधित मुद्दे पर चर्चा की गई।
  • पड़ोसी देशों से बड़े पैमाने पर हेरोइन की तस्करी, नशीले पदार्थ वाली दवाओं के दुरुपयोग, नए साइकोट्रोपिक पदार्थों के निर्माण और देश में अफीम की खेती से संबंधित मुद्दों पर विचार किया गया।
  • राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में अफीम की खेती करने वालों से अफीम निकालने के बाद बचे तने का पूर्ण हल सुनिश्चित करने के लिये कहा गया है।
    • पोस्ता स्ट्रॉ अफीम की फलियों से अफीम निकालने के बाद बचे भूसे को कहते हैं
    • जिसमें थोड़ी मात्रा में माॅर्फिन पाई जाती है और इसे नशे के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
    • किसानों द्वारा पोस्ता स्ट्रॉ का स्वामित्व, विक्रय और प्रयोग राज्य नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट के नियमों के तहत विनियमित किया जाता है। 
    • एनडीपीएस अधिनियम, 1985 के तहत पोस्ता स्ट्रॉ मादक पदार्थों की श्रेणी में आता है। 
    • लाइसेंस या राज्य प्राधिकरण के आदेश के बिना पोस्ता स्ट्रॉ की बिक्री, खरीद या उपयोग करना, एनडीपीएस अधिनियम के तहत दंडनीय है।

नए साइकोट्रोपिक पदार्थ

(New Psychotropic Substance- NPS):

  • ऐसे नशीले पदार्थ जिनका निर्माण, क्रय-विक्रय और उपयोग संयुक्त राष्ट्र के नशीली दवाओं संबंधी अभिसमय (United Nation’s Drugs Convention) द्वारा नियंत्रित नहीं किये जाते और लोगों के स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हैं NPS की श्रेणी में आते हैं।
  • NPS को लीगल हाई (Legal high), बाथ सॉल्ट ( bath salt) या शोध रसायन भी कहते है, जिसे स्पष्ट करने के लिये यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम ने इसे NPS नाम दिया है। 

संयुक्त राष्ट्र औषधि नीति संबंधी अभिसमय

(United Nation’s Drugs Convention):

  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा 3 अभिसमय अपनाए गए, जो एक साथ मिलकर औषधि नियंत्रण व्यवस्था के अंतर्राष्ट्रीय कानून की रूपरेखा तैयार करती हैं:
    • नारकोटिक्स ड्रग्स पर एकल अभिसमय, 1961
    • साइकोट्रोपिक औषधि पर अभिसमय, 1971
    • नशीली दवाओं और साइकोट्रोपिक औषधि की तस्करी के विरुद्ध अभिसमय, 1988
  • भारत इन तीनों अभिसमयों का हस्ताक्षरकर्त्ता है।

नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985

(Narcotics Drugs and Psychotropic Substance Act 1985):

  • NDPS का अधिनियमन वर्ष 1985 में मादक औषधि नीति संबंधी संयुक्त राष्ट्र के अभिसमय को पूरा करने के लिये किया गया था।
  • इस अधिनियम में नशीले पदार्थों के अवैध व्यापार से अर्जित संपत्ति को ज़ब्त करने तथा रसायनों व औषधियों के विनिर्माण में प्रयोग होने वाले पदार्थों पर नियंत्रण हेतु 1989 में कुछ महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए थे। 
  • वर्ष 2001 में NDPS अधिनियम के सज़ा संबंधी प्रावधानों में संशोधन किया गया।
  • इसके तहत 10 से 20 वर्ष का कारावास, आर्थिक दंड और दोहराए गए अपराधों के लिये कुछ मामलों में जुर्माने के साथ मौत की सज़ा का भी प्रावधान है।

यूनाइटेड नेशंस ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम

(United nation’s Office on Drugs and Crime- UNODC):

  • इसकी स्थापना वर्ष 1997 में की गई।
  • यह संयुक्त राष्ट्र के औषधि और अपराध नियंत्रक कार्यालय के रूप में कार्य करता है।
  • UNODC वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट जारी करता है।

स्रोत-इंडियन एक्सप्रेस

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