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माइकोराइज़ल कवक संरक्षण

  • 30 Jul 2025
  • 12 min read

स्रोत: डाउन टू अर्थ

सोसाइटी फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ अंडरग्राउंड नेटवर्क्स (SPUN) ने अंडरग्राउंड एटलस लॉन्च किया है, जो दर्शाता है कि माइकोराइज़ल कवक के 90% से अधिक हॉटस्पॉट संरक्षित क्षेत्रों के बाहर हैं। यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि माइकोराइज़ल कवक पोषक तत्त्वों के चक्रण और कार्बन पृथक्करण में एक अहम भूमिका निभाते हैं। 

  • पारिस्थितिकी तंत्र में भूमिका: माइकोराइज़ल कवक 80% से अधिक पौधों के साथ सहजीवी संबंध बनाते हैं, फास्फोरस जैसे पोषक तत्त्वों के अवशोषण में सहायता करते हैं और पौधों की जड़ों से CO2 का उपयोग करके कार्बन पृथक्करण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • वे प्रतिवर्ष लगभग 13 बिलियन टन CO2 या वैश्विक जीवाश्म ईंधन उत्सर्जन का एक तिहाई संग्रहित करते हैं।
  • माइकोराइज़ल कवक के प्रकार:
    • AM (आर्बुस्कुलर माइकोराइज़ल) कवक: ये कवक पौधों की जड़ की कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं और मुख्य रूप से फसलों और घास के पौधों में पाए जाते हैं।
      • हॉटस्पॉट: ब्राज़ीलियाई सेराडो, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम अफ्रीका 
    • EcM (एक्टोमाइकोराइजा) कवक: ये कवक पौधों की जड़ों के चारों ओर लिपटे रहते हैं और मुख्य रूप से वन वृक्षों जैसे ओक (Oak) और पाइन (Pine) में पाए जाते हैं।
      • हॉटस्पॉट: कनाडा, साइबेरिया, मध्य यूरोप, पश्चिमी अमेरिका।
  • कवक और अन्य मृदा जीवों के पारिस्थितिक महत्त्व को पहचानते हुए, FAO ने कनाडा में जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) के COP15  बैठक में वैश्विक मृदा जैव विविधता वेधशाला (GLOBSOB) लॉन्च की, जो मृदा जीवन की निगरानी, सुरक्षा और पर्यावरण नीति में एकीकरण के लिए एक वैश्विक प्रयास है।

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