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शासन व्यवस्था

मादक पदार्थों के उन्मूलन हेतु भारत के प्रयास

  • 29 Apr 2023
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

NDPS अधिनियम, NCB, गोल्डन क्रिसेंट और गोल्डन ट्रायंगल, मादक पदार्थों के नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कोष, मादक पदार्थों की मांग में कमी के लिये राष्ट्रीय कार्ययोजना

मेन्स के लिये:

मादक पदार्थ: उपयोग की सीमा, चुनौतियाँ, पहल, मादक पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या एवं संबंधित पहल।

चर्चा में क्यों?

गृह मंत्रालय (MHA) देश में मादक पदार्थों के उन्मूलन हेतु एक रणनीतिक प्रयास कर रहा है। विगत तीन वर्षों में सरकार ने देश के कई राज्यों में 89000 फुटबॉल मैदान के आकार के भाँग और अफीम उत्पादक क्षेत्रों को नष्ट कर दिया है।

  • सरकार का लक्ष्य 2047 तक भारत को "मादक पदार्थ मुक्त" बनाना है।

भारत में मादक पदार्थों के दुरुपयोग की सीमा:

भारत द्वारा अफीम और भाँग की खेती को खत्म करने के लिये किये गए प्रयास:

  • भारत में व्यापक रूप से उत्पादित और उपयोग किये जाने वाले दो ड्रग्स अफीम और भाँग हैं।
    • पोस्ता के पौधे से अफीम और भाँग के पौधे से भाँग प्राप्त होती है। दोनों को साइकोएक्टिव ड्रग्स कहा जाता है, जिनके प्रयोग से लत और स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • सरकार ने अवैध फसलों को नष्ट करने, ड्रग्स को जब्त करने, तस्करों को गिरफ्तार करने और जागरूकता उत्पन्न करने जैसे विभिन्न उपायों के साथ ड्रग्स पर कार्रवाई तीव्र कर दी है।
  • इस संबंध में सरकार की कुछ उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं:
    • नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अनुसार, विगत तीन वर्षों में 89,000 से अधिक फुटबॉल मैदानों के आकार के क्षेत्र में अफीम और भाँग की खेती को नष्ट कर दिया गया है।
    • NCB ने बताया है कि विगत तीन वर्षों में देश भर में 35,592 एकड़ में अफीम की खेती और 82,691 एकड़ में भाँग की फसल नष्ट हो चुकी है।
      • जिन राज्यों में फसलें नष्ट हुई हैं उनमें अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, झारखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, त्रिपुरा और तेलंगाना शामिल हैं।
    • NCB ने यह भी कहा कि उसने पिछले तीन वर्षों में 3,000 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की 6.7 लाख किलोग्राम से अधिक दवाएँ जब्त की हैं।
      • जब्त दवाओं में हेरोइन, अफीम, भाँग, कोकीन, मेथामफेटामाइन, MDMA (एक्स्टसी), केटामाइन आदि शामिल हैं।

सरकार ड्रग समस्या से कैसे निपट रही है?

  • विधायी उपाय: सरकार ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 जैसे विभिन्न कानून बनाए हैं- नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट, (NDPS) 1985 और अवैध व्यापार की रोकथाम में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टेंस एक्ट (PITNDPS), 1988।
    • दवाओं के निर्माण, वितरण, कब्ज़े और खपत को विनियमित और प्रतिबंधित करना।
    • NDPS अधिनियम में नशीली दवाओं के अपराधों के लिये कड़े दंड का प्रावधान है।
  • संस्थागत उपाय: सरकार ने NCB, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI), सीमा शुल्क विभाग आदि जैसे संस्थान बनाए हैं।
    • ये संस्थान ड्रग कानूनों को लागू करते हैं तथा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय करते हैं।
    • NCB विभिन्न द्विपक्षीय और बहुपक्षीय पहलों जैसे- SAARC ड्रग अपराध निगरानी डेस्क (SDOMD) का भी हिस्सा है।
  • निवारक उपाय:
    • सरकार ने नशीली दवाओं की मांग में कमी लाने हेतु राष्ट्रीय कार्ययोजना (NAPDDR), नशा मुक्त भारत अभियान (NMBA) आदि जैसी विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की है।
      • ये योजनाएँ नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकती हैं और नशा करने वालों को उपचार तथा पुनर्वास सेवाएँ प्रदान करती हैं।
      • NAPDDR का उद्देश्य जागरूकता सृजन, क्षमता निर्माण, नशा मुक्ति और पुनर्वास के माध्यम से ड्रग की मांग को कम करना है।
      • NMBA का उद्देश्य स्कूली बच्चों में नशीली दवाओं के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
  • NIDAAN और NCORD पोर्टल:
    • यह एक डेटाबेस है जिसमें NPDS अधिनियम के तहत गिरफ्तार किये गए सभी संदिग्धों और दोषियों की तस्वीरें, उंगलियों के निशान, अदालती आदेश, जानकारी एवं विवरण शामिल हैं, जिसे राज्य तथा केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।
    • नेशनल नारकोटिक्स कोऑर्डिनेशन पोर्टल (NCORD) पर ड्रग्स के स्रोत और इसके अंतिम लक्ष्य के विषय में बताया जाता है तथा ज़िला स्तर तक की जानकारी रखी जाती है।

भारत में ड्रग कंट्रोलिंग से जुड़ी चुनौतियाँ:

  • पर्याप्त बुनियादी ढाँचे का अभाव:
    • नशीले पदार्थों की तस्करी और दुरुपयोग से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये प्रशिक्षित कर्मियों, विशेष उपकरणों और उचित बुनियादी ढाँचे की कमी है।
  • नए साइकोएक्टिव पदार्थों का प्रसार:
    • भारत में नए साइकोएक्टिव पदार्थों का उपयोग बढ़ रहा है और ये दवाएँ अकसर मौजूदा ड्रग नियंत्रण कानूनों के अंतर्गत नहीं आती हैं। इस कारण से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिये उन्हें प्रभावी ढंग से विनियमित करना जटिल हो जाता है।
  • डार्क नेट ईजिंग ड्रग ट्रैफिकिंग:
    • NCB के मुताबिक, अवैध ड्रग्स में 'डार्क नेट' और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल बढ़ रहा है तथा वर्ष 2020, 2021 और 2022 में एजेंसी ने ऐसे 59 मामलों की जाँच की है।
  • जागरूकता और शिक्षा की कमी:
    • विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में नशीली दवाओं के दुरुपयोग एवं लत से खतरों के बारे में जागरूकता और शिक्षा की कमी है।
  • उच्च मांग:
    • भारत में एक बड़ी आबादी के साथ-साथ दवाओं की उच्च मांग है, जो नशीली दवाओं के व्यापार को आसान बनाती है।
  • सामाजिक कलंक:
    • भारतीय समाज में मादक पदार्थों की लत को अभी भी अत्यधिक कलंकित माना जाता है, जिससे व्यक्तियों के लिये सहायता एवं उपचार प्राप्त करना कठिन हो जाता है।

नशीली दवाओं/ड्रग्स के दुरुपयोग को समाप्त करने के उपाय:

  • कानून प्रवर्तन को सख्त करना:
    • कानून प्रवर्तन एजेंसियों को पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण और आधुनिक उपकरण प्रदान करके NDPS अधिनियम और PITNDPS अधिनियम के कार्यान्वयन को मज़बूत करना।
    • एजेंसियों के बीच समन्वय में सुधार के साथ-साथ मादक पदार्थों की तस्करी को प्रभावी ढंग से रोकने के लिये अधिक सख्त निगरानी एवं खुफिया जानकारी एकत्र करने हेतु तंत्र का गठन करना।
  • निवारक उपायों में वृद्धि:
    • नशीली दवाओं के व्यसनी लोगों हेतु किफायती उपचार और पुनर्वास सुविधाओं की उपलब्धता तथा नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरों एवं मदद के महत्त्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिये जागरूकता अभियानों को प्रोत्साहन।
  • आपूर्ति में कमी को संबोधित करना:
    • सीमा नियंत्रण में सुधार, उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में वृद्धि करके दवा आपूर्ति शृंखलाओं को रोकने पर ध्यान केंद्रित करना।
    • अवैध कृषि में लगे किसानों हेतु वैकल्पिक आजीविका कार्यक्रमों के माध्यम से दवा उत्पादन को कम करना।
    • झारखंड राज्य ने अवैध रूप से अफीम उत्पादक किसानों हेतु एक वैकल्पिक आजीविका योजना शुरू की है और यह अवैध फसलों को नष्ट करने के लिये नकद प्रोत्साहन प्रदान करती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत बनाना:
    • नशीले पदार्थों की तस्करी पर प्रभावी ढंग से अंकुश लगाने हेतु पड़ोसी देशों, विशेष रूप से गोल्डन क्रीसेंट और गोल्डन ट्रायंगल में सहयोग को मज़बूत करना।
    • सूचना और सर्वोत्तम तरीकों के आदान-प्रदान हेतु UNODC तथा इंटरपोल जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी को मज़बूत करना।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग:
    • बिग डेटा और एनालिटिक्स एवं AI ड्रग ट्रैफिकिंग नेटवर्क की पहचान तथा ट्रैक करने, ड्रग मूवमेंट की निगरानी करने तथा ड्रग के दुरुपयोग व तस्करी से संबंधित गतिविधियों की पहचान करने पर ज़ोर देना।
    • ड्रोन एवं उपग्रह द्वारा अवैध नशीली दवाओं की खेती की निगरानी और पता लगाने एवं संदिग्ध क्षेत्रों की उच्च-रिज़ॉल्यूशन छवियाँ प्राप्त करना।
    • ऑनलाइन रिपोर्टिंग प्रणाली विकसित करना जहाँ नागरिक नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा तस्करी की गतिविधियों की रिपोर्ट कर सकें।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. संसार के दो सबसे बड़े अवैध अफीम उगाने वाले राज्यों से भारत की निकटता ने भारत की आंतरिक सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। नशीली दवाओं के अवैध व्यापार एवं बंदूक बेचने, गुपचुप धन विदेश भेजने और मानव तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों के बीच कड़ियों को स्पष्ट कीजिये। इन गतिविधियों को रोकने के लिये क्या-क्या प्रतिरोध उपाय किये जाने चाहिये? (मुख्य परीक्षा, 2018)


प्रश्न. एक सीमांत राज्य के एक जिले में स्वापकों (नशीले पदार्थों) का खतरा अनियंत्रित हो गया है। इसके परिणामस्वरूप काले धन का प्रचलन, पोस्त की खेती में वृद्धि, हथियारों की तस्करी व्यापक हो गई है तथा शिक्षा व्यवस्था भी ठप हो गई है। संपूर्ण व्यवस्था एक प्रकार से समाप्ति के कगार पर है। इन अपुष्ट खबरों से कि स्थानीय राजनेताओं के साथ-साथ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी ड्रग माफिया को गुप्त संरक्षण प्रदान कर रहे हैं, स्थिति और भी बदतर हो गई है। ऐसे समय में परिस्थितियों को सामान्य करने के लिये एक महिला पुलिस अधिकारी, जो ऐसी परिस्थिति को सामान्य करने के लिये जानी जाती है, को पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है। यदि आप वही पुलिस अधिकारी हैं, तो संकट के विभिन्न आयामों को चिह्नित कीजिये। अपनी समझ के आधार पर संकट का सामना करने के उपाय सुझाइये। (2019)

स्रोत: द हिंदू

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