राजस्थान Switch to English
राजस्थान में 'भाषा प्रयोगशाला' की स्थापना
चर्चा में क्यों?
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने युवाओं को विदेशी भाषा प्रशिक्षण देने के लिये 'भाषा प्रयोगशाला' की स्थापना की घोषणा की है ।
मुख्य बिंदु
- भाषा प्रयोगशाला के बारे में:
- उद्देश्य: यह प्रयोगशाला अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (EFLU) तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) के सहयोग से स्थापित की जाएगी।
- यह प्रयोगशाला अंग्रेज़ी, फ्रेंच, स्पेनिश और जापानी जैसी भाषाओं में प्रशिक्षण प्रदान करेगी ताकि युवाओं को इन भाषाओं में दक्षता हासिल करने में मदद मिल सके।
- युवाओं के लिये लाभ: प्रयोगशाला में प्रदान किया जाने वाला भाषा प्रशिक्षण राजस्थान के युवाओं के कौशल को बढ़ाएगा, जिससे वे पर्यटन, व्यापार, आईटी, शिक्षा और सेवा क्षेत्रों में देश एवं विदेश दोनों स्तरों पर प्रतिस्पर्द्धी बन सकेंगे।
- इस परियोजना का उद्देश्य युवाओं को भाषा कौशल से युक्त करना है ताकि वे घरेलू और अंतर्राष्टीय दोनों बाज़ारों में रोज़गार के अवसर तलाश सकें।
राजस्थान Switch to English
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (PMFME)
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (PMFME) के तहत जयपुर और राजस्थान के उद्यमियों को खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना या विस्तार के लिये 35% सब्सिडी प्रदान की जाएगी।
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (MoFPI) भारत में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को वित्तीय, तकनीकी और व्यवसायिक सहयोग उपलब्ध कराने हेतु प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (PMFME) एक केंद्रीय प्रायोजित योजना के रूप में कार्यान्वित कर रहा है।
मुख्य बिंदु
- सब्सिडी विवरण:
- PMFME योजना नई खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिये पात्र परियोजना लागत का 35% या 10 लाख रुपये, जो भी कम हो, की सब्सिडी प्रदान करती है।
- यह वित्तीय सहायता फलों और सब्ज़ियों, अनाज, डेयरी उत्पादों, तिलहन, पशु आहार, बेकरी उत्पादों तथा साबूदाना तथा हींग जैसे अन्य खाद्य उत्पादों से संबंधित उद्योगों के लिये है।
- आवेदन प्रक्रिया:
- आवेदकों को PMFME–MoFPI पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
- इस योजना के लिये राज्य नोडल एजेंसी जयपुर स्थित राजस्थान राज्य कृषि विपणन बोर्ड है तथा कृषि उपज मंडी समिति (APMC) ज़िला स्तरीय नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- आवेदकों के लिये सहायता:
- सरकार ने आवेदकों को ऋण विवरण और योजना-संबंधी मार्गदर्शन सहित आवेदन प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने के लिये ज़िला संसाधन व्यक्तियों (DRP) की नियुक्ति की है।
- पात्रता एवं आवश्यकताएँ:
- परियोजना लागत में भूमि लागत शामिल नहीं है तथा तकनीकी सिविल कार्य कुल परियोजना लागत के 30% से अधिक नहीं होना चाहिये।
- यह योजना 31 मार्च, 2026 तक वैध है और इसका लक्ष्य अकेले जयपुर ज़िले में 634 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करना है।
भारत में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थिति
- खाद्य प्रसंस्करण के बारे में:
- खाद्य प्रसंस्करण एक प्रकार का विनिर्माण है, जिसमें कच्चे माल को वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके मध्यवर्ती खाद्य पदार्थों या खाद्य वस्तुओं में बदला जाता है। यह तैयार उत्पाद की भंडारण क्षमता, सुवाह्यता, स्वाद और सुविधा में सुधार करता है।
- महत्त्व:
- नवीनतम वार्षिक उद्योग सर्वेक्षण (ASI) वर्ष 2019-20 के अनुसार, पंजीकृत विनिर्माण क्षेत्र में लगभग 12.2% व्यक्ति खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में कार्यरत थे।
- प्रसंस्कृत खाद्य निर्यात सहित कृषि-खाद्य निर्यात का मूल्य वर्ष 2021-22 के दौरान भारत के कुल निर्यात का लगभग 10.9% था।
- सरकारी पहल:
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है।
- मेगा फूड पार्क (MFP) तथा MFP में प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में निवेश हेतु किफायती ऋण उपलब्ध कराने के लिये राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ 2000 करोड़ रुपये का एक विशेष खाद्य प्रसंस्करण कोष स्थापित किया गया है।