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भारतीय राजनीति

राज्यसभा: उच्च सदन

  • 15 Apr 2022
  • 13 min read

चर्चा में क्यों?

संसद के उच्च सदन, राज्य सभा या राज्यों की परिषद का गठन 3 अप्रैल, 1952 को हुआ था और पहला सत्र 13 मई, 1952 को आयोजित किया गया था। तब से इसने देश के कल्याण और प्रगति में कई तरह से दिया योगदान है।

प्रमुख बिंदु

  • विशेषताएँ: राज्यसभा की अपनी कुछ विशेषताएँ हैं। यह संविधान के संघीय चरित्र को दर्शाती है और राज्यों के अधिकारों की रक्षा करती है।
  • उत्पत्ति: वर्ष 1918 में आए मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड रिपोर्ट को राज्यसभा या दूसरे सदन की उत्पत्ति के स्रोत के रूप में देखा जाता है। इस रिपोर्ट ने एक द्विसदनीय विधायिका, निचले सदन या केंद्रीय विधान सभा और उच्च सदन या राज्य परिषद की शुरुआत की।
  • योगदान: राज्य सभा ने सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक परिवर्तन, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय सुरक्षा, और राज्यों से संबंधित मामलों आदि से संबंधित कई महत्त्वपूर्ण कानून पारित किये हैं।

राज्यसभा क्या है और यह लोकसभा से कैसे भिन्न है?

भारतीय संघ के दृष्टिकोण से, भारत के विधायी मानचित्र में राज्य सभा का अपना महत्व है यह राज्यों का प्रतिनिधित्व करता है जबकि लोकसभा सीधे लोगों का प्रतिनिधित्व करती है।

  • राज्य सभा: यह उच्च सदन (दूसरा सदन या बुजुर्गों का सदन) है और यह भारतीय संघ के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • राज्यसभा को संसद का स्थायी सदन कहा जाता है क्योंकि यह कभी भी पूर्ण रूप से भंग नहीं होती है।
    • भारतीय संविधान की IV अनुसूची राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यसभा में सीटों के आवंटन से संबंधित है।
  • लोकसभा: यह निचला सदन (प्रथम सदन या लोकप्रिय सदन) है और यह समग्र रूप से भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।

राज्यसभा लोकसभा से जुड़े प्रावधान

संघटन

  • राज्यसभा की अधिकतम संख्या 250 है (जिनमें से 238 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि हैं (अप्रत्यक्ष रूप से चुने गए) और 12 राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं)।
    • सदन में वर्तमान सदस्य संख्या 245 है। 229 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं, 4 सदस्य केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 को राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है।
  • लोकसभा की अधिकतम संख्या 550 निर्धारित की गई है, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों और 20 केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि होने हैं।
    • लोकसभा की वर्तमान सदस्य संख्या 543 है, जिसमें से 530 सदस्य राज्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 13 केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • इससे पहले राष्ट्रपति ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के दो सदस्यों को भी नामित किया था लेकिन 95वें संशोधन अधिनियम, 2009 द्वारा यह प्रावधान केवल वर्ष 2020 तक ही मान्य था।

चुनाव प्रतिनिधि

  • राज्यों के प्रतिनिधि राज्य विधानसभाओं के सदस्यों द्वारा चुने जाते हैं।
  • राज्य सभा में प्रत्येक केंद्र शासित प्रदेश के प्रतिनिधियों को अप्रत्यक्ष रूप से इस उद्देश्य के लिये विशेष रूप से गठित एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
  • केवल तीन केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू और कश्मीर) का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है (अन्य के पास पर्याप्त आबादी नहीं है)।
  • राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्य वे होते हैं जिन्हें कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव होता है।
  • तर्क यह है कि प्रतिष्ठित व्यक्तियों को चुनाव की प्रक्रिया से गुजरे बिना सदन में जगह दी जाए।
  • राज्यों के प्रतिनिधि सीधे राज्यों में क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों द्वारा चुने जाते हैं।
  •  केंद्र शासित प्रदेशों (लोगों के सदन का प्रत्यक्ष चुनाव) अधिनियम, 1965 द्वारा, केंद्र शासित प्रदेशों से लोकसभा के सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा किया जाता है।

कार्य

  • लोकसभा द्वारा शुरू कियेगए कानूनों की समीक्षा करने और उनमें बदलाव करने में राज्य सभा की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • यह कानून बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर सकता है और कानून बनने हेतु राज्य सभा से पारित होने के लिये एक विधेयक की आवश्यकता होती है।
  • लोकसभा के सबसे महत्त्वपूर्ण कार्यों में से एक कार्यपालिका का चयन करना है, व्यक्तियों का एक समूह जो संसद द्वारा बनाए गए कानूनों को लागू करने के लिये मिलकर काम करता है।
  • जब हम सरकार शब्द का प्रयोग करते हैं तो यह कार्यपालिका अक्सर हमारे दिमाग में आती है।

दोनों सदनों की शक्तियों में क्या अंतर है?

  • दोनों सदनों को कानून के संदर्भ में और बिलों के संदर्भ में भी समान अधिकार प्राप्त हैं। अंतर केवल धन विधेयकों के संदर्भ में है जिसके लिये लोकसभा के पास अधिकार हैं।

राज्य सभा की शक्तियाँ

  • राज्य से संबंधित मामले: राज्य सभा राज्यों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है। इसलिये राज्यों को प्रभावित करने वाला कोई भी मामला उसकी सहमति और अनुमोदन के लिये उसे भेजा जाना चाहिए।
    • यदि केंद्रीय संसद किसी मामले को राज्य सूची से हटाना/स्थानांतरित करना चाहती है तो राज्य सभा का अनुमोदन आवश्यक है।
  • अखिल भारतीय सेवाएँ: यह संसद को केंद्र और राज्यों दोनों के लिये नई अखिल भारतीय सेवाएँ बनाने के लिये अधिकृत कर सकती है (अनुच्छेद 312)।
  • आपातकालीन स्थितियों के दौरान: यदि राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल या राष्ट्रपति शासन या वित्तीय आपातकाल लगाने की घोषणा ऐसे समय में की जाती है जब लोकसभा भंग हो गई हो या लोकसभा का विघटन उसके अनुमोदन के लिये अनुमत अवधि के भीतर हो, तब उद्घोषणा प्रभावी रह सकती है भले ही इसे केवल राज्य सभा द्वारा अनुमोदित किया गया हो (अनुच्छेद 352, 356 और 360)।

लोकसभा की शक्तियाँ

  • धन के मामलों में शक्ति: एक बार जब लोकसभा सरकार या किसी अन्य धन संबंधी कानून के बजट को पारित कर देती है, तो राज्य सभा इसे अस्वीकार नहीं कर सकती है।
    • राज्यसभा इसमें केवल 14 दिनों की देरी कर सकती है या इसमें बदलाव का सुझाव दे सकती है हालाँकि लोकसभा इन परिवर्तनों को स्वीकार कर सकता है या नहीं भी कर सकता है।
  • संयुक्त बैठक में निर्णय: किसी भी सामान्य कानून को दोनों सदनों द्वारा पारित करने की आवश्यकता होती है। हालांकि दोनों सदनों के बीच किसी भी अंतर के मामले में दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को बुलाकर अंतिम निर्णय लिया जाता है।
    • अधिक संख्या में होने के कारण ऐसी बैठक में लोकसभा की राय प्रबल होने की संभावना है।
  • मंत्रिपरिषद पर शक्ति: लोकसभा मंत्रिपरिषद को नियंत्रित करती है।
    • यदि लोकसभा के अधिकांश सदस्य कहते हैं कि उन्हें मंत्रिपरिषद में 'अविश्वास' है, तो प्रधान मंत्री सहित सभी मंत्रियों को पद छोड़ना होगा।
    • राज्यसभा के पास यह शक्ति नहीं है।
  • राज्यसभा की विशेषताएँ क्या हैं?
    • राज्यसभा ने हमेशा एक रचनात्मक और प्रभावी भूमिका निभाई है। विधायी क्षेत्र में और सरकारी नीतियों को प्रभावित करने में इसका प्रदर्शन काफी महत्त्पूर्ण रहा है।
    • एक संघीय सदन के रूप में इसने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिये काम किया है और संसदीय लोकतंत्र में लोगों के विश्वास को मजबूत किया है।
    • राज्यसभा की बहसों में सभी सदस्यों को हमेशा अपनी क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत 12 सदस्य विभिन्न क्षेत्रों से अपनी विशेषज्ञता के साथ सदन में आते हैं।  .

आगे की राह 

चूँकि राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधत्व करती है, इसलिये यह महत्त्वपूर्ण है कि राज्य-विशिष्ट समस्याओं को इंगित करने वाली आवाजें उठाई जाएँ। लोकतंत्र और संघवाद को उसके वास्तविक रूप में बनाए रखने के लिये सरकार की ओर से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी जाए।

यह सुनिश्चित करने के लिये कि सभी कानून उचित संसदीय जाँच से गुजरते हैं, बहस और चर्चा पर अधिक समय देना और व्यवधानों पर कम समय खर्च करना भी महत्त्वपूर्ण है।

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

1. राज्यसभा के पास लोकसभा के बराबर शक्तियाँ हैं: (वर्ष 2020)

A. नई अखिल भारतीय सेवाएँ बनाने में
B. संविधान में संशोधन
C. सरकार को हटाना
D. कट मोशन लाना

उत्तर: (B)


निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?  (वर्ष 2016)

  1. लोकसभा में लंबित कोई विधेयक सत्रावसान पर समाप्त हो जाता है।
  2. राज्यसभा में लंबित एक विधेयक, जिसे लोकसभा द्वारा पारित नहीं किया गया है, लोकसभा के भंग होने पर व्यपगत नहीं होगा।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

A. केवल 1
B. केवल 2
C. दोनों 1 और 2
D. न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (B)


निम्नलिखित कथनों पर विचार किजिये: (2015)

  1. राज्य सभा के पास धन विधेयक को अस्वीकार करने या उसमें संशोधन करने का कोई अधिकार नहीं है।
  2. राज्य सभा अनुदान की मांगों पर मतदान नहीं कर सकती है।
  3. राज्यसभा वार्षिक वित्तीय विवरण पर चर्चा नहीं कर सकती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

A. केवल 1
B. केवल 1 और 2
C. केवल 2 और 3
D. 1, 2 और 3

उत्तर: (B)

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