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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत के पड़ोस में अफीम की अवैध खेती का सबसे बड़ा क्षेत्र होना, भारत के युवाओं के लिये खतरा है। इस खतरे को रोकने के लिये आवश्यक सुरक्षात्मक उपायों पर चर्चा कीजिये? (250 शब्द)

    10 Jan, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • भारत में नशीले पदार्थों के खतरे की वर्तमान स्थिति पर संक्षेप में चर्चा करते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • भारत में नशीले पदार्थों के खतरे के कारणों पर चर्चा कीजिये और इन मुद्दों से निपटने के लिये कुछ उपाय सुझाइए।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • मादक पदार्थों की लत भारत के युवाओं में तेज़ी से फैल रही है क्योंकि भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों के मध्य में स्थित है जिसके एक तरफ स्वर्णिम त्रिभुज/गोल्डन ट्रायंगल क्षेत्र और दूसरी तरफ स्वर्णिम अर्द्धचंद्र/गोल्डन क्रिसेंट क्षेत्र स्थित है।
      • स्वर्णिम त्रिभुज क्षेत्र में थाईलैंड, म्यांँमार और लाओस शामिल हैं।
      • स्वर्णिम अर्द्धचंद्र क्षेत्र में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान शामिल हैं।
    • भारत उपयोगकर्त्ताओं के मामले में विश्व के सबसे बड़े अफीम बाज़ारों में से एक है और यह संभवत: बढ़ी हुई आपूर्ति के प्रति संवेदनशील होगा।
    • वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट, 2022 के अनुसार, भारत में वर्ष 2020 में 5.2 टन अफीम की चौथी सबसे बड़ी मात्रा ज़ब्त की गई और तीसरी सबसे बड़ी मात्रा में मॉर्फिन (0.7 टन) भी उसी वर्ष ज़ब्त की गई थी। भारत वर्ष 2011-2020 में विश्लेषण किये गए 19 प्रमुख डार्कनेट बाज़ारों में बेची जाने वाली ड्रग के शिपमेंट से भी संबंधित है।

    मुख्य भाग:

    • भारत में नशीले पदार्थों का प्रभाव व्यक्तियों के स्वास्थ्य के साथ-साथ परिवारों एवं समुदायों पर सामाजिक एवं आर्थिक प्रभावों के रुप में पड़ता है।
    • भारत में अवैध नशीले पदार्थों के खतरे से संबंधित विभिन्न कारण:
      • सहकर्मी दबाव: विशेष रूप से स्कूली बच्चों और युवा वयस्कों के बीच, सहकर्मी दबाव और जिज्ञासा नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अतिरिक्त टेलीविजन और मीडिया में इनके महिमामंडन से नशीले पदार्थों के उपयोग को और बढ़ावा मिल सकता है।
      • मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे: मादक द्रव्यों का सेवन और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे अक्सर संबंधित होते हैं। जो लोग मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से गुजर रहे हैं वे नशीले पदार्थों का सहारा ले सकते हैं।
      • शिक्षा और जागरूकता की कमी: शिक्षा और जागरूकता की कमी से नशीले पदार्थों के उपयोग के जोखिमों को बढ़ावा मिलता है।
      • निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ: निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ जैसे कि बेरोज़गारी और शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच के अभाव से नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को बढ़ावा मिल सकता है।
    • नशीले पदार्थों के खतरे के समाधान हेतु आवश्यक उपाय:
      • भारत में अवैध अफीम की खेती की समस्या का समाधान करने और देश के युवाओं को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के खतरों से बचाने के लिये कई उपाय किये जा सकते हैं:
        • नशीले पदार्थों की समस्याओं से जुड़े कलंक को कम करना: नशीले पदार्थों के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति रखने और अपराधियों के बजाय उनके साथ सहायता की आवश्यकता वाले व्यक्तियों के रूप में व्यवहार करके, नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के कलंक को कम किया जा सकता है और साथ ही इससे अधिक लोगों को मदद लेने के लिये प्रोत्साहित किया जा सकता है।
        • उपचार और पुनर्वास तक पहुँच बढ़ाना: उपचार और पुनर्वास कार्यक्रमों के लिये अधिक संसाधन और सहायता प्रदान करने से व्यक्तियों को अपनी लत से बाहर निकलने और अपने जीवन को सही करने में मदद मिल सकती है।
        • कानून प्रवर्तन प्रयासों में वृद्धि करना: नशीले पदार्थों की अवैध खेती और तस्करी को कम करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक, कानून प्रवर्तन प्रयासों को बढ़ाना है जिसमें गश्त, खुफिया जानकारी एकत्र करना और इस पर रोक लगाना शामिल है। यह आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने में मदद करने के साथ मादक पदार्थों के तस्करों के कार्य को और भी अधिक कठिन बना सकता है।
        • मांग में कमी लाने वाले कार्यक्रमों को शुरु करना: आपूर्ति के साथ नशीले पदार्थों की मांग को कम करना भी महत्त्वपूर्ण है। जागरूकता और रोकथाम अभियानों जैसे कार्यक्रमों को लागू करने से इन पदार्थों का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या कम करने के साथ अवैध पदार्थों के बाजार को सीमित करने में मदद मिल सकती है।
        • वैकल्पिक आजीविका को बढ़ावा देना: अफीम की खेती को कम करने का एक और तरीका किसानों को इस प्रकार की वैकल्पिक आजीविका प्रदान करना है जो आर्थिक रूप से अधिक स्थिर और टिकाऊ हो। इसमें प्रशिक्षण और समर्थन के साथ ही ऋण और अन्य संसाधनों तक पहुँच शामिल हो सकती है।
        • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना: अफीम की अवैध खेती और तस्करी में अक्सर अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क और सीमापार व्यापार शामिल होता है। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी को मजबूत करने से इन नेटवर्कों को बाधित करने में मदद मिल सकती है जिससे अवैध व्यापार करने वालों के लिये इसे संचालित करना अधिक कठिन हो सकता है।
        • नशीले पदार्थों के उपयोगकर्ताओं के लिये उपचार और सहायता प्रदान करना: उन लोगों के लिये सहायता और उपचार प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है जो नशीले पदार्थों की लत से गुजर रहे हैं। इसमें पुनर्वास और सहायता सेवाओं तक पहुँच के साथ ही नुकसान कम करने के उपाय शामिल हो सकते हैं।
        • वैकल्पिक विकास कार्यक्रमों को लागू करना: अफीम उत्पादन क्षेत्रों में किसानों और समुदायों को आर्थिक और सामाजिक सहायता प्रदान करके, सरकार अवैध अफीम की आपूर्ति को कम करने और सतत विकास का समर्थन करने में मदद कर सकती है।
    • इससे संबंधित अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय पहल:
      • भारत:
        • ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो द्वारा ड्रग अपराधों और अपराधियों का ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करने हेतु पोर्टल बनाया गया है।
        • द नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस एक्ट, (NDPS) 1985: यह किसी भी व्यक्ति द्वारा मादक पदार्थ या साइकोट्रॉपिक पदार्थ के उत्पादन, बिक्री, क्रय, परिवहन, भंडारण और / या उपभोग को प्रतिबंधित करता है।
        • सरकार द्वारा ‘नशा मुक्त भारत अभियान’ को शुरू करने की घोषणा की गई है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।
      • नशीले पदार्थों के खतरे का मुकाबला करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ और अभिसमय:
        • भारत नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के खतरे से निपटने के लिये निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सम्मेलनों का हस्ताक्षरकर्त्ता है:
        • नारकोटिक ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र (UN) कन्वेंशन (1961)
          • नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों की अवैध तस्करी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (1988)

    निष्कर्ष:

    भारत में अवैध मादक पदार्थों का संकट एक जटिल और बहुआयामी समस्या है जिसके समाधान के लिये व्यापक एवं समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है। मांग को कम करने एवं आपूर्ति को बाधित करने के साथ नशीले पदार्थों के दुरुपयोग से प्रभावित व्यक्तियों तथा समुदायों के लिये सहायता प्रदान करने हेतु उपाय करके, इस मुद्दे से निपटने के साथ लोगों का कल्याण करना संभव है।

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