बिहार Switch to English
रामधारी सिंह दिनकर की जयंती
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और हिंदी साहित्य में उनके योगदान तथा राष्ट्रवाद की भावना को प्रज्वलित करने वाली उनकी प्रेरक देशभक्ति कविताओं पर प्रकाश डाला।
मुख्य बिंदु
रामधारी सिंह दिनकर के बारे में:
- प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
- उनका जन्म 23 सितंबर, 1908 को बिहार के बेगूसराय के सिमरिया गाँव में हुआ था।
- उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र, राजनीति और इतिहास का अध्ययन किया तथा संस्कृत, उर्दू, बंगाली और अंग्रेज़ी सहित कई भाषाओं में पारंगत हो गए।
- हिंदी साहित्य में योगदान:
- रामधारी सिंह दिनकर, जिन्हें उनके उपनाम दिनकर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रख्यात हिंदी और मैथिली कवि, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थे।
- उनका साहित्यिक योगदान, विशेषकर महाभारत के कर्ण के जीवन पर आधारित महाकाव्य रश्मिरथी, हिंदी साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण और प्रभावशाली अंग बना हुआ है।
- दिनकर के कार्य पर प्रभाव:
- दिनकर रवींद्रनाथ टैगोर की काव्य शैली, महात्मा गांधी के राजनीतिक दर्शन और कार्ल मार्क्स के क्रांतिकारी विचारों के मिश्रण से प्रभावित थे, जिससे उन्होंने एक विशेष काव्यात्मक स्वर का निर्माण किया जो आम जनता के साथ प्रतिध्वनित हुआ।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- दिनकर की कविता, विशेष रूप से वीर रस (बहादुरी की भावना) में उनकी उग्र कविताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवादी भावना को प्रज्वलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- राजनीतिक और शैक्षणिक सहभागिता:
- उन्होंने राजनीति और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, वर्ष 1952 से 1964 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे।
- वे 1960 के दशक में भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे, जिससे उनके शैक्षणिक क्षेत्र में प्रभाव और प्रबल हुआ।
- सम्मान और प्रतिष्ठा:
- वर्ष 1959 में उनको साहित्य में असाधारण योगदान के लिये पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जिससे वे भारत के महान साहित्यकारों में गिने जाने लगे।
- राष्ट्रीय कवि (राष्ट्रकवि) के रूप में प्रसिद्ध, दिनकर को उनकी देशभक्ति और प्रेरक रचनाओं के लिये जाना जाता है, जिन्होंने अपने समय की सार्थकता को बहुत अच्छे से चित्रित किया है।
- वर्ष 1999 में, उनको भारत सरकार द्वारा हिंदी को आधिकारिक भाषा बनने की 50वीं वर्षगाँठ पर जारी विशेष डाक टिकटों की शृंखला में प्रमुख हिंदी लेखकों में शामिल किया गया।
- 22 मई 2015 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दिनकर की महत्त्वपूर्ण रचनाएँ संस्कृति के चार अध्याय और परशुराम की प्रतीक्षा के स्वर्ण जयंती उत्सव का शुभारंभ किया।
उत्तर प्रदेश Switch to English
आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश अग्रणी
चर्चा में क्यों?
आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश अग्रणी है, जहाँ 87% पात्र परिवारों को शामिल किया जा चुका है, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुरक्षा की दिशा में उल्लेखनीय उपलब्धि है।
मुख्य बिंदु
- उपलब्धि के बारे में:
- उत्तर प्रदेश में अब 87% पात्र परिवारों के पास आयुष्मान कार्ड है। अब तक कुल 5.38 करोड़ कार्ड वितरित किये जा चुके हैं, जिससे राज्य आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में अग्रणी बन गया है।
- उत्तर प्रदेश में नौ करोड़ लक्षित लाभार्थियों में से 50% से अधिक को इस योजना में नामांकित किया जा चुका है।
- आयष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) की सातवीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस उपलब्धि पर प्रकाश डाला गया।
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच और व्यय
- योजना की शुरुआत से अब तक उत्तर प्रदेश में 74.4 लाख लाभार्थियों को इस योजना के अंतर्गत सूचीबद्ध अस्पतालों में मुफ्त उपचार प्राप्त हुआ है, जिस पर कुल 12,283 करोड़ रुपये का व्यय हुआ है।
- इसमें से 4,200 करोड़ रुपये कैंसर उपचार, कार्डियोलॉजी, अंग प्रत्यारोपण और बाल चिकित्सा ऑन्कोलॉजी जैसी तृतीयक देखभाल सेवाओं के लिये आवंटित किये गए हैं।
- सूचीबद्ध अस्पताल:
- वर्तमान में, उत्तर प्रदेश में 6,099 सूचीबद्ध अस्पताल हैं, जो देश में सर्वाधिक हैं। इनमें 2,921 सरकारी अस्पताल और 3,088 निजी अस्पताल शामिल हैं।
- यह व्यापक नेटवर्क राज्य की जनसंख्या को स्वास्थ्य सुविधाओं तक व्यापक पहुँच सुनिश्चित करता है।
आयुष्मान भारत-PMJAY योजना
- परिचय:
- 23 सितंबर, 2018 को शुरू की गई आयुष्मान भारत को विश्व की सबसे बड़ी सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधा पहल के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो भारत की लगभग 45% जनसंख्या को कवर करती है।
- इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से वंचित परिवारों को निशुल्क एवं उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना है।
- वित्तपोषण:
- राज्यों के पास इस योजना से बाहर निकलने का विकल्प है।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसमें केंद्र और राज्यों के लिये लागत अनुपात 60:40 तथा पूर्वोत्तर राज्यों, हिमालयी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के लिये 90:10 है।
- लाभार्थी:
- लाभार्थियों का चयन सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) 2011 तथा अन्य राज्य-विशिष्ट पहलों के आधार पर किया जाता है।
- इनमें निर्माण श्रमिक, अंत्योदय कार्डधारक, मान्यता प्राप्त पत्रकार, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्त्ता, कुंभ कार्यकर्त्ता, 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक तथा कमज़ोर आदिवासी समूह शामिल हैं।
- हाल ही में, इस योजना का विस्तार शिक्षकों को भी शामिल करने के लिये किया गया है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
वाराणसी में आयुर्वेद संस्थान की स्थापना
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर, उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी में एक प्रमुख आयुर्वेद संस्थान स्थापित करने की घोषणा की।
मुख्य बिंदु
- यह आयुर्वेद संस्थान AIIMS के समान स्तर का होगा तथा इसका उद्देश्य आयुर्वेद के अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करने तथा पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को सशक्त बनाना है।
- यह संस्थान 10 एकड़ क्षेत्र में निर्मित होगा, जिसमें शैक्षणिक सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक उपचार केंद्र भी शामिल होंगे। इसमें आयुर्वेद के लिये एक मेडिकल कॉलेज तथा इनडोर और आउटडोर दोनों प्रकार की रोगी-सेवा सुविधाएँ शामिल होंगी।
- बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से राज्य सरकार 104 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश में नए आयुष औषधालय स्थापित करेगी। इसके अतिरिक्त, गोंडा, बस्ती, मिर्ज़ापुर, आगरा और मेरठ जैसे प्रमुख शहरों में नए आयुष मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे, जो देश में पारंपरिक चिकित्सा के प्रसार के साथ-साथ आयुर्वेद में उच्च अध्ययन एवं अनुसंधान को प्रोत्साहन देंगे।
राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस
- आयुर्वेद दिवस, जो पहली बार वर्ष 2016 में मनाया गया था, इस वर्ष 23 सितंबर को मनाया गया। पूर्व में इसे धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) के अवसर पर मनाने की परंपरा थी, जिसे बाद में समाप्त कर दिया गया।
- वर्ष 2025 के लिये निर्धारित विषय “लोगों और ग्रह के लिये आयुर्वेद” था, जिसमें आयुर्वेद के माध्यम से वैश्विक कल्याण तथा पर्यावरणीय स्थिरता पर विशेष ज़ोर दिया गया।
उत्तर प्रदेश Switch to English
मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का विस्तार करते हुए इसमें वंचित अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की उप-जातियों को भी शामिल किया है, ताकि ग्रामीण आबादी के लिये अधिक समावेशी आवास लाभ सुनिश्चित हो सके।
मुख्य बिंदु
- योजना के बारे में:
- वर्ष 2018 में शुरू की गई मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) ने बेघर और आर्थिक रूप से कमज़ोर परिवारों को आश्रय प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें प्राकृतिक आपदाओं, कुष्ठ रोग, कालाज़ार और विकलांगता से प्रभावित परिवार भी शामिल हैं।
- यह योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY-ग्रामीण) के साथ संचालित होती है, लेकिन इसमें विशेष रूप से उन लोगों को शामिल किया जाता है, जो केंद्रीय आवास पहल से बाहर हैं।
- वर्ष 2024 में, सरकार ने 18 से 50 वर्ष की आयु की विधवा महिलाओं को प्राथमिकता सूची में शामिल किया, क्योंकि उनकी संवेदनशीलता और विशेष सहायता की आवश्यकता को मान्यता दी गई थी।
- लाभार्थी सूची का विस्तार
- सरकार ने मुख्यमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत लाभार्थियों की प्राथमिकता सूची में ‘सपेरा’ और ‘जोगी’ उपजातियों को शामिल किया है।
- मथुरा, प्रयागराज और सहारनपुर ज़िलों में रहने वाले सपेरा समुदाय तथा कानपुर देहात ज़िले के मैथा विकास खंड में लगभग 200 परिवारों वाले जोगी समुदाय अब इस योजना के लिये पात्र हैं।
- इससे पहले, सोनभद्र और वाराणसी ज़िलों की चेरो जनजाति को भी प्राथमिकता सूची में शामिल किया गया था।
राष्ट्रीय करेंट अफेयर्स Switch to English
विश्व खाद्य भारत 2025
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री 25 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में विश्व खाद्य भारत के चौथे संस्करण का उद्घाटन करेंगे, जिसमें 90 से अधिक देश, 2,000 से अधिक प्रदर्शक और हज़ारों हितधारक भाग लेंगे।
मुख्य बिंदु
विश्व खाद्य भारत 2025 के बारे में
- आयोजन:
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा 25 से 28 सितंबर 2025 तक आयोजित विश्व खाद्य भारत 2025, खाद्य प्रसंस्करण और आपूर्ति के लिये भारत की क्षमता को ‘वैश्विक खाद्य केंद्र’ के रूप में उजागर करेगा।
- भारत दूध, प्याज और दाल का सबसे बड़ा उत्पादक है तथा चावल, गेहूँ, गन्ना, चाय, फल, सब्जियाँ एवं अंडे का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।
- पिछले दशक में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 7.33 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI इक्विटी निवेश आया है।
- साझेदार एवं फोकस देश:
- न्यूज़ीलैंड और सऊदी अरब साझेदार देशों के रूप में भाग लेंगे, जबकि जापान, UAE, वियतनाम तथा रूस फोकस देशों के रूप में भाग लेंगे।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा तीसरा वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन: वैश्विक नियामकों को खाद्य सुरक्षा मानकों के सामंजस्य पर विचार-विमर्श करने और अंतर्राष्ट्रीय नियामक सहयोग को मज़बूत करने के लिये एक विशिष्ट मंच प्रदान करना।
- भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक संघ (SEAI) द्वारा 24वाँ भारत अंतर्राष्ट्रीय समुद्री खाद्य शो (IISS): भारत की बढ़ती समुद्री खाद्य निर्यात क्षमता और वैश्विक बाज़ार संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना।
- मुख्य फोकस स्तंभ:
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प्रधानमंत्री स्मृति-चिह्नों में बिहार की लोककला का प्रदर्शन
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री स्मृति चिह्न ई-नीलामी के 7वें संस्करण में बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें मधुबनी और सिक्की कला के उदाहरणों सहित 40 अद्वितीय वस्तुएँ अब सार्वजनिक बोली के लिये उपलब्ध हैं।
मुख्य बिंदु
- परिचय:
- प्रधानमंत्री स्मृति-चिह्न ई-नीलामी, जिसे संस्कृति मंत्रालय ने राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय, दिल्ली के माध्यम से आयोजित किया, नागरिकों को वर्ष 2019 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिये गए स्मृति-चिह्न प्राप्त करने का अवसर देती है।
- इस नीलामी से प्राप्त धनराशि पवित्र नदी गंगा के पुनरुद्धार के लिये समर्पित नमामि गंगे परियोजना को सहायता प्रदान करेगी।
- बिहार की कलात्मक विशेषताएँ:
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मधुबनी पेंटिंग:
- यह जटिल मधुबनी पेंटिंग भगवान कृष्ण को गोपियों के साथ दर्शाती है, जो दिव्य प्रेम और आध्यात्मिक सद्भाव को प्रदर्शित करती है।
- मोटी रेखाओं, जटिल पैटर्न और प्राकृतिक रंगों के लिये प्रसिद्ध यह पेंटिंग मिथिला क्षेत्र की गहन लोक परंपराओं का प्रतिनिधित्व करती है।
- मिथिला पेंटिंग:
- एक सजीव मिथिला पेंटिंग, जिसमें एक महिला कमल का फूल और एक शिवलिंग पकड़े हुए है, जो भगवान शिव का प्रतीक है, यह कलाकृति बिहार की लोक कला का सुंदर प्रतिनिधित्व करती है।
- कागज़ पर पोस्टर रंगों में बनाई गई यह पेंटिंग पारंपरिक भूरे रंग के फ्रेम में है, जिसमें मिथिला कला की विशेषता वाले जटिल और सजीव रेखाचित्र प्रदर्शित हैं।
- यह कलाकृति मिथिला चित्रकला की समृद्ध परंपरा को दर्शाती है, जो हिंदू देवी-देवताओं, प्रकृति और दैनिक जीवन से गहराई से जुड़ी हुई है।
- सिक्की कला:
- इस कला में भगवान राम और सीता को सुनहरे रंग में दर्शाया गया है, जो युगल की दिव्य कृपा को प्रकट करता है।
- बिहार की पारंपरिक सिक्की कला शैली में निर्मित इस कलाकृति में दिव्य दंपति का सुनहरा चित्रण गहरे रंग की पृष्ठभूमि में प्रस्तुत किया गया है, जो उनकी शक्ति और सुंदरता पर ज़ोर देता है।
- सिक्की कला अपनी जटिल शिल्पकला के लिये जानी जाती है और यह कलाकृति बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि, विशेष रूप से लोक परंपराओं में दैवीय आकृतियों के चित्रण को दर्शाती है।