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पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग का मापन- WHO

  • 17 Jul 2025
  • 3 min read

स्रोत: पी.आई.बी

वैश्विक स्वास्थ्य सेवा नवाचार के लिये एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने "पारंपरिक चिकित्सा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग का मापन" शीर्षक से एक तकनीकी संक्षिप्त विवरण जारी किया है। इसमें पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों, जैसे- आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी विशेष रूप से आयुष प्रणालियों के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को एकीकृत करने में भारत के अग्रणी प्रयासों की सराहना की गई है।

  • भारत का 'सभी के लिये AI’ का दृष्टिकोण डिजिटल स्वास्थ्य नवाचार और पारंपरिक चिकित्सा के एकीकरण में उसके वैश्विक नेतृत्व का पूरक है।

मान्यताप्राप्त पहल:

  • आयुर्जेनोमिक्स (Ayurgenomics): यह आयुर्वेद और जीनोमिक्स (जनन विज्ञान) का समन्वय है, जो स्वास्थ्य सिफारिशों को व्यक्तिगत बनाने और रोग के संकेतकों के पूर्वानुमान में मदद करता है।
  • पारंपरिक ज्ञान डिजिटल लाइब्रेरी (TKDL): भारत TKDL शुरू करने वाला पहला देश था, जिसकी शुरुआत वर्ष 2001 में हुई थी। यह एक अनोखा डिजिटल डेटाबेस है, जिसे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) एवं भारतीय चिकित्सा प्रणाली एवं होम्योपैथी विभाग (जो अब आयुष मंत्रालय है) द्वारा विकसित किया गया है।
    • यह पारंपरिक ज्ञान को दुरुपयोग से बचाता है तथा वैश्विक पेटेंट कार्यालयों को गलत पेटेंट देने से रोकने में मदद करता है।
  • आयुष ग्रिड: यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो शोकेस आयुर्वेदिक हिस्टोरिकल इम्प्रिन्ट्स (SAHI), राष्ट्रीय आयुष रुग्णता और मानकीकृत शब्दावली इलेक्ट्रॉनिक (NAMASTE) तथा आयुष अनुसंधान पोर्टल  जैसी AI-संचालित नागरिक सेवाओं को सक्षम बनाता है।
  • पारंपरिक चिकित्सा में AI के अनुप्रयोग: भारत में AI का उपयोग औषधियों के प्रभाव के मार्गों को मैप करने और पारंपरिक अवधारणाओं जैसे रस (स्वाद), गुण (विशेषताएँ) एवं  वीर्य (शक्ति) का विश्लेषण करने के लिये कृत्रिम सेंसरों के माध्यम से किया जाता है।

और पढ़ें: स्वास्थ्य सेवा में AI

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