उत्तर प्रदेश
आयुर्वेद दिवस 2025
- 27 Aug 2025
- 16 min read
चर्चा में क्यों?
आयुर्वेद दिवस, जिसे पहली बार वर्ष 2016 में मनाया गया था, अब प्रत्येक वर्ष 23 सितंबर को मनाया जाएगा तथा पूर्व में धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) पर मनाने की प्रथा को समाप्त कर दिया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- आयुर्वेद दिवस के बारे में:
- 23 सितंबर की निश्चित तिथि के साथ, आयुर्वेद दिवस वैश्विक कैलेंडर में एक स्थायी स्थान प्राप्त करने के लिये अग्रसर है, जो आयुर्वेद की समृद्ध परंपरा के माध्यम से विश्वव्यापी स्वास्थ्य, कल्याण तथा पारिस्थितिकीय स्थिरता में योगदान देगा।
- आयुर्वेद व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से विश्व स्तर पर फैल चुका है, जिसने तिब्बत, चीन और अन्य क्षेत्रों में पारंपरिक औषधि-प्रणालियों को प्रभावित किया है।
- यह एक वैश्विक आंदोलन के रूप में विकसित हो चुका है, जिसे 24 देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता प्राप्त है तथा 100 से अधिक देश इसके उत्पादों का आयात करते हैं।
- आयुर्वेद दिवस 2025
- विषय है- “लोगों और ग्रह के लिये आयुर्वेद”, जिसमें वैश्विक कल्याण तथा पर्यावरणीय स्थिरता पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
- समारोह में जीवनशैली संबंधी विकार, जलवायु संबंधी रोग और तनाव प्रबंधन जैसी वैश्विक चुनौतियों के समाधान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें आयुर्वेद को एक व्यवहार्य समाधान के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
- आयुष मंत्रालय जागरूकता अभियान, युवा सहभागिता कार्यक्रम, स्वास्थ्य परामर्श और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित विभिन्न गतिविधियों का नेतृत्व करेगा।
- विषय है- “लोगों और ग्रह के लिये आयुर्वेद”, जिसमें वैश्विक कल्याण तथा पर्यावरणीय स्थिरता पर विशेष ज़ोर दिया जाएगा।
- आयुर्वेद दिवस 2024 की उपलब्धियाँ
- 9वें आयुर्वेद दिवस (2024) ने भारत के स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों को चिह्नित किया
- अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) के द्वितीय चरण का उद्घाटन।
- आयुर्वेद में चार उत्कृष्टता केंद्रों का शुभारंभ।
- “देश का प्रकृति संरक्षण अभियान” का परिचय।
- महत्त्व
- प्रथम अखिल भारतीय NSSO सर्वेक्षण ने पुष्टि की है कि आयुर्वेद भारत के ग्रामीण और शहरी, दोनों ही क्षेत्रों में सर्वाधिक उपयोग की जाने वाली उपचार प्रणाली है।
- आयुर्वेद के विकास के लिये की गई पहल