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भारतीय अर्थव्यवस्था

आयुष क्षेत्र की प्रगति

  • 19 Aug 2023
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

आयुष, विश्व स्वास्थ्य संगठन, वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन

मेन्स के लिये:

आयुष से संबंधित पहल, पारंपरिक चिकित्सा का महत्त्व

चर्चा में क्यों? 

आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं होम्योपैथी (AYUSH) क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। ऐसा अनुमान है कि इसमें और भी वृद्धि होगी तथा वर्ष 2023 के अंत तक यह 24 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगी।

  • इस आशाजनक परिदृश्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन में आयुष क्षेत्र केंद्रीय विषय हो सकता है।

आयुष क्षेत्र:

  • परिचय:
    • आयुष क्षेत्र भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का प्रतिनिधित्व करता है।
    • भारतीय चिकित्सा प्रणाली वैविध्यपूर्ण, सुलभ और सस्ती है तथा इनकी व्यापक सार्वजनिक स्वीकृति है, यह विशेषता उन्हें प्रमुख स्वास्थ्य सेवा प्रदाता बनाती है। एक बड़ी आबादी को उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्त्वपूर्ण सेवाओं के परिणामस्वरूप उनके आर्थिक मूल्य में वृद्धि हो रही है।
  • आयुष के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्र:
    • आयुर्वेद: समग्र कल्याण पर केंद्रित प्राचीन चिकित्सा प्रणाली।
    • योग: शारीरिक मुद्राओं और ध्यान के माध्यम से तन, मन और आत्मा का एकीकरण।
    • प्राकृतिक चिकित्सा: जल, वायु और आहार जैसे तत्त्वों के उपयोग से प्राकृतिक उपचार।
    • यूनानी: तरल सिद्धांत (Humoral Theory) और हर्बल उपचार के उपयोग से संतुलन की स्थापना।
    • सिद्ध: पाँच तत्त्वों और ह्यूमर तमिल चिकित्सा का आधार है।
    • होम्योपैथी: स्व-उपचार प्रतिक्रियाओं को उत्तेजित करने हेतु धीमी उपचार प्रक्रिया।
  • आयुष क्षेत्र की प्रगति:
    • तीव्र वित्तीय विकास:

      • आयुष दवाओं और सप्लीमेंट्स के उत्पादन में त्वरित वृद्धि देखी गई है।
      • इससे उत्पन्न होने वाला राजस्व 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2014) से बढ़कर 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2020) हो गया है।
      • वर्ष 2023 में 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित वृद्धि इसके वित्तीय प्रभाव को दर्शाती है।
    • स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र का एकीकरण:

      • आयुष फाउंडेशन वाले वेलनेस सेंटरों को बहुत अधिक समर्थन मिलता है।
      • वर्ष 2022 में 8.42 करोड़ रोगियों ने 7,000 सक्रिय केंद्रों की सेवाओं का उपयोग किया।
      • वर्तमान स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों का बढ़ता एकीकरण प्रदर्शित करता है।

AYUSH से संबंधित योजनाएँ:

WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन:

  • परिचय:
    • WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है जो वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल प्रथाओं में पारंपरिक चिकित्सा के महत्त्व को रेखांकित करता है।
    • यह मंच पारंपरिक चिकित्सा के भविष्य पर चर्चा करने के साथ उसे आकार देने के लिये विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, शोधकर्त्ताओं एवं हितधारकों को एक साथ लाता है।
    • पहला WHO पारंपरिक चिकित्सा वैश्विक शिखर सम्मेलन भारत में गुजरात के गांधीनगर में होगा।
    • शिखर सम्मेलन WHO तथा भारत सरकार के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसके पास  वर्ष 2023 में G20 की अध्यक्षता है।
  • वैश्विक भागीदारी:
    • 90 से अधिक देशों की भागीदारी।
    • विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले विविध हितधारकों का एकीकरण।
  • उद्देश्य और फोकस क्षेत्र:
    • इसका उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा में सर्वोत्तम प्रथाओं, साक्ष्य, डेटा और नवाचारों को साझा करना है।
    • स्वास्थ्य और सतत् विकास में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका पर चर्चा करने के लिये मंच।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

मेन्स:

प्रश्न. भैषजिक कंपनियों द्वारा आयुर्विज्ञान के पारंपरिक ज्ञान को पेटेंट कराने से भारत सरकार किस प्रकार रक्षा कर रही है? (2019)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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