उत्तर प्रदेश
अर्थ ओवरशूट डे 2025
- 27 Aug 2025
- 19 min read
चर्चा में क्यों?
इस वर्ष 24 जुलाई, 2025 को अर्थ ओवरशूट डे मनाया गया। यह अब तक की सबसे प्रारंभिक तिथि है, जब मानवता की पारिस्थितिकी संसाधनों की मांग, पृथ्वी द्वारा एक वर्ष में पुनर्जीवित किये जाने वाले संसाधनों से अधिक हो गई।
- इसका अर्थ यह है कि मनुष्य ने सात महीनों से भी कम समय में पूरे वर्ष के संसाधनों का उपभोग कर लिया है।
मुख्य बिंदु
अर्थ ओवरशूट डे के बारे में:
- परिभाषा:
- अर्थ ओवरशूट डे उस तिथि को चिह्नित करता है, जब मानवता की पारिस्थितिकी संसाधनों एवं सेवाओं की मांग पृथ्वी की उस वर्ष की पुनर्जीवन क्षमता से अधिक हो जाती है।
- प्रारंभ:
- अर्थ ओवरशूट डे का विचार सबसे पहले यूके थिंक टैंक न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन के एंड्रयू सिम्स द्वारा प्रस्तावित किया गया था। न्यू इकोनॉमिक्स फाउंडेशन ने वर्ष 2006 में ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के साथ मिलकर यह अभियान शुरू किया था। वर्ष 2007 से, वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) इस पहल में सहयोग कर रहा है।
- आकलन:
- इस दिवस का आकलन ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क द्वारा यॉर्क विश्वविद्यालय के राष्ट्रीय फ़ुटप्रिंट और बायोकैपेसिटी खातों के आधार पर किया जाता है।
- वैश्विक उपभोग पैटर्न को अधिक सटीक एवं अद्यतन रूप में दर्शाने हेतु आँकड़ों को प्रतिवर्ष अद्यतन किया जाता है।
- सूत्र:
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जैवक्षमता (Biocapacity) बनाम पारिस्थितिकी पदचिह्न (Ecological Footprint):
- जैवक्षमता: वह मात्रा जिसे पृथ्वी एक वर्ष में पुनः उत्पन्न कर सकती है, जैसे- वन, चराई भूमि, कृषि भूमि एवं मत्स्य क्षेत्र आदि।
- यह पृथ्वी के उत्पादक भूमि और समुद्री क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें वन, चरागाह भूमि, कृषि भूमि तथा मत्स्य शामिल हैं।
- पारिस्थितिकी पदचिह्न: इन संसाधनों पर मानवता की कुल मांग (जिसमें भोजन, लकड़ी, शहरी बुनियादी ढाँचे के लिये स्थान और कार्बन डाइऑक्साइड अवशोषण शामिल हैं)।
- यह जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न CO₂ उत्सर्जन को अवशोषित करने के लिये भोजन, फाइबर, लकड़ी और स्थान जैसे संसाधनों की जनसंख्या की मांग को मापता है।
- जैवक्षमता: वह मात्रा जिसे पृथ्वी एक वर्ष में पुनः उत्पन्न कर सकती है, जैसे- वन, चराई भूमि, कृषि भूमि एवं मत्स्य क्षेत्र आदि।
- वैश्विक प्रभाव
- पारिस्थितिकी हानि: जब किसी क्षेत्र की मांग उसकी पारिस्थितिकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो वहाँ पारिस्थितिकी हानि होती है। इस हानि को संसाधनों के आयात, स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्रों के अति-दोहन (जैसे अत्यधिक मछली पकड़ना) और वायुमंडल में CO₂ उत्सर्जन द्वारा पूरा किया जाता है।
- वैश्विक ओवरशूट: वैश्विक स्तर पर, पारिस्थितिकी हानि और ओवरशूट समानार्थी हैं, क्योंकि ग्रह पर संसाधनों का कोई शुद्ध आयात नहीं है।