बिहार
रामधारी सिंह दिनकर की जयंती
- 24 Sep 2025
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चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कवि रामधारी सिंह दिनकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और हिंदी साहित्य में उनके योगदान तथा राष्ट्रवाद की भावना को प्रज्वलित करने वाली उनकी प्रेरक देशभक्ति कविताओं पर प्रकाश डाला।
मुख्य बिंदु
रामधारी सिंह दिनकर के बारे में:
- प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
- उनका जन्म 23 सितंबर, 1908 को बिहार के बेगूसराय के सिमरिया गाँव में हुआ था।
- उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र, राजनीति और इतिहास का अध्ययन किया तथा संस्कृत, उर्दू, बंगाली और अंग्रेज़ी सहित कई भाषाओं में पारंगत हो गए।
- हिंदी साहित्य में योगदान:
- रामधारी सिंह दिनकर, जिन्हें उनके उपनाम दिनकर के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रख्यात हिंदी और मैथिली कवि, स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षाविद थे।
- उनका साहित्यिक योगदान, विशेषकर महाभारत के कर्ण के जीवन पर आधारित महाकाव्य रश्मिरथी, हिंदी साहित्य का एक महत्त्वपूर्ण और प्रभावशाली अंग बना हुआ है।
- दिनकर के कार्य पर प्रभाव:
- दिनकर रवींद्रनाथ टैगोर की काव्य शैली, महात्मा गांधी के राजनीतिक दर्शन और कार्ल मार्क्स के क्रांतिकारी विचारों के मिश्रण से प्रभावित थे, जिससे उन्होंने एक विशेष काव्यात्मक स्वर का निर्माण किया जो आम जनता के साथ प्रतिध्वनित हुआ।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- दिनकर की कविता, विशेष रूप से वीर रस (बहादुरी की भावना) में उनकी उग्र कविताओं ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान राष्ट्रवादी भावना को प्रज्वलित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- राजनीतिक और शैक्षणिक सहभागिता:
- उन्होंने राजनीति और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, वर्ष 1952 से 1964 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे।
- वे 1960 के दशक में भागलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति भी रहे, जिससे उनके शैक्षणिक क्षेत्र में प्रभाव और प्रबल हुआ।
- सम्मान और प्रतिष्ठा:
- वर्ष 1959 में उनको साहित्य में असाधारण योगदान के लिये पद्म भूषण से सम्मानित किया गया, जिससे वे भारत के महान साहित्यकारों में गिने जाने लगे।
- राष्ट्रीय कवि (राष्ट्रकवि) के रूप में प्रसिद्ध, दिनकर को उनकी देशभक्ति और प्रेरक रचनाओं के लिये जाना जाता है, जिन्होंने अपने समय की सार्थकता को बहुत अच्छे से चित्रित किया है।
- वर्ष 1999 में, उनको भारत सरकार द्वारा हिंदी को आधिकारिक भाषा बनने की 50वीं वर्षगाँठ पर जारी विशेष डाक टिकटों की शृंखला में प्रमुख हिंदी लेखकों में शामिल किया गया।
- 22 मई 2015 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दिनकर की महत्त्वपूर्ण रचनाएँ संस्कृति के चार अध्याय और परशुराम की प्रतीक्षा के स्वर्ण जयंती उत्सव का शुभारंभ किया।