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स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Jun 2025
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उत्तर प्रदेश Switch to English

मिस वर्ल्ड 2025

चर्चा में क्यों?

31 मई 2025 को तेलंगाना के हैदराबाद में हाईटेक्स प्रदर्शनी केंद्र में आयोजित 72वें मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के ग्रैंड फिनाले के दौरान थाईलैंड की ओपल सुचाता चुआंगसरी को मिस वर्ल्ड 2025 का ताज पहनाया गया।

मुख्य बिंदु

  • प्रतियोगिता के बारे में: 
    • यह एक महीने तक चलने वाला उत्सव था जिसमें विश्व भर से 108 प्रतिभागियों ने भाग लिया, इसमें ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण, सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और प्रतिभागियों द्वारा संचालित जागरूकता अभियानों को शामिल किया गया।
    • इस कार्यक्रम की मेज़बानी मिस वर्ल्ड 2016 स्टेफनी डेल वैले और भारतीय टीवी व्यक्तित्व सचिन कुंभार ने की।
  • विजेता:
    • थाईलैंड का प्रतिनिधित्व करने वाली ओपल सुचाता चुआंगस्री ने मिस वर्ल्ड 2025 का ताज़ जीता।
      उन्हें मिस वर्ल्ड 2024 क्रिस्टिना पिस्कोवा (चेक गणराज्य) ने ताज पहनाया।
    • इथियोपिया के हासेट डेरेजे ने प्रथम उपविजेता और पोलैंड की माजा क्लाजदा ने दूसरे उपविजेता का खिताब जीता।
  • महाद्वीपीय क्वीन: प्रत्येक महाद्वीप से विजेताओं का चयन रैपिड-फायर राउंड के माध्यम से किया  किया गया:
    • मिस मार्टीनिक – अमेरिका और कैरिबियन
    • मिस इथियोपिया – अफ्रीका
    • मिस पोलैंड – यूरोप
    • मिस थाईलैंड – एशिया और ओशिनिया
  • अन्य मुख्य बिंदु:
    • मिस इंडोनेशिया मोनिका केज़िया सेम्बिरिंग ने अपने प्रोजेक्ट "पाइपलाइन फॉर लाइफलाइन" के लिये ब्यूटी विद अ पर्पज़ राउंड जीता, जिसका उद्देश्य स्वच्छ जल और स्वच्छता तक पहुँच में सुधार करना था।
    • अभिनेता सोनू सूद को मिस वर्ल्ड मानवतावादी पुरस्कार (Miss World Humanitarian Award) से सम्मानित किया गया, जो राणा दग्गुबाती द्वारा प्रदान किया गया।
  • भारत की भागीदारी:
    • मिस इंडिया 2025 नंदिनी गुप्ता ने टॉप मॉडल चैलेंज में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए 72वीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता में चार महाद्वीपीय विजेताओं में स्थान प्राप्त किया, लेकिन वे शीर्ष 20 में पहुँचने के बाद प्रतियोगिता से बाहर हो गईं।


उत्तराखंड Switch to English

फूलों की घाटी

चर्चा में क्यों?

 1 जून, 2025 उत्तराखंड में फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिये आधिकारिक रूप से खोल दी गई, जिससे इसकी वार्षिक चार महीने की यात्रा अवधि की शुरुआत हो गई।

मुख्य बिंदु

  • फूलों की घाटी के बारे में: 
    • यह उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित है और नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व के भीतर स्थित है।
    • यह घाटी 87 वर्ग किलोमीटर में फैली है और समुद्र तल से 3,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • इस घाटी का पश्चिमी दुनिया से पहला परिचय वर्ष 1931 में हुआ, जब ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्माइथ, एरिक शिप्टन और आर. एल. होल्ड्सवर्थ ने माउंट कामेट से लौटते समय इसे खोजा।
    • स्माइथ की वर्ष 1938 में प्रकाशित पुस्तक "फूलों की घाटी" ने इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
  • वनस्पति और जीव-जंतु:
    • यह घाटी सैकड़ों प्रकार के पुष्पों के लिये प्रसिद्ध है, जिनमें प्रमुख हैं– ऑर्किड, पॉपी, प्रिमुला, गेंदा, गुलबहार और एनिमोन
    • यहाँ ब्रह्मकमल जैसे दुर्लभ व पवित्र पुष्प भी खिलते हैं, जो धार्मिक अनुष्ठानों में अर्पित किये जाते हैं।
    • यह क्षेत्र पारंपरिक उपचार पद्धतियों में प्रयुक्त औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का भी प्रमुख भंडार है।
    • यहाँ के प्रमुख वन्य जीव हैं– हिम तेंदुआ, हिमालयी वीज़ल, काला भालू, लाल लोमड़ी, धूसर लंगूर, उड़ने वाली गिलहरी और लाइम बटरफ्लाई समेत कई प्रजातियों की तितलियाँ
  • प्राकृतिक विशेषताएँ:
    • घाटी में अल्पाइन घास के मैदान, झरते हुए जलप्रपात, हिमानी धाराएँ और घने वन देखने को मिलते हैं।
    • यह घाटी ज़ास्कर और ग्रेटर हिमालय पर्वत शृंखलाओं के बीच स्थित एक संक्रमणीय क्षेत्र (transition zone) में है।
  • संरक्षण प्रयास:
    • पारिस्थितिकीय क्षरण की आशंका को देखते हुए, इसे वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
    • वर्ष 1988 में इसे नंदा देवी जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र में शामिल किया गया और पर्यटन को कड़े नियंत्रणों के तहत धीरे-धीरे पुनः शुरू किया गया।
    • इसकी असाधारण सुंदरता और जैवविविधता को देखते हुए वर्ष 2005 में इसे UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
  • सांस्कृतिक महत्त्व:
    • यह घाटी हिंदू पौराणिक परंपराओं में आध्यात्मिक महत्त्व रखती है और पारंपरिक रूप से भोटिया जनजाति द्वारा बसाई जाती रही है।
    • यहाँ पाए जाने वाले पवित्र पुष्प, विशेषकर ब्रह्मकमल, को धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष स्थान प्राप्त है।


झारखंड Switch to English

झारखंड ने विकास आवश्यकताओं हेतु कर हस्तांतरण में वृद्धि की मांग की

चर्चा में क्यों?

झारखंड सरकार ने अपने आर्थिक योगदान और विशिष्ट विकासात्मक आवश्यकताओं का संदर्भ देते हुए सोलहवें वित्त आयोग से केंद्रीय कर हस्तांतरण में राज्य की हिस्सेदारी को वर्तमान 41% से बढ़ाकर 50% करने का आग्रह किया है।

मुख्य बिंदु

  • विकासात्मक आवश्यकताओं के लिये उच्च कर हस्तांतरण:
    • झारखंड, जो खनन के माध्यम से महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है तथा अपनी पर्यावरणीय और सामाजिक लागतों को वहन कर रहा है, ने कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सुधार के लिये वित्तीय सहायता बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। 
    • राज्य ने अपनी बड़ी कृषि-निर्भर आबादी और कृषि विकास की क्षमता पर प्रकाश डाला तथा स्थानीय आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिये लचीले निधि उपयोग का आह्वान किया।
  • खनन गतिविधियों से संबंधित मुद्दे: 
    • राज्य ने योजनाबद्ध भूमि सुधार पर ज़ोर दिया, प्रस्ताव दिया कि खनन कार्य समाप्त होने के बाद खनन की गई भूमि वापस कर दी जाए। साथ ही, इसने क्षेत्र में कार्यरत खनन कंपनियों से 1.40 लाख करोड़ रुपए की लंबित राशि जारी करने की माँग भी की है।
  • राज्य बजट और कल्याणकारी पहल: 
    • झारखंड के 1.45 लाख करोड़ रुपए के बजट में गरीबों, महिलाओं और कमज़ोर समूहों के लिये सामाजिक कल्याण हेतु 62,844 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं। 13,363 करोड़ रुपए महिलाओं की वित्तीय सहायता योजनाओं के लिये और 5,000 करोड़ रुपए पात्र निवासियों को मुफ्त बिजली देने के लिये समर्पित हैं।

16वाँ वित्त आयोग

  • परिचय 
    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित 16वाँ वित्त आयोग 1 अप्रैल 2026 से शुरू होकर पाँच वर्ष की अवधि को कवर करेगा।
    • इसके अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया हैं जबकि सदस्य हैं – अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू, मनोज पांडा तथा सौम्य कांती घोष (अंशकालिक)।
      • ऋत्विक रंजन पांडे सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
  • भूमिका एवं कार्यादेश: वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जिसका गठन हर पाँच वर्ष में राजकोषीय संघवाद को बनाए रखने और निम्नलिखित सिफारिशें करने के लिये किया जाता है:
  • महत्त्व:
    • क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करने के लिये समान संसाधन आवंटन सुनिश्चित करना।
    • जमीनी स्तर पर शासन और स्थानीय विकास का समर्थन करता है।
    • राजकोषीय प्रबंधन, व्यय दक्षता और सार्वजनिक वित्त सुधार पर सलाह देना।

Jharkhand Demands Increased Tax Devolution for Development Needs


उत्तर प्रदेश Switch to English

घाटमपुर थर्मल पावर परियोजना

चर्चा में क्यों?

30 मई, 2025 को प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के कानपुर में घाटमपुर ताप विद्युत परियोजना की यूनिट-1 को राष्ट्र को समर्पित किया।

मुख्य बिंदु

  • परियोजना के बारे में:
    • घाटमपुर थर्मल पावर परियोजना की कुल स्थापित क्षमता 1,980 मेगावाट है, जिसमें 660 मेगावाट की तीन सुपरक्रिटिकल इकाइयाँ शामिल हैं
    • शेष दो इकाइयों को वित्तीय वर्ष 2025-26 तक चालू किया जाना है
    • यह परियोजना नेवेली उत्तर प्रदेश पावर लिमिटेड (NUPPL) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जो NLC इंडिया लिमिटेड और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (UPRVUNL) के बीच एक संयुक्त उद्यम है।
    • परियोजना की कुल लागत अनुमानित 21,780.94 करोड़ रुपए है।
  • विद्युत आवंटन:
    • उत्पादित बिजली का 1,487.28 मेगावाट (75.12%) उत्तर प्रदेश को आवंटित करने के लिये एक विद्युत क्रय समझौते (PPA) पर हस्ताक्षर किये गए हैं और शेष 492.72 मेगावाट (24.88%) असम के लिये निर्धारित किया गया है।
  • पर्यावरण सुरक्षा उपाय:
    • प्लांट में नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) उत्सर्जन को कम करने के लिये सेलेक्टिव कैटालिटिक रिडक्शन (SCR) तकनीक लगाई गई है।
    • सल्फर डाइऑक्साइड (SOx) उत्सर्जन नियंत्रण के लिये फ्लू गैस डिसल्फराइजेशन (FGD) सिस्टम स्थापित किये गए हैं।
    • परियोजना में जीरो लिक्विड डिस्चार्ज (ZLD) सिस्टम होगा, जिससे प्लांट से कोई भी जल डिस्चार्ज नहीं होगा।

हरियाणा Switch to English

ऑपरेशन शील्ड

चर्चा में क्यों?

31 मई, 2025 को, हरियाणा के अधिकारियों ने आपातकालीन तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये “ऑपरेशन शील्ड” नामक नागरिक सुरक्षा अभ्यास किया।

मुख्य बिंदु

  • कृत्रिम आपातकालीन परिदृश्य: कृत्रिम अभ्यास में स्वयंसेवकों द्वारा घायल पीड़ितों, अग्निशमन कार्यों और आपातकालीन निकासी के दृश्यों को शामिल किया गया।
    • अभ्यास में हवाई हमलों, ड्रोन हमलों और अन्य युद्धकालीन आपात स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि प्रतिक्रिया तंत्र का परीक्षण किया जा सके।
    • इस अभ्यास में अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं, पुलिस बलों, स्वास्थ्य विभागों, आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों, नागरिक सुरक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) और राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) के प्रशिक्षित स्वयंसेवकों सहित विभिन्न विभागों के बीच समन्वय देखा गया।

राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS)

  • NSS भारत सरकार, युवा मामले और खेल मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसे वर्ष 1969 में स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्र युवाओं के व्यक्तित्व और चरित्र को विकसित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
    • NSS की विचारधारा महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। इसका आदर्श वाक्य है "मैं नहीं, बल्कि आप।"
  • यह योजना +2 बोर्ड स्तर पर 11वीं और12 वीं कक्षा के छात्र युवाओं के साथ-साथ भारत के तकनीकी संस्थानों, स्नातक और स्नातकोत्तर महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों के छात्रों को विभिन्न सरकारी सामुदायिक सेवा गतिविधियों एवं कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर प्रदान करती है।

राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC)

  • राष्ट्रीय कैडेट कॉर्प्स:
    • NCC का गठन वर्ष 1948 (एच.एन. कुंजरु समिति-1946 की सिफारिश पर) में किया गया था और इसकी जड़ें ब्रिटिश युग में गठित युवा संस्थाओं, जैसे-यूनिवर्सिटी कॉर्प्स या यूनिवर्सिटी ऑफिसर ट्रेनिंग कॉर्प्स (University Corps or University Officer Training Corps) में हैं।
      • इसके इतिहास को 'यूनिवर्सिटी कॉर्प्स' (University Corps) से जाना जा सकता है, जिसे भारतीय सेना में कर्मियों की कमी को पूरा करने के उद्देश्य से भारतीय रक्षा अधिनियम, 1917 के तहत निर्मित किया गया था।
      • बाद में वर्ष 1949 में NCC का विस्तार गर्ल्स डिवीज़न को शामिल करने हेतु किया गया ताकि देश की रक्षा के लिये इच्छुक महिलाओं को समान अवसर प्रदान किया जा सके।
    • NCC विश्व का सबसे बड़ा वर्दीधारी युवा संगठन है। यह हाई स्कूल और कॉलेज स्तर पर कैडेटों का नामांकन करता है तथा विभिन्न चरणों के पूरा होने पर प्रमाण पत्र भी प्रदान करता है।
      • NCC कैडेट विभिन्न स्तरों पर बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं और इसमें सशस्त्र बलों तथा उनके कामकाज से संबंधित शैक्षणिक पाठ्यक्रम की बुनियादी बातें भी शामिल हैं।
  • मंत्रालय:
    • NCC रक्षा मंत्रालय के दायरे में आता है और इसका नेतृत्त्व थ्री स्टार सैन्य रैंक का महानिदेशक करता है।


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