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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 02 Jun 2025
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फूलों की घाटी

चर्चा में क्यों?

 1 जून, 2025 उत्तराखंड में फूलों की घाटी को पर्यटकों के लिये आधिकारिक रूप से खोल दी गई, जिससे इसकी वार्षिक चार महीने की यात्रा अवधि की शुरुआत हो गई।

मुख्य बिंदु

  • फूलों की घाटी के बारे में: 
    • यह उत्तराखंड के चमोली ज़िले में स्थित है और नंदा देवी बायोस्फीयर रिज़र्व के भीतर स्थित है।
    • यह घाटी 87 वर्ग किलोमीटर में फैली है और समुद्र तल से 3,600 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है।
  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
    • इस घाटी का पश्चिमी दुनिया से पहला परिचय वर्ष 1931 में हुआ, जब ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस. स्माइथ, एरिक शिप्टन और आर. एल. होल्ड्सवर्थ ने माउंट कामेट से लौटते समय इसे खोजा।
    • स्माइथ की वर्ष 1938 में प्रकाशित पुस्तक "फूलों की घाटी" ने इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
  • वनस्पति और जीव-जंतु:
    • यह घाटी सैकड़ों प्रकार के पुष्पों के लिये प्रसिद्ध है, जिनमें प्रमुख हैं– ऑर्किड, पॉपी, प्रिमुला, गेंदा, गुलबहार और एनिमोन
    • यहाँ ब्रह्मकमल जैसे दुर्लभ व पवित्र पुष्प भी खिलते हैं, जो धार्मिक अनुष्ठानों में अर्पित किये जाते हैं।
    • यह क्षेत्र पारंपरिक उपचार पद्धतियों में प्रयुक्त औषधीय पौधों और जड़ी-बूटियों का भी प्रमुख भंडार है।
    • यहाँ के प्रमुख वन्य जीव हैं– हिम तेंदुआ, हिमालयी वीज़ल, काला भालू, लाल लोमड़ी, धूसर लंगूर, उड़ने वाली गिलहरी और लाइम बटरफ्लाई समेत कई प्रजातियों की तितलियाँ
  • प्राकृतिक विशेषताएँ:
    • घाटी में अल्पाइन घास के मैदान, झरते हुए जलप्रपात, हिमानी धाराएँ और घने वन देखने को मिलते हैं।
    • यह घाटी ज़ास्कर और ग्रेटर हिमालय पर्वत शृंखलाओं के बीच स्थित एक संक्रमणीय क्षेत्र (transition zone) में है।
  • संरक्षण प्रयास:
    • पारिस्थितिकीय क्षरण की आशंका को देखते हुए, इसे वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
    • वर्ष 1988 में इसे नंदा देवी जैवमंडल संरक्षित क्षेत्र में शामिल किया गया और पर्यटन को कड़े नियंत्रणों के तहत धीरे-धीरे पुनः शुरू किया गया।
    • इसकी असाधारण सुंदरता और जैवविविधता को देखते हुए वर्ष 2005 में इसे UNESCO द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया।
  • सांस्कृतिक महत्त्व:
    • यह घाटी हिंदू पौराणिक परंपराओं में आध्यात्मिक महत्त्व रखती है और पारंपरिक रूप से भोटिया जनजाति द्वारा बसाई जाती रही है।
    • यहाँ पाए जाने वाले पवित्र पुष्प, विशेषकर ब्रह्मकमल, को धार्मिक अनुष्ठानों में विशेष स्थान प्राप्त है।


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