अंतर्राष्ट्रीय संबंध
राष्ट्रीय हितों के अनुरूप प्रवासी भारतीयों की भूमिका
- 08 Oct 2025
- 169 min read
यह एडिटोरियल 07/10/2025 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित “Don’t blame Indian-Americans for India’s diplomatic failures” पर आधारित है। जिसके अनुसार भारतीय-अमेरिकी प्रवासी समुदाय ने नेतृत्व और समर्थन के माध्यम से भारत के हितों को सुदृढ़ किया है, परंतु कूटनीति और आख्यान-निर्माण के प्रति भारत के अपने दृष्टिकोण में बड़ी चुनौती भी निहित है, जिसे अपने प्रवासी समुदाय के साथ अधिक रणनीतिक संवाद एवं सहयोग से सशक्त किया जा सकता है।
प्रिलिम्स के लिये: भारतीय प्रवासी, अनिवासी भारतीय (NRI), भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO), भारत के प्रवासी नागरिक (OCI), प्रवासी भारतीय दिवस (PBD), भारत को जानो कार्यक्रम (KIP), ऑपरेशन सिंधु (2025), ऑपरेशन कावेरी (2023, सूडान)
मेन्स के लिये: भारत के विकास और वैश्विक प्रभाव को आकार देने में भारतीय प्रवासियों की भूमिका, वर्तमान में भारतीय प्रवासियों के सामने प्रमुख चुनौतियाँ, वैश्विक स्तर पर भारतीय प्रवासियों के लिये प्रमुख पहल
आज की परस्पर जुड़े विश्व में, विश्व में भारत की कूटनीतिक प्रभावशीलता केवल उसकी आर्थिक शक्ति पर नहीं, बल्कि वैश्विक विमर्शों के साथ उसकी रणनीतिक संलग्नता (Strategic Engagement) पर भी निर्भर करती है। हालाँकि भारतीय प्रवासी समुदाय का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है, फिर भी भारत इस सामर्थ्य का पूर्णतः उपयोग करने में चुनौतियों का सामना कर रहा है, मुख्यतः इस कारण कि “भारत ने कभी अपना आख्यान स्वयं गढ़ना नहीं सीखा”, जबकि पाकिस्तान जैसे देश अपने प्रवासी नेटवर्क को अंतर्राष्ट्रीय नीति-निर्माण को प्रभावित करने के लिये प्रभावी ढंग से संगठित और सक्रिय करते हैं। यह स्थिति इस बात को रेखांकित करती है कि भारत को अपनी प्रवासी शक्ति के साथ समन्वय स्थापित करने वाली अधिक पेशेवर और परिष्कृत कूटनीति की आवश्यकता है, जो प्रभावी नीतियों के माध्यम से भारत के वैश्विक हितों को सुदृढ़ कर सके।
'भारतीय प्रवासी' की समकालीन स्थिति और प्रभाव क्या है?
- संक्षिप्त विवरण: भारतीय प्रवासी भारतीय मूल के वे लोग हैं जो अस्थायी या स्थायी रूप से भारत की क्षेत्रीय सीमाओं के बाहर रहते हैं तथा अपनी मातृभूमि के साथ सांस्कृतिक, सामाजिक या भावनात्मक संबंध बनाए रखते हैं।
- प्रकार:
- अनिवासी भारतीय (NRI)): वे भारतीय नागरिक जो एक वित्तीय वर्ष में 182 दिनों से अधिक समय तक विदेश में रहते हैं, लेकिन भारतीय नागरिकता बनाए रखते हैं।
- भारतीय मूल के व्यक्ति (PIO): वे व्यक्ति जो विदेशी नागरिक हैं, लेकिन अपने वंश या विरासत का भारत से संबंध जोड़ सकते हैं।
- भारत के प्रवासी नागरिक (OCI)): ऐसे व्यक्ति जिन्हें विशेष निवास का दर्जा दिया गया है, जिसके तहत उन्हें आजीवन वीज़ा-मुक्त भारत यात्रा और कुछ अधिकार प्राप्त हैं, लेकिन पूर्ण नागरिकता नहीं।
- वर्ष 2015 में, दस्तावेज़ीकरण और लाभों को सुव्यवस्थित करने के लिये भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) एवं OCI श्रेणियों को जोड़ दिया गया था।
- ऐतिहासिक विकास:
- प्राचीन आंदोलन: प्राचीन काल में भारतीय व्यापारियों, शिल्पकारों तथा धार्मिक नेताओं ने दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका, मध्य-पूर्व और यूरोप तक प्रव्रजन किया, जिससे सांस्कृतिक एवं आर्थिक आदान-प्रदान की समृद्ध परंपरा विकसित हुई।
- औपनिवेशिक युग: औपनिवेशिक काल में ब्रिटिश शासन के दौरान बड़ी संख्या में भारतीयों को ‘गन्ना बागान’ जैसे उपनिवेशी उद्योगों में ‘बंधुआ श्रमिक’ के रूप में मॉरिशस, फिजी, त्रिनिदाद, दक्षिण अफ्रीका तथा कैरेबियन देशों में भेजा गया।
- स्वतंत्रता-पश्चात्: स्वतंत्रता-उत्तर काल में यह प्रव्रजन नए स्वरूप में उभरा, जिसमें उच्च-कौशल वाले पेशेवर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे विकसित देशों की ओर आकर्षित हुए, जबकि श्रमिक समुदाय का ‘अनुबंध श्रम व्यवस्था’ के तहत खाड़ी देशों में प्रव्रजन हुआ।
- पैमाना और विविधता:
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की वर्ष 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व में प्रवासन के क्षेत्र में अग्रणी है, जो विश्वभर में फैले एक विशाल प्रवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है।
- भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, मई 2024 तक, विश्व भर में प्रवासी भारतीयों की कुल संख्या लगभग 35.42 मिलियन है।
- ये प्रवासी 200 से अधिक देशों में फैले हुए हैं, जो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों, भाषाओं, धर्मों और सामाजिक पृष्ठभूमियों की विविधता को अभिव्यक्त करते हैं।
भारत के विकास और वैश्विक प्रभाव को आकार देने में प्रवासी भारतीयों की क्या भूमिका है?
- धन प्रेषण के माध्यम से आर्थिक सहायता: भारत एक दशक से भी अधिक समय से विश्व में धन प्रेषण का सबसे बड़ा प्राप्तकर्त्ता बना हुआ है।
- वित्त वर्ष 2025 में भारत को प्रवासी भारतीयों द्वारा प्रेषित धन के रूप में रिकॉर्ड 135.46 अरब डॉलर प्राप्त हुए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 14% अधिक है।
- ये धन प्रेषण भारत के 287 अरब डॉलर के व्यापारिक घाटे के 47% को कवर करते हैं, जो भारत के बाह्य वित्त के लिये एक स्थिरकारी बल के रूप में कार्य करते हैं।
- प्रेषण का यह प्रवाह कुछ राज्यों, विशेषतः केरल जैसे राज्यों के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, जहाँ यह राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 20% भाग बनाता है।
- लगभग 3.54 करोड़ भारतीय मूल के लोग, जो मुख्यतः अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और कनाडा जैसे 10 देशों में बसे हैं, वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय आर्थिक प्रभाव रखते हैं।
- भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने वाला प्रवासी निवेश: प्रवासी सदस्य भारत के शेयर बाज़ारों और व्यवसायों में सक्रिय रूप से निवेश करते हैं, जिसे NRE खातों और दोहरे कराधान संधियों जैसी सरकारी योजनाओं द्वारा सुगम बनाया जाता है।
- अप्रैल से सितंबर 2024 तक, NRI जमा योजनाओं के माध्यम से निवेश लगभग दोगुना होकर 7.8 बिलियन डॉलर हो गया, जिससे भारत के आर्थिक विकास और उद्यमिता को बढ़ावा मिला।
- कुशल कार्यबल और ज्ञान का आदान-प्रदान: प्रवासी भारतीयों में उच्च कुशल पेशेवरों का एक बड़ा समूह शामिल है जो वैश्विक स्तर पर योगदान करते हैं तथा स्वदेश वापसी या सहयोग के माध्यम से विशेषज्ञता वापस लाते हैं, जिससे IT, फार्मास्यूटिकल्स व शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
- भारतीय प्रवासियों ने वैश्विक व्यापार पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव डाला है, वर्ष 2024 तक 20 से अधिक भारतीय मूल के CEO, फॉर्च्यून 500 कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं, जिनमें सुंदर पिचई (गूगल और अल्फाबेट) और सत्य नडेला (माइक्रोसॉफ्ट) शामिल हैं।
- राजनीतिक प्रभाव: प्रवासी समूहों ने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते (2008) और न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी के ICJ पुनर्निर्वाचन (2017) जैसी प्रमुख पहलों का समर्थन किया।
- विवेक रामास्वामी (अमेरिका), लियो वराडकर (आयरलैंड) और एंटोनियो कोस्टा (पुर्तगाल) जैसे भारतीय मूल के नेता मेज़बान देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मज़बूत कर रहे हैं।
- प्रवासी भारतीयों की अनुशंसा ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता को बढ़ावा दिया है और वैश्विक धारणाओं को आकार दिया है।
- सांस्कृतिक कूटनीति: प्रवासी भारतीय सांस्कृतिक राजदूत के रूप में कार्य करते हैं तथा विदेशों में भारतीय विरासत, त्योहारों, व्यंजनों, योग, शास्त्रीय कलाओं और भाषाओं को बढ़ावा देते हैं।
- प्रमुख पहलों में प्रवासी भारतीय दिवस, प्रवासी भारतीयों के साथ सांस्कृतिक संबंधों का संवर्द्धन (PCTD), भारत को जानें कार्यक्रम (KIP) और विश्व भर में भारतीय मिशनों द्वारा आयोजित भारत महोत्सव कार्यक्रम शामिल हैं।
- योग के समग्र लाभों को विश्व भर में बढ़ावा देने के भारत के प्रस्ताव के बाद, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2014 में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया था।
- मॉरीशस, त्रिनिदाद, फिजी, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में प्रवासी समुदाय दिवाली, होली, ईद मनाते हैं तथा सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करते हुए भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य उत्सवों का आयोजन करते हैं।
- प्रमुख पहलों में प्रवासी भारतीय दिवस, प्रवासी भारतीयों के साथ सांस्कृतिक संबंधों का संवर्द्धन (PCTD), भारत को जानें कार्यक्रम (KIP) और विश्व भर में भारतीय मिशनों द्वारा आयोजित भारत महोत्सव कार्यक्रम शामिल हैं।
वर्तमान में प्रवासी भारतीयों के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- कम-कुशल श्रमिकों की आर्थिक कमज़ोरी: खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों में भारतीय प्रवासी श्रमिकों को अस्थिर तेल कीमतों और बदलते श्रम नियमों के कारण नौकरी की भारी असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
- उदाहरण के लिये, वर्ष 2024 में तेल की कीमतों में गिरावट के कारण सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात में कई कम वेतन वाले श्रमिकों की छंटनी हुई तथा उनके अनुबंधों का नवीनीकरण नहीं हो पाया, जिससे धन प्रेषण प्रवाह अस्थायी रूप से बाधित हुआ।
- खाड़ी देशों में ‘कफाला’ प्रणाली अभी भी श्रमिकों को पासपोर्ट जब्त करने, उनकी आवागमन और आजीविका सुरक्षा को प्रतिबंधित करने जैसी शोषणकारी प्रथाओं का सामना करने के लिये विवश करती है।
- प्रतिभा पलायन और प्रतिभा हानि: भारत से कुशल पेशेवरों का लगातार पलायन जारी है, क्योंकि बेहतर पारिश्रमिक, शोध के अवसरों और उन्नत कॅरियर की संभावनाओं की तलाश में बड़ी संख्या में मेडिकल स्नातक एवं इंजीनियरिंग स्नातकोत्तर विदेश प्रवास करते हैं।
- विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, 1 जनवरी, 2024 तक, 11.6 लाख से अधिक भारतीय छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा संस्थानों में नामांकित थे, जो भारत की बढ़ती वैश्विक शैक्षणिक उपस्थिति और शैक्षिक गतिशीलता को दर्शाता है।
- हालाँकि हाल के वर्षों में बदलती वैश्विक आर्थिक स्थितियों और आव्रजन मानदंडों के कारण वापसी प्रवास में मामूली वृद्धि देखी गई है, कुशल पेशेवरों का निरंतर बहिर्वाह भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिये, विशेष रूप से जैव प्रौद्योगिकी तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों में, एक दीर्घकालिक चुनौती पेश करता है।
- नस्लवाद और ज़ेनोफोबिया: हाल के वर्षों में भारतीयों के खिलाफ घृणा अपराधों में वृद्धि देखी गई है, विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और यूरोप के कुछ हिस्सों जैसे देशों में।
- वर्ष 2024 में, ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में भारतीय छात्रों पर कई हमलों ने सुरक्षा और सामाजिक समावेशन को लेकर चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- ये घटनाएँ प्रवासी भारतीयों के मनोबल को कम करती हैं तथा भारतीय वाणिज्य दूतावासों के लिये विदेशों में सामुदायिक कल्याण का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने की चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं।
- प्रतिबंधात्मक आव्रजन और वीज़ा नीतियाँ: अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा सहित देशों ने वर्ष 2023-25 में वीज़ा मानदंडों को कड़ा कर दिया है, जिससे कुशल श्रमिकों एवं छात्र वीज़ा पर प्रतिबंध लग गया है, जिससे भारतीय पेशेवरों की गतिशीलता प्रभावित हो रही है।
- अमेरिका ने 21 सितंबर वर्ष 2025 से H-1B वीज़ा शुल्क को 1,000–5,000 डॉलर से बढ़ाकर 1,00,000 डॉलर कर दिया है, ताकि वीज़ा प्रणाली के दुरुपयोग को रोका जा सके तथा उच्च-कौशल एवं उच्च-वेतन वाले कर्मियों को प्राथमिकता दी जा सके। इस नीति परिवर्तन का प्रतिकूल प्रभाव भारतीय तकनीकी पेशेवरों पर पड़ेगा, जो वर्ष 2024 में इस वीज़ा श्रेणी के कुल प्राप्तकर्त्ताओं का लगभग 71 प्रतिशत थे। परिणामस्वरूप, भारतीय पेशेवरों की विदेश में कार्यगत गतिशीलता, आय और अवसरों पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है।
- सीमित राजनीतिक भागीदारी और मतदान अधिकार: डाक या ऑनलाइन मतदान के विकल्पों की बार-बार की गई माँगों के बावजूद, जिनमें विलंब हुआ है, अनिवासी भारतीयों को मतदान के लिये भारत में भौतिक उपस्थिति की आवश्यकता से विवश होना पड़ रहा है।
- यह भारतीय चुनावों और नीति निर्माण पर प्रवासी भारतीयों के प्रभाव को सीमित करता है, उनके हितों को प्रभावित करता है तथा विदेशों में रहने वाले लाखों भारतीयों के लिये लोकतांत्रिक घाटे का कारण बनता है।
- नीतिगत ढाँचे और डेटा प्रबंधन में कमियाँ: प्रवासी भारतीयों पर एकीकृत और अद्यतन डेटाबेस का अभाव लक्षित कल्याण एवं राजनयिक जुड़ाव में बाधा डालता है।
- हालाँकि ई-माइग्रेट जैसे पोर्टल मौजूद हैं, लेकिन उनकी विखंडित प्रकृति तथा प्रशासनिक जटिलताएँ प्रभावी शिकायत निवारण में बाधा डालती हैं।
भारत सरकार ने वैश्विक स्तर पर प्रवासी भारतीयों के लिये कौन-सी प्रमुख पहल लागू की हैं?
- ओवरसीज़ सिटिजनशिप ऑफ़ इंडिया (OCI) योजना, 2005: भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) को भारत में आजीवन वीज़ा-मुक्त यात्रा की सुविधा प्रदान करती है, जिससे उन्हें बिना किसी प्रतिबंध के भारत में रहने, काम करने, संपत्ति रखने और निवेश करने की सुविधा मिलती है।
- यह योजना प्रवासी भारतीय समुदाय के लिये भारत तक पहुँच को सरल बनाकर उनके साथ भारत के संबंधों को और प्रगाढ़ बनाती है।
- प्रवासी भारतीय दिवस (PBD): वर्ष 2003 से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला एक आयोजन है, जिसका उद्देश्य भारत के विकास में भारतीय प्रवासियों के योगदान का सम्मान और उत्सव मनाना है। यह दिवस भारत और उसके प्रवासी समुदाय के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने का माध्यम भी है।
- द्विवार्षिक सम्मेलन, जैसे कि वर्ष 2025 में ओडिशा में आयोजित 18वाँ प्रवासी भारतीय दिवस, जिसका विषय ‘विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान’ है, संवाद, सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं भारतीय राज्यों में निवेश के अवसरों को प्रदर्शित करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
- प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार: यह पुरस्कार उत्कृष्ट प्रवासी भारतीयों (NRI), भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) अथवा प्रवासी संगठनों को विभिन्न क्षेत्रों में असाधारण योगदान हेतु प्रदान किया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है, जिसका उद्देश्य भारत के साथ प्रवासी समुदाय की भागीदारी को और सुदृढ़ करना है।
- प्रवासी भारतीय बीमा योजना (PBBY), 2006: यह उत्प्रवास जाँच आवश्यक (ECR) श्रेणी के अंतर्गत आने वाले भारतीय प्रवासी मज़दूरों के लिये अनिवार्य बीमा योजना है, जो विदेश में कार्यरत रहते हुए आकस्मिक मृत्यु या दिव्यांगता की स्थिति में सुरक्षा कवच प्रदान करती है।
- भारत को जानो कार्यक्रम (KIP): यह भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य 18 से 30 वर्ष आयु वर्ग के युवा प्रवासियों को भारत की संस्कृति, विकास यात्रा और अवसरों से परिचित कराना है। इस तीन सप्ताह के अभिमुखीकरण एवं अनुभवात्मक कार्यक्रम के माध्यम से भारत और प्रवासी युवाओं के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव को प्रोत्साहन दिया जाता है।
- विजिटिंग एडवांस्ड जॉइंट रिसर्च (VAJRA) संकाय योजना: विदेशी वैज्ञानिकों को भारतीय संस्थानों के साथ सहयोग करने के लिये आमंत्रित करती है, जिससे अत्याधुनिक वैज्ञानिक क्षेत्रों में उच्च-गुणवत्ता वाले अनुसंधान को बढ़ावा मिलता है।
- प्रवासी भारतीयों के साथ सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना (PCTD) योजना: विदेशों में भारतीय मिशनों को भारत की विरासत को बढ़ावा देने और प्रवासी भारतीयों की सांस्कृतिक पहचान को सुदृढ़ करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने में सहायता करती है।
- अनिवासी भारतीयों के लिये मताधिकार: जनप्रतिनिधित्व (संशोधन) अधिनियम, 2010 के माध्यम से, अनिवासी भारतीयों को भारतीय चुनावों में मतदान करने की अनुमति दी गई है, जिससे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी राजनीतिक भागीदारी बढ़ेगी।
- मदद पोर्टल: विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिये एक शिकायत निवारण तंत्र प्रदान करता है, जो संकटग्रस्त नागरिकों को विधिक सहायता, आपातकालीन प्रत्यावर्तन और समय पर सहायता प्रदान करता है।
- हाल के निकासी कार्यक्रम:
- ऑपरेशन सिंधु (2025): बढ़ती शत्रुता के दौरान ईरान और इज़रायल से 4,400 से अधिक नागरिकों को सफलतापूर्वक निकाला गया, जिनमें ईरान से 3,500 और इज़रायल से 800 शामिल थे।
- ऑपरेशन कावेरी (2023, सूडान): सूडान के संघर्ष के दौरान भारतीय नौसेना और वायु सेना के समर्थन का लाभ उठाते हुए, पेशेवरों एवं परिवारों सहित 3,000 से अधिक भारतीयों को निकाला गया।
- ऑपरेशन अजय (2023, इज़रायल): तीव्र हिंसा की जवाबी कार्रवाई में 1,300 से अधिक भारतीयों को निकाला गया, जिससे संकट से निपटने की तीव्र क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
- ऑपरेशन गंगा (2022): रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, भारत ने सैन्य और वाणिज्यिक उड़ानों का उपयोग करके पड़ोसी देशों के माध्यम से 18,000 से अधिक नागरिकों, जिनमें अधिकतर छात्र थे, को हवाई मार्ग से निकाला।
प्रवासी भारतीयों को सशक्त बनाने के लिये कौन-से अतिरिक्त उपाय अपनाए जाने चाहिये?
- एक एकीकृत, अद्यतन प्रवासी डेटाबेस की स्थापना: डेटा विसंगतियों को दूर करने के लिये, सरकार को विदेश मंत्रालय, आव्रजन, कर और वाणिज्य दूतावास संबंधी डेटा को जोड़ते हुए एक एकीकृत, वास्तविक काल प्रवासी डेटाबेस बनाना चाहिये।
- इससे कल्याणकारी योजनाओं का बेहतर लक्ष्यीकरण एवं कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा।
- स्थायी समिति की वर्ष 2025 की रिपोर्ट में एक राष्ट्रीय प्रवासन डेटाबेस की अनुशंसा की गई है तथा प्रवासी भारतीयों की आकांक्षाओं को बेहतर ढंग से एकीकृत करने एवं कमज़ोर समूहों की सुरक्षा के लिये नीतिगत उपायों को सुव्यवस्थित किया गया है।
- प्रवासी संरक्षण अधिनियम लागू करना: प्रवासी भारतीयों और अनिवासी भारतीयों के अधिकारों को संहिताबद्ध किया जाना चाहिये ताकि उनके कल्याण एवं शिकायत निवारण को सुनिश्चित करने वाला एक विधिक कार्यढाँचा तैयार किया जा सके।
- प्रवासी संरक्षण अधिनियम लागू करना: प्रवासी भारतीयों और अनिवासी भारतीयों के अधिकारों को संहिताबद्ध किया जाना चाहिये ताकि उनके कल्याण एवं शिकायत निवारण को सुनिश्चित करने वाला एक विधिक कार्यढाँचा तैयार किया जा सके।
- इससे हाल की रिपोर्टों में उल्लिखित वर्तमान विधिक विखंडन और पात्रता संबंधी अस्पष्टताओं का समाधान होगा।
- यह अधिनियम इज़रायल या चीन जैसे देशों के प्रवासी संरक्षण कानूनों से प्रेरणा ले सकता है।
- मतदान सुधारों के माध्यम से राजनीतिक समावेशन को सुगम बनाना: निर्वाचन आयोग और संसदीय समितियों की सिफारिशों के अनुसार, अनिवासी भारतीयों के लिये डाक या ऑनलाइन मतदान सुविधा लागू की जानी चाहिये।
- इससे भौतिक उपस्थिति की बाधा के बिना लोकतांत्रिक भागीदारी बढ़ेगी।
- कौशल विकास और प्रस्थान-पूर्व अभिविन्यास का विस्तार: प्रवासी कौशल विकास योजना और प्रस्थान-पूर्व अभिविन्यास प्रशिक्षण के अंतर्गत प्रशिक्षण का विस्तार किया जाना चाहिये।
- प्रवासी भारतीय कामगारों को मेज़बान देश के कार्यस्थल मानदंडों के अनुरूप कौशल से प्रशिक्षित किया जाना चाहिये, जिससे भेद्यता और शोषण कम हो।
- वाणिज्य दूतावास और कानूनी सहायता सेवाओं को बेहतर बनाना: भारतीय दूतावासों को बहुभाषी विधिक हेल्प डेस्क एवं मज़बूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने चाहिये।
- इससे भाषा संबंधी बाधाओं का समाधान होता है और विशेष रूप से खाड़ी देशों में रहने वाले कमज़ोर प्रवासी सदस्यों की सुरक्षा में सुधार होता है।
- कर प्रोत्साहन और सरलीकृत प्रक्रियाओं के साथ प्रवासी निवेश को बढ़ावा: प्रवासी निवेश के लिये लक्षित कर लाभ, ग्रीन बॉण्ड और आसान अनुपालन प्रदान किया जाना चाहिये।
- प्रवासी भारतीय दिवस और राज्य-विशिष्ट प्रवासी कार्यक्रमों के दौरान निवेश के अवसरों को प्रदर्शित किया जाना चाहिये।
- यह आर्थिक जुड़ाव को बढ़ावा देता है और भारत के विकास लक्ष्यों का समर्थन करता है।
- प्रवासी भारतीय दिवस और राज्य-विशिष्ट प्रवासी कार्यक्रमों के दौरान निवेश के अवसरों को प्रदर्शित किया जाना चाहिये।
- नियमित प्रभाव लेखा परीक्षा और नीति समीक्षा को संस्थागत रूप देना: प्रवासन समझौता ज्ञापनों, प्रवासी योजनाओं और वाणिज्य दूतावास सेवाओं का वार्षिक लेखा परीक्षा आयोजित किया जाना चाहिये।
- वर्ष 2025 की लोकसभा रिपोर्ट की सिफारिशों का पालन करते हुए, परिणामों का मूल्यांकन करने और रणनीतियों को परिष्कृत करने के लिये पारदर्शी मानकों का उपयोग किया जाना चाहिये।
- प्रतिभाओं के प्रतिधारण, वापसी और विकास को बढ़ावा देना: भारत को प्रतिभा पलायन का मुकाबला करने तथा अपनी वैश्विक प्रतिभाओं के लिये प्रणालीगत कमज़ोरियों को आकर्षक अवसरों में बदलकर प्रतिभा प्रतिधारण और आकर्षण की ओर बढ़ने के लिये एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है।
- इसमें न केवल प्रवासी भारतीयों का स्वागत करना शामिल है, बल्कि वैश्विक-मानक अनुसंधान अवसंरचना और प्रतिस्पर्द्धी प्रोत्साहनों के साथ घरेलू पारिस्थितिकी तंत्र को सक्रिय रूप से उन्नत करना भी शामिल है।
- लक्षित पुनः प्रवेश योजनाओं का उद्देश्य, जीवन की गुणवत्ता में सुधार और प्रशासनिक बाधाओं को कम करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, एक ऐसे गतिशील वातावरण को बढ़ावा देना है जहाँ भारत के प्रतिभाशाली लोग विकसित हो सकें तथा राष्ट्र के विकास लक्ष्यों में सीधे योगदान दे सकें।
निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी प्रवासी भारतीयों को ‘भारत के राजदूत’ के रूप में वर्णित करते हैं तथा सॉफ्ट पावर और हार्ड पावर दोनों को आगे बढ़ाने में उनकी अनूठी भूमिका पर बल देते हैं। लोकतंत्र को बढ़ावा देने, सामाजिक सद्भाव और आर्थिक विकास में योगदान के माध्यम से, भारतीय प्रवासी भारत और विश्व के बीच एक महत्त्वपूर्ण सेतु का काम करते हैं। विदेश मंत्रालय के 4Cs (केयर, कनेक्ट, सेलिब्रेट और कंट्रीब्यूट) के मार्गदर्शन में, इस समुदाय को मज़बूती से जोड़कर, भारत को एक सच्चे वैश्विक एवं विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ाएगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. विश्व भर में, भारत का प्रवासी समुदाय घरेलू लक्ष्यों को अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव से जोड़ने वाले एक सेतु की भूमिका निभाता है। भारत नीतिगत कमियों को दूर करते हुए अर्थव्यवस्था, कूटनीति और सॉफ्ट पावर को बढ़ावा देने के लिये अपने प्रवासी समुदाय का किस प्रकार उपयोग कर सकता है? |
प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. भारतीय प्रवासी समुदाय कौन है और इसकी प्रमुख श्रेणियाँ क्या हैं?
उत्तर: भारत से बाहर निवास करने वाले वे व्यक्ति जिनका भारत से भावनात्मक या कानूनी संबंध बना हुआ है। इनमें NRI (भारतीय नागरिक), PIO (भारतीय मूल के विदेशी नागरिक) तथा OCI (आजीवन वीज़ा-मुक्त विशेष निवासाधिकार वाले नागरिक) सम्मिलित हैं।
2. भारतीय प्रवासी समुदाय भारत की अर्थव्यवस्था में किस प्रकार योगदान देता है?
उत्तर: प्रेषण (Remittances), निवेश तथा उद्यमिता के माध्यम से यह भारत के GDP, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं और समष्टिगत संवहनीयता को सुदृढ़ करता है। वित्त वर्ष 2025 में प्रेषण राशि लगभग 135.46 अरब डॉलर रही।
3. वर्तमान में भारतीय प्रवासी समुदाय को कौन-सी प्रमुख चुनौतियाँ प्रभावित कर रही हैं?
उत्तर: आर्थिक असुरक्षा, प्रतिभा पलायन, सांस्कृतिक पहचान का संकट, नस्लवाद, प्रतिबंधात्मक आव्रजन नीतियाँ तथा नीति और आँकड़ों से जुड़ी कमियाँ।
4. प्रवासी भारतीयों के समर्थन हेतु भारत सरकार की प्रमुख पहलें कौन-सी हैं?
उत्तर: OCI योजना, प्रवासी भारतीय दिवस, सम्मान पुरस्कार, PBBY, स्वर्ण प्रवास, ‘Know India Programme’, PCTD, NRI मताधिकार तथा सिंधु, गंगा, कावेरी, अजय जैसी राहत एवं प्रत्यावर्तन (Evacuation) अभियानों का संचालन।
5. प्रवासी भारतीयों के और अधिक सशक्तीकरण हेतु क्या उपाय सुझाये गये हैं?
उत्तर: एकीकृत डाटाबेस का निर्माण, Diaspora Protection Act का प्रावधान, डाक अथवा ऑनलाइन मतदान की सुविधा, कौशल-विकास प्रशिक्षण, वाणिज्यिक एवं दूतावासीय सहयोग, निवेश प्रोत्साहन, नीति-आडिट तथा विदेश मंत्रालय की 4Cs नीति के अनुरूप समन्वित दृष्टिकोण अपनाना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारत के संदर्भ में, मुद्रा संकट के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित में से किस/किन कारक/कारकों का योगदान है? (2019)
1. भारत के IT सेक्टर के विदेशी मुद्रा अर्जन का
2. सरकारी व्यय के बढ़ने का
3. विदेशस्थ भारतीयों द्वारा भेजे गए धन का
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
मेन्स
प्रश्न. 'अमेरिका एवं यूरोपीय देशों की राजनीति और अर्थव्यवस्था में भारतीय प्रवासियों को एक निर्णायक भूमिका निभानी है'। उदाहरणों सहित टिप्पणी कीजिये। (2020)