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भारत में नदी प्रदूषण

  • 14 Jul 2025
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

नमामि गंगे कार्यक्रम ,गंगा ,यमुना, शैवाल प्रस्फुटन,सतलुज नदी,जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD), गंगा नदी डॉल्फिन, पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक।                    

मेन्स के लिये:

नदियों के प्रदूषण के कारण, उसकी रोकथाम में नमामि गंगे कार्यक्रम (NGP) की भूमिका तथा नदियों के प्रदूषण को प्रभावी ढंग से कम करने के लिये आवश्यक अतिरिक्त उपाय।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस  

चर्चा में क्यों?

दिल्ली सरकार ने यमुना नदी के प्रदूषण की सफाई को प्राथमिकता दी है, जिसे नमामि गंगे कार्यक्रम (NGP) के साथ जोड़ा गया है। गंगा की सहायक नदी के रूप में यमुना की भूमिका स्थानीय प्रयासों को गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों की सफाई के लिये राष्ट्रीय लक्ष्यों के साथ समन्वय स्थापित करने में सहायक बनाती है।

भारत में नदी प्रदूषण के कारण क्या हैं? 

  • औद्योगिक प्रदूषण: वस्त्र, टेनरी (चमड़ा) एवं रसायन जैसे उद्योग गंगा (कानपुर), यमुना (दिल्ली) और दामोदर (झारखंड) जैसी नदियों में सीसा, पारा, आर्सेनिक जैसे विषैले अपशिष्ट जल का उत्सर्जन करते हैं।
    • कई कारखाने अपशिष्ट जल शोधन संयंत्रों (ETPs) को दरकिनार कर देते हैं या उनका दुरुपयोग करते हैं, और प्राय: अपशिष्ट के नियामक मानकों को कृत्रिम रूप से पूरा दिखाते हैं।
  • कृषि अपवाह: उर्वरकों और कीटनाशकों से होने वाला अपवाह नाइट्रेट और फॉस्फेट प्रदूषण को जन्म देता है, जिससे शैवाल प्रस्फुटन (algal blooms) होता है और जलीय जीवन को हानि पहुँचती है, जैसा कि पंजाब की सतलुज नदी में देखा गया है।
    • पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से उत्पन्न राख वर्षा जल के बहाव के साथ नदियों में पहुँचती है, जिससे जल की गुणवत्ता और अधिक खराब होती है।
  • धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथाएँ: मूर्ति विसर्जन और अंतिम संस्कार जैसे अनुष्ठानों से नदियाँ प्रदूषित होती हैं क्योंकि इनमें प्लास्टर ऑफ पेरिस, विषैले रंग, प्लास्टिक, पॉलिथीन और पुष्प कचरे का उपयोग होता है, विशेष रूप से वाराणसी के गंगा घाट जैसे स्थानों पर।
  • ठोस अपशिष्ट एवं प्लास्टिक डंपिंग: भारत दुनिया में सबसे बड़ा प्लास्टिक उत्सर्जक है, तथा मुंबई की मीठी नदी जैसी नदियों में प्लास्टिक की काफी मात्रा जमा हो जाती है ।
    • "दिल्ली के गाज़ीपुर जैसे लैंडफिल से निकलने वाला विषैला अपवाह भूजल और निकटवर्ती नदियों दोनों को प्रदूषित करता है।"
  • थर्मल और रेडियोधर्मी प्रदूषण: थर्मल प्लांट से निकलने वाले अपशिष्ट (जैसे, फरक्का, NTPC) और जादूगोड़ा (झारखंड) में यूरेनियम खनन से नदियाँ प्रदूषित होती हैं, तथा ऊष्मा और रेडियोधर्मी अपशिष्ट के कारण जलीय जीवन को नुकसान पहुँचता है।
  • जलवायु-संबंधी तनाव:  अनियमित वर्षा और लंबे समय तक कम प्रवाह की स्थिति प्रदूषकों को एकत्रित कर देती है, जबकि तीव्र तूफानों के कारण बड़ी मात्रा में प्रदूषक नदियों में प्रवाहित हो जाते हैं।

नमामि गंगे कार्यक्रम क्या है?

  • परिचय: यह प्रदूषण को कम करने, जल की गुणवत्ता में सुधार लाने और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल कर गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के संरक्षण के लिये एक प्रमुख कार्यक्रम है।
  • कार्यान्वयन: इसमें गंगा नदी के प्रभावी प्रबंधन और पुनरुद्धार को सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर पाँच स्तरीय संरचना का प्रावधान किया गया है।
    • राष्ट्रीय गंगा परिषद: प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में, यह गंगा पुनरुद्धार के समग्र प्रयासों की देखरेख करने वाली सर्वोच्च निकाय है।
    • अधिकार प्राप्त कार्यबल (ETF): केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की अध्यक्षता में यह कार्यबल गंगा नदी के पुनरुद्धार पर केंद्रित कार्रवाई हेतु ज़िम्मेदार है।
    • राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG): यह मिशन गंगा की सफाई और कायाकल्प के उद्देश्य से विभिन्न परियोजनाओं के लिये कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करता है।
    • राज्य गंगा समितियाँ: ये समितियाँ अपने अधिकार क्षेत्र में विशिष्ट उपायों को लागू करने के लिये राज्य स्तर पर कार्य करती हैं।
    • जिला गंगा समितियाँ: गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के निकट प्रत्येक निर्दिष्ट ज़िले में स्थापित ये समितियाँ ज़मीनी स्तर (Grassroots Level) पर कार्य करती हैं।
  • NGP के मुख्य स्तंभ:
    • सीवरेज़ उपचार अवसंरचना: इसका उद्देश्य नदी प्रदूषण को कम करने के लिये अपशिष्ट जल का प्रभावी प्रबंधन करना है।
    • नदी सतह की सफाई: नदी की सतह से ठोस अपशिष्ट और प्रदूषकों को हटाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • वनीकरण: इसमें नदी के किनारों पर वृक्ष लगाना और हरियाली बहाल करना शामिल है।
    • औद्योगिक अपशिष्ट निगरानी: हानिकारक औद्योगिक उत्सर्जन से नदी की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
    • रिवर फ्रंट डेवलपमेंट: नदी के किनारे सार्वजनिक स्थानों के निर्माण के माध्यम से सामुदायिक सहभागिता और पर्यटन को बढ़ावा देना।
    • जैवविविधता: इसका उद्देश्य पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बढ़ाना तथा नदी के आसपास के विविध जैविक समुदायों को समर्थन प्रदान करना है।
    • जन जागरूकता: नदी संरक्षण के महत्त्व के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
    • गंगा ग्राम: इसका लक्ष्य गंगा की मुख्य धारा के किनारे स्थित गाँवों को बेहतर स्वच्छता और स्थायित्व के साथ आदर्श गाँवों के रूप में विकसित करना है।
  • प्रमुख हस्तक्षेप: 
    • प्रदूषण निवारण (निर्मल गंगा): इसमें स्वच्छ जल सुनिश्चित करने के लिये सीवेज उपचार संयंत्र (STP) स्थापित करना तथा औद्योगिक एवं घरेलू अपशिष्ट उत्सर्जन को न्यूनतम करना शामिल है।
    • पारिस्थितिकी और प्रवाह में सुधार (अविरल गंगा): प्राकृतिक नदी प्रवाह को बहाल करने, जैव विविधता को बढ़ाने तथा जल संरक्षण प्रथाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
    • जन-नदी संपर्क (जन गंगा) को मज़बूत करना: इसका उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देना, सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना और संरक्षण प्रयासों में स्थानीय हितधारकों को शामिल करना है।
    • अनुसंधान और नीति को सुविधाजनक बनाना (ज्ञान गंगा): वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन करता है, अकादमिक अध्ययन को प्रोत्साहित करता है और नदी प्रबंधन के लिये साक्ष्य-आधारित नीतियों को तैयार करने में सहायता करता है।
  • मुख्य सफलताएँ: 
    • प्रदूषण में कमी: सीवेज उपचार क्षमता वर्ष 2014 से पूर्व की क्षमता से 30 गुना अधिक हो गई।
    • जल गुणवत्ता में सुधार: उत्तर प्रदेश में जल गुणवत्ता में सुधार हुआ है, जो BOD 10-20 मिलीग्राम/लीटर (2015) से बढ़कर 3-6 मिलीग्राम/लीटर (2022) हो गई है, तथा बिहार में यह 20-30 मिलीग्राम/लीटर (2015) से बढ़कर 6-10 मिलीग्राम/लीटर (2022) हो गई है।
      • जैव रासायनिक ऑक्सीजन माँग (BOD) पानी में कार्बनिक पदार्थों के अपघटन के लिये सूक्ष्मजीवों द्वारा आवश्यक ऑक्सीजन की मात्रा को दर्शाती है। उच्च BOD अधिक प्रदूषण का संकेत देता है, जबकि कम BOD स्वच्छ पानी को दर्शाता है।
    • जैव विविधता पर प्रभाव: गंगा नदी डॉल्फिन की आबादी में वृद्धि हुई है, बिठुरा से रसूला घाट (प्रयागराज) तक तथा बाबई और बागमती नदियों में नई डॉल्फिन देखी गई हैं।
    • वैश्विक मान्यता: वर्ष 2022 में पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) ने नमामि गंगे कार्यक्रम (NGP) को शीर्ष 10 विश्व बहाली प्रमुख पहलों में से एक के रूप में मान्यता दी।

नदी प्रदूषण को कम करने हेतु क्या कदम उठाए जा सकते हैं?

  • प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के लिये शून्य तरल निर्वहन (Zero Liquid Discharge) को अनिवार्य किया जाए, प्रभावी उपचार संयंत्र (Effluent Treatment Plants) को रीयल-टाइम निगरानी के साथ अनिवार्य किया जाए तथा अवैध अपशिष्ट निपटान व अनुपालन न करने पर कड़े दंड लगाए जाएँ।
  • कृषि अपवाह का प्रबंधन: जैविक कृषि और संधारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना, नदियों के पास वनस्पति बफर ज़ोन स्थापित करना और रासायनिक उपयोग को जागरूकता तथा पर्यावरण-अनुकूल सब्सिडी के माध्यम से नियंत्रित करना चाहिये।
  • ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार: अपशिष्ट संग्रहण, वर्गीकरण और वैज्ञानिक निपटान को सुदृढ़ करना; नदी तटों पर अपशिष्ट फेंकने/डंपिंग को रोकने के लिये बाड़बंदी तथा गश्त करना और सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर कड़े प्रवर्तन के साथ प्रतिबंध लगाना।  
  • नदी पारिस्थितिक तंत्र को पुनर्स्थापित करना: गाद निकालना (Desilting), वनीकरण और आर्द्रभूमि पुनर्जीवन के माध्यम से नदी पारिस्थितिकी को पुनर्स्थापित करना; बाढ़ क्षेत्र को अतिक्रमण से बचाना तथा स्थानीय वनस्पतियों के साथ रिपेरियन बफर (Riparian buffers) को बढ़ावा देना।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करना: प्रदूषण निगरानी के लिये AI एवं IoT सेंसर अपनाना; अवैध अपशिष्ट डंपिंग का पता लगाने के लिये GIS मैपिंग तथा ड्रोन का उपयोग करना और नवाचारपूर्ण उपचार समाधानों के लिये जल-तकनीक स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना।

निष्कर्ष

यमुना की सफाई नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत भारत के व्यापक नदी पुनरुद्धार मिशन के अनुरूप है। भारत का नदी प्रदूषण संकट तत्काल कार्रवाई, कड़े औद्योगिक नियमन, संधारणीय कृषि, बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली की मांग करता है। नमामि गंगे जैसी पहलों से प्रगति तो दिख रही है, लेकिन सफलता प्रवर्तन, तकनीक और जनभागीदारी पर निर्भर करती है। एक सहयोगात्मक, बहुआयामी दृष्टिकोण हमारी नदियों को पुनर्जीवित कर सकता है और आने वाली पीढ़ियों के लिये स्वच्छ जल सुनिश्चित कर सकता है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत में नदी प्रदूषण के प्रमुख कारण क्या हैं? इनके समाधान के लिये नीतिगत उपाय सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी 'राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA)' की प्रमुख विशेषताएँ हैं??

  1. नदी बेसिन, योजना एवं प्रबंधन की इकाई है।
  2.  यह राष्ट्रीय स्तर पर नदी संरक्षण प्रयासों की अगुवाई करता है।
  3.  NGRBA का अध्यक्ष चक्रानुक्रमिक आधार पर उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से एक होता है, जिनसे होकर गंगा बहती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)


प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2014)

  1. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड की स्थापना पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत की गई है।
  2.  राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण एक वैधानिक निकाय है।
  3.  राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण की अध्यक्षता प्रधानमंत्री करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न: नमामि गंगे और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) कार्यक्रमों पर और इससे पूर्व की योजनाओं से मिश्रित परिणामों के कारणों पर चर्चा कीजिये। गंगा नदी के परिरक्षण में कौन-सी प्रमात्रा छलांगे, क्रमिक योगदानों की अपेक्षा ज़्यादा सहायक हो सकती हैं? (2015)

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