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मिज़ोरम का शरणार्थी संकट

  • 15 Jul 2025
  • 13 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मुक्त आवाजाही व्यवस्था, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन 1951, शरणार्थियों के लिये संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त, स्मार्ट फेंसिंग

मेन्स के लिये:

भारत में शरणार्थी नीति और कानूनी ढाँचा, भारत-म्यांमार सीमा और मुक्त आवागमन व्यवस्था, शरणार्थी प्रबंधन में राज्यों की भूमिका

स्रोत:TH

चर्चा में क्यों? 

मिज़ोरम वर्ष 2021 में म्याँमार में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से बढ़ते शरणार्थी संकट का सामना कर रहा है, और म्याँमार, बांग्लादेश तथा मणिपुर से आए हज़ारों लोगों को शरण दे रहा है।

  • वर्ष 2025 के आरंभ में म्याँमार के चिन राज्य से लगभग 4,000 शरणार्थी सशस्त्र संघर्ष के बाद मिज़ोरम में प्रवेश कर गए, जिससे राज्य की पहले से ही नाजुक मानवीय स्थिति और अधिक तनावपूर्ण हो गई।

मिज़ोरम शरणार्थियों के आगमन को किस प्रकार नियंत्रित और प्रबंधित कर रहा है?

  • जातीय संबंध और मानवीय आधार: मिज़ोरम में सीमा पार आवागमन लंबे समय से सामान्य रहा है, विशेषकर वर्ष 1968 में 'फ्री मूवमेंट रेजीम' (FMR) के औपचारिक रूप से लागू होने से पहले से ही।
    • मिज़ोरम की प्रमुख मिज़ो समुदाय का म्याँमार के चिन, बांग्लादेश के बॉम और मणिपुर के कुकी-ज़ो समुदायों से गहरा जातीय, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध है, ये सभी ज़ो (Zo) जातीय समूह का हिस्सा हैं।
    • इस साझा पहचान के कारण एकजुटता की भावना उत्पन्न हुई है, और विशेषकर म्याँमार से आए शरणार्थियों को मिज़ो समुदाय ने सहानुभूति और सहयोग प्रदान किया है।
  • सामुदायिक सहायता: यंग मिज़ो असोसिएशन (YMA), चर्च समूहों और स्थानीय नागरिकों जैसे विभिन्न संगठनों ने शरणार्थियों को खाद्य, आश्रय और बुनियादी आवश्यकताएँ प्रदान करने में सक्रिय भूमिका निभाई है।
    • राज्य की नागरिक प्रतिक्रिया सहानुभूतिपूर्ण रही है, हालाँकि इस संकट ने स्थानीय संसाधनों पर अत्यधिक दबाव भी डाला है। 
  • मिज़ोरम सरकार की स्थिति: जातीय और मानवीय कारणों का हवाला देते हुए मिज़ोरम सरकार ने अब तक शरणार्थियों को निर्वासित नहीं किया है
    • हालाँकि, स्थानीय स्तर पर बढ़ते दबाव के कारण कुछ गाँवों ने शरणार्थियों की आवाजाही और व्यापार पर प्रतिबंध लगा दिये हैं, यह कहते हुए कि इससे कानूनी उल्लंघन और सीमा सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
  • केंद्र सरकार से सीमित सहायता: प्रारंभ में संकोच के बावजूद केंद्र सरकार ने मिज़ोरम को इस संकट से निपटने के लिये 8 करोड़ रुपए की राहत राशि प्रदान की।
    • हालाँकि, स्थानीय प्रशासन ने इस सहायता को अपर्याप्त बताते हुए असंतोष जताया है, क्योंकि यह राशि तेज़ी से बढ़ती चुनौतियों का समाधान करने के लिये पर्याप्त नहीं मानी जा रही है।

Mizoram_Refugees

मिज़ोरम में शरणार्थियों को नियंत्रित करने वाला कानूनी ढाँचा क्या है?

  • वर्ष 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन और इसके 1967 प्रोटोकॉल के अनुसार, शरणार्थी वह व्यक्ति होता है जो अपने मूल देश के बाहर है और किसी उत्पीड़न के उचित और वास्तविक भय के कारण अपने देश वापस लौटने में असमर्थ या अनिच्छुक है। यह भय किसी के नस्ल, धर्म, राष्ट्रीयता, किसी विशेष सामाजिक समूह की सदस्यता, या राजनीतिक विचारों पर आधारित हो सकता है।
    • वह व्यक्ति जिसके शरणार्थी होने का दावा अभी तक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त नहीं हुआ है।
    • शरणार्थी अवैध प्रवासी नहीं होते हैं, क्योंकि वे उत्पीड़न से भागते हैं, जबकि अवैध प्रवासी बेहतर आर्थिक अवसरों की तलाश में स्वेच्छा से सीमा पार करते हैं।
  • भारत का रुख: भारत वर्ष 1951 के शरणार्थी सम्मेलन या इसके वर्ष 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्त्ता नहीं है तथा भारत में कोई राष्ट्रीय शरणार्थी कानून भी नहीं है।
    • भारत में शरणार्थियों को मुख्यतः विदेशी नागरिक अधिनियम, 1946 (Foreigners Act) के तहत नियंत्रित किया जाता है। इसके अलावा भारत में शरणार्थियों से निपटने के लिये निम्नलिखित कानूनों का प्रयोग होता है: 
      • भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1920
      • कैदियों की प्रत्यावर्तन अधिनियम, 2003 (Repatriation of Prisoners Act)
      • पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) नियम, 1950
  • FMR और सीमा नियंत्रण: FMR भारत और म्याँमार के बीच 1968 में हुई एक द्विपक्षीय व्यवस्था है जो पहाड़ी जनजातियों के सदस्यों को सीमा पार जाने की अनुमति प्रदान करती है। इसका उद्देश्य सीमा पार सांस्कृतिक संबंधों को बनाए रखना, व्यापार को बढ़ावा देना और भारत की एक्ट ईस्ट नीति का समर्थन करना है।
    • मूल रूप से 40 किलोमीटर की यात्रा की अनुमति थी, लेकिन बाद में सीमा को घटाकर 10 किलोमीटर कर दिया गया। असम राइफल्स म्याँमार सीमा की सुरक्षा करती है, जबकि राज्य के अधिकारी FMR के तहत सीमा पास जारी करते हैं।
    • सीमा क्षेत्र के निवासी वीजा या पासपोर्ट के बिना यात्रा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिये QR कोड-युक्त सीमा पास जरूरी है। बायोमेट्रिक डेटा एकत्र कर केंद्रीकृत पोर्टल पर अपलोड किया जाता है, जिससे लोगों को नकारात्मक सूची (Negative List) से मिलान किया जा सके।
    • हालाँकि इस योजना का उद्देश्य सकारात्मक है, लेकिन सुरक्षा, तस्करी और अवैध प्रवासन की चिंताओं के चलते इस पर नियंत्रण कठोर कर दिया गया है।
  • UNHCR: संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (UNHCR) के साथ पंजीकृत शरणार्थियों को सीमित सुरक्षा और सेवाएँ मिलती हैं, लेकिन उनके पास सरकारी दस्तावेज़ नहीं होते।
    • इस कारण से वे भारत में कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते साथ ही बैंक खाता भी नहीं खोल सकते, जिससे वे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित रह जाते हैं।

नोट: मिज़ोरम (परिवार रजिस्टरों का रखरखाव)) विधेयक, 2019, जो वर्तमान में विचाराधीन है, का उद्देश्य राज्य में रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान और निगरानी करना है। यह विधेयक मिज़ो नागरिकों, शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों के बीच अंतर करने में मदद करने के लिये लाया गया है।

शरणार्थी और शरण चाहने वालों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने हेतु कौन-से उपाय आवश्यक हैं?

  • कानूनी सुधार: शरणार्थियों और अवैध प्रवासियों के बीच अंतर करने वाला एक व्यापक राष्ट्रीय शरणार्थी कानून लागू करना। मानवीय कानून के तहत निष्पक्ष सुनवाई और सुरक्षा के अधिकार सुनिश्चित करना।
    • यदि मिज़ोम परिवार रजिस्टर रखरखाव विधेयक, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है, तो यह स्थानीय स्तर पर पहचान और विनियमन के लिये एक मॉडल बन सकता है।
  • संस्थागत सुदृढ़ीकरण: राज्य-स्तरीय विदेशी पंजीकरण अधिकारियों (FRO) को स्पष्ट दिशा-निर्देशों और प्रशिक्षण से सशक्त बनाना। समय पर शरणार्थी स्थिति निर्णय के लिये गृह मंत्रालय और UNHCR के बीच समन्वय स्थापित करना।
    • शरणार्थियों के प्रति प्रतिक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिये गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और मिज़ोरम सरकार को शामिल करते हुए एक समर्पित अंतर-मंत्रालयी शरणार्थी समन्वय कार्य बल की स्थापना करना।
  • सामुदायिक एकीकरण: समावेशी स्थानीय विकास योजनाओं को बढ़ावा देना तथा वास्तविक शरणार्थियों के लिये बुनियादी सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना।
    • महिलाओं और बच्चों जैसे कमज़ोर समूहों को तस्करी और शोषण से बचाना।
  • बुनियादी ढाँचे और शिविर प्रबंधन को मज़बूत करना: शरणार्थियों को वर्तमान में अस्थायी आश्रयों में रखा जाता है, जहाँ स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा तक उनकी पहुँच सीमित है।
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और UNHCR के सहयोग से अस्थायी स्वागत केंद्र स्थापित करना। शरणार्थियों के आगमन और सेवा आवश्यकताओं पर नज़र रखने के लिये एक शरणार्थी डेटा प्रबंधन प्रणाली का निर्माण करना।
  • सीमा प्रबंधन: संवेदनशील सीमाओं की निगरानी के लिए स्मार्ट फेंसिंग तकनीक का उपयोग करें, साथ ही आश्रय चाहने वालों के लिए मानवीय गलियारों को सुनिश्चित करना।
    • स्थानीय पुलिसिंग और सामुदायिक भागीदारी को मज़बूत करना ताकि जातीय प्रोफाइलिंग किये बिना आपराधिक गतिविधियों का पता लगाया जा सके।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: ""जातीय एकजुटता राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं होनी चाहिये।" मिज़ोरम की शरणार्थी प्रतिक्रिया के संदर्भ में इस कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

Q. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिये: (2016)

समाचारों में कभी-कभी उल्लिखित समुदाय

किसके मामले में 

कुर्द

बांग्लादेश

मधेसी

नेपाल

रोहिंग्या

म्याँमार

उपर्युक्त में से कौन-सा/से युग्म सही सुमेलित है/हैं?

(a) 1 और 2 
(b) केवल 2 
(c) 2 और 3 
(d) केवल 3

उत्तर- (c)


मेन्स  

Q. "शरणार्थियों को उस देश में वापस नहीं लौटाया जाना चाहिए जहाँ उन्हें उत्पीड़न अथवा मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ेगा।" खुले समाज और लोकतांत्रिक होने का दावा करने वाले किसी राष्ट्र के द्वारा नैतिक आयाम के उल्लंघन के संदर्भ में इस कथन का परीक्षण कीजिये। (2021)

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