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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी

  • 15 Feb 2024
  • 14 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत की एक्ट ईस्ट नीति, अंतर्देशीय जल परिवहन, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI), लुक ईस्ट नीति 

मेन्स के लिये:

भारत की एक्ट ईस्ट नीति, भारत और पड़ोसी देशों के साथ इसके संबंध

स्रोत: पी.आई.बी

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मैया इनलैंड कस्टम पोर्ट से बांग्लादेश के सुल्तानगंज पोर्ट के लिये पहले प्रायोगिक मालवाहक जहाज़ों (Trial Cargo Vessels) को हरी झंडी दिखाई जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति के तहत एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिसमें अंतर्देशीय जल परिवहन को सुदृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 

इस प्रायोगिक शिपमेंट का क्या महत्त्व है?

  • माइया टर्मिनल के परिचालन से बड़ा परिवर्तन होने की उम्मीद है क्योंकि यह बांग्लादेश जाने वाले 2.6 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) निर्यात मालवाहक को सड़कमार्ग के स्थान पर जलमार्ग से परिवहन करने की सुविधा प्रदान करेगा।
  • माइया-अरिचा मार्ग (प्रोटोकॉल रूट 5 और 6) NW1 (राष्ट्रीय जलमार्ग 1) से बांग्लादेश और उत्तर पूर्वी क्षेत्र की दूरी 930 किलोमीटर कम कर देगा।

अंतर्देशीय जल परिवहन (IWT) क्या है?

  • परिचय:
    • IWT नौगम्य नदियों, नहरों, झीलों और अन्य अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल तथा यात्रियों के परिवहन को संदर्भित करता है।
    • इस प्रकार के परिवहन में देश के आंतरिक क्षेत्रों में माल और लोगों के यातायात, जल मार्गों के साथ विभिन्न पत्तनों तथा टर्मिनलों को जोड़ने के लिये नावों, बजरों (Barge) एवं जहाज़ों जैसे माध्यमों का उपयोग किया जाता है।
  • महत्त्व:
    • IWT परिवहन का, विशेष रूप से कोयला, लौह अयस्क, सीमेंट, खाद्यान्न और उर्वरक जैसे बड़ी मात्र के माल परिवहन के लिये एक अत्यधिक लागत प्रभावी तरीका है।
    • इसके लाभों के बावजूद भारत के मॉडल मिश्रण में इसकी वर्तमान हिस्सेदारी केवल 2% है। मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV)-2030 के तहत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2030 तक इस हिस्सेदारी को 5% तक बढ़ाना है।
      • इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये IWAI ने व्यवहार्यता अध्ययन के माध्यम से 25 नए राष्ट्रीय जलमार्गों (NW) की पहचान की है ताकि उन्हें परिवहन के लिये नौगम्य बनाया जा सके।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी क्या है?

  • परिचय:
    • नवंबर, 2014 में घोषित 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' 'लुक ईस्ट पॉलिसी' का अपग्रेड है।
    • यह विभिन्न स्तरों पर विशाल एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने की एक राजनयिक पहल है।
    • इसमें द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर कनेक्टिविटी, व्यापार, संस्कृति, रक्षा तथा लोगों से लोगों के बीच संपर्क के क्षेत्र में दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ गहन एवं निरंतर जुड़ाव शामिल है।
  • उद्देश्य:
    • इसका प्रमुख उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और सक्रिय तथा व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ भारत-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना एवं इस तरह उत्तर पूर्वी क्षेत्र (North Eastern Region- NER) के आर्थिक विकास में सुधार करना, जो दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र का प्रवेश द्वार है।

लुक ईस्ट पॉलिसी क्या है?

  • सोवियत संघ (USSR) के विघटन (शीत युद्ध वर्ष 1991 की समाप्ति) के साथ एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार को खो देने की भरपाई के लिये भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया में उसके सहयोगी देशों के साथ संबंध निर्माण की दिशा में आगे बढ़ा।
  • इस क्रम में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने वर्ष 1992 में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र के साथ भारत की संलग्नता को एक रणनीतिक बल देने के लिये ‘लुक ईस्ट’ नीति का शुभारंभ किया ताकि भारत एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में तथा चीन के रणनीतिक प्रभाव के प्रतिकार के लिये अपनी स्थिति सुदृढ़ कर सके।

लुक ईस्ट पॉलिसी और एक्ट ईस्ट पॉलिसी के बीच क्या अंतर है?

  • लुक ईस्ट पॉलिसी:
    • लुक ईस्ट पॉलिसी में ‘दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संघ’ (आसियान) तथा उनके आर्थिक एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया गया।
      • भारत वर्ष 1996 में आसियान का एक संवाद भागीदार और वर्ष 2002 में शिखर स्तरीय वार्ताओं का भागीदार बना।
      • वर्ष 2012 में यह संबंध रणनीतिक साझेदारी में बदल गया।
      • वर्ष 1992 में जब भारत ने लुक ईस्ट पॉलिसी शुरू की, उस समय आसियान के साथ भारत का व्यापार 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। वर्ष 2010 में आसियान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद व्यापार बढ़कर 72 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2017-18) हो गया है।
      • भारत ‘पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन’ (EAS), ‘आसियान क्षेत्रीय मंच’ (ARF) आदि जैसे कई क्षेत्रीय मंचों में भी सक्रिय भागीदार है।
  • एक्ट ईस्ट:
    • एक्ट ईस्ट पॉलिसी आसियान देशों + आर्थिक एकीकरण + पूर्वी एशियाई देशों + सुरक्षा सहयोग पर केंद्रित है।
      • भारत के प्रधानमंत्री ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी के ‘4C’ का उल्लेख किया है।
        • संस्कृति (Culture)
        • वाणिज्य (Commerce)
        • संपर्क (Connectivity)
        • क्षमता निर्माण (Capacity building)
    • सुरक्षा भारत की एक्ट ईस्ट नीति का एक महत्त्वपूर्ण आयाम है।
      • दक्षिण चीन सागर और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ में, नेविगेशन की स्वतंत्रता तथा हिंद महासागर में भारत की अपनी भूमिका सुनिश्चित करना एक्ट ईस्ट पॉलिसी की एक प्रमुख विशेषता है।
      • इसके अनुसरण में, भारत क्वाड नामक इंडो-पैसिफिक और अनौपचारिक समूह के आख्यान में शामिल हो गया है।

एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत कनेक्टिविटी बढ़ाने की क्या पहलें हैं?

  • भारत और बांग्लादेश के बीच अगरतला-अखौरा रेल संपर्क
  • बांग्लादेश के माध्यम से इंटरमॉडल परिवहन संपर्क और अंतर्देशीय जलमार्ग।
  • कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और उत्तर पूर्व को म्याँमार तथा थाईलैंड से जोड़ने वाली त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना
  • भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम के तहत, सड़क और पुल तथा जल-विद्युत ऊर्जा परियोजनाओं के आधुनिकीकरण जैसी परियोजनाएँ शुरू की गई हैं।
    • इंडिया-जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना वर्ष 2017 में की गई थी, जिसका उद्देश्य भारत की "एक्ट ईस्ट पॉलिसी" और जापान की "मुक्त एवं खुली भारत-प्रशांत रणनीति" के तहत भारत-जापान सहयोग के लिये एक मंच प्रदान करना है।
    • फोरम भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र के आर्थिक आधुनिकीकरण के लिये विशिष्ट परियोजनाओं की पहचान करेगा, जिसमें कनेक्टिविटी, विकासात्मक बुनियादी ढाँचे और औद्योगिक संबंधों के साथ-साथ पर्यटन एवं संस्कृति तथा खेल-संबंधी गतिविधियों के माध्यम से लोगों से लोगों के बीच संपर्कता शामिल हैं।
  • अन्य पहल:
    • महामारी के दौरान आसियान देशों को दवाओं के साथ-साथ चिकित्सा आपूर्ति के रूप में सहायता प्रदान की गई।
    • आसियान देशों के प्रतिभागियों के लिये  IIT में 1000 PhD फेलोशिप की पेशकश के साथ छात्रवृत्ति प्रदान की गई है।
    • भारत शिक्षा, जल संसाधन, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र के मूलभूत समुदायों को विकास सहायता प्रदान करने के लिये कंबोडिया, लाओस, म्याँमार और वियतनाम में त्वरित प्रभाव से परियोजनाएँ भी लागू कर रहा है।
      • त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ (QIP) छोटे पैमाने की, कम लागत वाली परियोजनाएँ हैं जिनकी योजना बनाई जाती है और उन्हें कम समय सीमा के भीतर कार्यान्वित किया जाता है।
    • तटीय नौवहन एवं अंतर्देशीय जल परिवहन के मॉडल शेयर को बढ़ाने के लिये अमृत काल विज़न 2047 में 46 पहलों की पहचान की गई है।
      • प्रमुख पहलों में बंदरगाह-आधारित समूह केंद्रों का निर्माण, उत्पादन एवं मांग केंद्रों के पास तटीय घाट और सड़क, रेल तथा अंतर्देशीय जलमार्ग कनेक्टिविटी में सुधार के लिये परियोजनाएँ शामिल हैं।
      • इस योजना का लक्ष्य वर्ष 2047 तक 50 जलमार्गों को चालू करना और साथ ही दक्षता तथा पहुँच बढ़ाने के लिये संभावित टग-बार्ज संयोजनों के साथ कम-ड्राफ्ट पोत डिज़ाइन प्रस्तुत करना है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.1 'रीज़नल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016)

(a) जी- 20     
(b) आसियान
(c) एस.सी.ओ.
(d) सार्क

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • 10 राष्ट्र जो दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ (आसियान) बनाते हैं और साथ ही पाँच राष्ट्र जिनके साथ आसियान के वर्तमान में मुक्त व्यापार समझौते ( FTA) हैं, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) के पक्षकार हैं।

अत: विकल्प (b) सही उत्तर है।


प्रश्न.2  मेकांग-गंगा सहयोग जो कि छह देशों की एक पहल है, निम्नलिखित में से कौन-सा/से देश प्रतिभागी नहीं है/हैं? (2015)

  1. बांग्लादेश
  2. कंबोडिया
  3. चीन
  4. म्यांँमार
  5. थाईलैंड

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) केवल 1, 2 और 5

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. आंतरिक सुरक्षा खतरों तथा नियंत्रण रेखा सहित म्याँमार, बांग्लादेश और पाकिस्तान सीमाओं पर सीमा-पार अपराधों का विश्लेषण कीजिये। विभिन्न सुरक्षा बलों द्वारा इस संदर्भ में निभाई गई भूमिका की विवेचना भी कीजिये। (2020)

प्रश्न. दक्षिण एशिया के अधिकतर देशों तथा म्याँमार से लगी लंबी छिद्रिल सीमाओं की दृष्टि से भारत की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियाँ सीमा प्रबंधन से कैसे जुड़ी हैं? (2013)

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