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अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का 8वाँ सत्र

  • 30 Oct 2025
  • 89 min read

प्रीलिम्स के लिये: अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS), बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना

मेन्स के लिये: भारत का नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण और ऊर्जा संक्रमण में दक्षिण–दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की भूमिका

स्रोत: पी. आई. बी.

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की 8वीं असेंबली के सत्र को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने ग्लोबल साउथ (Global South) से समावेशी सौर क्रांति का नेतृत्व करने का आग्रह किया और सौर ऊर्जा संचालित विश्व के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के 8वें सत्र की मुख्य बातें क्या हैं?

  • SUNRISE नेटवर्क: ISA ने सनराइज़ (Solar Upcycling Network for Recycling, Innovation & Stakeholder Engagement) पहल की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य सौर क्षेत्र में पुनर्चक्रण, नवाचार और हितधारकों की भागीदारी के माध्यम से सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देना है।
    • इसका मुख्य उद्देश्य सौर अपशिष्ट के सतत् प्रबंधन के माध्यम से पुनर्चक्रण, नवाचार और हरित रोज़गार का सृजन है।
  • वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG): विभिन्न महाद्वीपों के बीच रीज़नल सोलर इंटरकनेक्शन स्थापित करने के लिये एक विशेष OSOWOG कार्यक्रम शुरू किया गया था।
    • इस योजना में एशिया, मध्य पूर्व, यूरोप और अफ्रीका के बीच मुख्य ट्रांसमिशन लिंक की पहचान की गई है और अगले 2–3 वर्षों में व्यवहार्यता अध्ययन किये जाने हैं।
  • SIDS सौर प्रोक्योरमेंट प्लेटफॉर्म: 16 छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) ने ISA और विश्व बैंक के साथ साझा सौर ऊर्जा खरीद, डिजिटल एकीकरण तथा क्षमता निर्माण के लिये MoU पर हस्ताक्षर किये, ताकि ऊर्जा क्षेत्र में समुत्थानशीलता बनी रहे
  • वैश्विक क्षमता केंद्र और ISA अकादमी: ISA ने भारत में वैश्विक क्षमता केंद्र की घोषणा की, जिसे “सौर ऊर्जा के लिये सिलिकॉन वैली” के रूप में स्थापित किया गया है, जो वैश्विक उत्कृष्टता केंद्रों को जोड़ता है।
    • ISA अकादमी, एक AI-आधारित ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म, वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा कौशल और ज्ञान को मज़बूत करने के लिये प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान करेगी।

ISA ने ग्लोबल सोलर ट्रेंड्स पर रिपोर्ट जारी की

  • सत्र में पाँच ISA रिपोर्ट लॉन्च की गई: ईज़ ऑफ डूइंग सोलर 2025, सोलर PV स्किल्स एंड जॉब्स इन अफ्रीका, सोलर कंपास, ग्लोबल फ्लोटिंग सोलर फ्रेमवर्क और ग्लोबल सोलर ट्रेंड्स और आउटलुक 2025, इन रिपोर्टों में वैश्विक सौर ऊर्जा के प्रमुख रुझानों को उजागर किया गया है।
  • ईज़ ऑफ डूइंग सोलर 2025: वर्ष 2024 में वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में कुल 2,083 अरब अमेरिकी डॉलर (USD 2,083 billion) का निवेश हुआ। इसमें ISA सदस्य देशों का योगदान 861.2 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो ग्लोबल साउथ (Global South) की बढ़ती नेतृत्व क्षमता और भूमिका को दर्शाता है।
    • सौर ऊर्जा (Solar Power) में 521 अरब अमेरिकी डॉलर (USD 521 billion) का निवेश हुआ, जिससे यह नवीकरणीय ऊर्जा निवेशों का प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरी।
  • ग्लोबल सोलर ट्रेंड्स और आउटलुक 2025: यह रिपोर्ट पुष्टि करती है कि सौर ऊर्जा अब स्वच्छ ऊर्जा विकास को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख शक्ति बन चुकी है।
  • सोलर कंपास- एकीकृत PV अनुप्रयोग: यह रिपोर्ट बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) में मौजूद अवसरों को रेखांकित करती है, क्योंकि विकासशील देशों में भविष्य की लगभग 70% इमारतें अभी निर्मित होनी बाकी हैं।
    • ISA का लक्ष्य BIPV की लागत को रूफटॉप सोलर के स्तर तक लाना है और ग्लोबल साउथ के देशों में सौर-उपयुक्त आवास नीतियों को बढ़ावा देना है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) क्या है?

  • गठन और सदस्यता: अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) का गठन वर्ष 2015 में पेरिस में आयोजित भारत और फ्राँस द्वारा संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के 21वें सम्मेलन (COP21) में किया गया था। यह भारत में मुख्यालय वाला पहला अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन बन गया।
    • इस समय इसके 125 सदस्य और हस्ताक्षरकर्त्ता देश हैं, जो मिलकर विश्वभर में स्वच्छ, किफायती और विश्वसनीय सौर ऊर्जा की पहुँच बढ़ाने के लिये कार्य कर रहे हैं।
  • मुख्य मिशन: ISA का उद्देश्य सौर ऊर्जा को विश्व के सतत् ऊर्जा भविष्य की ओर संक्रमण में मुख्य चालक के रूप में बढ़ावा देकर वैश्विक ऊर्जा पहुँच और ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना है।
  • रणनीतिक स्तंभ:
    • उत्प्रेरक वित्त केंद्र: इसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश को आकर्षित करना है।
    • वैश्विक क्षमता केंद्र और डिजिटलीकरण: यह सदस्य देशों में नवाचार, क्षमता विकास और डिजिटल प्लेटफॉर्म को प्रोत्साहित करता है।
    • क्षेत्रीय और देश-स्तरीय सहभागिता: यह स्थानीय सहयोग और भागीदारी के माध्यम से विशेष तौर पर डिज़ाइन की गई पहलों को लागू करने में मदद करता है।
    • टेक्नोलॉजी रोडमैप और नीति: यह नवीनतम सौर तकनीकों के संचालन और उपयोग को व्यावहारिक नीतियों और ज्ञान स्रोतों के माध्यम से बढ़ावा देता है।
  • महत्त्व: ISA का उद्देश्य स्वच्छ, विश्वसनीय और किफायती ऊर्जा प्रदान करके समुदायों के जीवन को बदलना, सतत् विकास को बढ़ावा देना तथा वैश्विक स्तर पर जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

भारत सौर ऊर्जा परिवर्तन में किस प्रकार अग्रणी है?

  • आईआरईएनए (IRENA) की वीकरणीय ऊर्जा सांख्यिकी 2025 रिपोर्ट के अनुसार, भारत नवीकरणीय ऊर्जा की स्थापित क्षमता में विश्व में चौथे स्थान, पवन ऊर्जा में चौथे स्थान और सौर ऊर्जा क्षमता में तीसरे स्थान पर स्थित है।
    • भारत की सौर ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2014 के 2.82 गीगावाट से बढ़कर वर्ष 2025 में 110.9 गीगावाट हो गई है, जो लगभग 39 गुना वृद्धि को दर्शाती है। केवल वर्ष 2024–25 के दौरान ही 23.83 गीगावाट की नई सौर क्षमता दर्ज की गई है, जो एक उपलब्धि है।
  • विनिर्माण में वृद्धि (2014 से मार्च 2025): सौर पीवी मॉड्यूल क्षमता 2.3 गीगावाट से बढ़कर 88 गीगावाट हो गई, जो 38 गुना वृद्धि है।
  • सौर पीवी सेल क्षमता 1.2 गीगावाट से बढ़कर 25 गीगावाट हो गई है, जो 21 गुना वृद्धि को दर्शाती है।
  • प्रमुख पहल:
    • राष्ट्रीय सौर मिशन: जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना का एक हिस्सा, इसका उद्देश्य भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी के रूप में स्थापित करना है।
    • प्रधानमंत्री-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना: घरों में छतों पर सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देती है।
    • प्रधानमंत्री-कुसुम योजना: किसानों को सौर पंप और ग्रिड से जुड़ी प्रणालियाँ स्थापित करने में सहायता करती है।
    • सौर पार्क योजना: राज्यों में बड़े पैमाने पर सौर परियोजनाओं के विकास को सक्षम बनाती है।
    • सौर विनिर्माण के लिये उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन (PLI): उच्च दक्षता वाले सौर मॉड्यूल के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देता है।
  • भारत की ‘प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना और ‘प्रधानमंत्री-कुसुम योजना’ जैसी पहलें अब अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की साझेदारी के माध्यम से अफ्रीकी देशों और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों (SIDS) में भी लागू की जा रही हैं।
  • सतत् और जन-केंद्रित दृष्टिकोण: भारत की नवीकरणीय ऊर्जा यात्रा विकास और पारिस्थितिक संरक्षण के बीच संतुलन बनाती है, प्रौद्योगिकी साझाकरण और समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित करती है।
    • प्रगति केवल मेगावाट से नहीं, बल्कि बेहतर जीवन और सशक्त समुदायों से मापी जाती है।

    भारत के सौर ऊर्जा विकास के लिये चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं?

    पहलू 

    चुनौतियाँ 

    अवसर

    आयात पर निर्भरता

    भारत अपने सौर सेल और मॉड्यूल का 50% से अधिक चीन से आयात करता है, जिससे आपूर्ति शृंखला और ऊर्जा सुरक्षा को जोखिम होता है।

    उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI) और खनिज पुनर्चक्रण के माध्यम से स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देकर आयात पर निर्भरता घटाई जा सकती है।

    रोज़गार

    आयात-प्रधान मूल्य शृंखला के कारण रोज़गार सृजन सीमित है।

    घरेलू उत्पादन बढ़ाने से हरित रोज़गार के अवसरों में विस्तार हो सकता है।

    भूमि उपयोग संघर्ष

    सौर परियोजनाओं के लिए विशाल भूमि की आवश्यकता होती है, जो अक्सर कृषि और जैव विविधता से प्रतिस्पर्द्धा करती है।

    एग्रीवोल्टैक्स (भूमि का दोहरा उपयोग) और फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स जैसे ओंकारेश्वर (600 मेगावाट) को बढ़ावा देकर संघर्षों को कम किया जा सकता है।

    ग्रिड और भंडारण घाटा

    ट्रांसमिशन हानि और महॅंगी भंडारण प्रणालियाँ सौर ऊर्जा के एकीकरण में बाधा हैं।

    स्मार्ट ग्रिड, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और हाइब्रिड मॉडल (सौर–जल–बैटरी) में निवेश से स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।

    विनिर्माण अंतराल

    अनुसंधान एवं विकास (R&D) में कमज़ोरी और अपस्ट्रीम घटकों (पॉलीसिलिकॉन, वेफर्स) के लिउए अवसंरचना की कमी।

    संपूर्ण सौर विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित कर और पेरोव्स्काइटनेक्स्ट-जेन पीवी तकनीक में अनुसंधान को प्रोत्साहित कर आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है।

    सौर अपशिष्ट प्रबंधन

    पुनर्चक्रण मानकों की कमी भविष्य में पर्यावरणीय खतरे पैदा कर सकती है।

    सौर पुनर्चक्रण दिशानिर्देश लागू कर और सर्कुलर इकोनॉमी मॉडल (जैसे SUNRISE नेटवर्क) विकसित कर स्थायी समाधान प्राप्त किये जा सकते हैं।

    ऊर्जा मांग में वृद्धि

    वर्ष 2050 तक ऊर्जा की मांग 73 एक्साजूल तक पहुँचने का अनुमान है, जो यदि पूरी नहीं हुई तो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता बढ़ा सकती है।

    पीएम-कुसुम, सोलर पार्क और आईएसए सहयोग जैसी योजनाओं के तहत सौर ऊर्जा को बढ़ाकर बढ़ती मांग को सतत् रूप से पूरा किया जा सकता है।

    निष्कर्ष:

    वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड” (एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड) की मूल दृष्टि से प्रेरित होकर, भारत ने वैश्विक सौर सहयोग, सतत् नवाचार और समावेशी ऊर्जा पहुँच को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के नेतृत्व के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है।

    दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

    प्रश्न: ऊर्जा परिवर्तन हेतु दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

    1.अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) क्या है?

    ISA, सौर ऊर्जा अपनाने को बढ़ावा देने के लिये भारत और फ्राँस द्वारा वर्ष 2015 में शुरू किया गया एक वैश्विक गठबंधन है; इसके 125 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देश हैं और इसका मुख्यालय भारत में है।

    2.SUNRISE क्या है और यह क्यों महत्त्वपूर्ण है?

    SUNRISE (रीसाइक्लिंग, इनोवेशन और स्टेकहोल्डर एंगेजमेंट के लिये सोलर अपसाइक्लिंग नेटवर्क) ISA की एक पहल है जिसका उद्देश्य सौर रीसाइक्लिंग और चक्रीयता को विकसित करना, जीवन-काल के अंत में अपशिष्ट को कम करना तथा सौर मूल्य शृंखला में हरित रोज़गार उत्पन्न करना है।

    3.वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड (OSOWOG) का लक्ष्य क्या है?

    OSOWOG सीमा पार स्वच्छ ऊर्जा विनिमय को सक्षम बनाने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने के लिये एशिया, मध्य पूर्व, यूरोप और अफ्रीका में क्षेत्रीय सौर अंतर्संबंधों की तलाश करता है।

    4.ISA के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किन प्रमुख भारतीय योजनाओं को साझा किया जा रहा है?

    भारत के जन-केंद्रित कार्यक्रम पीएम-सूर्य घर (रूफटॉप सोलर) और पीएम-कुसुम (पंपों और विकेंद्रीकृत प्रणालियों का सौरीकरण) को अफ्रीका और छोटे द्वीप विकासशील राज्यों (SIDS) के लिये अनुकरणीय मॉडल के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है।

    UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

    प्रिलिम्स:

    प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

    1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance) को वर्ष 2015 के संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में प्रारंभ किया गया था। 
    2. इस गठबंधन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश सम्मिलित हैं।

    उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    (a) केवल 1 

    (b) केवल 2 

    (c) 1 और 2 दोनों 

    (d) न तो 1 और न ही 2

    उत्तर: (a)


    मेन्स:

    प्रश्न 1. भारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँ हैं। विस्तृत वर्णन कीजिये। (2020)

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