प्रारंभिक परीक्षा
बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स
- 04 Jun 2025
- 11 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
जैसे-जैसे भारत के नगर ऊर्ध्व दिशा में विस्तार कर रहे हैं और पारंपरिक रूफटॉप सौर पैनलों के लिये स्थान सीमित होता जा रहा है, विशेषज्ञ बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) को एक मापनीय और भूमि-तटस्थ विकल्प के रूप में देख रहे हैं।
- विश्व बैंक के अनुसार, भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित देश बनाने के लिये आवश्यक नगरीय अवसंरचना का 70% भाग अभी बनाया जाना बाकी है। यदि बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स (BIPV) को डिज़ाइन के चरण से ही एकीकृत किया जाए, तो स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को तेज़ी से प्राप्त किया जा सकता है।
बिल्डिंग-इंटीग्रेटेड फोटोवोल्टिक्स क्या है?
- परिचय: BIPV में सौर ऊर्जा उत्पन्न करने वाले घटक (फोटोवोल्टिक (PV) सेल) सीधे भवन की संरचना — जैसे कि अग्रभाग, छत, खिड़कियाँ और रेलिंग — में शामिल किये जाते हैं, जो पारंपरिक सामग्री जैसे टाइल, काँच या क्लैडिंग का स्थान लेते हैं।
- पारंपरिक रूफटॉप सोलर (RTS) प्रणालियों के विपरीत, जो भवनों की छत पर स्थापित की जाती हैं, BIPV भवन के डिज़ाइन का अभिन्न हिस्सा बन जाता है।
- BIPV मॉड्यूल बिजली उत्पन्न करते हैं, साथ ही भवन की संरचनात्मक और सौंदर्यात्मक आवश्यकताओं को भी पूरा करते हैं।
- भारत में BIPV की आवश्यकता: रूफटॉप सोलर सिस्टम (RTS) के लिये लगभग 300 वर्ग फुट क्षेत्र की आवश्यकता होती है ताकि 3 किलोवाट (kW) क्षमता प्राप्त की जा सके, हालाँकि कई शहरी घरों और ऊँची इमारतों के पास छाया-रहित छतें उपलब्ध नहीं होतीं।
- उदाहरण के लिये, एक 16-मंज़िला इमारत RTS के माध्यम से केवल लगभग 40 kWp उत्पन्न कर सकती है, जबकि BIPV-समेकित अग्रभाग के जरिये 150 kWp तक विद्युत उत्पन्न की जा सकती है।
- वर्ष 2051 तक भारत की शहरी जनसंख्या के 850 मिलियन तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे ऊर्जा की मांग में तीव्र वृद्धि होगी, परंतु RTS एकमात्र इस अंतर को पूरा नहीं कर सकता।
- स्थान की सीमाएँ, कार्यान्वयन में विलंब तथा कम जागरूकता जैसे कारणों से भारत 100 गीगावाट सौर लक्ष्य के साथ वर्ष 2022 तक 40 GW RTS के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सका, जो अब वर्ष 2026 तक के लिये बढ़ा दिया गया है। BIPV (Building-Integrated Photovoltaics) इस अंतर को समाप्त करने के साथ-साथ पर्यावरणीय सततता को भी बढ़ावा दे सकता है।
- भारत को वर्ष 2030 तक 300 GW सौर क्षमता स्थापित करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये केवल ग्राउंड-माउंटेड और रूफटॉप सिस्टम पर निर्भर नहीं रहना चाहिये। इस लक्ष्य के लिये भूमि-तटस्थ समाधान, जैसे BIPV को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
- भारत में BIPV की स्थिति: सौर ऊर्जा की घटती लागत और सतत् स्थापत्य की बढ़ती मांग के कारण भारत में BIPV को अपनाने में तेज़ी आ रही है।
- प्रमुख प्रतिष्ठानों में नवी मुंबई स्थित CtrlS डाटासेंटर में 863-kWp प्रणाली, कोलकाता के अक्षय ऊर्जा संग्रहालय में सोलर डोम तथा विजयवाड़ा और साहिबाबाद रेलवे स्टेशनों पर बड़े BIPV प्रतिष्ठान शामिल हैं, जो सार्वजनिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों में BIPV की विस्तार क्षमता को दर्शाते हैं।
- भारत में BIPV के प्रसार में बाधाएँ: BIPV प्रतिष्ठानों के लिये आवश्यक उच्च प्रारंभिक निवेश एक गंभीर बाधा बनी हुई है, जो इसके व्यापक रूप से अपनाए जाने को सीमित करती है।
- समर्पित नीतियों का अभाव और अपर्याप्त वित्तीय प्रोत्साहन बिल्डरों तथा डेवलपर्स को भवन डिज़ाइन में प्रारंभिक रूप से BIPV को एकीकृत करने से हतोत्साहित करते हैं।
- BIPV में सीमित विशेषज्ञता और आयातित प्रौद्योगिकी पर निर्भरता स्थानीय विनिर्माण एवं तैनाती में बाधा उत्पन्न करती है।
- वास्तुकारों, योजनाकारों और उपभोक्ताओं सहित कई हितधारकों को BIPV के लाभों एवं अनुप्रयोगों के बारे में जानकारी का अभाव है।
भवन-एकीकृत फोटोवोल्टिक्स और पारंपरिक रूफटॉप सौर
विशेषता |
BIPV |
RTS |
एकीकरण |
भवन डिज़ाइन में एकीकृत |
छत के ऊपर स्थापित |
कार्यक्षमता |
दोहरे उद्देश्य (निर्माण सामग्री + विद्युत) |
केवल ऊर्जा उत्पादन हेतु |
इंस्टालेशन |
परिसर, भवन डिज़ाइन का हिस्सा |
मौजूदा इमारतों में आसानी से नवीनीकरण |
लागत |
एकीकरण के कारण उच्चतर |
अपेक्षाकृत कम |
रखरखाव |
जटिल और महँगा |
अपेक्षाकृत कम लागत |
सौर फोटोवोल्टिक्स क्या है?
- सौर PV(फोटोवोल्टिक्स): सौर PV (फोटोवोल्टिक्स) एक ऐसी तकनीक है जो अर्द्धचालक पदार्थों से बने फोटोवोल्टिक्स कोशिकाओं का उपयोग करके सूर्य के प्रकाश को सीधे विद्युत में परिवर्तित करती है।
- जब सूर्य का प्रकाश (फोटॉन) PV सेल पर पड़ता है, तो यह पदार्थ में इलेक्ट्रॉनों को उत्तेजित करता है, जिससे प्रत्यक्ष धारा (DC) विद्युत का प्रवाह उत्पन्न होता है।
- इनवर्टर नामक उपकरणों का उपयोग इस DC विद्युत को प्रत्यावर्ती धारा (AC) में परिवर्तित करने के लिये किया जाता है, जिसका उपयोग घरों और पावर ग्रिड में किया जाता है।
- PV सेल में प्रयुक्त प्रमुख सामग्रियाँ: PV सेल मुख्य रूप से सूर्य के प्रकाश को विद्युत में परिवर्तित करने के लिये सिलिकॉन, कैडमियम टेल्यूराइड और पेरोवस्काइट जैसे अर्द्धचालकों का उपयोग करते हैं
- चाँदी और ताँबे जैसी सुचालक सामग्री विद्युत प्रवाह को सक्षम बनाती हैं, जबकि काँच संरचनात्मक समर्थन एवं आवरण प्रदान करता है।
- EVA (एथिलीन विनाइल एसीटेट) जैसे एनकैप्सुलेंट्स और TPT (टेडलर पॉलिएस्टर टेडलर) जैसे बैकशीट्स कोशिकाओं को नमी, धूल व शारीरिक क्षति से बचाते हैं, जिससे स्थायित्व एवं दक्षता सुनिश्चित होती है।
- सौर PV प्रणालियों के प्रकार:
- ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम: यह प्रणाली बैटरी भंडारण के बिना सीधे राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ी होती है। यह ऊर्जा प्रदान करती है और अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में भेज देती है, जिससे विद्युत बिल तथा कार्बन उत्सर्जन दोनों में कमी आती है।
- हालाँकि ग्रिड बंद होने पर यह कार्य करना बंद कर देती है, लेकिन इसमें बैटरियों को जोड़कर इसे हाइब्रिड सिस्टम में अपग्रेड किया जा सकता है।
- ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम: यह प्रणाली पूरी तरह से ग्रिड से स्वतंत्र होती है और दूर-दराज़ के क्षेत्रों या ऊर्जा आत्मनिर्भरता के लिये उपयुक्त होती है। इसमें बैटरियों तथा प्रायः बैकअप जनरेटर भी शामिल होते हैं ताकि निरंतर विद्युत आपूर्ति बनी रहे।
- हाइब्रिड सोलर सिस्टम: यह प्रणाली सौर पैनलों को बैटरी भंडारण के साथ जोड़ती है, जबकि यह ग्रिड से भी जुड़ी रहती है।
- यह अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरियों में संग्रहित करती है ताकि विद्युत कटौती केसमय उसका उपयोग किया जा सके, जिससे बैकअप ऊर्जा और अनुकूलन मिलता है।
- ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम: यह प्रणाली बैटरी भंडारण के बिना सीधे राष्ट्रीय ग्रिड से जुड़ी होती है। यह ऊर्जा प्रदान करती है और अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में भेज देती है, जिससे विद्युत बिल तथा कार्बन उत्सर्जन दोनों में कमी आती है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. 'पी.एम. सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना' के बारे में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:(2025)
उपर्युक्त कथनों में कौन-कौन से सही हैं? (a) केवल I और II उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न: भारत में सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएँ हैं, हालाँकि इसके विकास में क्षेत्रीय भिन्नताएँँ हैं। विस्तृत वर्णन कीजिये। (2020) |