प्रारंभिक परीक्षा
PSLV-C61/EOS-09 मिशन
स्रोत: द हिंदू
इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-C61) मिशन में रॉकेट के तीसरे चरण में खराबी के कारण पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 (EOS-09) को उसकी निर्धारित सन-सिंक्रोनस पोलर ऑर्बिट में स्थापित करने में विफलता हुई।
- यह इसरो का 101वाँ मिशन और PSLV का 63वाँ मिशन था। EOS-09 सैटेलाइट में सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) पेलोड था, जिसे सभी मौसमों में पृथ्वी की छवियाँ कैप्चर करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
नोट
- सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-synchronous polar orbit) में उपग्रह प्रत्येक दिन एक ही स्थानीय सौर समय पर पृथ्वी के एक ही स्थान से गुजरता है तथा सूर्य के सापेक्ष एक समान स्थिति बनाए रखता है।
PSLV क्या है?
- परिचय: ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) इसरो द्वारा विकसित एक अत्यधिक विश्वसनीय एवं लागत प्रभावी प्रक्षेपण यान है।
- इसका उपयोग उपग्रहों को विभिन्न कक्षाओं में ले जाने के लिये किया जाता है, जिनमें सूर्य-तुल्यकालिक, भू-स्थिर और नेविगेशन कक्षाएँ शामिल हैं।
- कार्य: यह शक्तिशाली प्रणोदन प्रणालियों के माध्यम से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण को पार करते हुए उपग्रहों (पेलोड) को अंतरिक्ष में ले जाने में सक्षम है।
- संरचना: PSLV में 4 चरण होते हैं:
- PS1: 6 स्ट्रैप-ऑन बूस्टर के साथ ठोस रॉकेट मोटर।
- PS2: तरल इंजन (विकास इंजन)।
- PS3: उच्च प्रणोदन हेतु ठोस रॉकेट मोटर।
- PS4: अंतिम रूप से कक्षा में प्रवेश हेतु दो तरल-ईंधन इंजन।
- प्रकार: PSLV-XL (विस्तारित स्ट्रैप-ऑन के साथ), PSLV-DL, PSLV-QL आदि का चयन पेलोड भार और लक्षित कक्षा के आधार पर किया जाता है।
- महत्त्व: अपनी बहुमुखी प्रतिभा और उच्च सफलता दर के कारण इसे इसरो के "कार्यकर्त्ता" के रूप में जाना जाता है।
- चंद्रयान-1 (वर्ष 2008) और मार्स ऑर्बिटर मिशन (वर्ष 2013) जैसे प्रमुख मिशनों में इसका उपयोग किया गया।
- एक ही मिशन (PSLV-C37, 2017) में 104 उपग्रहों को प्रक्षेपित करके वैश्विक मान्यता प्राप्त की।
- इससे पहले की विफलताएँ: PSLV अपने पूर्व में दो बार विफल हो चुका है। पहली विफलता वर्ष 1993 में (PSLV-D1) सॉफ्टवेयर संबंधी समस्याओं के कारण हुई थी , जिसके कारण IRS-1E उपग्रह समुद्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
- दूसरी घटना वर्ष 2017 में (PSLV-C39) हुई, जब ताप-शील्ड पृथक्करण विफलता के कारण IRNSS-1H उपग्रह फँस गया, जिससे इसकी कक्षा में स्थापना नहीं हो सकी।
पृथ्वी अवलोकन उपग्रह-09 (EOS-09) क्या है?
- परिचय: EOS-09, जिसे RISAT-1B भी कहा जाता है, एक उन्नत भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रह है जो C-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रडार (SAR) से सुसज्जित है, जो सभी मौसमों में, दिन और रात में पृथ्वी की इमेजिंग करने में सक्षम है।
- इसे भूमि उपयोग मानचित्रण, जल विज्ञान, आपदा प्रबंधन, कृषि, वानिकी और तटीय सुरक्षा सहित विविध अनुप्रयोगों के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- सभी मौसमों में क्षमता: SAR बादलों, वर्षा, कोहरे और अंधेरे को भेद सकता है, जिससे निरंतर निगरानी सुनिश्चित होती है।
- उच्च रिज़ॉल्यूशन: 1 मीटर तक रिज़ॉल्यूशन और विस्तृत क्षेत्र कवरेज (10 से 225 किमी) प्रदान करता है।
- मल्टीपल इमेजिंग मोड: विभिन्न उपयोगों के लिये हाई-रेज़ोल्यूशन स्पॉटलाइट और मीडियम रेज़ोल्यूशन स्कैन SAR जैसे पाँच मोड का समर्थन करता है।
- दोहरा उपयोग: यह नागरिक अनुप्रयोगों और रक्षा निगरानी, जिसमें सैन्य गतिविधि एवं समुद्री सुरक्षा की निगरानी भी शामिल है, दोनों का समर्थन करता है।
- कक्षा: निरंतर दैनिक कवरेज हेतु सूर्य-तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा के लिये अभिप्रेत।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. भारत के उपग्रह प्रमोचित करने वाले वाहनों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (a) |
चर्चित स्थान
पारसनाथ पहाड़ी पर विवाद
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पारसनाथ पर्वत पर मांस, शराब और नशीले पदार्थों की बिक्री एवं सेवन पर पहले से लागू प्रतिबंध को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। पारसनाथ पहाड़ी जैन और संथाल आदिवासी समुदाय दोनों के लिये पवित्र स्थल है।
- पारसनाथ पहाड़ी का महत्त्व: जैन समुदाय इसे पारसनाथ और संथाल समुदाय इसे मारंग बुरु (शाब्दिक अर्थ "महान पर्वत") के नाम से जानते हैं।
- जैनियों के लिये: यह वह स्थान है जहाँ पार्श्वनाथ सहित 24 तीर्थंकरों में से 20 ने निर्वाण प्राप्त किया था, कई जैन मंदिर और धाम पहाड़ी पर स्थित हैं।
- संथालों के लिये: मारंग बुरु सर्वोच्च जीववादी देवता और न्याय का स्थान है। पहाड़ी पर स्थित जुग जाहेर थान (पवित्र उपवन) संथालों का सबसे पवित्र धोरोम गढ़ (धार्मिक स्थल) है।
- लो-बीर बैसी, पारंपरिक संथाल जनजातीय परिषद, अंतर-गाँव विवादों को सुलझाने के लिये पहाड़ी के तल पर आयोजित होती है।
- वर्ष 1855 का संथाल हूल, जिसका नेतृत्व सिद्धू और कान्हू मुर्मू ने किया था, मारंग बुरू से शुरू किया गया एक प्रमुख आदिवासी विद्रोह था।
- पारसनाथ पहाड़ी विवाद: एक प्रमुख विवाद सेंदरा उत्सव है, जो पहाड़ी पर संथालों द्वारा आयोजित एक पारंपरिक अनुष्ठानिक शिकार है।
- यह प्रथा, जो संथाल पुरुषों के लिये एक संस्कार है, जैनों के अहिंसा और शाकाहार के मूल्यों के बिल्कुल विपरीत है, जिसके कारण संथाल एवं जैन समूहों के बीच कानूनी लड़ाई हुई।
- संथाल: संथाल जनजाति भारत के सबसे बड़े स्वदेशी समुदायों में से एक है, जो मुख्य रूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा और असम में रहती है।
- वे संथाली बोलते हैं, जो एक संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषा (आठवीं अनुसूची) है और इसकी अपनी लिपि ओलचिकी है, जिसे पंडित रघुनाथ मुर्मू ने निर्मित किया था।
- नृत्य (एनेज) और संगीत (सेरेंग) त्योहारों और सामाजिक समारोहों के दौरान उनकी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का मूल बने रहते हैं।
और पढ़ें: 1855 का संथाल हुल
रैपिड फायर
58वाँ ज्ञानपीठ पुरस्कार
स्रोत: पी.आई.बी
राष्ट्रपति ने संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध कवि-गीतकार गुलज़ार को वर्ष 2023 के लिये 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया।
- जगद्गुरु रामभद्राचार्य: वे एक प्रतिष्ठित संस्कृत विद्वान और हिंदू आध्यात्मिक गुरु हैं, जिन्होंने वर्ष 1982 से जगद्गुरु रामानंदाचार्य की उपाधि धारण की थी। वे चित्रकूट (मध्य प्रदेश) में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं, जो एक प्रमुख धार्मिक और साहित्यिक संस्थान है।
- 240 से अधिक कृतियों के विपुल लेखक, उन्होंने चार संस्कृत महाकाव्य (भार्गव राघवम, श्री रामायणम, दशावतार तीर्थम और रामानंदाचार्य तीर्थम) लिखे हैं। उन्हें वर्ष 2015 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
- गुलज़ार: संपूर्ण सिंह कालरा (गुलज़ार) एक प्रसिद्ध उर्दू कवि, गीतकार, लेखक और फिल्म निर्माता हैं।
- उन्होंने त्रिवेणी काव्य शैली की शुरुआत की और माचिस, आँधी तथा कोशिश जैसी फिल्मों के साथ हिंदी सिनेमा में स्थायी योगदान दिया।
- वह पद्म भूषण (2004), साहित्य अकादमी पुरस्कार (2002), दादा साहब फाल्के पुरस्कार (2013), ऑस्कर (2009), ग्रैमी (2010) और पाँच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के प्राप्तकर्त्ता हैं।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार: वर्ष 1961 में स्थापित और वर्ष 1965 में पहली बार प्रदान किया जाने वाला ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सबसे पुराना तथा सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है।
- भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाला यह पुरस्कार अंग्रेज़ी और विभिन्न भारतीय भाषाओं में भारतीय साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये दिया जाता है तथा यह पुरस्कार केवल भारतीय नागरिकों को दिया जाता है, न कि मरणोपरांत।
- ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्तकर्त्ताओं को 11 लाख रुपए की नकद राशि, वाग्देवी/सरस्वती की एक प्रतिमा और उनकी साहित्यिक उत्कृष्टता के सम्मान में एक प्रशस्ति-पत्र दिया जाता है।
नोट: विनोद कुमार शुक्ल को 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार (2024) के लिये चुना गया है। वह यह सम्मान पाने वाले छत्तीसगढ़ के पहले लेखक बन गए हैं।
और पढ़ें: ज्ञानपीठ पुरस्कार
रैपिड फायर
दाद रोग
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि दाद का टीका, जो मुख्य रूप से वायरल पुनर्सक्रियन को रोकने के लिये बनाया गया है, हृदय संबंधी रोगों के जोखिम को 23% तक कम कर सकता है तथा मनोभ्रंश के जोखिम को भी कम कर सकता है।
- परिचय: यह वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस के कारण होता है, जो चिकनपॉक्स (चेचक) का कारण भी बनता है।
- बचपन में चिकनपॉक्स होने के बाद यह वायरस तंत्रिका कोशिकाओं में निष्क्रिय अवस्था में बना रहता है और प्रतिरक्षा प्रणाली के कमज़ोर होने पर दाद के रूप में पुनः सक्रिय हो सकता है।
- लक्षण: दाद से आमतौर पर शरीर के एक तरफ दर्दनाक चकत्ते और फफोले हो जाते हैं। यदि यह आँख के पास होता है, तो इससे दृष्टि हानि, चेहरे का पक्षाघात या मस्तिष्क में सूजन हो सकती है।
- संक्रमण: जिन लोगों को पहले चिकनपॉक्स नहीं हुआ है, वे दाद के फफोलों से निकलने वाले तरल के संपर्क में आने या हवा में फैले वायरस कणों को साँस के ज़रिये अंदर लेने से इस वायरस से संक्रमित हो सकते हैं।
- टीका: यह 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों तथा कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले वयस्कों (जैसे HIV संक्रमित रोगियों) के लिए अनुशंसित है।
- दाद के लक्षणों के लिये उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन इसका कोई स्थायी उपचार नहीं है।
- मनोभ्रंश: यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता सामान्य धीरे-धीरे क्षीण होती जाती है। यह स्मृति, चिंतन, समझ, सीखने, भाषा और निर्णय क्षमता को प्रभावित करता है, लेकिन चेतना पर इसका प्रभाव नहीं पड़ता।
और पढ़ें: मनोभ्रंश
रैपिड फायर
महादेई नदी जल विवाद
स्रोत: द हिंदू
हाल ही में महादेई की सहायक नदियों से जल को कर्नाटक की मालप्रभा नदी की ओर मोड़ने की सिफारिश करने वाले एक अध्ययन ने गोवा में विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है। अध्ययन में यह दावा किया गया है कि इस प्रस्तावित जल-परिवर्तन से गोवा पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालाँकि, इसने गोवा और कर्नाटक के बीच जल बँटवारे को लेकर दशकों पुराने अंतर्राज्यीय जल-साझेदारी विवाद को फिर से उभार दिया है।
- महादेई जल विवाद न्यायाधिकरण (MWDT) ने कर्नाटक को 13.42 हज़ार मिलियन घनफुट (tmcft) जल आवंटित किया था।
- परिचय: इस नदी का उद्गम बिंदु पश्चिमी घाट (भीमगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, कर्नाटक) है, तथा यह गोवा (78% जलग्रहण क्षेत्र), कर्नाटक (18%) और महाराष्ट्र (4%) से होकर प्रवाहित होती है और अंततः अरब सागर में गिरती है।
- सहायक नदियाँ: कलसा, बंडूरी, मापसा, रगड़ा, नानुज़, वालवोटी, नेरुल, सेंट इनीज़ क्रीक, दूधसागर, कोट्राची नदी, और रियो डी ओरेम।
- यह ज़ुआरी नदी से कम्बरजुआ नहर के माध्यम से जुड़ी हुई है।
- विशेषताएँ: यह दूधसागर जलप्रपात (मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान और भगवान महावीर अभयारण्य) तथा चोराओ द्वीप पर स्थित सलीम अली पक्षी अभयारण्य के लिये प्रसिद्ध है।
- सहायक नदियाँ: कलसा, बंडूरी, मापसा, रगड़ा, नानुज़, वालवोटी, नेरुल, सेंट इनीज़ क्रीक, दूधसागर, कोट्राची नदी, और रियो डी ओरेम।
- मलप्रभा नदी: यह कृष्णा नदी की एक सहायक नदी है और इसका उद्गम कर्नाटक के बेलगाम में पश्चिमी घाट के कनकुंबी गाँव से होता है।
- ऐहोल, पट्टडकल, और बादामी, जो सभी यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, इसकी तटरेखा के किनारे स्थित हैं।
और पढ़ें: महादेई नदी
रैपिड फायर
निपाह वायरस
स्रोत: द हिंदू
स्वास्थ्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने केरल में पशुओं से मनुष्यों में होने वाले निपाह वायरस के संक्रमण को लेकर चिंता व्यक्त की है।
- निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला) है और यह दूषित भोजन के माध्यम से या प्रत्यक्ष रूप से लोगों के बीच भी फैल सकता है।
- कारक: निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा यह हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
- मेज़बान वाहक: NiV प्रारंभ में घरेलू सुअरों, कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों और भेड़ों में देखा गया।
- यह रोग टेरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ अथवा 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं। यह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय निकलने वाले तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
- लक्षण: मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि शामिल है। इसमें मृत्यु दर 40% से 75% है।
- निदान (Diagnosis): शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से रियल टाइम पॉलीमिरेज़ चेन रिएक्शन ( Real-Time Polymerase Chain Reaction- RT-PCR) और एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे (Enzyme-Linked Immunosorbent assay- ELISA) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाने से इसका निदान किया जा सकता है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी घोषित किया है।
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रैपिड फायर
निकारागुआ का UNESCO से अलग होना
स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया
निकारागुआ ने निकारागुआ सरकार के विरोध के बावजूद निकारागुआ के समाचार पत्र ला प्रेंसा को यूनेस्को/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार दिये जाने के विरोध में UNESCO से अपनी सदस्यता वापस लेने की घोषणा की है।
- UNESCO/गिलर्मो कैनो वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम पुरस्कार: इसकी स्थापना वर्ष 1997 में की गई थी और यह संयुक्त राष्ट्र का एकमात्र पत्रकारिता पुरस्कार है, जो प्रत्येक वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर प्रदान किया जाता है।
- कोलंबियाई पत्रकार गिलर्मो कैनो के नाम पर रखा गया यह पुरस्कार उन व्यक्तियों या संगठनों को सम्मानित करता है जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
- पिछले प्राप्तकर्त्ताओं में म्याँमार के पत्रकार क्याव सो ओ और वा लोन (2019) तथा बेलारूस के शीर्ष स्वतंत्र पत्रकार समूह (2022) शामिल हैं।
- UNESCO: यूनेस्को एक संयुक्त राष्ट्र (UN) एजेंसी है, जिसकी स्थापना वर्ष 1945 में हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस में है।
- इसका उद्देश्य वैश्विक सहयोग और मानक-निर्धारण के माध्यम से शिक्षा, विज्ञान, संस्कृति एवं संचार को बढ़ावा देकर शांति तथा समानता को बढ़ावा देना है।
- निकारागुआ:
- स्थान: मध्य अमेरिका का सबसे बड़ा देश, जिसकी सीमा होंडुरास (उत्तर), कोस्टा रिका (दक्षिण), प्रशांत महासागर (पश्चिम), कैरेबियन सागर (पूर्व) से लगती है।
- इतिहास: स्पेन और ब्रिटेन दोनों द्वारा उपनिवेशित किया गया, इस देश ने वर्ष 1821 में स्वतंत्रता प्राप्त की और केंद्रीय अमेरिकी महासंघ में संक्षिप्त रूप से शामिल होने के बाद वर्ष 1838 में पूरी तरह स्वतंत्र हुआ।
- जनसंख्या: मुख्यतः मेस्टिज़ो जातीय समूह (मिश्रित स्वदेशी और यूरोपीय वंश)।
और पढ़ें: भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH), तूफान एटा