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निपाह वायरस

  • 19 May 2025
  • 2 min read

स्रोत: द हिंदू

स्वास्थ्य विशेषज्ञों और चिकित्सकों ने केरल में पशुओं से मनुष्यों में होने वाले निपाह वायरस के संक्रमण को लेकर चिंता व्यक्त की है।

  • निपाह वायरस (NiV) एक ज़ूनोटिक वायरस (पशुओं से मनुष्यों में फैलने वाला) है और यह दूषित भोजन के माध्यम से या प्रत्यक्ष रूप से लोगों के बीच भी फैल सकता है।
  • कारक: निपाह वायरस इंसेफेलाइटिस के लिये उत्तरदायी जीव पैरामाइक्सोविरिडे श्रेणी तथा हेनिपावायरस जीनस/वंश का एक RNA अथवा राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस है तथा यह हेंड्रा वायरस से निकटता से संबंधित है।
  • मेजबान: NiV प्रारंभ में घरेलू सुअरों, कुत्तों, बिल्लियों, बकरियों, घोड़ों और भेड़ों में देखा गया।
    • यह रोग टेरोपस जीनस के ‘फ्रूट बैट’ अथवा 'फ्लाइंग फॉक्स' के माध्यम से फैलता है, जो निपाह और हेंड्रा वायरस के प्राकृतिक स्रोत हैं। यह वायरस चमगादड़ के मूत्र और संभावित रूप से चमगादड़ के मल, लार व जन्म के समय निकलने वाले तरल पदार्थों में मौजूद होता है।
  • लक्षण: मानव संक्रमण में बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, कोमा और संभावित मृत्यु आदि शामिल है। इसमें मृत्यु दर 40% से 75% है।
  • निदान (Diagnosis): शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से रियल टाइम पॉलीमिरेज़ चेन रिएक्शन ( Real-Time Polymerase Chain Reaction- RT-PCR) और एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे (Enzyme-Linked Immunosorbent assay- ELISA) के माध्यम से एंटीबॉडी का पता लगाने से इसका निदान किया जा सकता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निपाह को प्राथमिकता वाली बीमारी घोषित किया है।

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