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सामाजिक न्याय

डिमेंशिया (मनोभ्रंश)

  • 04 Sep 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये : 

डिमेंशिया (मनोभ्रंश), विश्व स्वास्थ्य संगठन, ग्लोबल डिमेंशिया एक्शन प्लान

मेन्स के लिये :  

डिमेंशिया (मनोभ्रंश) : परिचय, लक्षण तथा कारण, डिमेंशिया के लिये भारत द्वारा समर्थित पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 'ग्लोबल स्टेटस रिपोर्ट ऑन द पब्लिक हेल्थ रिस्पांस टू डिमेंशिया' नामक एक रिपोर्ट जारी की।

  • यह वर्ष 2017 में प्रकाशित WHO के 'ग्लोबल डिमेंशिया एक्शन प्लान' में डिमेंशिया हेतु वर्ष 2025 के लिये निर्धारित वैश्विक लक्ष्यों की दिशा में हुई प्रगति का आकलन करता है।

प्रमुख बिंदु

  • डिमेंशिया :
    • मनोभ्रंश एक सिंड्रोम है, आमतौर पर एक पुरानी या प्रगतिशील प्रकृति का - जो उम्र बढ़ने के जैविक सिद्धांत के सामान्य परिणामों से भिन्न, संज्ञानात्मक कार्य (अर्थात् सोचने की प्रक्रिया क्षमता) में गिरावट की ओर ले जाता है।
    • यह स्मृति, सोच-विचार, अभिविन्यास, समझ, गणना, सीखने की क्षमता, भाषा और निर्णय को प्रभावित करता है।
      • हालाँकि इसमें चेतना (Consciousness) प्रभावित नहीं होती है।
    • मनोभ्रंश के कारण होने वाली कुल मौतों में से 65% महिलाएँ हैं और मनोभ्रंश के कारण विकलांगता-समायोजित जीवन वर्ष (Disability-Adjusted Life Years- DALYs)  पुरुषों की तुलना में महिलाओं में लगभग 60% अधिक है।
  • लक्षण :
    • इसमें स्मृतिलोप, सोचने में कठिनाई, दृश्य धारणा, स्व-प्रबंधन, समस्या समाधान या भाषा और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता जैसे लक्षण शामिल हैं।
    • इसमें व्यक्ति के व्यवहार में परिवर्तन होता है जैसे- अवसाद, व्याकुलता, मानसिक उन्माद और चित्तवृति या मनोदशा।
  • कारण :
    • जब मस्तिष्क की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तो मनोभ्रंश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह सिर में चोट, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर या एचआईवी संक्रमण के कारण हो सकता है।
  • उपचार :
    • मनोभ्रंश को ठीक करने के लिये वर्तमान में कोई उपचार उपलब्ध नहीं है, हालाँकि नैदानिक परीक्षणों के विभिन्न चरणों में कई नए उपचारों की जाँच की जा रही है।
  • वैश्विक परिदृश्य:
    •  डिमेंशिया वर्तमान में सभी प्रकार की बीमारियों से होने वाली मृत्यु का सातवांँ प्रमुख कारण है जो वैश्विक स्तर पर वृद्ध लोगों में विकलांगता और दूसरों पर निर्भरता के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • 55 मिलियन से अधिक लोग (8.1% महिलाएंँ और 65 वर्ष से अधिक आयु के 5.4% पुरुष)  डिमेंशिया के साथ जी रहे हैं। 
    • वर्ष 2030 तक यह संख्या बढ़कर 78 मिलियन और वर्ष 2050 तक 139 मिलियन हो जाने का अनुमान है।
    • WHO के पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में डिमेंशिया (20.1 मिलियन) से पीड़ित लोगों की संख्या सबसे अधिक है तथा इसके बाद यूरोपीय क्षेत्र (14.1 मिलियन) का स्थान है।
  • WHO के प्रयास:
    • ग्लोबल एक्शन प्लान ऑन द पब्लिक हेल्थ रिस्पांस टू डिमेंशिया 2017-2025:
      • यह डिमेंशिया/ मनोभ्रंश को संबोधित करने हेतु एक व्यापक खाका प्रस्तुत करता है।
    •  वैश्विक मनोभ्रंश वेधशाला:
      • यह मनोभ्रंश संबंधी नीतियों, सेवा वितरण, महामारी विज्ञान और अनुसंधान पर निगरानी और जानकारी साझा करने की सुविधा हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय निगरानी मंच है।
    • संज्ञानात्मक गिरावट और मनोभ्रंश के जोखिम में कमी हेतु दिशा-निर्देश:
      • यह मनोभ्रंश के लिये परिवर्तनीय जोखिम कारकों को कम करने हेतु हस्तक्षेपों पर साक्ष्य-आधारित सिफारिशें प्रदान करता है।
    • मेंटल हेल्थ गैप एक्शन प्रोग्राम:
      • सामान्यतः यह विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में मानसिक (Mental),  स्नायविक (Neurologica) और मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी विकारों के लिये प्रथम दृष्टया देखभाल में मदद करने हेतु एक संसाधन है।
  • भारत की पहल:
    • अल्ज़ाइमर्स एंड रिलेटेड डिसऑर्डर्स सोसाइटी ऑफ इंडिया:
      • यह सरकार से मनोभ्रंश पर अपनी योजना या नीति बनाने का आह्वान करता है जिसे सभी राज्यों में लागू किया जाना चाहिये तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वित्तपोषण और निगरानी की जानी चाहिये।
    • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन:
      • यह न्यायसंगत, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं की सार्वभौमिक पहुंँच की परिकल्पना करता है और लोगों की ज़रूरतों के प्रति जवाबदेह और उत्तरदायी है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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